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मेरी सलोनी बीवी....1
#48
इससे पहले मेरे मन में उत्तेजना के साथ साथ शायद कुछ गुस्सा भी था कि एक 62 साल का बूढ़ा मेरी जवान सुन्दर बीवी जो लगभग नंगी थी…

अंदर मेरे घर पर और शायद मेरे ही बैडरूम में… मेरे बिस्तर पर… ना जाने क्या कर रहा होगा???

मगर मधु के नंगे चूतड़ों के स्पर्श… और जब वो खिड़की पर उकड़ू बैठी… तब उसके नंगे चूतड़ और उसकी प्यारी, कोमल, छोटी सी चूत देख… जिससे मैंने कल बहुत मजे किये थे और वो सब मेरी जान सलोनी के कारण ही हो सका था…

मेरा सारा अंदर का द्वेष गायब हो गया और मैं अब केवल सलोनी के मजे के बारे में सोचने लगा…

लेकिन मन उसको ये सब करते देखना चाहता था कि मेरी जान सलोनी को पूरा मजा आ रहा है या नहीं… वो पूरी तरह आनन्द ले रही है या नहीं…

मधु के उकड़ू बैठने से उसके नंगे चूतड़ और खिली चूत ठीक मेरे चेहरे पर थे… उसकी फ्रॉक सिमटकर मेरे हाथो से दबी थी…

मैंने मधु को दोनों हाथों से थाम रखा था… मेरी गर्म साँसे जब मधु को अपनी चूत पर महसूस हुई होंगी…

तभी उसने अपनी आँखों में एक अलग ही तरह की बैचेनी लिए मेरी ओर देखा…

मैंने आँखों ही आँखों में उसको आई लव यू कहा और अपने होंठ उसकी चूत पर रख एक गर्म चुम्मा लिया…

मधु की आँखे अपने आप बंद हो गई…

मगर मैंने खुद पर नियंत्रण रखा… मैंने उसको रसोई में उतरने और दरवाजा खोलने को बोला…

वो जैसे सब समझ गई… वो जल्दी से नीचे उतर रसोई से होते हुए… ऐसे आगे बड़ी कि कोई उसे ना देखे… वो बहुत सावधानी और चारों ओर देखकर आगे बढ़ रही थी…

फिर वो मुख्य द्वार की ओर बढ़ी…

मैं भी घूमकर आगे बढ़ गया और अपने दरवाजे की तरफ आया…

बहुत हल्के से लॉक खुलने की आवाज आई…

मधु काफी समय से हमारे घर आ रही है इसलिए उसे ये सब करना आता था… उसने वाकयी बहुत सावधानी से काम किया… अंकल या सलोनी किसी को कोई भनक तक नहीं मिली…

मैं चुपचाप अंदर आया और उससे इशारे से पूछा- …कहाँ हैं दोनों??

मधु ने बैडरूम की ओर इशारा किया…

मेरे दिल की धड़कने बढ़ने लगी…

मैंने मधु को एक तरफ से देखने भेज पहले रसोई में जाकर सबसे पहले खिड़की का जंगला लॉक किया कि सलोनी को बिल्कुल शक ना हो…

मैं जैसे ही मुड़ा…मुझे रसोई में एक कोने में सलोनी की नाइटी दिखी जो उसने सुबह पहनी थी…

मुझे अच्छी तरह याद है कि सलोनी केवल यही नाइटी पहने थी… और इसके अंदर कुछ नहीं… इसका मतलब अंकल ने सलोनी को यहीं नंगी कर दिया था… और अब बैडरूम में तो निश्चित चुदाई के लिए ही ले गए होगे…

मैं केवल यही सोच रहा था कि आदमी कितना बदकार होता है… वहाँ नलिनी भाभी सोचती है कि अरविन्द अंकल कुछ कर ही नहीं सकते क्योंकि उनका अब खड़ा ही नहीं होता…

और यहाँ दूसरी औरत को देख वो सब करने को तैयार हो जाते हैं… उनका मरा हुआ लण्ड भी ज़िंदा हो जाता है… वाह रे चुदाई की माया…

मैं जल्दी से रसोई से निकला और फिर मधु के पास जा खड़ा हो गया…

बैडरूम का दरबाजा पूरा खुला ही था, बस उस पर परदा पड़ा था…

बैडरूम का दरवाजा उन्होंने इसलिए बंद नहीं किया होगा कि वो दोनों घर पर अकेले ही थे और परदा तो उस पर हमेशा पड़ा ही रहता है…

मधु परदे का एक सिरा हटाकर अंदर झांक रही थी… और अंदर का दृश्य देखते ही मेरा लण्ड तनतना गया…
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RE: मेरी सलोनी बीवी....1 - by Wilson - 03-08-2021, 09:52 PM



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