03-08-2021, 12:21 PM
सलोनी- ओह… ठीक है… अब आप तैयार तो हो ना…
उसने मुझे बाथरूम की ओर धकेल दिया…
मैं नहाकर बाहर आया तो सलोनी बेड पर झुकी हुई मेरे कपड़े सही कर रही थी।
उसका गाउन चूतड़ से आधा खिसक गया था… जो उसके गोल और मादक चूतड़ों की झलक दिखा रहा था…
मैंने उसके चूतड़ों पर हाथ फेरते हुए ही कहा- जान आज या कल जब भी अमित आये तो उसको अपने इन जालिम चूतड़ों के दर्शन करा देना… देखना पगला जायेगा साला…
सलोनी- मुझे तो लगता है कि अभी तो आप ही पगला गए हैं… कैसी बातें कर रहे हैं… क्या उन लोगों के सामने बिना कच्छी के जाऊँगी? वैसे आप चिंता न करें… मैंने कल कुछ अच्छे सेट का आर्डर दिया है… आज कोशिश करुँगी, शायद मिल जाएँ…
मैं- अच्छा तो क्या ब्रा, चड्डी भी आर्डर पर तैयार होने लगे?
सलोनी- जी हाँ जानू… अब तो हर चीज फैशन पर आ गई है… मगर कुछ रुपए दे जाना…
मैं- ठीक है मेरी जान…
मैं तैयार होते हुए सोचने लगा कि आज शायद सलोनी फिर उसी दुकान पर जाएगी… मैं क्या करूँ? कैसे करूँ?
सलोनी- और हाँ, आप यह मत समझो कि आपके दोस्त सीधे हैं, वो तो आपके सामने सीधा होने का ढोंग करते हैं… वरना हम लोगों को मर्दों की सब आदतों के बारे में पता होता है…
मैं- अच्छा तो कौन साला तुमको छेड़ता है… अभी बताओ… कमीने को ठीक करता हूँ…
सलोनी- बस तुम्हारी इसी आदत के कारण वो तुमसे डरते हैं… वरना…
मैं- अरे नहीं जान… क्या मैं तुमको ऐसा लगता हूँ? वो तो थोड़ा काम में बिजी हो गया था बस…
सलोनी- हाँ हाँ, मैं सब समझ सकती हूँ… जब आप उनसे जरा प्यार से बोलेंगे तो आप उन सबकी नजर को खुद समझ जाएंगे…
मैं- अच्छा अमित भी ऐसा ही है क्या? यार, वो तो बहुत सीधा लगता है…
सलोनी- हाँ मुझे पता है वो कितना सीधा है… हे…हे…
मैं- क्या यार पहेलियाँ क्यों बुझा रही हो.. सच बताओ ना… हमने कल निर्णय लिया था ना कि हम सब कुछ एक दूसरे को बताएँगे…
इससे हमारे रिश्ता और भी मजबूत होगा… और अब से हम खुद खुले विचारों के साथ जिएंगे… एक दूसरे को रोक टोक नहीं करेंगे…
सलोनी मुझे चूमते हुए- अरे जानू, आपको क्या लगता है कि क्या मैं आपसे कुछ छुपाती हूँ…
मैं- तो बताओ न अमित ने कुछ किया क्या…
सलोनी- अरे नहीं ऐसा कुछ नहीं… मगर उसकी आदतें भी बाकी सभी मर्दों की तरह ही हैं… वैसे भी मेरी मुलकात तो बस दो तीन बार ही तो हुई होगी…
आपको याद है उसकी शादी के बाद पार्टी में… उसने कितनी पी ली थी…बस जब वो मेरे साथ डांस कर रहा था, तब उसका व्यव्हार उतना सभ्य नहीं था…
मैं- क्या यार, कितने भारी शब्दों का प्रयोग कर रही हो… खुली भाषा में बताओ न.. उसने तुमको क्या किया?
सलोनी- ओह तुम भी न… अरे ऐसा भी क्या… बस जब वो मेरे साथ नाच रहा था… तब ही उसने कुछ शरारत की थीं…
मैं- अरे नहीं यार… वो उस बेचारे ने बहुत पी ली थी… इसीलिए ..थोड़ा बहुत हाथ लग गया होगा…
सलोनी- अच्छा आपको तो बहुत पता है ना… क्या आपको याद है उस दिन मैंने अपनी वो पतली वाली लाल जींस और सफ़ेद शार्ट टॉप पहना था… जो कमर तक ही आता है…
मैं- अरे हाँ जान, मैं कैसे भूल सकता हूँ…
सलोनी- बस वो नाचते-नाचते बार-बार मेरे कमर पर हाथ रख रहा था… मैं हटाती तो फिर से टॉप के अंदर कर मेरी नंगी कमर को सहला देता… कई बार उसने अपने गाल मेरे गालों से चिपकाये और नाचते हुए चूम भी लेता था…
मैं- अरे यार, ये सब तो नार्मल है ना…
सलोनी- अच्छा और उसके हाथों का कई बार सरककर मेरे चूतड़ों तक पहुँच जाना और ना केवल सहलाना बल्कि दबा भी देना…
मैं- हम्म्म… तब तो हो सकता है… मगर यह भी तो हो सकता है कि वाकयी गलती से ही हुआ हो…
सलोनी- हाँ गलती से… अगर गलती से हुआ होता तो आदमी का यह खड़ा नहीं होता…
उसने मेरे लण्ड को छूते हुए कहा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं- क्या कहती हो यार… क्या उसका लण्ड भी खड़ा हो गया था… क्या तुमने उसको छुआ भी था…
मैंने अब उसके सामने खुले शब्दों का प्रयोग करने लगा जिससे वो और भी खुल जाये… वैसे मैंने सुना तो था कि वो बहुत आसानी से सभी लण्ड, चूत जैसे शब्द बोलती है…
सलोनी- हाँ जानू, जब वो मुझे खुद से चिपकाता तो अपनी कमर भी मेरे से चिपका देता था, तो मुझे उसका अहसास तो होगा ना…
मैं- अच्छा कहाँ लगा उसका लण्ड तुम्हारे?
सलोनी- ओह… अब ज्यादा क्यों परेशान कर रहे हो… मेरी जांघ के ऊपर के भाग पर… पर मैं एकदम दूर हो गई…
बस अब आप जल्दी तैयार हो जाओ, मैं भी फटाफट तैयार हो आपका नाश्ता लगाती हूँ…
मैं- अच्छा जानू…
उसके बाथरूम में जाते ही सबसे पहले मैंने अपना रिकॉर्डर पेन ओन कर उसके पर्स में डाला…
और यह भी सोचने लगा कि यार कैसे आज इनकी उस शॉपिंग को देखा जाए…
मैंने एक बार फिर बिल पर से उस दुकान का पता नोट किया और सलोनी से उसका जाने के समय के बारे में जानने कि सोचने लगा…
तभी सलोनी भी बाथरूम से बिल्कुल नंगी नहाकर बाहर आ गई…
सलोनी में ये दो आदते हैं क
उसने मुझे बाथरूम की ओर धकेल दिया…
मैं नहाकर बाहर आया तो सलोनी बेड पर झुकी हुई मेरे कपड़े सही कर रही थी।
उसका गाउन चूतड़ से आधा खिसक गया था… जो उसके गोल और मादक चूतड़ों की झलक दिखा रहा था…
मैंने उसके चूतड़ों पर हाथ फेरते हुए ही कहा- जान आज या कल जब भी अमित आये तो उसको अपने इन जालिम चूतड़ों के दर्शन करा देना… देखना पगला जायेगा साला…
सलोनी- मुझे तो लगता है कि अभी तो आप ही पगला गए हैं… कैसी बातें कर रहे हैं… क्या उन लोगों के सामने बिना कच्छी के जाऊँगी? वैसे आप चिंता न करें… मैंने कल कुछ अच्छे सेट का आर्डर दिया है… आज कोशिश करुँगी, शायद मिल जाएँ…
मैं- अच्छा तो क्या ब्रा, चड्डी भी आर्डर पर तैयार होने लगे?
सलोनी- जी हाँ जानू… अब तो हर चीज फैशन पर आ गई है… मगर कुछ रुपए दे जाना…
मैं- ठीक है मेरी जान…
मैं तैयार होते हुए सोचने लगा कि आज शायद सलोनी फिर उसी दुकान पर जाएगी… मैं क्या करूँ? कैसे करूँ?
सलोनी- और हाँ, आप यह मत समझो कि आपके दोस्त सीधे हैं, वो तो आपके सामने सीधा होने का ढोंग करते हैं… वरना हम लोगों को मर्दों की सब आदतों के बारे में पता होता है…
मैं- अच्छा तो कौन साला तुमको छेड़ता है… अभी बताओ… कमीने को ठीक करता हूँ…
सलोनी- बस तुम्हारी इसी आदत के कारण वो तुमसे डरते हैं… वरना…
मैं- अरे नहीं जान… क्या मैं तुमको ऐसा लगता हूँ? वो तो थोड़ा काम में बिजी हो गया था बस…
सलोनी- हाँ हाँ, मैं सब समझ सकती हूँ… जब आप उनसे जरा प्यार से बोलेंगे तो आप उन सबकी नजर को खुद समझ जाएंगे…
मैं- अच्छा अमित भी ऐसा ही है क्या? यार, वो तो बहुत सीधा लगता है…
सलोनी- हाँ मुझे पता है वो कितना सीधा है… हे…हे…
मैं- क्या यार पहेलियाँ क्यों बुझा रही हो.. सच बताओ ना… हमने कल निर्णय लिया था ना कि हम सब कुछ एक दूसरे को बताएँगे…
इससे हमारे रिश्ता और भी मजबूत होगा… और अब से हम खुद खुले विचारों के साथ जिएंगे… एक दूसरे को रोक टोक नहीं करेंगे…
सलोनी मुझे चूमते हुए- अरे जानू, आपको क्या लगता है कि क्या मैं आपसे कुछ छुपाती हूँ…
मैं- तो बताओ न अमित ने कुछ किया क्या…
सलोनी- अरे नहीं ऐसा कुछ नहीं… मगर उसकी आदतें भी बाकी सभी मर्दों की तरह ही हैं… वैसे भी मेरी मुलकात तो बस दो तीन बार ही तो हुई होगी…
आपको याद है उसकी शादी के बाद पार्टी में… उसने कितनी पी ली थी…बस जब वो मेरे साथ डांस कर रहा था, तब उसका व्यव्हार उतना सभ्य नहीं था…
मैं- क्या यार, कितने भारी शब्दों का प्रयोग कर रही हो… खुली भाषा में बताओ न.. उसने तुमको क्या किया?
सलोनी- ओह तुम भी न… अरे ऐसा भी क्या… बस जब वो मेरे साथ नाच रहा था… तब ही उसने कुछ शरारत की थीं…
मैं- अरे नहीं यार… वो उस बेचारे ने बहुत पी ली थी… इसीलिए ..थोड़ा बहुत हाथ लग गया होगा…
सलोनी- अच्छा आपको तो बहुत पता है ना… क्या आपको याद है उस दिन मैंने अपनी वो पतली वाली लाल जींस और सफ़ेद शार्ट टॉप पहना था… जो कमर तक ही आता है…
मैं- अरे हाँ जान, मैं कैसे भूल सकता हूँ…
सलोनी- बस वो नाचते-नाचते बार-बार मेरे कमर पर हाथ रख रहा था… मैं हटाती तो फिर से टॉप के अंदर कर मेरी नंगी कमर को सहला देता… कई बार उसने अपने गाल मेरे गालों से चिपकाये और नाचते हुए चूम भी लेता था…
मैं- अरे यार, ये सब तो नार्मल है ना…
सलोनी- अच्छा और उसके हाथों का कई बार सरककर मेरे चूतड़ों तक पहुँच जाना और ना केवल सहलाना बल्कि दबा भी देना…
मैं- हम्म्म… तब तो हो सकता है… मगर यह भी तो हो सकता है कि वाकयी गलती से ही हुआ हो…
सलोनी- हाँ गलती से… अगर गलती से हुआ होता तो आदमी का यह खड़ा नहीं होता…
उसने मेरे लण्ड को छूते हुए कहा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं- क्या कहती हो यार… क्या उसका लण्ड भी खड़ा हो गया था… क्या तुमने उसको छुआ भी था…
मैंने अब उसके सामने खुले शब्दों का प्रयोग करने लगा जिससे वो और भी खुल जाये… वैसे मैंने सुना तो था कि वो बहुत आसानी से सभी लण्ड, चूत जैसे शब्द बोलती है…
सलोनी- हाँ जानू, जब वो मुझे खुद से चिपकाता तो अपनी कमर भी मेरे से चिपका देता था, तो मुझे उसका अहसास तो होगा ना…
मैं- अच्छा कहाँ लगा उसका लण्ड तुम्हारे?
सलोनी- ओह… अब ज्यादा क्यों परेशान कर रहे हो… मेरी जांघ के ऊपर के भाग पर… पर मैं एकदम दूर हो गई…
बस अब आप जल्दी तैयार हो जाओ, मैं भी फटाफट तैयार हो आपका नाश्ता लगाती हूँ…
मैं- अच्छा जानू…
उसके बाथरूम में जाते ही सबसे पहले मैंने अपना रिकॉर्डर पेन ओन कर उसके पर्स में डाला…
और यह भी सोचने लगा कि यार कैसे आज इनकी उस शॉपिंग को देखा जाए…
मैंने एक बार फिर बिल पर से उस दुकान का पता नोट किया और सलोनी से उसका जाने के समय के बारे में जानने कि सोचने लगा…
तभी सलोनी भी बाथरूम से बिल्कुल नंगी नहाकर बाहर आ गई…
सलोनी में ये दो आदते हैं क