07-08-2021, 10:40 PM
मेरी रूपाली दीदी: आआऽ उम्म्म्म… ओह्ह… ऊह्ह… अह्ह…
ठाकुर साहब: आमआआऽ उम्म्म्म…( चोली के ऊपर से ही चूची पीने की आवाज)
मेरी रूपाली दीदी और ठाकुर साहब दोनों वासना की आग में पूरी तरह से पागल हो चुके थे.. पिछले दो दिनों की जुदाई में दोनों को एहसास हो गया था कि वह दूसरे को कितना मिस करने लगे थे.. पिछले दो दिनों की जुदाई के बाद चुदाई... मेरी बहन भी इंजॉय कर रही थी..
बिस्तर पर दोनों एक दूसरे के साथ लिपट लिपट के प्यार कर रहे थे..
आज की रात दोनों एक दूसरे के भीतर समा जाना चाहते थे... दूसरी तरफ अपने कमरे में मेरे जीजू बिस्तर पर लेटे हुए सोच रहे थे कि आखिर वह दोनों कहां सो रहे हैं... मेरे जीजू का व्हीलचेयर भी उनके बिस्तर से दूर था... इसलिए वह उठकर बाहर भी नहीं निकल सकते थे...
आज की रात सोने से पहले मेरी रूपाली दीदी ने जानबूझकर मेरे जीजू का व्हीलचेयर उनके बिस्तर से दूर कर दिया था.. ताकि रात में वह उनको डिस्टर्ब ना कर सके...
ठाकुर साहब ने अपना बनियान निकाल कर नीचे फेंक दिया.. वह ऊपर से नंगे हो चुके थे.. उनकी चौड़ी छाती पर सफेद बाल देखकर मेरी रुपाली दीदी शर्मआ रही थी.. ठाकुर साहब एक बार फिर मेरी बहन के ऊपर लेट कर उनको चूमने लगे थे.. उनकी चौड़ी मजबूत छाती के नीचे मेरी रूपाली दीदी के दोनों मासूम कबूतर बुरी तरह दबे हुए थे. बरसात होने लगी थी... बिजली भी कड़कने लगी थी.. और ठाकुर साहब भी पूरे जोश में आ गए थे..
यह तो बस इस तूफानी रात की तूफानी शुरुआत हुई थी..
मेरी रूपाली दीदी की चूत का भी तापमान बढ़ा हुआ था.. मेरी बहन की गरम चूत के ऊपर ठाकुर साहब ने अपना दबाव बढ़ा दिया था... वह मेरी बहन की चोली को खोलने लगे... दोनों की सांसें बुरी तरह उखड़ी हुई थी.. क्योंकि उन दोनों के बीच अभी-अभी एक बहुत ही लंबा और जबरदस्त चुंबन खत्म हुआ था..
ठाकुर साहब ने मेरी रूपाली दीदी की चोली के सारे बटन खोल दिए.. और उनकी नाभि में अपनी उंगली से छेद और बड़ा करने की कोशिश करने लगे थे... मेरी बहन भी उत्तेजित होकर तड़प रही थी.. ठाकुर साहब अपना मोटा बांस लंड मेरी दीदी के पेटीकोट के ऊपर से उनके त्रिकोण के ऊपर रगड़ रहे थे... मेरी रूपाली दीदी का गुलाबी छेद पानी पानी होने लगा था... ठाकुर साहब आज पूरी मस्ती करने के मूड में थे..
ठाकुर रणवीर सिंह ने मेरी रूपाली दीदी का पेटीकोट उठाकर उनकी जांघों से ऊपर उनकी कमर तक पहुंचा दिया था... मेरी रूपाली दीदी की गुलाबी रंग की ब्रा में छुपी हुई उनकी दोनों चुचियों को देखकर ठाकुर साहब से बर्दाश्त नहीं हुआ.. उन्होंने बहन की एक चुचि को अपनी मुट्ठी में दबा अपनी पूरी ताकत से मसल दिया...
मेरी रूपाली दीदी: हाय मम्मी.. नहीं.... इतने जोर से नहीं.. ठाकुर साहब प्लीज..
ठाकुर रणवीर सिंह ने अपना बरमूडा उतार के नीचे फेंक दिया और बिल्कुल नंगे हो गए... उन्होंने मेरी बहन का दाया हाथ पकड़ लिया.. मेरी रुपाली दीदी के हाथ चूड़ियों से ढके हुए थे.. ठाकुर साहब ने मेरे रूपाली दीदी के हाथ में अपना लंड थमा दिया था.. मेरी बहन आनाकानी करने लगी थी.. ठाकुर साहब ने दो तीन बार प्रयास किया मेरी बहन के हाथ में अपना मुसल लंड देने का.. पर मेरी दीदी राजी नहीं हुई.. ठाकुर साहब ने अपना प्लान छोड़ दिया...
अब वह फिर से मेरी रूपाली दीदी के ऊपर आ गए थे.. उन्होंने मेरी रूपाली दीदी की ब्रा का हुक खींच के अलग किया... और मेरी बहन के जोबन को नंगा कर दिया.. ब्रा निकाल कर उन्होंने नीचे जमीन पर फेंक दिया था.. मेरी रूपाली दीदी के दोनों पके हुए आम उनकी आंखों के सामने झूल रहे थे... उन दोनों आम को ठाकुर साहब ने जड़ से अपनी दोनों मजबूत हाथों में पकड़ लिया.. और चूसने लगे मेरी बहन की मदमस्त चुचियों को.. बारी बारी से.. कुछ ही देर में मेरी बहन की छातियों से दूध निकलने लगा.. ठाकुर साहब गट गट पीने लगे ... मेरी रूपाली दीदी तो सिसकारियां ले रही थी बस..
किसी दूसरे मर्द की बीवी को अपने बिस्तर पर लाकर जबरदस्ती उसकी चोली खोल के उसकी चूची से दूध पी कर ठाकुर साहब इस वक्त अपने आप को दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान मान रहे थे.. वह औरत और कोई नहीं बल्कि मेरी सगी बहन थी... मेरी रूपाली दीदी के गुलाबी निप्पल को बारी-बारी चूसते हुए ठाकुर साहब बहुत उत्तेजित हो चुके थे.. और मेरी बहन का दूध पीकर वह अपने आप को बहुत ताकतवर भी महसूस कर रहे थे... मेरी रूपाली दीदी तो बस उनके नीचे लेटी हुई तड़प रही थी.. सिसक रही थी... ठाकुर साहब चूसने के साथ साथ मेरी बहन की चूची पर काटने में लगे थे... मेरी बहन की दोनों छातिया गुलाबी से लाल हो चुकी थी.. दांत काट के उन्होंने मेरी बहन की चूची पर निशान बना दिया था..
पेट भर दूध पिया उन्होंने मेरी बहन की दोनों चूचियों से.. और फिर मेरी बहन का नाड़ा खींचकर उनके पेटीकोट को उनकी कमर से अलग कर दिया था..
बिना किसी चेतावनी के ठाकुर साहब ने मेरी रुपाली दीदी की पेंटी फाड़ के दो टुकड़े कर दिय.. और मेरी बहन को नंगा कर दिया..
उन्होंने अपनी एक उंगली मेरी बहन की गुलाबी छेद में डाल दिया.. और फिर उसी उंगली से चूत की अंदरुनी दीवालों को रगड़ रगड़ के पेल रहे थे मेरी बहन को... मेरी दीदी मस्त हो गई थी..
मेरी रूपाली दीदी का दूध पीते हुए ठाकुर साहब एक उंगली से मेरी बहन को मजा दे रहे थे.. मेरी दीदी मजा ले रही थी.. पर साथ ही साथ मेरी बहन को शर्म भी आ रही थी..
ठाकुर साहब ने मेरी बहन को नंगा करके बिस्तर पर चित कर दिया था और उनकी दोनों टांगों के बीच आ गए थे... मेरी दीदी की दोनों टांगों को फैला कर उन्होंने ऊपर की तरफ कर दिया.. और मेरी बहन के गुलाबी छेद के ऊपर अपना हथियार टीका दिया और घिसाई करने लगे... मेरी रूपाली दीदी की दरार से पानी निकलने लगा था... गुलाबी दरार ठाकुर साहब का मूसल झेलने के लिए तैयार हो चुकी थी... इस वक्त मेरी रूपाली दीदी के मुंह से तो बस कामुक तेज तेज सिसकियां और आहे ही निकल रही थी...
आश्चर्यजनक रूप से दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी मेरी रूपाली दीदी की गुलाबी चूत कुछ ज्यादा ही कसी हुई थी... इतने टाइट थी कि मेरे जीजू को भी लंड पेलने मैं तकलीफ होती थी... उन्हें भी लुब्रिकेंट का सहारा लेना पड़ता था मेरी बहन को पेलने के लिए...
ठाकुर साहब ने एक हाथ से अपने हथियार को थाम के बड़े प्यार से मेरी बहन की गुलाबी रसीली चूत में जबरदस्ती पेल दिया.. पूरा का पूरा.. मेरी रूपाली दीदी तड़पने लगी..
मेरी रूपाली दीदी: हाय मम्मी हाय मां... ठाकुर साहब प्लीज.. धीरे कीजिए ना... हाय मम्मी...आअहह….
मेरी बहन को थोड़ा दर्द तो हुआ था... उन्होंने अपनी आंखें बंद कर रखी थी... अपने होठों को अपने दांतों से काट रही थी.. ठाकुर साहब को और भी उत्तेजित कर रही थी... ठाकुर साहब ने अपना आधा हथियार बाहर निकाला फिर कस के बहुत जोर से मेरी बहन को पेल दिया... पूरा का पूरा लौड़ा उन्होंने मेरी बहन के भीतर डाल दिया था..
मेरी रूपाली दीदी: – आ आ आहह.. ! अहह.. ! आ आ अहह.. ! इस्स.. ! की सिसकारियाँ लेने लगीं और उन्होंने अपने हाथ को पीछे करके ठाकुर साहब के सिर को पकड़ लिया... अब ठाकुर साहब अपनी पूरी रफ्तार और अपनी पूरी ताकत के साथ मेरी रूपाली दीदी को पेल रहे थे..
दोनों फिर से चुदाई के नंगे खेल में जुट गए थे...
ठाकुर साहब की हिलती कमर दीदी की चूत में मुसल लंड को पेलने लगी.. मेरी रूपाली दीदी की चूत फ़ैलने लगी और लंड को अपने गुलाबी आगोश में लेने लगी.. फिर से मुसल लंड से चुदने लगी थी मेरी बहन..
वह पलंग बुरी तरह से चरमरा रहा था.. ऐसा लग रहा था कि कभी भी टूट सकता है... मेरी बहन की हाथों की चूड़ियां और पैरों की पायल खनखन छन छन की आवाज कर रही थी.. मैं हॉल में लेटा हुआ सब कुछ सुन पा रहा था.. मेरी आंखों की नींद उड़ी हुई थी..
ठाकुर साहब: आमआआऽ उम्म्म्म…( चोली के ऊपर से ही चूची पीने की आवाज)
मेरी रूपाली दीदी और ठाकुर साहब दोनों वासना की आग में पूरी तरह से पागल हो चुके थे.. पिछले दो दिनों की जुदाई में दोनों को एहसास हो गया था कि वह दूसरे को कितना मिस करने लगे थे.. पिछले दो दिनों की जुदाई के बाद चुदाई... मेरी बहन भी इंजॉय कर रही थी..
बिस्तर पर दोनों एक दूसरे के साथ लिपट लिपट के प्यार कर रहे थे..
आज की रात दोनों एक दूसरे के भीतर समा जाना चाहते थे... दूसरी तरफ अपने कमरे में मेरे जीजू बिस्तर पर लेटे हुए सोच रहे थे कि आखिर वह दोनों कहां सो रहे हैं... मेरे जीजू का व्हीलचेयर भी उनके बिस्तर से दूर था... इसलिए वह उठकर बाहर भी नहीं निकल सकते थे...
आज की रात सोने से पहले मेरी रूपाली दीदी ने जानबूझकर मेरे जीजू का व्हीलचेयर उनके बिस्तर से दूर कर दिया था.. ताकि रात में वह उनको डिस्टर्ब ना कर सके...
ठाकुर साहब ने अपना बनियान निकाल कर नीचे फेंक दिया.. वह ऊपर से नंगे हो चुके थे.. उनकी चौड़ी छाती पर सफेद बाल देखकर मेरी रुपाली दीदी शर्मआ रही थी.. ठाकुर साहब एक बार फिर मेरी बहन के ऊपर लेट कर उनको चूमने लगे थे.. उनकी चौड़ी मजबूत छाती के नीचे मेरी रूपाली दीदी के दोनों मासूम कबूतर बुरी तरह दबे हुए थे. बरसात होने लगी थी... बिजली भी कड़कने लगी थी.. और ठाकुर साहब भी पूरे जोश में आ गए थे..
यह तो बस इस तूफानी रात की तूफानी शुरुआत हुई थी..
मेरी रूपाली दीदी की चूत का भी तापमान बढ़ा हुआ था.. मेरी बहन की गरम चूत के ऊपर ठाकुर साहब ने अपना दबाव बढ़ा दिया था... वह मेरी बहन की चोली को खोलने लगे... दोनों की सांसें बुरी तरह उखड़ी हुई थी.. क्योंकि उन दोनों के बीच अभी-अभी एक बहुत ही लंबा और जबरदस्त चुंबन खत्म हुआ था..
ठाकुर साहब ने मेरी रूपाली दीदी की चोली के सारे बटन खोल दिए.. और उनकी नाभि में अपनी उंगली से छेद और बड़ा करने की कोशिश करने लगे थे... मेरी बहन भी उत्तेजित होकर तड़प रही थी.. ठाकुर साहब अपना मोटा बांस लंड मेरी दीदी के पेटीकोट के ऊपर से उनके त्रिकोण के ऊपर रगड़ रहे थे... मेरी रूपाली दीदी का गुलाबी छेद पानी पानी होने लगा था... ठाकुर साहब आज पूरी मस्ती करने के मूड में थे..
ठाकुर रणवीर सिंह ने मेरी रूपाली दीदी का पेटीकोट उठाकर उनकी जांघों से ऊपर उनकी कमर तक पहुंचा दिया था... मेरी रूपाली दीदी की गुलाबी रंग की ब्रा में छुपी हुई उनकी दोनों चुचियों को देखकर ठाकुर साहब से बर्दाश्त नहीं हुआ.. उन्होंने बहन की एक चुचि को अपनी मुट्ठी में दबा अपनी पूरी ताकत से मसल दिया...
मेरी रूपाली दीदी: हाय मम्मी.. नहीं.... इतने जोर से नहीं.. ठाकुर साहब प्लीज..
ठाकुर रणवीर सिंह ने अपना बरमूडा उतार के नीचे फेंक दिया और बिल्कुल नंगे हो गए... उन्होंने मेरी बहन का दाया हाथ पकड़ लिया.. मेरी रुपाली दीदी के हाथ चूड़ियों से ढके हुए थे.. ठाकुर साहब ने मेरे रूपाली दीदी के हाथ में अपना लंड थमा दिया था.. मेरी बहन आनाकानी करने लगी थी.. ठाकुर साहब ने दो तीन बार प्रयास किया मेरी बहन के हाथ में अपना मुसल लंड देने का.. पर मेरी दीदी राजी नहीं हुई.. ठाकुर साहब ने अपना प्लान छोड़ दिया...
अब वह फिर से मेरी रूपाली दीदी के ऊपर आ गए थे.. उन्होंने मेरी रूपाली दीदी की ब्रा का हुक खींच के अलग किया... और मेरी बहन के जोबन को नंगा कर दिया.. ब्रा निकाल कर उन्होंने नीचे जमीन पर फेंक दिया था.. मेरी रूपाली दीदी के दोनों पके हुए आम उनकी आंखों के सामने झूल रहे थे... उन दोनों आम को ठाकुर साहब ने जड़ से अपनी दोनों मजबूत हाथों में पकड़ लिया.. और चूसने लगे मेरी बहन की मदमस्त चुचियों को.. बारी बारी से.. कुछ ही देर में मेरी बहन की छातियों से दूध निकलने लगा.. ठाकुर साहब गट गट पीने लगे ... मेरी रूपाली दीदी तो सिसकारियां ले रही थी बस..
किसी दूसरे मर्द की बीवी को अपने बिस्तर पर लाकर जबरदस्ती उसकी चोली खोल के उसकी चूची से दूध पी कर ठाकुर साहब इस वक्त अपने आप को दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान मान रहे थे.. वह औरत और कोई नहीं बल्कि मेरी सगी बहन थी... मेरी रूपाली दीदी के गुलाबी निप्पल को बारी-बारी चूसते हुए ठाकुर साहब बहुत उत्तेजित हो चुके थे.. और मेरी बहन का दूध पीकर वह अपने आप को बहुत ताकतवर भी महसूस कर रहे थे... मेरी रूपाली दीदी तो बस उनके नीचे लेटी हुई तड़प रही थी.. सिसक रही थी... ठाकुर साहब चूसने के साथ साथ मेरी बहन की चूची पर काटने में लगे थे... मेरी बहन की दोनों छातिया गुलाबी से लाल हो चुकी थी.. दांत काट के उन्होंने मेरी बहन की चूची पर निशान बना दिया था..
पेट भर दूध पिया उन्होंने मेरी बहन की दोनों चूचियों से.. और फिर मेरी बहन का नाड़ा खींचकर उनके पेटीकोट को उनकी कमर से अलग कर दिया था..
बिना किसी चेतावनी के ठाकुर साहब ने मेरी रुपाली दीदी की पेंटी फाड़ के दो टुकड़े कर दिय.. और मेरी बहन को नंगा कर दिया..
उन्होंने अपनी एक उंगली मेरी बहन की गुलाबी छेद में डाल दिया.. और फिर उसी उंगली से चूत की अंदरुनी दीवालों को रगड़ रगड़ के पेल रहे थे मेरी बहन को... मेरी दीदी मस्त हो गई थी..
मेरी रूपाली दीदी का दूध पीते हुए ठाकुर साहब एक उंगली से मेरी बहन को मजा दे रहे थे.. मेरी दीदी मजा ले रही थी.. पर साथ ही साथ मेरी बहन को शर्म भी आ रही थी..
ठाकुर साहब ने मेरी बहन को नंगा करके बिस्तर पर चित कर दिया था और उनकी दोनों टांगों के बीच आ गए थे... मेरी दीदी की दोनों टांगों को फैला कर उन्होंने ऊपर की तरफ कर दिया.. और मेरी बहन के गुलाबी छेद के ऊपर अपना हथियार टीका दिया और घिसाई करने लगे... मेरी रूपाली दीदी की दरार से पानी निकलने लगा था... गुलाबी दरार ठाकुर साहब का मूसल झेलने के लिए तैयार हो चुकी थी... इस वक्त मेरी रूपाली दीदी के मुंह से तो बस कामुक तेज तेज सिसकियां और आहे ही निकल रही थी...
आश्चर्यजनक रूप से दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी मेरी रूपाली दीदी की गुलाबी चूत कुछ ज्यादा ही कसी हुई थी... इतने टाइट थी कि मेरे जीजू को भी लंड पेलने मैं तकलीफ होती थी... उन्हें भी लुब्रिकेंट का सहारा लेना पड़ता था मेरी बहन को पेलने के लिए...
ठाकुर साहब ने एक हाथ से अपने हथियार को थाम के बड़े प्यार से मेरी बहन की गुलाबी रसीली चूत में जबरदस्ती पेल दिया.. पूरा का पूरा.. मेरी रूपाली दीदी तड़पने लगी..
मेरी रूपाली दीदी: हाय मम्मी हाय मां... ठाकुर साहब प्लीज.. धीरे कीजिए ना... हाय मम्मी...आअहह….
मेरी बहन को थोड़ा दर्द तो हुआ था... उन्होंने अपनी आंखें बंद कर रखी थी... अपने होठों को अपने दांतों से काट रही थी.. ठाकुर साहब को और भी उत्तेजित कर रही थी... ठाकुर साहब ने अपना आधा हथियार बाहर निकाला फिर कस के बहुत जोर से मेरी बहन को पेल दिया... पूरा का पूरा लौड़ा उन्होंने मेरी बहन के भीतर डाल दिया था..
मेरी रूपाली दीदी: – आ आ आहह.. ! अहह.. ! आ आ अहह.. ! इस्स.. ! की सिसकारियाँ लेने लगीं और उन्होंने अपने हाथ को पीछे करके ठाकुर साहब के सिर को पकड़ लिया... अब ठाकुर साहब अपनी पूरी रफ्तार और अपनी पूरी ताकत के साथ मेरी रूपाली दीदी को पेल रहे थे..
दोनों फिर से चुदाई के नंगे खेल में जुट गए थे...
ठाकुर साहब की हिलती कमर दीदी की चूत में मुसल लंड को पेलने लगी.. मेरी रूपाली दीदी की चूत फ़ैलने लगी और लंड को अपने गुलाबी आगोश में लेने लगी.. फिर से मुसल लंड से चुदने लगी थी मेरी बहन..
वह पलंग बुरी तरह से चरमरा रहा था.. ऐसा लग रहा था कि कभी भी टूट सकता है... मेरी बहन की हाथों की चूड़ियां और पैरों की पायल खनखन छन छन की आवाज कर रही थी.. मैं हॉल में लेटा हुआ सब कुछ सुन पा रहा था.. मेरी आंखों की नींद उड़ी हुई थी..