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Misc. Erotica मेरी रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर...
#78
अगली सुबह हम सब लोग काफी जल्दी जब चुके थे.. तैयार होने के बाद मेरी रूपाली दीदी, ठाकुर रणवीर सिंह और सोनी आई स्कूल के लिए चले गए थे.. मैं और जीजू उनको जाते हुए देख रहे थे बड़े भारी मन से ..
स्कूल में सारा प्रोग्राम बड़े सामान्य तरीके से हो रहा था.. सोनिया आज बहुत खुश लग रही थी... स्कूल में पूरे प्रोग्राम के दौरान ठाकुर साहब और मेरी रुपाली दीदी पति-पत्नी की तरह व्यवहार कर रहे थे.. ठाकुर साहब ने तो कई बार मेरी रूपाली दीदी की कमर में भी हाथ डाल दिया था सबके सामने... दोनों एक दूसरे की तरफ देख कर मुस्कुरा भी रहे थे... सबसे बड़ी बात कि आज सोनिया बहुत उछल कूद मचा रही थी.. वह बहुत खुश थी.. आज सोनिया को खुश देख कर इतने दिनों के बाद मेरी दीदी भी संतुष्ट महसूस कर रही थी.. सब कुछ बड़ी आसानी से हो गया.. ठाकुर साहब की बड़ी स्कोडा गाड़ी में वह लोग वापस आ गए... जाने से पहले ठाकुर साहब ने मेरी रुपाली दीदी को चूमने का प्रयास भी किया लेकिन मेरी दीदी ने उनको मौका नहीं दिया...
ठाकुर साहब जा चुके थे.. अगले 2 दिन तक हमारा परिवार बहुत खुश था खासकर मैं.. जिसे अपनी बहन की सिसकियां सुननी पड़ रही थी.. लेकिन मेरी रूपाली दीदी ना जाने क्यों ठाकुर साहब को मिस कर रही थी.. उस इंसान को जिसने उनको यह दिन दिखाया था...
एक बात तो तय थी मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब के लंड की कमी को महसूस नहीं कर रही थी.. पर वह खुद जानना चाहती थी क्यूबा क्या ढूंढ रही है.. जाने से पहले मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब को धन्यवाद देना चाहती थी.. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया था.. कुछ देर के लिए सोनिया का पापा बनकर ठाकुर साहब मेरी बहन का दिल जीत गए थे.. और अब मेरी रूपाली दीदी उनका इंतजार कर रही थी.. उनको धन्यवाद देने के लिए..
इस दौरान ठाकुर साहब ने दो तीन बार मेरी रुपाली दीदी को फोन भी किया था... बड़े प्यार से बात कर रही थी.. मेरी बहन उनके साथ..
ठाकुर साहब भी बेहद खुश थे... मेरी रूपाली दीदी का व्यवहार देखकर उन्हें लग रहा था कि उनका संबंध अब अच्छी दिशा में बढ़ रहा है.. 2 दिन बड़ी तेजी से बीत चुके थे.. आज की रात ठाकुर साहब वापस आने वाले थे..
मेरे जीजू के रूम का एसी खराब हो गया था..
उन्होंने मेरी रूपाली दीदी को इसके बारे में बताया था..
मेरे जीजू: रूपाली... मेरे रूम कैसे खराब हो गया है.. बहुत गर्मी है..
मेरी रूपाली दीदी: मैं क्या करूं? अब तो ठाकुर साहब ही आकर देखेंगे.. आपके रूम का पंखा तो चल रहा है ना..
मेरे जीजू: पंखा तो पहले से ही खराब था रूपाली.. एसी चल रहा था तो किसी ने ध्यान ही नहीं दिया..
मेरी दीदी: ऐसा कीजिए.. आप हमारे बेडरूम में सो जाइए..
मेरे जीजू: फिर तुम कहां ?
मेरी रूपाली दीदी: मैं आपके बेडरूम में सो जाऊंगी..
बहुत रात हो चुकी थी.. हम सब लोग खाना खा चुके थे.. मेरी रूपाली दीदी ने जीजू को ठाकुर साहब के बेडरूम में सुला दिया था..
तकरीबन रात के 12:00 बजे ठाकुर साहब वापस लौटे थे.. उन्होंने अपने घर की घंटी बजाई.. मेरी रूपाली दीदी नहीं दरवाजा खोला था उनके लिए... मेरी बहन को देख ठाकुर साहब के मन में अरमान जागने लगे थे.. लाल रंग की पारदर्शी साड़ी में और लाल रंग की चोली में मेरी रूपाली दीदी कयामत लग रही थी... ठाकुर साहब ने मेरी रूपाली दीदी को अपनी बाहों में लेने का प्रयास किया... दीदी ने मना कर दिया उनको...
कुछ देर बाद मेरी रूपाली दीदी ने ठाकुर साहब के लिए खाना लगाया. डिनर टेबल पर ठाकुर साहब खा रहे थे और मेरी बहन उनको परोस रही थी...
ठाकुर साहब: तुमने खाना खा लिया क्या..
मेरी रूपाली दीदी: जी हम लोग खा चुके हैं..
ठाकुर साहब के दिल के अरमान भड़क रहे थे मेरी दीदी को देखकर..
ठाकुर साहब को ऐसा लग रहा था तुम मेरी रूपाली दीदी उनकी पत्नी है.. उन्होंने बड़ी तेजी से अपना खाना खत्म किया और अपने बेडरूम की तरफ जाने लगे तुम मेरी दीदी ने उनको रोका..
मेरी रूपाली दीदी: ठाकुर साहब रुक जाइए.. मेरे पति आपके बेडरूम में सो रहे हैं.. उनके रूम का एसी खराब हो चुका है इसलिए.
ठाकुर साहब: तो फिर मैं कहां जाऊं..
मेरी रूपाली दीदी: आप मेरे पति के रूम में सो जाइए.. मैं भी कुछ देर में आती हूं आपके पास.. बर्तन साफ करने के बाद..
मेरे रूपाली दीदी की बात सुनकर ठाकुर साहब हैरान हो गया.. और मन ही मन बेहद खुश भी...
मेरे रूपाली दीदी: मैंने पूरा बिस्तर तैयार कर दिया है... आप जाकर लेट जाइए बस.. मैं थोड़ी देर में आती हूं...
ठाकुर साहब का हथियार उनकी पैंट में खड़ा होकर तन गया था.. मेरी बहन की बात सुनकर... वह बिस्तर पर जाकर लेट गए और मेरी रूपाली दीदी का इंतजार करने लगे....
किचन का काम खत्म करने के बाद मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब के बेडरूम में गई.. दीदी ना बत्ती बुझा दी.. ठाकुर साहब जगे हुए थे और उनकी निगाहें मेरी बहन के ऊपर ही टिकी हुई थी.. उनके पजामे में टेंट बना हुआ था पहले से ही.. मेरी रूपाली दीदी थरथर कांपती हुई ठाकुर साहब के बिस्तर पर गई और उनके बगल में लेट गई... मेरे रूपाली दीदी अच्छी तरह समझ पा रही थी कि अब ठाकुर साहब उनके साथ क्या करेंगे.. ठुकाई.. ठुकाई... और रात भर बस ठुकाई...
और फिर वही हुआ जिसका उनको अंदाजा था... ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी के ऊपर सवार हो गए थे... उन्होंने मेरी बहन के होठों को चूमना शुरू कर दिया था... मेरी रूपाली दीदी अपने होठों को ठाकुर साहब के होंठों के बीच एडजस्ट करने की कोशिश कर रही थी.. साड़ी का पल्लू हटाकर ठाकुर साहब मेरी बहन की दोनों चूचियों को मसलने लगे थे.. चुंबन चल रहा था साथ ही साथ..
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RE: मेरी रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर... - by babasandy - 06-08-2021, 09:53 PM



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