17-04-2019, 10:32 PM
अब दोनो को शाम का इंतजार था..और वो शाम कितनी कामुक होने वाली थी ये तो काजल को भी नही पता था..
दीवाली का दिन था इसलिए पूरे दिन घर में कोई ना कोई मेहमान या गली में रहने वाले लोग आते-जाते रहे...दीवाली की शुभकामनाए और मिठाई के साथ... काजल ने भी काफ़ी गिफ्ट और मिठाइयाँ ली और अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों के घर जाकर दे आई...ये सब करते-2 कब शाम हो गयी उसको भी पता नही चला..केशव घर पर ही था..सुबह से माँ की तबीयत ठीक नही लग रही थी इसलिए वो उनके साथ ही रुका हुआ था.
शाम को जब तक काजल घर पहुँची, डॉक्टर उनके घर से निकल रहा था..जिसे देखकर काजल घबरा गयी..वो भागती हुई उपर के कमरे में गयी, केशव अपनी माँ के पास बैठा था. पूछने पर पता चला की उन्हे साँस लेने मे तकलीफ़ हो रही है...शायद नजला जम गया है और उसकी वजह से उनके हार्ट पर भी ज़ोर पड़ रहा है..इसलिए डॉक्टर ने सलाह दी की इन्हे एक दिन के लिए हॉस्पिटल में एडमिट कर दो और नेबोलाइस करवा लो...साथ ही साथ हार्ट पर जो दबाव पड़ रहा है उसकी भी जाँच हो जाएगी...
प्रोसिज़र तो सिंपल था और सिर्फ़ एक ही दिन का था..पर मुसीबत ये थी की त्योहार का दिन था..पर माँ की तबीयत पहले है, इसलिए दोनो भाई बहन उसी वक़्त माँ को हॉस्पिटल ले आए...वैसे भी उनके पास अब पैसों की कमी तो थी ही नही ..माँ को एडमिट करवाया , केशव ने कहा की वो उनके साथ ही रुकेगा..और काजल को वापिस घर भेज दिया...और साथ ही साथ उसने सारिका को भी फोन करके बोल दिया की वो आज रात के लिए उसके घर पर ही रुक जाए, क्योंकि काजल को वो अकेला नही छोड़ना चाहता था.
काजल करीब 9 बजे घर वापिस पहुँची..और थोड़ी ही देर मे सारिका भी आ गयी..उसकी माँ छोड़ने आई थी उसको..दोनो ने मिल कर खाना खाया..
काजल ने टाइम देखा, राणा और दूसरे जुआरियों के आने का टाइम होने वाला था...वो दुविधा में थी की क्या करे..उसने केशव को फोन किया, उसने काजल को निश्चिंत होकर खेलने की सलाह दी...माँ तो ठीक ही थी..और काजल के साथ सारिका भी थी, इसलिए केशव ने बिना डरे उसे आज भी खेलने के लिए कहा..क्योंकि वो अच्छी तरह से जानता था की आज दीवाली का दिन है, और अगर आज काजल की किस्मत ने साथ दिया तो काफ़ी पैसे जीत सकती है वो..काजल के मन में भी लालच था..पर पैसों का नही , किसी और चीज़ का..
खैर, दस बजे के करीब सभी आना शुरू हो गये..और आधे घंटे के अंदर-2 सभी वहाँ पर थे..और सभी अंदर ही अंदर ये सोचकर काफ़ी खुश थे की आज की रात काजल अकेली है घर पर और वो उनके साथ खेलेगी..वो मन ही मन उसके साथ कैसे मज़े लेंगे, ये सोचने के उपाय निकालने लगे..
आज सभी के पास काफ़ी पैसे थे..क्योंकि दीवाली का दिन था, इसलिए जुआ भी मोटा होने वाला था.
सारिका को भी ये सब देखकर काफ़ी रोमांच का एहसास हो रहा था..पिछली बार भी उसे बड़ी उत्सुकतता थी की कैसे काजल इस खेल को खेलती है...आज वो उसके साथ पूरी रात यही रहने वाली थी, इसलिए पूरी गेम को देखकर वो भी कुछ नया सीखना चाहती थी...पर उसे क्या पता था की काजल किस तरह के खेल खेलती है..
काजल के कहने पर सारिका ने किचन संभाल ली और सबके लिए कुछ स्नेक्स का इंतज़ाम करने लगी..और बाकी सभी लोग टेबल के चारों तरफ बैठ गये और खेल शुरू कर दिया.
राणा तो कल काजल के हुस्न का दीदार कर ही चुका था..उसे पूरा नंगा देखकर...उसे चूस्कर...बस चुदाई की कमी रह गयी थी..वो ये बात भी जान चुका था की काजल अभी तक कुँवारी है..पर बेचारे को ये बात नही पता थी की कल रात ही केशव ने उसकी चुदाई करके उसे कली से फूल बना दिया है..
और बिल्लू और गणेश भी अपनी ललचाई हुई नज़रों से काजल के जिस्म को देख रहे थे..आज त्योहार का दिन था इसलिए उसने काफ़ी सेक्सी रेड कलर का टॉप पहना हुआ था..जिसमे से उसकी क्लीवेज साफ़ दिख रही थी
सारिका भी कम नही लग रही थी...उसने भी डोरी वाला येल्लो टॉप पहना था और स्लीवलेस होने की वजह से उसकी गोरी और सुडोल बाहें काफ़ी सेक्सी लग रही थी..नीचे की जीन्स मे उसकी फंसी हुई गांड , जिसे केशव ने मार-मारकर इतना टेंप्टिंग कर दिया था की हर लोंडे की नज़र उसके मोटे उभारों से पहले नीचे की फेलावट पर जाती थी..
कुल मिलाकर आज की रात दोनो सहेलियाँ कयामत ढा रही थी..
खेल शुरू हुआ..आज की रात राणा अकेला ही आया था..जीवन किसी बड़े क्लब में अपनी किस्मत आज़माने गया हुआ था..आख़िर दीवाली पर जुआ खेलने का मौका रोज-2 तो आता नही है ना..
राणा ने पत्ते बाँटे...और पहली बाजी शुरू हुई..सारिका भी तब तक सबके लिए कबाब तल कर ले आई और काजल की बगल मे बैठकर खेल को समझने की कोशिश करने लगी..
आज पहले ही तय हो चुका था की 500 की ब्लाइंड होगी, इसलिए सबने एक के बाद एक ब्लाइंड फेंकनी शुरू कर दी..4 ब्लाइंड चलने के बाद बिल्लू ने अपने पत्ते उठाए और उसने खुशी -2 दो हज़ार की चाल चल दी..
उसकी चाल आते ही गणेश ने भी पत्ते उठा लिए और काफ़ी सोचने के बाद उसने भी चाल चल ही दी..
दीवाली का दिन था इसलिए पूरे दिन घर में कोई ना कोई मेहमान या गली में रहने वाले लोग आते-जाते रहे...दीवाली की शुभकामनाए और मिठाई के साथ... काजल ने भी काफ़ी गिफ्ट और मिठाइयाँ ली और अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों के घर जाकर दे आई...ये सब करते-2 कब शाम हो गयी उसको भी पता नही चला..केशव घर पर ही था..सुबह से माँ की तबीयत ठीक नही लग रही थी इसलिए वो उनके साथ ही रुका हुआ था.
शाम को जब तक काजल घर पहुँची, डॉक्टर उनके घर से निकल रहा था..जिसे देखकर काजल घबरा गयी..वो भागती हुई उपर के कमरे में गयी, केशव अपनी माँ के पास बैठा था. पूछने पर पता चला की उन्हे साँस लेने मे तकलीफ़ हो रही है...शायद नजला जम गया है और उसकी वजह से उनके हार्ट पर भी ज़ोर पड़ रहा है..इसलिए डॉक्टर ने सलाह दी की इन्हे एक दिन के लिए हॉस्पिटल में एडमिट कर दो और नेबोलाइस करवा लो...साथ ही साथ हार्ट पर जो दबाव पड़ रहा है उसकी भी जाँच हो जाएगी...
प्रोसिज़र तो सिंपल था और सिर्फ़ एक ही दिन का था..पर मुसीबत ये थी की त्योहार का दिन था..पर माँ की तबीयत पहले है, इसलिए दोनो भाई बहन उसी वक़्त माँ को हॉस्पिटल ले आए...वैसे भी उनके पास अब पैसों की कमी तो थी ही नही ..माँ को एडमिट करवाया , केशव ने कहा की वो उनके साथ ही रुकेगा..और काजल को वापिस घर भेज दिया...और साथ ही साथ उसने सारिका को भी फोन करके बोल दिया की वो आज रात के लिए उसके घर पर ही रुक जाए, क्योंकि काजल को वो अकेला नही छोड़ना चाहता था.
काजल करीब 9 बजे घर वापिस पहुँची..और थोड़ी ही देर मे सारिका भी आ गयी..उसकी माँ छोड़ने आई थी उसको..दोनो ने मिल कर खाना खाया..
काजल ने टाइम देखा, राणा और दूसरे जुआरियों के आने का टाइम होने वाला था...वो दुविधा में थी की क्या करे..उसने केशव को फोन किया, उसने काजल को निश्चिंत होकर खेलने की सलाह दी...माँ तो ठीक ही थी..और काजल के साथ सारिका भी थी, इसलिए केशव ने बिना डरे उसे आज भी खेलने के लिए कहा..क्योंकि वो अच्छी तरह से जानता था की आज दीवाली का दिन है, और अगर आज काजल की किस्मत ने साथ दिया तो काफ़ी पैसे जीत सकती है वो..काजल के मन में भी लालच था..पर पैसों का नही , किसी और चीज़ का..
खैर, दस बजे के करीब सभी आना शुरू हो गये..और आधे घंटे के अंदर-2 सभी वहाँ पर थे..और सभी अंदर ही अंदर ये सोचकर काफ़ी खुश थे की आज की रात काजल अकेली है घर पर और वो उनके साथ खेलेगी..वो मन ही मन उसके साथ कैसे मज़े लेंगे, ये सोचने के उपाय निकालने लगे..
आज सभी के पास काफ़ी पैसे थे..क्योंकि दीवाली का दिन था, इसलिए जुआ भी मोटा होने वाला था.
सारिका को भी ये सब देखकर काफ़ी रोमांच का एहसास हो रहा था..पिछली बार भी उसे बड़ी उत्सुकतता थी की कैसे काजल इस खेल को खेलती है...आज वो उसके साथ पूरी रात यही रहने वाली थी, इसलिए पूरी गेम को देखकर वो भी कुछ नया सीखना चाहती थी...पर उसे क्या पता था की काजल किस तरह के खेल खेलती है..
काजल के कहने पर सारिका ने किचन संभाल ली और सबके लिए कुछ स्नेक्स का इंतज़ाम करने लगी..और बाकी सभी लोग टेबल के चारों तरफ बैठ गये और खेल शुरू कर दिया.
राणा तो कल काजल के हुस्न का दीदार कर ही चुका था..उसे पूरा नंगा देखकर...उसे चूस्कर...बस चुदाई की कमी रह गयी थी..वो ये बात भी जान चुका था की काजल अभी तक कुँवारी है..पर बेचारे को ये बात नही पता थी की कल रात ही केशव ने उसकी चुदाई करके उसे कली से फूल बना दिया है..
और बिल्लू और गणेश भी अपनी ललचाई हुई नज़रों से काजल के जिस्म को देख रहे थे..आज त्योहार का दिन था इसलिए उसने काफ़ी सेक्सी रेड कलर का टॉप पहना हुआ था..जिसमे से उसकी क्लीवेज साफ़ दिख रही थी
सारिका भी कम नही लग रही थी...उसने भी डोरी वाला येल्लो टॉप पहना था और स्लीवलेस होने की वजह से उसकी गोरी और सुडोल बाहें काफ़ी सेक्सी लग रही थी..नीचे की जीन्स मे उसकी फंसी हुई गांड , जिसे केशव ने मार-मारकर इतना टेंप्टिंग कर दिया था की हर लोंडे की नज़र उसके मोटे उभारों से पहले नीचे की फेलावट पर जाती थी..
कुल मिलाकर आज की रात दोनो सहेलियाँ कयामत ढा रही थी..
खेल शुरू हुआ..आज की रात राणा अकेला ही आया था..जीवन किसी बड़े क्लब में अपनी किस्मत आज़माने गया हुआ था..आख़िर दीवाली पर जुआ खेलने का मौका रोज-2 तो आता नही है ना..
राणा ने पत्ते बाँटे...और पहली बाजी शुरू हुई..सारिका भी तब तक सबके लिए कबाब तल कर ले आई और काजल की बगल मे बैठकर खेल को समझने की कोशिश करने लगी..
आज पहले ही तय हो चुका था की 500 की ब्लाइंड होगी, इसलिए सबने एक के बाद एक ब्लाइंड फेंकनी शुरू कर दी..4 ब्लाइंड चलने के बाद बिल्लू ने अपने पत्ते उठाए और उसने खुशी -2 दो हज़ार की चाल चल दी..
उसकी चाल आते ही गणेश ने भी पत्ते उठा लिए और काफ़ी सोचने के बाद उसने भी चाल चल ही दी..