03-08-2021, 09:45 PM
इसका मतलब नलिनी भाभी ने कच्छी भी नहीं पहनी थी…
बस मेरा लण्ड उनके चूतड़ के आकार को देखते ही खड़ा हो गया…
और मेरी हिम्मत इतनी बढ़ गई… कि मैंने पीठ के निचले भाग को सहलाते हुए अपनी उँगलियाँ उनकी पजामी में घुसा दी…
नलिनी भाभी के नर्म गोश्त का एहसास होते ही लण्ड बगावत करने को तैयार हो गया…
यह मेरे लिए अच्छा ही था कि भाभी ने एक बार भी पीछे मुड़कर नहीं देखा… और भाभी भी लगता था कि हमेशा मूड में ही रहती थी…
उन्होंने एक बार भी नहीं रोका बल्कि बात भी ऐसी करी जो हमेशा से मैं चाहता था…
नलिनी भाभी- ओह, आपसे तो एक काम बोलो…आप अपना मौका ढूंढ लेते हो… क्या हुआ?? बड़ी जल्दी आ गए आज सलोनी के यहाँ से…? हा… हा… क्या आज कुछ देखने को नहीं मिला… या अंकुर अभी घर पर ही था?
ओह इसका मतलब नलिनी भाभी सब जानती हैं कि अरविन्द अंकल मेरे यहाँ क्यों जाते हैं और वो वहाँ क्या करते हैं…
मैंने कुछ ना बोलते हुए अपना हाथ कसकर पूरा पजामी के अंदर घुसा दिया और भाभी के एक चूतड़ को अपनी मुट्ठी में लेकर कसके दबा दिया…
नलिनी भाभी- अह्ह्ह्ह्हाआआआआ…
मेरे सीधे हाथ की छोटी उंगली चूतड़ के गैप में अंदर को घुस गई और मुझे उनकी चूत के गीलेपन का भी पता चल गया…
मैंने छोटी उंगली को उनकी चूत के ऊपर कुरेदते हुए हिलाया तो भाभी ने कसकर अपने चूतड़ों को हिलाया…
नलिनी भाभी- ओह क्या करने लगे सुबह सुबह… फिर पूरा दिन बेकार हो जायेगा… क्या फिर सलोनी को नंगा देख आये… जो हरकतें शुरू कर दी…?
बस मैंने जोश में आकर अपने बाएं हाथ से उनकी पजामी की इलास्टिक को नीचे सरकाया और पजामी दोनों हाथ से पकड़ उनके चूतड़ों से नीचे सरका दिया।
उन्होंने अपनी कमर को हिला बहुत हल्का सा विरोध किया पर उनके हाथ आटे से सने थे इसलिए अपने हाथ नहीं लगाये… पर कमर हिलाने से आसानी से उनकी पजामी चूतड़ से नीचे उतर गई…
अब उनके सबसे सेक्सी चूतड़ मेरे सामने नंगे थे… दोनों चूतड़ एक तो सफ़ेद-गुलाबी रंगत लिए… गोल आकार लिए हुए… एक दूजे से चिपके…मनमोहक दृश्य प्रस्तुत कर रहे थे…
मैंने एक हल्की से चपत लगा दोनों को हिलाया और दोनों हाथों से दोनों चूतड़ों को अपनी मुट्ठी में भर लिया…
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
तभी…
नलिनी भाभी- अरईए… आररर्र… ए… अंकुर… आअप पप इइइइइइइ…
जिसका सपना काफी समय से देख रहा था आज वो पूरा होता नजर आ रहा था…
ये सब गदराये अंग मैंने कुछ समय पहले भी नंगे देखे थे… मगर कुछ दूरी से देखा… वो भी कुछ पल के लिए…
तो कुछ ठीक से दिखाई नहीं दिया था पर इस समय सभी मेरी आँखों के सामने नंगे थे… बल्कि मेरे हाथो के नीचे थे… मैं इन सबको छू रहा था मसल रहा था…
मैं अपनी किस्मत पर नाज कर रहा था कि कल रात एक कुंवारी कली पूरी नंगी मेरे बाहों में थी और आज एक अनुभवी सेक्सी हुस्न से मैं खेल रहा था…
एक मुझसे बहुत छोटी थी… सेक्स से बिल्कुल अनजान… केवल खेल समझने वाली… और ये मुझसे बड़ी… सेक्स की देवी… सेक्स को पढ़ाने और सिखाने वाली…
नलिनी भाभी की कुर्ती उनके छाती तक उठी थी… और उनकी पजामी मैंने चूतड़ों से खिसका कर काफी नीचे कर दी थी…
उन्होंने ब्रा, कच्छी कुछ भी नहीं पहनी थी…
उनका लगभग नंगा जिस्म मचल रहा था…
और जवानी को जितना तड़पाओ, उतना मजा आता है।
मैं भाभी के दोनों चूतड़ अच्छी तरह मसल रहा था…
नलिनी भाभी- ओह अंकुर, तुम कब आ गए… आहहाआ और ये क्या कर रहे हो?
अह्हा…
बस मेरा लण्ड उनके चूतड़ के आकार को देखते ही खड़ा हो गया…
और मेरी हिम्मत इतनी बढ़ गई… कि मैंने पीठ के निचले भाग को सहलाते हुए अपनी उँगलियाँ उनकी पजामी में घुसा दी…
नलिनी भाभी के नर्म गोश्त का एहसास होते ही लण्ड बगावत करने को तैयार हो गया…
यह मेरे लिए अच्छा ही था कि भाभी ने एक बार भी पीछे मुड़कर नहीं देखा… और भाभी भी लगता था कि हमेशा मूड में ही रहती थी…
उन्होंने एक बार भी नहीं रोका बल्कि बात भी ऐसी करी जो हमेशा से मैं चाहता था…
नलिनी भाभी- ओह, आपसे तो एक काम बोलो…आप अपना मौका ढूंढ लेते हो… क्या हुआ?? बड़ी जल्दी आ गए आज सलोनी के यहाँ से…? हा… हा… क्या आज कुछ देखने को नहीं मिला… या अंकुर अभी घर पर ही था?
ओह इसका मतलब नलिनी भाभी सब जानती हैं कि अरविन्द अंकल मेरे यहाँ क्यों जाते हैं और वो वहाँ क्या करते हैं…
मैंने कुछ ना बोलते हुए अपना हाथ कसकर पूरा पजामी के अंदर घुसा दिया और भाभी के एक चूतड़ को अपनी मुट्ठी में लेकर कसके दबा दिया…
नलिनी भाभी- अह्ह्ह्ह्हाआआआआ…
मेरे सीधे हाथ की छोटी उंगली चूतड़ के गैप में अंदर को घुस गई और मुझे उनकी चूत के गीलेपन का भी पता चल गया…
मैंने छोटी उंगली को उनकी चूत के ऊपर कुरेदते हुए हिलाया तो भाभी ने कसकर अपने चूतड़ों को हिलाया…
नलिनी भाभी- ओह क्या करने लगे सुबह सुबह… फिर पूरा दिन बेकार हो जायेगा… क्या फिर सलोनी को नंगा देख आये… जो हरकतें शुरू कर दी…?
बस मैंने जोश में आकर अपने बाएं हाथ से उनकी पजामी की इलास्टिक को नीचे सरकाया और पजामी दोनों हाथ से पकड़ उनके चूतड़ों से नीचे सरका दिया।
उन्होंने अपनी कमर को हिला बहुत हल्का सा विरोध किया पर उनके हाथ आटे से सने थे इसलिए अपने हाथ नहीं लगाये… पर कमर हिलाने से आसानी से उनकी पजामी चूतड़ से नीचे उतर गई…
अब उनके सबसे सेक्सी चूतड़ मेरे सामने नंगे थे… दोनों चूतड़ एक तो सफ़ेद-गुलाबी रंगत लिए… गोल आकार लिए हुए… एक दूजे से चिपके…मनमोहक दृश्य प्रस्तुत कर रहे थे…
मैंने एक हल्की से चपत लगा दोनों को हिलाया और दोनों हाथों से दोनों चूतड़ों को अपनी मुट्ठी में भर लिया…
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तभी…
नलिनी भाभी- अरईए… आररर्र… ए… अंकुर… आअप पप इइइइइइइ…
जिसका सपना काफी समय से देख रहा था आज वो पूरा होता नजर आ रहा था…
ये सब गदराये अंग मैंने कुछ समय पहले भी नंगे देखे थे… मगर कुछ दूरी से देखा… वो भी कुछ पल के लिए…
तो कुछ ठीक से दिखाई नहीं दिया था पर इस समय सभी मेरी आँखों के सामने नंगे थे… बल्कि मेरे हाथो के नीचे थे… मैं इन सबको छू रहा था मसल रहा था…
मैं अपनी किस्मत पर नाज कर रहा था कि कल रात एक कुंवारी कली पूरी नंगी मेरे बाहों में थी और आज एक अनुभवी सेक्सी हुस्न से मैं खेल रहा था…
एक मुझसे बहुत छोटी थी… सेक्स से बिल्कुल अनजान… केवल खेल समझने वाली… और ये मुझसे बड़ी… सेक्स की देवी… सेक्स को पढ़ाने और सिखाने वाली…
नलिनी भाभी की कुर्ती उनके छाती तक उठी थी… और उनकी पजामी मैंने चूतड़ों से खिसका कर काफी नीचे कर दी थी…
उन्होंने ब्रा, कच्छी कुछ भी नहीं पहनी थी…
उनका लगभग नंगा जिस्म मचल रहा था…
और जवानी को जितना तड़पाओ, उतना मजा आता है।
मैं भाभी के दोनों चूतड़ अच्छी तरह मसल रहा था…
नलिनी भाभी- ओह अंकुर, तुम कब आ गए… आहहाआ और ये क्या कर रहे हो?
अह्हा…