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Misc. Erotica All HoT Hindi choti (Hindi Font)
#2
मैंने देखा पापा चाची की चुदाई कर रहे थे :-------
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हैलो, मेरा नाम नितिन है.. मैं औरंगाबाद का रहने वाला हूँ। आज मैं आपको एक चुदाई की कहानी बताने जा रहा हूँ जो मेरी चाची की है।

मेरी फैमिली में मेरे पापा-मम्मी, चाचा-चाची और उनका बेटा गुड्डू रहते हैं।

एक दिन की बात है, मैं पढ़ाई कर रहा था और मेरे पापा बिस्तर पर बैठे कुछ पढ़ रहे थ, तभी चाची आईं और झुक कर झाडू लगाने लगीं। झुक कर झाड़ू लगाने से चाची के गोल-गोल मम्मे दिख रहे थे।

उस दिन मैंने देखा कि पापा चाची को पेपर की आड़ से चुपके से देख रहे हैं। मैंने चाची की तरफ देखा तो चाची अपने काम में व्यस्त दिखीं।

चाची के यौवन की झलक देख कर पापा की लुंगी में उभार दिखने लगा था। तब से मैं पापा और चाची की तरफ नजर रखने लगा।

एक दिन मैंने देखा चाची नहा-धोकर अपने कमरे में गई थीं और पापा उस कमरे में झाँक रहे थे। उस वक्त मम्मी घर पर थीं, इसलिए पापा बहुत सावधान थे।

तभी मैंने देखा पापा घबराकर किचन की तरफ गए, मतलब साफ़ था कि चाची ने उनको देख लिया था।

ऐसे ही कुछ दिन गुजर गए।

एक दिन मैंने देखा चाचा कहीं बाहर जाने के लिए निकल रहे हैं। चाची का चेहरा थोड़ा उदास लग रहा था, पर मेरे पापा बहुत खुश दिख रहे थे।
चाचा ने पापा से कहा- आप सबका ख्याल रखना.. मैं काम निबटा कर आता हूँ।

उसके दो दिन बाद मैं जब कॉलेज से लौटा तो पता चला मम्मी अपनी सहेली की शादी के लिए जा रही थीं और दूसरे दिन लौटने वाली थीं।

पापा मम्मी को छोड़ते हुए वहीं से ऑफिस चले गए। शाम को जब पापा आए, तो वे बहुत खुश नजर आ रहे थे। चाची ने सबका खाना लगाया। उस वक्त हम दोनों भाई पढ़ाई कर रहे थे और पापा चाची से बातें कर रहे थे।

आज पापा उनसे बहुत मजाक कर रहे थे और चाची भी हँस-हँस कर मजा ले रही थीं। पापा चाची को पटाने के लिए ये सब कर रहे थे।

रात हो गई.. तो सब लोग सोने की तैयारी करने लगे। उन दिनों गर्मी के दिन थे.. मैं और पापा अपने कमरे में सोने गए और चाची और गुड्डू उनके कमरे में चले गए।

नींद लगी ही थी कि आधा घंटे के बाद लाइट चली गई, बहुत गर्मी के कारण सब कमरों से बाहर आकर बैठ गए।

चाची ने मोमबत्ती जलाई।

मैंने देखा कि चाची की साड़ी का पल्लू कुछ हट सा गया था, तो चाची के चुचे और चाची का सपाट चिकना पेट साफ दिख रहा था। उन्होंने अपने चिकने पेट पर नाभि के काफी नीचे से साड़ी पहनी हुई थी.. इसलिए चाची बहुत ही सेक्सी नजर आ रही थीं।

पापा तो चाची का पेट और चूची को ऐसे देख रहे थे कि खा जाएंगे।

चाची को जैसे ही पता चला, तो चाची ने साड़ी ठीक की, पर उनका चेहरा लाल हो गया था और वे शर्मा रही थीं।
तभी पापा ने कहा- हम सब सोने के लिए ऊपर छत पर चलते हैं।

बाहर अच्छी हवा चल रही थी, पापा की बात सबको ठीक लगी और हम ऊपर सोने के लिए आ गए। मैं और गुड्डू पापा और चाची के बीच में सोए थे, पर पापा के आँखों से तो जैसे नींद चली गई थी।

मैं जानबूझ कर सोया नहीं था, थोड़ी ही देर में मैंने देखा पापा उठकर टहलने लगे थे। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। तभी मैंने नोटिस किया कि चाची भी सोई नहीं हैं, वो अपनी जगह पर ही करवटें बदल रही थीं।

मैं सोने का नाटक कर रहा था, थोड़ी देर बाद पापा जाकर चाची के पास लेट गए। चाची डर गई थीं.. उनकी तेज़ धड़कने मुझे सुनाई दे रही थीं।

क्योंकि मैं चाची के नजदीक था और मेरे बाजू में गुड्डू था। मैंने आँखें खोलीं, तो देखा चाची ने जबरदस्ती आँखें बंद की हुई हैं और उनका चेहरा लाल हो गया है।

तभी मुझे चाची के पेट पर पापा का हाथ दिखाई दिया, मतलब पापा ने पीछे से चाची के ऊपर हाथ रखा था।

पापा हाथ रखने के बाद रुक गए.. शायद देख रहे थे कि चाची क्या कहती हैं। पर चाची ने तो कुछ नहीं कहा, वैसे ही लेटी रहीं।

लेकिन चाची की धड़कनें साफ़ बता रही थीं कि चाची सोई नहीं हैं, ये बात पापा को पता चल रही थी।

अब की बार पापा पीछे से पूरी तरह चाची से चिपक गए और उनका पूरा हाथ चाची के पेट पर से इधर आया था। मैंने देखा चाची ने पापा के हाथ को हटाने की कोशिश की, पर पापा ने जोर से जकड़ लिया और पेट से होते हुए उनकी नाभि में उंगली घुमाने लगे।

चाची का चेहरा एकदम से लाल होकर डरा हुआ दिख रहा था क्योंकि पापा का लंड पीछे से चाची को महसूस हो रहा था।

इधर एक बात तो तय थी कि चाची पापा से चुदना चाहती थीं क्योंकि यदि ऐसा नहीं होता.. तो वो चिल्ला सकती थीं या हम दोनों को आवाज देकर जगा सकती थीं, जिससे पापा उनसे अलग हो जाते।

चाची ने पापा का हाथ हटाने की सिर्फ दो बार कोशिश की और फिर शांत हो गईं, शायद उनको मजा आने लगा था।

पापा ने हाथ से पूरे पेट पर सहलाया। अब चाची भी थोड़ी शांत हो गई थीं। पापा ने साड़ी के पल्लू के नीचे से हाथ डालकर चाची के चूचों के ऊपर रख दिए और दबा दिए।
चाची थोड़ी कसमसाईं और पापा के हाथ के ऊपर हाथ रख दिया, पर हटाया नहीं।

मुझे लाइव ब्लू-फिल्म देखने में मजा आ रहा था। मैं देखना चाहता था कि आगे क्या होगा।।

मैं जरा भी नहीं हिल रहा था, तभी मैंने देखा पापा ने एक पैर भी चाची के ऊपर रखा, मतलब पापा लगभग पीछे से चाची के ऊपर चढ़ गए थे।
पापा की इस स्थिति से मुझे और झटका लगा क्योंकि पापा ने लुंगी निकाल दी थी सिर्फ अंडरवियर में थे.. इससे चाची भी उस वक़्त चौंक सी गई थीं।

पापा ने पीछे से चाची की पीठ पर चुंबन करना शुरू कर दिया। इससे चाची को गुदगुदी हुई और वो थोड़ा सीधे होकर लेट गईं.. लेकिन चाची ने आँखें नहीं खोलीं। सीधा लेटने के बाद पापा का हाथ चूची पर और एक पैर चाची के दोनों पावों पर था। अब पापा चाची को अँधेरे में निहार रहे थे, पर उस वक़्त सब्र किसे होता है। पापा ने अपने होंठों से चाची के गाल पर किस किया और अपने हाथों से चाची की चूची को दबाने लगे। पापा चाची की चूची को बहुत आराम से पकड़ कर छोड़ते हुए मजा ले रहे थे.. और चुम्मी भी लेते जा रहे थे।

अब चाची के चेहरे पर साफ ख़ुशी दिख रही थी.. पर थोड़ी टेंशन भी नजर आ रही थी। वो टेन्शन शायद हम दोनों भाईयों के बगल में सोने के कारण थी।

पापा ने अपने होंठ चाची के होंठ पर लगाने चाहे.. तो चाची ने मुँह फेर लिया शायद चाची अभी पूरी तरह से खुल नहीं पाई थीं। शायद उनकी निगाह में सब गलत हो रहा था और इस वक्त बाजू में हम दोनों भी सोये हुए थे।

चाची के होंठ पर किस ना करने से पापा उनके गले पर किस करने लगे और पूरा गले पर ऐसे चुम्बन किया, जैसे गले में से कोई खास मलाई का स्वाद मिल रहा हो। चूमा-चाटी के कारण चाची बहुत गर्म हो गईं और उन्होंने भी अपना हाथ पापा के सर के बालों पर फेर दिया।

अब पापा ख़ुशी से चाची को देखने लगे, पर चाची ने अब भी आँख नहीं खोलीं।

फिर पापा ने चाची का पल्लू हटा दिया और ब्लाउज के बटन खोलने में लग गए। तभी चाची ने पापा के हाथ को फिर रोकने की कोशिश की, पर पापा ने इस बार थोड़ा जबरदस्ती करते हुए बटन खोल दिए। फिर पापा ने चाची के ब्लाउज को हटा कर ब्रा के ऊपर से चूचियों पर चुम्बन किया और दोनों चूची के बीच में जो जगह होती है.. वहां अपनी जीभ फेरते हुए एकदम से ऐसे चाटने लगे, जैसे खाने को कोई नया पकवान मिल गया हो।

पापा के जबरदस्ती बटन खोलने से चाची ने एकदम से डर कर आँखें खोलीं और गुड्डू और मेरी तरफ देखा कि हम सोये हुए हैं या नहीं।

मैंने हल्की सी आँख खुली रखी थी, इसलिए चाची को अँधेरे में पता नहीं चल सका।

उधर पापा ने पूरा ब्लाउज हाथ तक निकाल कर चाची की बगल भी चूम ली। चाची भी अब मदहोश हो रही थीं, शायद ऐसा कभी चाचा ने नहीं किया था।
अब पापा चाची के ऊपर चढ़ गए और चाची को देखने लगे, चाची ने अपनी आँखें फिर से बंद कर लीं।

पापा ने चाची के कान में कहा- उम्म्ह… अहह… हय… याह… तुम बहुत खूबसूरत हो और टेस्टी भी..!
चाची ने पापा को ऊपर से हटाने की कोशिश की, क्योंकि चाची हम दोनों भाईयों की मौजूदगी में हद में रहना चाहती थीं।
पर पापा कहाँ मानने वाले थे, पापा ने चाची के चुचे जोर से दबाने शुरू किए.. तो चाची को हल्का सा दर्द हुआ, चूची दबाने की वजह से से चाची ने दबे स्वर में आवाज भी निकाली।

खैर.. चुदास चढ़ चुकी थी, सो चाची पापा का साथ देने लगीं। अब चाची का एक हाथ पापा की पीठ पर फिर रहा था और दूसरा पापा के बालों में था।

पापा मेरी चाची को ऊपर उठा कर.. अपने दोनों हाथों को ब्रा खोलने के लिए उनकी पीठ पर ले गए।
इस समय चाची पूरी मस्ती से पापा की बांहों में जकड़ी हुई थीं, ऐसा साफ़ दिख रहा था। उस वक्त पापा चाची के गले पर किस कर रहे थे।
अब पापा ने ब्रा का हुक खोल दिया.. ये सब एक मिनट में हो गया।

चाची ने सिर्फ हाथ से पापा को ‘नहीं..’ करते हुए इशारा किया, पर आँखें बंद रखीं और मुँह से भी कुछ नहीं कहा।
पापा मुस्कुराए और ब्रा ऊपर करते हुए चाची की एक चूची को मुँह में लेकर चूसने लगे।

चाची फिर पापा को सहलाने लगीं। तभी मैं फिर से चौंक गया क्योंकि चाची ने धीरे से कहा- प्लीज़ यार, मत करो, बाजू में बच्चे है.. अब बस करो!
पापा ने उनके कान में फुसफुसाते हुए कहा- चुप रहो डार्लिंग, कुछ बोलोगी तो उठ जायेंगे.. मजा लो और लेने दो।

अब स्थिति ऐसी थी कि पापा चाची के ऊपर लेटे हुए थे और चाची का ब्लाउज और ब्रा हाथ तक निकला हुआ था। पापा एक चूची चूस रहे थे और दूसरी चूची को हाथ से दबा रहे थे। इसके साथ ही पापा ऊपर-नीचे हिल भी रहे थे।

मैंने ध्यान से देखा कि पापा अपना लंड चाची की चूत पर रगड़ रहे थे, पर बीच में कपड़े थे, लेकिन चाची लंड की रगड़ महसूस कर रही थीं इसलिए वे मदहोश थीं।

पापा अब दोनों चूचियों को ऐसे चूस रहे थे.. जैसे पूरी खा ही जायेंगे।
चाची जोर-जोर से साँस ले रही थीं और पापा के मुँह को अपनी चूची पर दबाते हुए चूची चुसवा रही थीं।

पापा अब धीरे-धीरे नीचे जाने लगे और चाची के पेट पर जीभ घुमाने लगे। चाची ने तकिये के दोनों साइड में अपने हाथ ऊपर को कर दिए, पापा ने अपने दोनों हाथ चाची के दोनों चूची पर रखे और अपनी जीभ से चाची की नाभि पर घुमाने लगे। चाची एकदम जोर से पीठ ऊपर करके ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ करने लगीं और हमारी तरफ देखने लगी कि कहीं हम उठ न जाएं।

पापा ने कुछ देर नाभि चूसने के बाद पेट पर चुम्बन करते हुए अपना दायाँ हाथ एक चूची से हटाकर नीचे चाची के पैरों पर पर ले आए। चाची आँख बंद कर हाथ ऊपर किए लेटी रहीं।

अब पापा अपने हाथ से ने धीरे-धीरे साड़ी को ऊपर उठाया और चाची के घुटनों के ऊपर जांघ का मांसल भाग सहलाने लगे, इससे चाची सिहर उठीं।

पापा ने चाची के पेट पर चूमना बंद किया और एकदम से अपने घुटनों पर आधे खड़े होकर अपनी बनियान उतार कर अलग कर दिया.. व फिर से चाची के ऊपर लेट गए।

चाची को जैसे ही चुदाई होने का अहसास हुआ, वे एकदम से ‘नहीं नहीं..’ बोलने लगीं।
पापा ने जोर से चाची को अपने सीने से चिपटाया और उनके ऊपर पोजीशन बना कर लेटने लगे। अब चाची समझ चुकी थीं कि वे पापा को चुदाई करने नहीं रोक पाएंगी, तो चाची कुछ शिथिल पड़ गईं।

चाची का विरोध कम होने पर पापा ने चाची की पूरी साड़ी कमर से ऊपर पेट पर कर दी और पेंटी पर हथेली फैलाते हुए चूत पर हाथ घुमा दिया।
चाची एकदम से सहम गईं और वे पापा के हाथ पर हाथ रख कर रोकने जैसा प्रयास करने लगीं।

इस पर पापा ने फिर अपने होंठ चाची के होंठों पर लगाने चाहे, तो चाची ने मुँह फेर लिया। अब पापा को थोड़ा गुस्सा आया तो उन्होंने चाची की पेंटी के अन्दर हाथ डालकर अपनी एक उंगली जोर से चूत के अन्दर पेल दी।

चाची का मुँह दर्द के कारण खुला का खुला रह गया और तुरंत पापा को आँख खोलकर देखने लगीं। पापा ने हँसकर चाची के गाल पर एक पप्पी धर दी तो चाची ने फिर आँखें बंद कर लीं। पापा उंगली धीरे-धीरे अन्दर-बाहर कर रहे थे और चाची के एक चूचे को चूसे जा रहे थे।

अगले ही पल पापा ने अपना पूरा बदन चाची के थोड़ा ऊपर उठा कर दूसरे हाथ से अपनी अंडरवियर नीचे को सरका दी। पापा की इस हरकत का चाची को पता नहीं चल पाया था। फिर पापा ने उसी हाथ से पेंटी को धीरे-धीरे नीचे खींचना शुरू किया। चाची ने पेंटी पकड़ कर रखी थी। पापा और जोर लगाने लगे चाची अपना मुँह ‘नहीं नहीं’ करने के लिए हिला रही थीं, पर कुछ बोल नहीं रही थीं।

पापा और चाची के जोर लगाने से पेंटी फट गई और पापा के हाथ में आ गई। पापा खुश हो गए और उसे दूर फेंक दिया। चाची का मन तो था.. पर वे हम दोनों के कारण थोड़ा घबरा रही थीं।

तभी पापा ने चूत में फिर से उंगली घुमा दी। अब चाची को बहुत अच्छा लगा और उन्होंने अपने पैर फैलाते हुए पापा को कसके जकड़ लिया।

तभी पापा ने चाची के हाथ को पकड़ कर नीचे लेकर गए और उनके हाथ में लंड पकड़ा दिया। चाची ने लंड पकड़ कर छोड़ दिया, पर थोड़ी देर बाद हाथ में लेकर लंड हिलाने लग गईं।

पापा अब बहुत खुश हुए और चाची के पूरे बदन पर किस करने लगे। लेकिन उसी वक्त गुड्डू ने करवट बदली तो चाची बुरी तरह से डर गई और कपड़े ठीक करने लगीं। पर पापा चाची के ऊपर से नहीं हटे और पापा ने चाची के हाथ पकड़ लिए।
चाची बहुत डर गई थीं, चाची ने कहा- प्लीज जल्दी करो और जाओ यहाँ से.. बच्चे उठ जायेंगे!

पापा खुश हो गए और वे लंड चूत पर रगड़ने लगे, साथ ही चाची के चूचे चूसने लगे।।

पापा ने दो बार जोर लगाया.. पर लंड अन्दर नहीं जा रहा था, तभी चाची ने अपने हाथ से लंड को चूत पर रखा और अन्दर डालने का इशारा करने लगीं।

पापा समझ गए और उन्होंने एक तबियत का जर्क लगा दिया। पापा का लंड शायद चाचा से बड़ा था.. इसलिए चुत में अन्दर जाते ही चाची की आँखें फ़ैल गईं और उनकी जोर से चीख निकल गई- आह्हह्ह.. मर गई..

पापा भी डर गए कि कहीं हम दोनों उठ ना जाएं, पापा ने चाची के होंठ पर होंठ रखे और इस बार दर्द होने के बाद भी चाची ने अपने होंठ पापा के होंठों से जोड़ दिए। पापा को मजा आ गया क्योंकि पहले चाची होंठ नहीं चूसने दे रही थीं।

चाची ने पापा के होंठ जकड़ रखे थे इसलिए पापा होंठ चूसते हुए जोर-जोर से लंड के झटके मारने लगे। चाची होंठ दबे होने के कारण चीख नहीं पा रही थीं.. पर अपने हाथ से पापा की कमर को धीरे-धीरे चुदाई करने के लिए रोक रही थीं।

पापा ने 8-10 धक्के लगाने के बाद चाची के होंठ छोड़ दिए। चाची तुरंत जोर-जोर से हांफने लगी और उन्होंने मस्ती में आकर पापा के गाल पर एक पप्पी जड़ दी। पापा ने जोर-जोर से लंड पेलना शुरू कर दिया।

चाची चुदाई की मस्ती में अब सब भूल गई थीं उन्होंने अपने हाथ से अपनी चूची पापा के मुँह में दे दी। फिर पापा अपने घुटनों के सहारे आधे खड़े से हो गए और चाची की टांगों को उठाकर चोदने लगे। इसके बाद पापा ने चाची को उठाया, चाची के उठते ही पापा ने उनका ब्लाउज और ब्रा निकाल कर अलग कर दिया और चाची को अपने गोद में बिठा लिया।

पापा के लंड पर बैठकर चाची भी पापा के लंड में धक्के देने लगीं। आखिर पापा ने चाची को पूरा चिपका लिया और उन्हें लेकर उठकर खड़े हो गए।
चाची ने मना किया.. पर पापा ने लंड वैसे ही रखकर चाची को उठाया था। चाची के दोनों हाथ पापा के गले में थे.. और पैर पापा की कमर से जकड़े हुए थे।

पापा चाची को एक कोने में लेकर गए और वहाँ नीचे उतारकर चाची को झुकाने लगे। पापा ने वहाँ पर चाची को घोड़ी बना कर पीछे से उनकी चुत में बहुत जोर-जोर से धक्के मारे, चाची को मजा आ रहा था।

चूँकि चाची झड़ चुकी थीं और उनको अब ये सब ख़त्म करना था, तो चाची पापा से छूटने के लिए थोड़ा हट गईं और भाग कर अपनी जगह पर बिस्तर पर आ गईं।

पापा भी लंड हिलाते हुए आए और सीधा चाची के ऊपर चढ़ गए। चाची ने पूरे जोर से पापा को पकड़ लिया और अपने होंठों में उनके होंठ ले लिए।

कुछ ही देर शायद चाची फिर से गरम हो गई थीं। अब वो पापा के कूल्हों को ऐसे खींच रही थीं, जैसे कह रही हों कि थोड़ा भी लंड बाहर नहीं रहना चाहिए।

चाची का ऐसा जोश देख कर पापा बहुत एक्साइट होकर धक्के मारने लगे, छत के सुनसान वातवरण में जोर-जोर से ‘पछक पछाक..’ की आवाजें आने लगीं।

चाची हम दोनों की तरफ देख रही थीं और पापा बहुत जोश में धक्के मार रहे थे।
थोड़ी ही देर में पापा ने चाची से पुछा - कहा निकालु ? अन्दर या बाहर ????
चाची ----- अन्दर ही निकल दो कुछ नही होगा ।

कुछ देर बाद पापा ने पूरा माल चाची की चूत में ही डाल दिया और उनके ऊपर ही ढेर हो गए।

अब दोनों भी शांत हो गए, पापा ने लंड निकाला तो बहुत वीर्य बाहर निकला मतलब चाची भी फिर से झड़ गई थीं।

पापा ने चाची को बहुत प्यार से किस किया और उठकर गुड्डू के बाजू में सो गए।

चाची ने सब कपड़े पहन कर एक जोर से साँस ली और अपने आप मुस्कुरा कर मेरे ऊपर हाथ रखकर सो गईं।

मैंने भी चाची को जोर से हग किया और हम दोनों सो गए।

End
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All HoT Hindi choti (Hindi Font) - by Pagol premi - 13-08-2021, 11:44 AM
RE: All HoT Hindi choti (Hindi Font) - by Pagol premi - 13-08-2021, 11:48 AM



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