08-08-2021, 03:12 PM
ननद चढ़ी
अपने भैया के ऊपर
जब मैंने सर छोड़ दिया तो भी वो कस कस के चूसती रही,...
और जब सर निकाला उसने तो विजयी भाव से उसने पहले अपने भैया कोदेखा फिर दोनों भाभियों को ,
खुश होके मैंने उसे चूम लिया , लेकिन कम्मो भाभी ने एक नयी शर्त रख दी ,
" अबकी तुम को चढ़ के ऊपर ,... "
ननद मेरी अब समझदार हो गयी उलटे कम्मो से बोली ,
" एकदम भौजी लेकिन पहले आप अपने देवर कम ननदोई के ऊपर चढ़ जाइये, मैं देख के वैसे ही ,... "
कम्मो ने तुरंत बात मान ली , आखिर देवर का खड़ा खूंटा देख कर उनकी भी तो गीली हो रही थी।
कम्मो सच में खिलाड़न नहीं थी, खिलाड़ीनों की खिलाड़िन थी, तड़पाने में , ललचाने में , हर चीज में,
उनका खूंटा एकदम बावरा हो रहा था भौजी की रसीली प्यारी बिल में घुसने के लिए
पर इत्ती मस्ती से वो इन्हे ललचा रही थी , विपरीत रति में पारंगत, जैसे कोई सवार घोड़े पर चढ़ जाए बस एकदम उसी तरह लेकिन अपनी बिल पगलाए मोटे सुपाड़े पर वो रगड़ रही थीं, उनके देवर ने नीचे से धक्का मारने की कोशिश की तो उन्होंने पहले तो आँखों से बरज दिया, फिर अपनी दोनों मजबूत बाँहों से कस के दबा दिया,
" पहले बोल मजा आया बहिन चोदने में, ... "
" हाँ भौजी बहुत " वो भी मुस्कराते हुए बोले।
:" जोबन जोरदार है न तेरी बहिन का, " कम्मो आज उनसे सब कबुलवा लेना चाहती थीं।
" हाँ एकदम,... " उनके चेहरे से मस्ती टपक रही थी,
" आज तू चोद ले फिर तेरे साले पेलेंगे। " बोला कम्मो ने और हचक कर वो धक्का मारा की एक बार में उनके देवर का मोटा सुपाड़ा, भौजी की बिल में सटाक
लेकिन कम्मो ने धक्का रोक दिया और अपनी बुर में धंसे इनके सुपाड़े को जोर जोर से भींच रही थी , निचोड़ रही थी , सिकोड़ रही थी
इनकी हालत खराब हो रही थी, और मन तो कम्मो का भी कर रहा था , कुछ ही देर में हचक कर वोमेन ऑन टॉप वाली चुदाई चालू हो गयी ,
गुड्डी एक अच्छी शिष्य की तरह अपनी भौजी की बिल में भैया का लंड आते जाते देख रही थी, गीली हो रही थी ,
कम्मो ने खींच कर इनका हाथ उसके छोटे छोटे उभारों पर रख दिया और ये भी हलके हलके अपनी बहिना का जोबन प्यार से दबा रहे थे।
पांच दस मिनट तक इसी तरह , फिर कम्मो हट गयीं और अब नंबर गुड्डी रानी का था बांस पर चढ़ने का
मेरी ननद कुछ घबड़ा रही थी, कुछ नखड़े दिखा रही थी,
पर दो दो भौजाइयां किस लिए थीं आखिर, हम लोगो ने जबरदस्ती पकड़ कर उसे मोटे बांस पर चढ़ा दिया और ऊपर से मैं कंधे पकड़ कर उस टीनेजर के दबाने लगी , पूरी ताकत से, और कम्मो भौजी की जबरदस्त ताकत, पहले तो उन्होंने ननदिया के गुलाबो को फैला के उसके भैया का मोटा सुपाड़ा सेट किया, प्रेम गली में अबकी पिछली चुदाई की गाढ़ी मलाई पचर पचर कर रही थी, बस उसके बाद कम्मो ने उसकी पतली कमर पकड़ी और हम दोनों ने जोर से,
गप्पाक,
पूरा सुपाड़ा गप्प से अंदर, वो जोर से चीखी, ... पर हम दो दो भौजाइयां किस लिए थीं, भौजाइयां ऐसे छोड़ दें तो सारी ननदें बिन चुदे न रह जाएँ, ...
मैं पूरी ताकत से कंधे पर उसे दबाती रही, और कम्मो ने उसकी कटीली पतली कमर पकड़ रखी थी और नीचे की पुश कर रही थी, ... पांच सात मिनट, उसके भैया भी नीचे से चूतड़ उचका उचका कर हम दोनों का साथ दे रहे थे, और धीरे धीरे कर चूत रानी ने आधे से ज्यादा लंड घोंट लिया।
कम्मो अपनी शिष्या के कान में मंतर भी फूंक रही थी और वो भी अब अपने दोनों हाथों से बिस्तर को पकडे , अपने को नीचे की ओर पुश कर रही थी.
मैंने हलके से उसे छोड़ दिया और कम्मो को भी धीरे से इशारा किया और वो भी अलग हो गयीं, पर,...
कुछ देर बाद मैं इनकी बहन से बोली, अरे बिन्नो जरा शीशे में देखो, ...
और वो शर्मा गयी, जैसे कोई नटनी की लड़की बांस पर चढ़ती उतरती हो, एकदम उसी तरह मेरी ननद इनके मोटेउसके बांस पर कभी ऊपर नीचे स्लाइड करती तो कभी आगे पीछे हो कर, ,,, मस्ती से झूमझूम कर, ...
वो जरा सा नीचे झुकती तो उसके भैया सर उठा के उसके बस आ रहे छोटे छोटे निप्स कभी चूस लेते तो कभी बाइट कर लेते,
पर एक आसन में चोदने इनका मन थोड़े ही भरने वाला था उस कच्ची कली को और पलट कर उसे नीचे किया और लगे कस के उसके दोनों छोटे छोटे चूतड़ पकड़ के धक्के मारने
अपने भैया के ऊपर
जब मैंने सर छोड़ दिया तो भी वो कस कस के चूसती रही,...
और जब सर निकाला उसने तो विजयी भाव से उसने पहले अपने भैया कोदेखा फिर दोनों भाभियों को ,
खुश होके मैंने उसे चूम लिया , लेकिन कम्मो भाभी ने एक नयी शर्त रख दी ,
" अबकी तुम को चढ़ के ऊपर ,... "
ननद मेरी अब समझदार हो गयी उलटे कम्मो से बोली ,
" एकदम भौजी लेकिन पहले आप अपने देवर कम ननदोई के ऊपर चढ़ जाइये, मैं देख के वैसे ही ,... "
कम्मो ने तुरंत बात मान ली , आखिर देवर का खड़ा खूंटा देख कर उनकी भी तो गीली हो रही थी।
कम्मो सच में खिलाड़न नहीं थी, खिलाड़ीनों की खिलाड़िन थी, तड़पाने में , ललचाने में , हर चीज में,
उनका खूंटा एकदम बावरा हो रहा था भौजी की रसीली प्यारी बिल में घुसने के लिए
पर इत्ती मस्ती से वो इन्हे ललचा रही थी , विपरीत रति में पारंगत, जैसे कोई सवार घोड़े पर चढ़ जाए बस एकदम उसी तरह लेकिन अपनी बिल पगलाए मोटे सुपाड़े पर वो रगड़ रही थीं, उनके देवर ने नीचे से धक्का मारने की कोशिश की तो उन्होंने पहले तो आँखों से बरज दिया, फिर अपनी दोनों मजबूत बाँहों से कस के दबा दिया,
" पहले बोल मजा आया बहिन चोदने में, ... "
" हाँ भौजी बहुत " वो भी मुस्कराते हुए बोले।
:" जोबन जोरदार है न तेरी बहिन का, " कम्मो आज उनसे सब कबुलवा लेना चाहती थीं।
" हाँ एकदम,... " उनके चेहरे से मस्ती टपक रही थी,
" आज तू चोद ले फिर तेरे साले पेलेंगे। " बोला कम्मो ने और हचक कर वो धक्का मारा की एक बार में उनके देवर का मोटा सुपाड़ा, भौजी की बिल में सटाक
लेकिन कम्मो ने धक्का रोक दिया और अपनी बुर में धंसे इनके सुपाड़े को जोर जोर से भींच रही थी , निचोड़ रही थी , सिकोड़ रही थी
इनकी हालत खराब हो रही थी, और मन तो कम्मो का भी कर रहा था , कुछ ही देर में हचक कर वोमेन ऑन टॉप वाली चुदाई चालू हो गयी ,
गुड्डी एक अच्छी शिष्य की तरह अपनी भौजी की बिल में भैया का लंड आते जाते देख रही थी, गीली हो रही थी ,
कम्मो ने खींच कर इनका हाथ उसके छोटे छोटे उभारों पर रख दिया और ये भी हलके हलके अपनी बहिना का जोबन प्यार से दबा रहे थे।
पांच दस मिनट तक इसी तरह , फिर कम्मो हट गयीं और अब नंबर गुड्डी रानी का था बांस पर चढ़ने का
मेरी ननद कुछ घबड़ा रही थी, कुछ नखड़े दिखा रही थी,
पर दो दो भौजाइयां किस लिए थीं आखिर, हम लोगो ने जबरदस्ती पकड़ कर उसे मोटे बांस पर चढ़ा दिया और ऊपर से मैं कंधे पकड़ कर उस टीनेजर के दबाने लगी , पूरी ताकत से, और कम्मो भौजी की जबरदस्त ताकत, पहले तो उन्होंने ननदिया के गुलाबो को फैला के उसके भैया का मोटा सुपाड़ा सेट किया, प्रेम गली में अबकी पिछली चुदाई की गाढ़ी मलाई पचर पचर कर रही थी, बस उसके बाद कम्मो ने उसकी पतली कमर पकड़ी और हम दोनों ने जोर से,
गप्पाक,
पूरा सुपाड़ा गप्प से अंदर, वो जोर से चीखी, ... पर हम दो दो भौजाइयां किस लिए थीं, भौजाइयां ऐसे छोड़ दें तो सारी ननदें बिन चुदे न रह जाएँ, ...
मैं पूरी ताकत से कंधे पर उसे दबाती रही, और कम्मो ने उसकी कटीली पतली कमर पकड़ रखी थी और नीचे की पुश कर रही थी, ... पांच सात मिनट, उसके भैया भी नीचे से चूतड़ उचका उचका कर हम दोनों का साथ दे रहे थे, और धीरे धीरे कर चूत रानी ने आधे से ज्यादा लंड घोंट लिया।
कम्मो अपनी शिष्या के कान में मंतर भी फूंक रही थी और वो भी अब अपने दोनों हाथों से बिस्तर को पकडे , अपने को नीचे की ओर पुश कर रही थी.
मैंने हलके से उसे छोड़ दिया और कम्मो को भी धीरे से इशारा किया और वो भी अलग हो गयीं, पर,...
कुछ देर बाद मैं इनकी बहन से बोली, अरे बिन्नो जरा शीशे में देखो, ...
और वो शर्मा गयी, जैसे कोई नटनी की लड़की बांस पर चढ़ती उतरती हो, एकदम उसी तरह मेरी ननद इनके मोटेउसके बांस पर कभी ऊपर नीचे स्लाइड करती तो कभी आगे पीछे हो कर, ,,, मस्ती से झूमझूम कर, ...
वो जरा सा नीचे झुकती तो उसके भैया सर उठा के उसके बस आ रहे छोटे छोटे निप्स कभी चूस लेते तो कभी बाइट कर लेते,
पर एक आसन में चोदने इनका मन थोड़े ही भरने वाला था उस कच्ची कली को और पलट कर उसे नीचे किया और लगे कस के उसके दोनों छोटे छोटे चूतड़ पकड़ के धक्के मारने