03-08-2021, 12:24 PM
दुकान से बाहर आते समय मुझे वो लड़की फिर मिली जो मुझे ब्रा चड्डी खरीदने के लिए कह रही थी…
ना जाने क्यों वो एक तिरछी मुस्कान लिए मुझे देख रही थी…
मैंने भी उसको एक स्माइल दी… और दुकान से बाहर निकल आया…
पहले चारों ओर देखा… फिर सावधानी से अपनी कार तक पहुँचा… और ऑफिस आ गया…
मन बहुत रोमांचित था… मगर काम में नहीं लगा…
फिर प्रणव को फोन किया, उसको आज रात मेरे यहाँ डिनर पर आना था…
उसने कहा कि वो नौ बजे तक पहुँचेगा… साथ में रुचिका भी होगी…
यह सोचकर मेरे दिल में गुदगुदी हुई… पता नहीं आज सेक्सी क्या पहनकर आएगी…
फिर सलोनी के बारे में सोचने लगा कि ना जाने आज क्या पहनेगी और कैसे पेश आएगी…
जल्दी जल्दी कुछ काम निपटाकर 6 बजे तक ही घर पहुँच गया…
सलोनी ने दरवाजा खोला…
लगता है वो शाम के लिए तैयारी में ही लगी थी… और तैयार होने जा रही थी…
उसके गोरे बदन पर केवल एक नीला तौलिया था… जो उसने अपनी चूचियों से बांध रखा था…
जैसे अमूमन लड़कियाँ नहाने के बाद बांधती हैं… पर सलोनी अभी बिना नहाये लग रही थी…
उसके बाल बिखरे थे… और चेहरे पर भी पसीने के निशान थे…
लगता था कि वो बाथरूम में नहाने गई थी… और मेरी घंटी की आवाज सुन ऐसे ही दरवाजा खोलने आ गई…
उसका तौलिया कुछ लम्बा-चौड़ा था तो घुटनो से करीब 6 इंच ऊपर तक तो आता ही था… इसलिए सलोनी की गदराई जांघों का कुछ भाग ही दिखता था…
मैंने सलोनी को अपनी बाँहों में भर लिया…
उसने प्यार से मेरे गाल पर चूमा और कहा- अंदर नलिनी है…
वो रात वाले अरविन्द अंकल याद हैं ना… उनकी बीवी… हम दोनों ही उनको भाभी ही कहते थे…
अंकल तो 60-62 के करीब थे मगर यह उनकी दूसरी शादी थी तो भाभी केवल 40 के आसपास ही थी…
उन्होंने खुद को बहुत मेन्टेन कर रखा है… कुछ मोटी तो हैं… पर 5 फुट 4 इंच लम्बी ,रंग साफ़, 37-28-35 की फिगर उनको पूरी कॉलोनी में एक सेक्सी महिला की लाइन में रखती थी…
मैंने सलोनी से इशारे से ही पूछा- कहाँ…??
उसने हमरे बैडरूम की ओर इशारा किया…
मैं- और तुम क्या तैयार हो रही हो… सिर्फ़ यह तौलिया लपेटे ही क्यों घूम रही हो?
सलोनी- अरे मैं काम निपटाकर नहाने गई थी कि तभी ये आ गई… इसीलिए !
मैं- और अभी… मेरी जगह कोई और होता तो…
सलोनी- तो क्या… यहाँ कौन आता है?
तभी अंदर से ही नलिनी भाभी की आवाज आई- अरे कौन है सलोनी… क्या ये हैं…
वो अरविन्द अंकल को समझ रही थी।
तभी वो बैडरूम के दरवाजे से दिखीं… माय गॉड ! क़यामत लग रही थी…
उन्होंने सलोनी का जोगिंग वाला नेकर और एक पीली कुर्ती पहनी थी जो उनके पेट तक ही थी…
नेकर इतनी कसी थी कि उनकी फूली हुई चूत का उभार ही नहीं बल्कि चूत की पूरी शेप ही साफ़ दिख रही थी…
मेरी नजर तो वहाँ से हटी ही नहीं… ऐसा लग रहा था जैसे डबल रोटी को चूत का आकार दे वहाँ लगा दिया हो…
भाभी की नजर जैसे ही मुझ पर पड़ी- हाय राम…
कह पीछे को हो गई…
सलोनी बैडरूम में जाते हुए- …अरे भाभी… ये हैं… आज थोड़ा जल्दी आ गए… मैंने बताया था न कि आज इनके दोस्त डिनर पर आने वाले हैं…
मैं भी बिना शरमाये बैडरूम में चला आया जहाँ भाभी सिकुड़ी-सिमटी खड़ी थीं…
मैं- अरे भाभी, शरमा क्यों रही हो… इतनी मस्त तो लग रही हो… आपको तो ऐसे कपड़े पहनकर ही रहना चाहिए…
भाभी- हाँ हाँ ठीक है… पर इस समय तुम बाहर जाओ ना… मैं जरा अपने कपड़े बदल लूँ…
सलोनी- हा हा हा क्या भाभी, आप इनसे क्यों शरमा रही हो…
फ़िए सलोनी ने मेरे से कहा- जानू, आज भाभी का मूड भी सेक्सी कपड़े पहनने का कर रहा था…
भाभी- चल पागल… मेरा कहाँ… वो तो ये एए…
सलोनी- हाँ हाँ… अंकल ने ही कहा… पर है तो आपका भी मन ना…
भाभी कुछ ज्यादा ही शरमा रही थीं… और अपनी दोनों टांगों की कैंची बना अपनी चूत के उभार को छुपाने की नाकामयाब कोशिश में लगीं थीं…
सलोनी- जानू, आज भाभी मेरे कपड़े पहन पहनकर देख रही है… कह रही थीं कि कल से अंकल ज़िद कर रहे हैं कि ये क्या बुड्ढों वाले कपड़े पहनती हो… सलोनी जैसे फैशन वाले कपड़े पहना करो… हा हा हा…
मैं- तो सही ही तो कहते हैं… हमारी भाभी है ही इतनी सेक्सी… और देखो इन कपड़ों में तो तुमसे भी ज्यादा सेक्सी लग रही हैं…
सलोनी- हा ह हा ह… कहीं तुम्हारा दिल तो खराब नहीं हो रहा…
भाभी- तुम दोनों पागल हो गए हो क्या? चलो अब जाओ, मुझे चेंज करने दो…
मैं- ओह भाभी कितना शरमाती हो आप… ऐसा करो, आज इन्ही कपड़ों में अंकल के सामने जाओ… देखना वो कितने खुश हो जायेंगे…
सलोनी- हाँ भाभी… अंकल की भी मर्जी यही तो है… तो आज यही सही…
पता नहीं उन्होंने क्या सोचा और एक कातिल मुस्कुराहट के साथ कहा- …तुम दोनों ऐसी हरकतें कर मेरा हाल बुरा करवाओगे…
भाभी- अच्छा ठीक है, मैं चलती हूँ तुम दोनों मजे करो… और हाँ… खिड़की बंद कर लेना… ही… ही…
ना जाने क्यों वो एक तिरछी मुस्कान लिए मुझे देख रही थी…
मैंने भी उसको एक स्माइल दी… और दुकान से बाहर निकल आया…
पहले चारों ओर देखा… फिर सावधानी से अपनी कार तक पहुँचा… और ऑफिस आ गया…
मन बहुत रोमांचित था… मगर काम में नहीं लगा…
फिर प्रणव को फोन किया, उसको आज रात मेरे यहाँ डिनर पर आना था…
उसने कहा कि वो नौ बजे तक पहुँचेगा… साथ में रुचिका भी होगी…
यह सोचकर मेरे दिल में गुदगुदी हुई… पता नहीं आज सेक्सी क्या पहनकर आएगी…
फिर सलोनी के बारे में सोचने लगा कि ना जाने आज क्या पहनेगी और कैसे पेश आएगी…
जल्दी जल्दी कुछ काम निपटाकर 6 बजे तक ही घर पहुँच गया…
सलोनी ने दरवाजा खोला…
लगता है वो शाम के लिए तैयारी में ही लगी थी… और तैयार होने जा रही थी…
उसके गोरे बदन पर केवल एक नीला तौलिया था… जो उसने अपनी चूचियों से बांध रखा था…
जैसे अमूमन लड़कियाँ नहाने के बाद बांधती हैं… पर सलोनी अभी बिना नहाये लग रही थी…
उसके बाल बिखरे थे… और चेहरे पर भी पसीने के निशान थे…
लगता था कि वो बाथरूम में नहाने गई थी… और मेरी घंटी की आवाज सुन ऐसे ही दरवाजा खोलने आ गई…
उसका तौलिया कुछ लम्बा-चौड़ा था तो घुटनो से करीब 6 इंच ऊपर तक तो आता ही था… इसलिए सलोनी की गदराई जांघों का कुछ भाग ही दिखता था…
मैंने सलोनी को अपनी बाँहों में भर लिया…
उसने प्यार से मेरे गाल पर चूमा और कहा- अंदर नलिनी है…
वो रात वाले अरविन्द अंकल याद हैं ना… उनकी बीवी… हम दोनों ही उनको भाभी ही कहते थे…
अंकल तो 60-62 के करीब थे मगर यह उनकी दूसरी शादी थी तो भाभी केवल 40 के आसपास ही थी…
उन्होंने खुद को बहुत मेन्टेन कर रखा है… कुछ मोटी तो हैं… पर 5 फुट 4 इंच लम्बी ,रंग साफ़, 37-28-35 की फिगर उनको पूरी कॉलोनी में एक सेक्सी महिला की लाइन में रखती थी…
मैंने सलोनी से इशारे से ही पूछा- कहाँ…??
उसने हमरे बैडरूम की ओर इशारा किया…
मैं- और तुम क्या तैयार हो रही हो… सिर्फ़ यह तौलिया लपेटे ही क्यों घूम रही हो?
सलोनी- अरे मैं काम निपटाकर नहाने गई थी कि तभी ये आ गई… इसीलिए !
मैं- और अभी… मेरी जगह कोई और होता तो…
सलोनी- तो क्या… यहाँ कौन आता है?
तभी अंदर से ही नलिनी भाभी की आवाज आई- अरे कौन है सलोनी… क्या ये हैं…
वो अरविन्द अंकल को समझ रही थी।
तभी वो बैडरूम के दरवाजे से दिखीं… माय गॉड ! क़यामत लग रही थी…
उन्होंने सलोनी का जोगिंग वाला नेकर और एक पीली कुर्ती पहनी थी जो उनके पेट तक ही थी…
नेकर इतनी कसी थी कि उनकी फूली हुई चूत का उभार ही नहीं बल्कि चूत की पूरी शेप ही साफ़ दिख रही थी…
मेरी नजर तो वहाँ से हटी ही नहीं… ऐसा लग रहा था जैसे डबल रोटी को चूत का आकार दे वहाँ लगा दिया हो…
भाभी की नजर जैसे ही मुझ पर पड़ी- हाय राम…
कह पीछे को हो गई…
सलोनी बैडरूम में जाते हुए- …अरे भाभी… ये हैं… आज थोड़ा जल्दी आ गए… मैंने बताया था न कि आज इनके दोस्त डिनर पर आने वाले हैं…
मैं भी बिना शरमाये बैडरूम में चला आया जहाँ भाभी सिकुड़ी-सिमटी खड़ी थीं…
मैं- अरे भाभी, शरमा क्यों रही हो… इतनी मस्त तो लग रही हो… आपको तो ऐसे कपड़े पहनकर ही रहना चाहिए…
भाभी- हाँ हाँ ठीक है… पर इस समय तुम बाहर जाओ ना… मैं जरा अपने कपड़े बदल लूँ…
सलोनी- हा हा हा क्या भाभी, आप इनसे क्यों शरमा रही हो…
फ़िए सलोनी ने मेरे से कहा- जानू, आज भाभी का मूड भी सेक्सी कपड़े पहनने का कर रहा था…
भाभी- चल पागल… मेरा कहाँ… वो तो ये एए…
सलोनी- हाँ हाँ… अंकल ने ही कहा… पर है तो आपका भी मन ना…
भाभी कुछ ज्यादा ही शरमा रही थीं… और अपनी दोनों टांगों की कैंची बना अपनी चूत के उभार को छुपाने की नाकामयाब कोशिश में लगीं थीं…
सलोनी- जानू, आज भाभी मेरे कपड़े पहन पहनकर देख रही है… कह रही थीं कि कल से अंकल ज़िद कर रहे हैं कि ये क्या बुड्ढों वाले कपड़े पहनती हो… सलोनी जैसे फैशन वाले कपड़े पहना करो… हा हा हा…
मैं- तो सही ही तो कहते हैं… हमारी भाभी है ही इतनी सेक्सी… और देखो इन कपड़ों में तो तुमसे भी ज्यादा सेक्सी लग रही हैं…
सलोनी- हा ह हा ह… कहीं तुम्हारा दिल तो खराब नहीं हो रहा…
भाभी- तुम दोनों पागल हो गए हो क्या? चलो अब जाओ, मुझे चेंज करने दो…
मैं- ओह भाभी कितना शरमाती हो आप… ऐसा करो, आज इन्ही कपड़ों में अंकल के सामने जाओ… देखना वो कितने खुश हो जायेंगे…
सलोनी- हाँ भाभी… अंकल की भी मर्जी यही तो है… तो आज यही सही…
पता नहीं उन्होंने क्या सोचा और एक कातिल मुस्कुराहट के साथ कहा- …तुम दोनों ऐसी हरकतें कर मेरा हाल बुरा करवाओगे…
भाभी- अच्छा ठीक है, मैं चलती हूँ तुम दोनों मजे करो… और हाँ… खिड़की बंद कर लेना… ही… ही…