06-08-2021, 10:36 AM
अपडेट- 27
भाभी ने घर का गेट खोला और राज ने बाइक अंदर करके खड़ी कर दी….”राज जल्दी चेंज करके फ्रेश हो जाओ….मैं खाना लगा रही हूँ….” भाभी ने बाइक के हॅंडेल से खाने का पॅक उतारा और अंदर चली गयी…राज भी अपने रूम मे चला गया… भाभी ने पहले चेंज किए बिना ही खाना एक प्लेट मे डाला और भैया को उनके रूम मई देने चली गयी…..और भैया को खाना देकर अपने रूम मे गयी. और कपड़े चेंज करके स्लीव्लेस्स शॉर्ट नाइटी पहन ली…
और फिर खाना लेकर किचिन के सामने बरामदे मे लगे हुए छोटे से डाइनिंग टेबल पर बैठ गयी…राज भी चेंज कर फ्रेश हुआ, और पीछे की तरफ आया तो जैसे ही उसने भाभी को देखा तो एक दम से दंग रह गया…भाभी चेयर पर बैठी हुई थी. उनकी एक दम गोरी और चिकनी जांघे उनकी शॉर्ट नाइटी की वजह से सॉफ नज़र आ रही थी… और उनके गोरी बाहें भी….राज फटी आँखो से भाभी को एक टक देखते हुए उनके पास आ गया…क्योंकि भाभी ने राज के सामने कभी शॉर्ट नाइटी नही पहनी थी. इसलिए राज भाभी के इस रूप को देख कर एक दम दंग रह गया था….
भाभी: (राज को जब अपनी तरफ ऐसे घुरते हुए देखा तो उनके होंटो पर तीखी मुस्कान फेल गयी….) अब मुझे ही देखते रहोगे….कि खाना भी खाओगे…
भाभी ने दूसरी तरफ फेस करके मंद-2 मुस्कुराते हुए कहा….राज भाभी के बिकुल पास वाली चेयर पर बैठ गया…..”चलो पहले खाना खा लो...मुझे तो तुम रोज ही देखते हो…” भाभी ने राज की ओर देखते हुए कहा…”ओह्ह हां…” राज ने खाना खाना शुरू कर दिया….”वैसे मॅम आप इस नाइटी मे एक दम हॉट लग रही हो…” राज ने खाना खाते हुए कहा….
भाभी: मेरे साथ फ्लर्ट कर रहे हो….(भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा….)
राज: लो जी मैं तो आपकी सच्ची तारीफ कर रहा था….और आप इसे फ्लर्ट समझ रही हो तो इसमे मेरा कोई दोष नही….
भाभी: जानती हूँ जानती हूँ….आज से पहले तो कभी मेरी झूठी तारीफ भी नही की थी तुमने….
राज: ओह्ह कम ऑन मॅम पहले मैं आपको जानता ही कितना था…
भाभी: अच्छा और अब कितना जानने लगे हो मेरे बारे मे….
राज: कुछ ख़ास तो नही…पर अगर आप चाहें तो आप को जल्द ही अच्छे से जान जाउन्गा….(राज ने भाभी की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए कहा)
भाभी: अच्छा अगर मैं चाहूं तो ह्म्म…और अगर मैं ना चाहूं तो….?
राज: तो फिर इस ग़रीब की किस्मत मे जो हो….
भाभी (हंसते हुए) हहा हाँ बड़े तेज हो तुम राज….बातें बानाना तो कोई तुमसे से सीखे…सच मे बहुत चालाक हो तुम….
राज: मॅम मुझे बातें ही तो बनाना नही आता…जो दिल मे होता है वही बोल देता हूँ.
फिर भाभी और राज ने खाना खाया…और राज अपने रूम मे चला गया…भाभी ने बर्तन सॉफ किए…और अपने रूम मे आकर टीवी लगा कर देखने लगी…तभी उसे अपने रूम की तरफ बढ़ते हुए कदमो की आहट सुनाई दी….जब भाभी ने डोर की तरफ देखा तो राज रूम की तरफ आ रहा था….भाभी बेड पर लेटी हुई थी…उसी शॉर्ट नाइटी मे राज को आता देख भाभी उठ कर बैठ गयी…
भाभी: कुछ चाहिए था क्या राज…..?
राज: नही वो अकेला बैठा बैठा बोर हो रहा था…सोचा कि थोड़ी देर टीवी देख लेता हूँ. और आपसे बात भी कर लूँगा…
भाभी: अच्छा टीवी देखने ही आए होगे….मुझसे बात करने का तो बहाना है…आओ बैठो.
फिर भाभी और राजने कुछ देर वहाँ बैठ कर वही बाते की और जब भाभी को लगा कि मेरे घर आने का टाइम हो रहा है तो, भाभी ने राज के ये कह कर उसके रूम मे भेज दिया की उन्हे नींद आ रही है…राज के जाने के बाद भाभी ने अपनी शॉर्ट नाइटी उतार कर आम मॅक्सी पहन ली…
आग तो दोनो तरफ बढ़की हुई थी….पर पहल कोई नही करना चाहता था…पर जिस्मानी आग धीरे-2 सुलगते हुए उन दोनो को करीब ला रही थी….उस रात को मुझे आरके का फोन आया कि, मैं 1 दिन की लीव लेकर उनके पास आ जाउ…क्योंकि अगला दिन फ्राइडे का था. और फिर उससे अगले दो दिन आरके को छुट्टी थी…आरके ने कहा था कि, वहाँ से सुबह 6 बजे बस मिल जाती है….और मैं मंडे को सुबे 8 बजे तक कॉलेज मे पहुँच जाउन्गी…मेने प्लान बनाया कि मैं फ्राइडे को कॉलेज जाके कुछ पीरियड आटेंड करूँगी…और आरके फ्राइडे रात को आने वाले है तो सॅटर्डे को उनके साथ चली जाउन्गी….
इससे मुझे सिर्फ़ एक दिन की लीव लेनी पड़ेगी…अगले दिन भी सेम रूटीन के मुताबिक मैं और भाभी बस से कॉलेज पहुँचे और वही सब बच्चों को पढ़ाना और कॉलेज के कुछ और काम करना…अगले दिन ऑफ के बाद भाभी ने खाना पॅक करवा लिया… और जब वो कॉलेज से बाहर निकली तो राज उन्हे वही खड़ा मिल गया…
दोनो एक दूसरे के तरफ देख कर मुस्कुराए….और भाभी इस बार सीधा जाकर राज की बाइक के पीछे बैठ गयी….राज ने बाइक ड्राइव करना शुरू कर दिया…जैसे ही बाइक कॉलेज से थोड़ा आगे हुई, भाभी खिसक कर राज के साथ सट गयी…आज तो भाभी खुद ही अपनी चुचियों को राज की पीठ पर दबा रही थी….राज के बाबूराव का बुरा हाल था. दोनो घर पहुँचे और भाभी ने सब को खाना दिया…आज भाभी ने वही लोंग लेंग्थ मॅक्सी पहनी हुई थी….भाभी जब बर्तन उठाने के लिए भैया के रूम मे गये तो, उनकी नज़र डीवीडी प्लेयर पर पड़ी हुई एक डीवीडी पर पड़ी…..
उसके ऊपेर कोई रेपर नही था….पर उस पर छोटा सा टाइटल लिखा हुआ था… “सेक्स वित माइ आंट….” भाभी ने कभी पहले कोई ऐसी वीडियो नही देखी थी….भैया खाना खा कर सो चुके थे…इसलिए भाभी ने बिना आवाज़ किए हुए वो डीवीडी उठा ली और फिर बर्तन उठा कर बाहर आई और सारे बर्तन किचिन मे रख लिए…और फिर उस डीवीडी को लेकर अपने रूम मे आई अंदर से डोर लॉक करके उस डीवीडी प्लेयर को ऑन करके उस डिस्क को लगा लिया…
जैसे ही वो वीडियो स्टार्ट हुई भाभी की साँसे एक दम से फूल गयी….जबर्दश्त सेक्स सेसेन देख कर भाभी एक दम गरम हो गयी थी…उसकी पेंटी उसकी चुनमुनियाँ से निकले कामरस से एक दम भीग चुकी थी….भाभी ने जल्दी से डीवीडी बाहर निकाली और भैया के रूम मे जाकर रख दी…जैसे ही भाभी बाहर आने को हुई तो भैया एक दम से उठ गये. और भाभी को कहा कि उन्हे उनको व्हील चेयर पर बैठा दें….भाभी ने उनको व्हील चेयर पर बैठा दिया….
भाभी फिर से अपने रूम मे आ गयी….भाभी की चुनमुनियाँ मे आग इस कदर बढ़की हुई थी…उनका बस नही चल रहा था…नही तो वो अभी राज से चुदवा लेती…. भाभी जो अपने आप पर इतने सालो से काबू किए हुए थी….आज पूरी तरह बहक चुकी थी…लेकिन भैया की माजूदगी मे वो चाह कर भी कुछ नही कर सकती थी…भैया अपनी व्हील चेयर से बाहर आ कर बरामदे मे बैठ गये थे…हालाँकि भैया सीढ़ियाँ नही चढ़ सकते थे…पर मेरा रूम लॉक होता था…और उसकी दोनो कीस मेरे पास ही होती थी…
खैर उस दिन भाभी बहुत चुदासी हो गयी थी…वो जब भी राज के सामने से गुजरती तो दोनो के बीच मे आँखो ही आँखो मे बात होती…अगले दिन फ्राइडे रात को आरके घर आ गये थे….मेने भाभी को अभी तक नही बताया था कि, मैं कल आरके के साथ दो दिन के लिए घूमने जा रही हूँ….उस रात जब मेने भाभी को बताया कि आरके के साथ जा रही हूँ और उनको अपने रूम के कीस दी तो उनके चेहरा एक दम से खिल उठा था…आँखो मई तेज चमक आ गयी थी….
शायद भाभी उसी पल से अपने प्लान के बारे मे सोचने लग गयी थी…हम सब नीचे भैया के रूम मे बैठी बातें कर रहे थे और राज अपने रूम मे था. तब भाभी ने बातों बातों मे मुझसे कहा….
भाभी: डॉली सिर्फ़ दो दिन के लिए ही जा रही हो आरके के साथ….?
मैं: जी भाभी…
भाभी: अब जा रही हो तो कम से कम 4-5 दिन तो वहाँ रुकती….
मैं: भाभी मंडे से ये बॅंक चले जाएँगे तो मैं फिर सारा दिन वहाँ क्या करूँगी. और वैसे भी आप को तो पता है…कॉलेज के वाइस प्रिन्सिपल होने के नाते बहुत सी ज़िम्मेदारियाँ है…
भाभी : हां वो तो है….
उसके बाद मे और आरके अपने रूम मे ऊपेर आ गये….उस दिन भी मैने आरके के साथ किया….पर अब आरके मुझे बहुत कम ही संतुष्ट कर पाते थे…मुझे तो याद भी नही कि कब आरके के साथ सेक्स करते हुए मैं आख़िरी बार झड़ी थी….अगली सुबह मैं और आरके तैयार होकर जल्दी ही घर से निकल गये….दूसरी तरफ आज भाभी और राज एक साथ कॉलेज जा रहे थे…राज की बाइक पर….और आज भाभी किसी और ही मूड मे थी….भाभी सुबह ही सारी प्लॅनिंग करके घर से निकली थी….
भाभी आज राज के साथ बाइक पर ऐसे सट कर बैठी हुई थी कि, जैसे एक पत्नी या लड़की अपने बाय्फ्रेंड और पति के पीछे बैठती है….भाभी ने अपना राइट हॅंड राज की जाँघ पर आगे लेजा कर रखा हुआ था….और उसके हाथ के स्पर्श से ही राज का लंड हार्ड हो चुका था. “आज क्या बात है आज आप बहुत खुस लग रही हो…” राज ने ड्राइव करते हुए कहा…
भाभी: हां खुस तो हूँ पर पता नही क्यों….
राज: अच्छा….
भाभी: आज ब्रेक नही लगा रहे तुम…
राज: अब भला मुझे ब्रेक लगाने की क्या ज़रूरत…
भाभी: क्यों क्या हुआ….
राज: जिस चीज़ के लिए ब्रेक लगाता था…वो तो आज मुझे वैसे ही मिल रही है….
भाभी: (राज के कंधे पर मुक्का मारते हुए) बकवास बंद करो….तुम्हे बात करते हुए शर्म भी नही आती…(भाभी दबे होंटो से मुस्कुरा रही थी…)
राज: अब जो सच है वही तो कह रहा हूँ….
ऐसे ही बातें करते हुए, कॉलेज आ गया….भाभी अपनी क्लास की तरफ चली गयी..अभी कॉलेज शुरू होने मे टाइम था…इसलिए ज़्यादातर बच्चे बाहर ग्राउंड मे ही थे…राज सीधा ललिता की क्लास मे चला गया….ललिता राज को देख कर एक दम खुश हो गयी…और राज के पास आई और उसके हाथ पकड़ते हुए एक डेस्क पर बैठ गयी… “ कहाँ रहते हो आजकल जनाब जी…” ललिता ने मुस्कुराते हुए कहा….
राज: तुम्हे तो पता ही है ललिता अंकल ने मुझे उस डॉली के घर मे फँसा दिया है. वहाँ से निकल नही पाता मैं….
ललिता: राज मेने सुना है कि, डॉली मॅम आज कहीं आउट ऑफ स्टेशन गयी हुई है….
राज: हां वो अपने हज़्बेंड के साथ गयी घूमने….
ललिता: (शरमा कर मुस्कुराते हुए) तो फिर आज कॉलेज के बाद मेरे साथ चलो ना घर पर….मम्मी भी तुम्हारा पूछ रही थी कि, राज बहुत दिन हो गये आया ही नही यहा पर….
राज: अच्छा चलता हूँ तुम्हारे साथ…..पर मुझे कुछ मिलेगा तो नही वहाँ पर..
ललिता: क्यों…?
राज: वो तुम्हारी दीदी…हमेशा सर के ऊपेर चढ़ि रहती है….ललिता मैं तुम्हे जी भर कर प्यार करना चाहता हूँ….तुम्हारे होंटो को किस करना चाहता हूँ…
ललिता: तो फिर आ जाओ ना आज घर पर….वैसे भी दीदी और पापा मॅरेज मे गये हुए है…कल वापिस आने वाले है….
राज: तो ठीक है…तुम कॉलेज के अगले मोड़ पर ऑफ होने के बाद मेरा इंतजार करना.. कहीं डॉली मॅम की भाभी की नज़र हम दोनो पर ना पड़ जाए….
ललिता: ठीक है मैं तुम्हारा वेट करूँगी….
उसके बाद क्लासस शुरू हो गयी….जब सेकेंड लास्ट पीरियड शुरू हुआ तो, भाभी कॉलेज से निकल कर पास वाली मार्केट मे चली गयी…वहाँ पर वो एक मेडिसिन के स्टोर मे गये. और अपने पर्स से डॉक्टर की लिखी हुई मेडिसिन की स्लिप मेडिकल स्टोर वाले को देते हुए बोली…”ये नीचे वाली टॅब्लेट्स दे दो….” ये टॅब्लेट्स कोई आम टेबल्स नही थी… ये टॅब्लेट्स नींद की थी….और इतनी तेज थी कि आदमी वो टॅब्लेट्स लेने के बाद बेहोश ही हो जाता था..
ये टॅब्लेट्स तब मरीज़ को दी जाती थी….जब किसी का कोई बड़ा आक्सिडेंट हुआ हो….और उसे बहुत ज़यादा पेन की वजह से नींद ना आ रही हो….शुरू -2 मे भैया को भी वो मेडिसिन्स देनी पड़ती थी…वैसे तो मेडिकल स्टोर वाले ये मेडिसिन ऐसे नही देते थे…पर डॉक्टर की स्लिप थी….और भाभी ने बड़ी ही सफाई के साथ उसके ऊपेर लिखी हुई डेट को चेंज कर दिया था..और जब मेडिसिन खरीदेने वाला भाभी जैसा पढ़ा लिखा इंसान हो तो मेडिकल स्टोर वाले ज़्यादा ध्यान नही देते….
भाभी ने वहाँ से 10 टॅब्लेट्स ली और वापिस आते हुए ढाबे पर खाना पॅक करवा लिया. और फिर से कॉलेज मे आ गयी….कॉलेज ऑफ होने से कुछ देर पहले ही राज स्टाफ रूम मे पहुँच गया…उसने वहाँ पर भाभी को ये बहाना बना कर कहा कि, वो किसी ज़रूरी काम से सर के घर जा रहा है…और शाम को ही घर वापिस आजाएगा… और फिर वो कॉलेज से बाहर निकल कर वही अपनी बाइक से जाकर खड़ा हो गया….
जहाँ पर उसने ललिता से मिलने को कहा था….भाभी राज की बात सुन कर एक दम उदास हो गयी थी…. पर भाभी जानती थी कि, उसके पास आज के रात कल का दिन और कल रात बहुत टाइम है….कॉलेज ऑफ हुआ तो भाबी बस पकड़ कर घर पर चली गयी….और उधर ललिता राज के साथ उसकी बाइक पर बैठ कर उसे अपने घर ले गयी….भाभी घर पहुँच चुकी थी और भाभी के लिए वक़्त आज बहुत धीरे चल रहा था।
वो बार-2 घड़ी मे टाइम देखती….तो कभी बाहर आकर गेट खोल कर खड़ी हो जाती… शाम ढल चुकी थी…पर राज अभी तक नही आया था…भाभी मन ही मन अपने आप को कोस रही थी कि, उनके पास राज का मोबाइल नंबर नही है…रात के 7 बज चुके थी. भाभी रात का खाना भी बना चुकी थी…तभी बाहर से बाइक के हॉर्न की आवाज़ आई तो भाभी भागती हुई गेट की तरफ गयी…और गेट खोला….राज को देख कर भाभी ने नाराज़गी से अपना मूह चढ़ा लिया…
राज ने बाइक अंदर की…भैया अपने रूम मे बैठे टीवी देख रहे थे…भाभी ने गेट बंद किया…और बिना राज की तरफ देखे हुए किचिन मे चली गयी…राज ने भी भाभी की तरफ नही देखा…वो जानता था कि, भाभी उससे नाराज़ है…पर राज बिना कुछ कहे अपने रूम मे चला गया…फिर चेंज करके फ्रेश हुआ और ऊपेर छत पर आ गया….क्योंकि ऊपेर छत पर पीछे की तरफ सिर्फ़ मेरा ही रूम था…और रूम के अंदर ही अटेच बातरूम था…फिर रूम से बाहर निकलते हुए एक साइड मे किचिन था…जिसे हम यूज़ नही करते थे….
और किचिन और रूम के आगे 12 फीट तक बरामदे की छत थी…और बाकी के हिस्से पर छत नही थी….ऊपेर खुले आसमान के नीचे ठंडी हवा चल रही थी…. राज वहाँ पर नीचे चटाई बिछा कर लेट गया….नीचे भाभी ने राज को ऊपेर जाते हुए देखा था…खाना बनाने के बाद वो भी छत पर आ गये….उन्होने उस समय भी मॅक्सी ही पहनी हुई थी….ऑक्टोबर का एंड चल रहा था..
इसलिए मौसम चेंज हो गया था…रात को मौसम बहुत अच्छा और ठंडा हो जाता था… भाभी गाली के साइड मे बाउड्री पर झुक कर खड़ी हो गयी और नीचे देखने लगी।
आगे अगले अपडेट में ...
भाभी ने घर का गेट खोला और राज ने बाइक अंदर करके खड़ी कर दी….”राज जल्दी चेंज करके फ्रेश हो जाओ….मैं खाना लगा रही हूँ….” भाभी ने बाइक के हॅंडेल से खाने का पॅक उतारा और अंदर चली गयी…राज भी अपने रूम मे चला गया… भाभी ने पहले चेंज किए बिना ही खाना एक प्लेट मे डाला और भैया को उनके रूम मई देने चली गयी…..और भैया को खाना देकर अपने रूम मे गयी. और कपड़े चेंज करके स्लीव्लेस्स शॉर्ट नाइटी पहन ली…
और फिर खाना लेकर किचिन के सामने बरामदे मे लगे हुए छोटे से डाइनिंग टेबल पर बैठ गयी…राज भी चेंज कर फ्रेश हुआ, और पीछे की तरफ आया तो जैसे ही उसने भाभी को देखा तो एक दम से दंग रह गया…भाभी चेयर पर बैठी हुई थी. उनकी एक दम गोरी और चिकनी जांघे उनकी शॉर्ट नाइटी की वजह से सॉफ नज़र आ रही थी… और उनके गोरी बाहें भी….राज फटी आँखो से भाभी को एक टक देखते हुए उनके पास आ गया…क्योंकि भाभी ने राज के सामने कभी शॉर्ट नाइटी नही पहनी थी. इसलिए राज भाभी के इस रूप को देख कर एक दम दंग रह गया था….
भाभी: (राज को जब अपनी तरफ ऐसे घुरते हुए देखा तो उनके होंटो पर तीखी मुस्कान फेल गयी….) अब मुझे ही देखते रहोगे….कि खाना भी खाओगे…
भाभी ने दूसरी तरफ फेस करके मंद-2 मुस्कुराते हुए कहा….राज भाभी के बिकुल पास वाली चेयर पर बैठ गया…..”चलो पहले खाना खा लो...मुझे तो तुम रोज ही देखते हो…” भाभी ने राज की ओर देखते हुए कहा…”ओह्ह हां…” राज ने खाना खाना शुरू कर दिया….”वैसे मॅम आप इस नाइटी मे एक दम हॉट लग रही हो…” राज ने खाना खाते हुए कहा….
भाभी: मेरे साथ फ्लर्ट कर रहे हो….(भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा….)
राज: लो जी मैं तो आपकी सच्ची तारीफ कर रहा था….और आप इसे फ्लर्ट समझ रही हो तो इसमे मेरा कोई दोष नही….
भाभी: जानती हूँ जानती हूँ….आज से पहले तो कभी मेरी झूठी तारीफ भी नही की थी तुमने….
राज: ओह्ह कम ऑन मॅम पहले मैं आपको जानता ही कितना था…
भाभी: अच्छा और अब कितना जानने लगे हो मेरे बारे मे….
राज: कुछ ख़ास तो नही…पर अगर आप चाहें तो आप को जल्द ही अच्छे से जान जाउन्गा….(राज ने भाभी की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए कहा)
भाभी: अच्छा अगर मैं चाहूं तो ह्म्म…और अगर मैं ना चाहूं तो….?
राज: तो फिर इस ग़रीब की किस्मत मे जो हो….
भाभी (हंसते हुए) हहा हाँ बड़े तेज हो तुम राज….बातें बानाना तो कोई तुमसे से सीखे…सच मे बहुत चालाक हो तुम….
राज: मॅम मुझे बातें ही तो बनाना नही आता…जो दिल मे होता है वही बोल देता हूँ.
फिर भाभी और राज ने खाना खाया…और राज अपने रूम मे चला गया…भाभी ने बर्तन सॉफ किए…और अपने रूम मे आकर टीवी लगा कर देखने लगी…तभी उसे अपने रूम की तरफ बढ़ते हुए कदमो की आहट सुनाई दी….जब भाभी ने डोर की तरफ देखा तो राज रूम की तरफ आ रहा था….भाभी बेड पर लेटी हुई थी…उसी शॉर्ट नाइटी मे राज को आता देख भाभी उठ कर बैठ गयी…
भाभी: कुछ चाहिए था क्या राज…..?
राज: नही वो अकेला बैठा बैठा बोर हो रहा था…सोचा कि थोड़ी देर टीवी देख लेता हूँ. और आपसे बात भी कर लूँगा…
भाभी: अच्छा टीवी देखने ही आए होगे….मुझसे बात करने का तो बहाना है…आओ बैठो.
फिर भाभी और राजने कुछ देर वहाँ बैठ कर वही बाते की और जब भाभी को लगा कि मेरे घर आने का टाइम हो रहा है तो, भाभी ने राज के ये कह कर उसके रूम मे भेज दिया की उन्हे नींद आ रही है…राज के जाने के बाद भाभी ने अपनी शॉर्ट नाइटी उतार कर आम मॅक्सी पहन ली…
आग तो दोनो तरफ बढ़की हुई थी….पर पहल कोई नही करना चाहता था…पर जिस्मानी आग धीरे-2 सुलगते हुए उन दोनो को करीब ला रही थी….उस रात को मुझे आरके का फोन आया कि, मैं 1 दिन की लीव लेकर उनके पास आ जाउ…क्योंकि अगला दिन फ्राइडे का था. और फिर उससे अगले दो दिन आरके को छुट्टी थी…आरके ने कहा था कि, वहाँ से सुबह 6 बजे बस मिल जाती है….और मैं मंडे को सुबे 8 बजे तक कॉलेज मे पहुँच जाउन्गी…मेने प्लान बनाया कि मैं फ्राइडे को कॉलेज जाके कुछ पीरियड आटेंड करूँगी…और आरके फ्राइडे रात को आने वाले है तो सॅटर्डे को उनके साथ चली जाउन्गी….
इससे मुझे सिर्फ़ एक दिन की लीव लेनी पड़ेगी…अगले दिन भी सेम रूटीन के मुताबिक मैं और भाभी बस से कॉलेज पहुँचे और वही सब बच्चों को पढ़ाना और कॉलेज के कुछ और काम करना…अगले दिन ऑफ के बाद भाभी ने खाना पॅक करवा लिया… और जब वो कॉलेज से बाहर निकली तो राज उन्हे वही खड़ा मिल गया…
दोनो एक दूसरे के तरफ देख कर मुस्कुराए….और भाभी इस बार सीधा जाकर राज की बाइक के पीछे बैठ गयी….राज ने बाइक ड्राइव करना शुरू कर दिया…जैसे ही बाइक कॉलेज से थोड़ा आगे हुई, भाभी खिसक कर राज के साथ सट गयी…आज तो भाभी खुद ही अपनी चुचियों को राज की पीठ पर दबा रही थी….राज के बाबूराव का बुरा हाल था. दोनो घर पहुँचे और भाभी ने सब को खाना दिया…आज भाभी ने वही लोंग लेंग्थ मॅक्सी पहनी हुई थी….भाभी जब बर्तन उठाने के लिए भैया के रूम मे गये तो, उनकी नज़र डीवीडी प्लेयर पर पड़ी हुई एक डीवीडी पर पड़ी…..
उसके ऊपेर कोई रेपर नही था….पर उस पर छोटा सा टाइटल लिखा हुआ था… “सेक्स वित माइ आंट….” भाभी ने कभी पहले कोई ऐसी वीडियो नही देखी थी….भैया खाना खा कर सो चुके थे…इसलिए भाभी ने बिना आवाज़ किए हुए वो डीवीडी उठा ली और फिर बर्तन उठा कर बाहर आई और सारे बर्तन किचिन मे रख लिए…और फिर उस डीवीडी को लेकर अपने रूम मे आई अंदर से डोर लॉक करके उस डीवीडी प्लेयर को ऑन करके उस डिस्क को लगा लिया…
जैसे ही वो वीडियो स्टार्ट हुई भाभी की साँसे एक दम से फूल गयी….जबर्दश्त सेक्स सेसेन देख कर भाभी एक दम गरम हो गयी थी…उसकी पेंटी उसकी चुनमुनियाँ से निकले कामरस से एक दम भीग चुकी थी….भाभी ने जल्दी से डीवीडी बाहर निकाली और भैया के रूम मे जाकर रख दी…जैसे ही भाभी बाहर आने को हुई तो भैया एक दम से उठ गये. और भाभी को कहा कि उन्हे उनको व्हील चेयर पर बैठा दें….भाभी ने उनको व्हील चेयर पर बैठा दिया….
भाभी फिर से अपने रूम मे आ गयी….भाभी की चुनमुनियाँ मे आग इस कदर बढ़की हुई थी…उनका बस नही चल रहा था…नही तो वो अभी राज से चुदवा लेती…. भाभी जो अपने आप पर इतने सालो से काबू किए हुए थी….आज पूरी तरह बहक चुकी थी…लेकिन भैया की माजूदगी मे वो चाह कर भी कुछ नही कर सकती थी…भैया अपनी व्हील चेयर से बाहर आ कर बरामदे मे बैठ गये थे…हालाँकि भैया सीढ़ियाँ नही चढ़ सकते थे…पर मेरा रूम लॉक होता था…और उसकी दोनो कीस मेरे पास ही होती थी…
खैर उस दिन भाभी बहुत चुदासी हो गयी थी…वो जब भी राज के सामने से गुजरती तो दोनो के बीच मे आँखो ही आँखो मे बात होती…अगले दिन फ्राइडे रात को आरके घर आ गये थे….मेने भाभी को अभी तक नही बताया था कि, मैं कल आरके के साथ दो दिन के लिए घूमने जा रही हूँ….उस रात जब मेने भाभी को बताया कि आरके के साथ जा रही हूँ और उनको अपने रूम के कीस दी तो उनके चेहरा एक दम से खिल उठा था…आँखो मई तेज चमक आ गयी थी….
शायद भाभी उसी पल से अपने प्लान के बारे मे सोचने लग गयी थी…हम सब नीचे भैया के रूम मे बैठी बातें कर रहे थे और राज अपने रूम मे था. तब भाभी ने बातों बातों मे मुझसे कहा….
भाभी: डॉली सिर्फ़ दो दिन के लिए ही जा रही हो आरके के साथ….?
मैं: जी भाभी…
भाभी: अब जा रही हो तो कम से कम 4-5 दिन तो वहाँ रुकती….
मैं: भाभी मंडे से ये बॅंक चले जाएँगे तो मैं फिर सारा दिन वहाँ क्या करूँगी. और वैसे भी आप को तो पता है…कॉलेज के वाइस प्रिन्सिपल होने के नाते बहुत सी ज़िम्मेदारियाँ है…
भाभी : हां वो तो है….
उसके बाद मे और आरके अपने रूम मे ऊपेर आ गये….उस दिन भी मैने आरके के साथ किया….पर अब आरके मुझे बहुत कम ही संतुष्ट कर पाते थे…मुझे तो याद भी नही कि कब आरके के साथ सेक्स करते हुए मैं आख़िरी बार झड़ी थी….अगली सुबह मैं और आरके तैयार होकर जल्दी ही घर से निकल गये….दूसरी तरफ आज भाभी और राज एक साथ कॉलेज जा रहे थे…राज की बाइक पर….और आज भाभी किसी और ही मूड मे थी….भाभी सुबह ही सारी प्लॅनिंग करके घर से निकली थी….
भाभी आज राज के साथ बाइक पर ऐसे सट कर बैठी हुई थी कि, जैसे एक पत्नी या लड़की अपने बाय्फ्रेंड और पति के पीछे बैठती है….भाभी ने अपना राइट हॅंड राज की जाँघ पर आगे लेजा कर रखा हुआ था….और उसके हाथ के स्पर्श से ही राज का लंड हार्ड हो चुका था. “आज क्या बात है आज आप बहुत खुस लग रही हो…” राज ने ड्राइव करते हुए कहा…
भाभी: हां खुस तो हूँ पर पता नही क्यों….
राज: अच्छा….
भाभी: आज ब्रेक नही लगा रहे तुम…
राज: अब भला मुझे ब्रेक लगाने की क्या ज़रूरत…
भाभी: क्यों क्या हुआ….
राज: जिस चीज़ के लिए ब्रेक लगाता था…वो तो आज मुझे वैसे ही मिल रही है….
भाभी: (राज के कंधे पर मुक्का मारते हुए) बकवास बंद करो….तुम्हे बात करते हुए शर्म भी नही आती…(भाभी दबे होंटो से मुस्कुरा रही थी…)
राज: अब जो सच है वही तो कह रहा हूँ….
ऐसे ही बातें करते हुए, कॉलेज आ गया….भाभी अपनी क्लास की तरफ चली गयी..अभी कॉलेज शुरू होने मे टाइम था…इसलिए ज़्यादातर बच्चे बाहर ग्राउंड मे ही थे…राज सीधा ललिता की क्लास मे चला गया….ललिता राज को देख कर एक दम खुश हो गयी…और राज के पास आई और उसके हाथ पकड़ते हुए एक डेस्क पर बैठ गयी… “ कहाँ रहते हो आजकल जनाब जी…” ललिता ने मुस्कुराते हुए कहा….
राज: तुम्हे तो पता ही है ललिता अंकल ने मुझे उस डॉली के घर मे फँसा दिया है. वहाँ से निकल नही पाता मैं….
ललिता: राज मेने सुना है कि, डॉली मॅम आज कहीं आउट ऑफ स्टेशन गयी हुई है….
राज: हां वो अपने हज़्बेंड के साथ गयी घूमने….
ललिता: (शरमा कर मुस्कुराते हुए) तो फिर आज कॉलेज के बाद मेरे साथ चलो ना घर पर….मम्मी भी तुम्हारा पूछ रही थी कि, राज बहुत दिन हो गये आया ही नही यहा पर….
राज: अच्छा चलता हूँ तुम्हारे साथ…..पर मुझे कुछ मिलेगा तो नही वहाँ पर..
ललिता: क्यों…?
राज: वो तुम्हारी दीदी…हमेशा सर के ऊपेर चढ़ि रहती है….ललिता मैं तुम्हे जी भर कर प्यार करना चाहता हूँ….तुम्हारे होंटो को किस करना चाहता हूँ…
ललिता: तो फिर आ जाओ ना आज घर पर….वैसे भी दीदी और पापा मॅरेज मे गये हुए है…कल वापिस आने वाले है….
राज: तो ठीक है…तुम कॉलेज के अगले मोड़ पर ऑफ होने के बाद मेरा इंतजार करना.. कहीं डॉली मॅम की भाभी की नज़र हम दोनो पर ना पड़ जाए….
ललिता: ठीक है मैं तुम्हारा वेट करूँगी….
उसके बाद क्लासस शुरू हो गयी….जब सेकेंड लास्ट पीरियड शुरू हुआ तो, भाभी कॉलेज से निकल कर पास वाली मार्केट मे चली गयी…वहाँ पर वो एक मेडिसिन के स्टोर मे गये. और अपने पर्स से डॉक्टर की लिखी हुई मेडिसिन की स्लिप मेडिकल स्टोर वाले को देते हुए बोली…”ये नीचे वाली टॅब्लेट्स दे दो….” ये टॅब्लेट्स कोई आम टेबल्स नही थी… ये टॅब्लेट्स नींद की थी….और इतनी तेज थी कि आदमी वो टॅब्लेट्स लेने के बाद बेहोश ही हो जाता था..
ये टॅब्लेट्स तब मरीज़ को दी जाती थी….जब किसी का कोई बड़ा आक्सिडेंट हुआ हो….और उसे बहुत ज़यादा पेन की वजह से नींद ना आ रही हो….शुरू -2 मे भैया को भी वो मेडिसिन्स देनी पड़ती थी…वैसे तो मेडिकल स्टोर वाले ये मेडिसिन ऐसे नही देते थे…पर डॉक्टर की स्लिप थी….और भाभी ने बड़ी ही सफाई के साथ उसके ऊपेर लिखी हुई डेट को चेंज कर दिया था..और जब मेडिसिन खरीदेने वाला भाभी जैसा पढ़ा लिखा इंसान हो तो मेडिकल स्टोर वाले ज़्यादा ध्यान नही देते….
भाभी ने वहाँ से 10 टॅब्लेट्स ली और वापिस आते हुए ढाबे पर खाना पॅक करवा लिया. और फिर से कॉलेज मे आ गयी….कॉलेज ऑफ होने से कुछ देर पहले ही राज स्टाफ रूम मे पहुँच गया…उसने वहाँ पर भाभी को ये बहाना बना कर कहा कि, वो किसी ज़रूरी काम से सर के घर जा रहा है…और शाम को ही घर वापिस आजाएगा… और फिर वो कॉलेज से बाहर निकल कर वही अपनी बाइक से जाकर खड़ा हो गया….
जहाँ पर उसने ललिता से मिलने को कहा था….भाभी राज की बात सुन कर एक दम उदास हो गयी थी…. पर भाभी जानती थी कि, उसके पास आज के रात कल का दिन और कल रात बहुत टाइम है….कॉलेज ऑफ हुआ तो भाबी बस पकड़ कर घर पर चली गयी….और उधर ललिता राज के साथ उसकी बाइक पर बैठ कर उसे अपने घर ले गयी….भाभी घर पहुँच चुकी थी और भाभी के लिए वक़्त आज बहुत धीरे चल रहा था।
वो बार-2 घड़ी मे टाइम देखती….तो कभी बाहर आकर गेट खोल कर खड़ी हो जाती… शाम ढल चुकी थी…पर राज अभी तक नही आया था…भाभी मन ही मन अपने आप को कोस रही थी कि, उनके पास राज का मोबाइल नंबर नही है…रात के 7 बज चुके थी. भाभी रात का खाना भी बना चुकी थी…तभी बाहर से बाइक के हॉर्न की आवाज़ आई तो भाभी भागती हुई गेट की तरफ गयी…और गेट खोला….राज को देख कर भाभी ने नाराज़गी से अपना मूह चढ़ा लिया…
राज ने बाइक अंदर की…भैया अपने रूम मे बैठे टीवी देख रहे थे…भाभी ने गेट बंद किया…और बिना राज की तरफ देखे हुए किचिन मे चली गयी…राज ने भी भाभी की तरफ नही देखा…वो जानता था कि, भाभी उससे नाराज़ है…पर राज बिना कुछ कहे अपने रूम मे चला गया…फिर चेंज करके फ्रेश हुआ और ऊपेर छत पर आ गया….क्योंकि ऊपेर छत पर पीछे की तरफ सिर्फ़ मेरा ही रूम था…और रूम के अंदर ही अटेच बातरूम था…फिर रूम से बाहर निकलते हुए एक साइड मे किचिन था…जिसे हम यूज़ नही करते थे….
और किचिन और रूम के आगे 12 फीट तक बरामदे की छत थी…और बाकी के हिस्से पर छत नही थी….ऊपेर खुले आसमान के नीचे ठंडी हवा चल रही थी…. राज वहाँ पर नीचे चटाई बिछा कर लेट गया….नीचे भाभी ने राज को ऊपेर जाते हुए देखा था…खाना बनाने के बाद वो भी छत पर आ गये….उन्होने उस समय भी मॅक्सी ही पहनी हुई थी….ऑक्टोबर का एंड चल रहा था..
इसलिए मौसम चेंज हो गया था…रात को मौसम बहुत अच्छा और ठंडा हो जाता था… भाभी गाली के साइड मे बाउड्री पर झुक कर खड़ी हो गयी और नीचे देखने लगी।
आगे अगले अपडेट में ...