03-08-2021, 01:32 AM
UPDATE *PART 7*
शीला के जाने के बाद मैनें गाड़ी ज्वेलर्स शाॅप की ओर मोड़ दी....
फिर वहां से एक बढिया सा गोल्ड पेन्डेन्ट वाला मंगल सूत्र खरीद लिया,फिर एक रेस्तराँ में डिनर करते हुए घर लौट आया व जल्दी ही सो गया।
.........आज रविवार का दिन था,और मैं बहुत ही उत्साहित था,बहुत ही प्रफुल्लित मन से सो कर उठा और फटाफट नित्यकर्मों से फारिग हो गया!फिर कोई ग्यारह बजे के आसपास मैंने लंच और ब्रेक फास्ट एकसाथ यानि ब्रंच कर लिया।और आने वाले पलों के ताने बाने बुनने लगा,फिर थोड़ा आराम से लेट कर एक हल्की सी झपकी ले ली।इससे एकदम फ्रैश महसूस करने लगा।
अब दोपहर के डेढ़ बज रहे थे और मैं किचन में गया और काफी सारी काॅफी बना कर एक बड़े से थर्मस में भर कर बैड रूम की साइड टेबल पर रख दिया साथ में एक मग्गा भी रख दिया।
शीला के साथ तो आज अपने सारे अरमान पूरे करूगा।
शीला की बड़ीबड़ी चूचीयाँ,काली काली चिकनी चूत उसकी मूत की मोटी सीटी बजाती हुई धार ये सब मेरी आँखों के सामने नाच रहे थे ।और ये सब सोचते सोचते मैंने एक लार्ज पैग बनाया और हल्के हल्के घूंट भरने लगा।
अब तीन बज चुके थे और मै दो पैग खत्म कर चुका था कि डोअर बैल बज उठी मैंने आइ पीस में से झांक कर देखा तो शीला ही थी।
मैंने तपाक से दरवाजा खोल दिया और फिर शीला के अंदर आते ही मैंने तुरंत दरवाजा बंद कर दिया और एक गहरी नज़र शीला पर डाली।
वह काली टाइट्स और पीस्ता कलर की कुर्ती में बहुत ही खूबसूरत लग रही थी।आज उसने बालों का बड़ा सा जूड़ा बनाया हुआ था,और उसके उपर शालीनता से दुपट्टा ओढ़ा हुआ था,बड़ी बड़ी आंखें,गठीला गदराया मांसल बदन,किसी के भी होश उड़ाने के लिए काफी था,उसके पास से किसी परफ्यूम की भीनी भीनी खुशबू आ रही थी,और बालों से भी शैम्पू की मादक महक आ रही थी,मैंने उसे कस कर पकड़ लिया और अपनी ओर खींचते हुए उसके होठों पर एक जोरदार चुम्बन जड़ दिया और फिर शीला भी मुझे बांहों में लेकर साथ देने लगी।
चुम्बन का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा था।फिर मैंने शीला की जीभ अपने मुंह में ले ली,और शीला भी कसमसा रही थी।
आज तो इसकी जवानी का सारा स्वाद लेकर ही मानूंगा।
ऐसा सोचते हुए पूरी ताकत से भींच कर और जोर जोर से चूमने लगा।
फिर बोला"....रानी!"
वो मुस्कुराई..."हाँ राजा!"
"मैनें तेरी जवानी का हर तरह से रसपान किया है ....खूब जी भर के....तूने भी अपने जिस्म के एक एक इंच हिस्से का स्वाद चखाया है ,इक्का दुक्का छोड़ कर....चल आज सारी हसरतें पूरी करने दे।"मैंने एक हाथ से चूची दबाते हुए व दूसरे हाथ की उंगली से उसकी गांड सहलाते हुए कहा।"
"तो कर लो ना मना किसने किया है।"उसने हँसते हुए कहा।"
"लेकिन मैं कहूँ वैसा करना होगा रानी"
"हाँ वैसा ही करूँगी राजा।"
"अरे राजा नहीं मैं तो तेरा गुलाम हूँ रानी।"और इतना कहते ही मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए और मेरा भी स्लीपिंग गाउन उतार दिया।
अब हम दोनों पूरी तरह से नंगे खड़े थे।
फिर मैंने उसे झटके से उठाया और बैडरूम में ले आया और शीला को बैड पर खिंचकर उसकी दोनों टांगें चौड़ी करके उसकी चूत की काली फांकों में अपनी जीभ घुसा दी और किसी कुत्ते की तरह चाटने लगा,
शीला कसमसाने लगी और थोड़ी देर इसी प्रकार चूत चाटने के बाद मैंने भी अपना लंड शीला के मुंह में दे दिया,और वो भी बड़े मजे में किसी लाॅलीपाॅप की तरह चूसते हुए लंड को उपर नीचे करने लगी।
अब मेरा लंड कुतुबमीनार की तरह तन कर खड़ा हो गया,शीला की चूत पहले से ही पूरी गीली हो चुकी थी,अब मैं सीधे लेट गया और शीला को अपने लंड पर उपर से बैठने को कहा,और शीला सामने से मेरे लंड के उपर बैठ गई।
"आजा मेरी रानी! मैं तूझे आज नये अंदाज़ में चुदाई सिखाता हूँ ,आज तू मुझे जी भर के चोद ले और अपना हिसाब बराबर कर ले।"
शीला मुस्कुराए जा रही थी।
फिर मैंने उसकी गांड थोड़ी सी उपर करके उसकी चूत पर अपने लंड को सटा दिया और हल्का सा धक्का मार दिया,और लंड तीर की तरह सरसराते हुए चूत के अंदर घुसता चला गया...
"आsssssssssssहहहहह...उउउउउउउssssssssss" शीला ने आँखें मूंद ली।
हालांकि उसकी चूत पूरी गीली और चिकनी थी,इसलिए लंड आसानी से घुस गया और शीला को भी शुरूआती झटके को छोड़कर कोई तकलीफ नहीं हुई।
अब लंड पूरा घुस चुका था और मैंने शीला की कमर पकड़ ली और गांड उचका उचका के हल्के हल्के धक्के लगाना शुरू कर दिया।
शीला ने आँखें मूंद रखी थी और उसके लिए ये अलग ही प्रकार का अनुभव था,.....उसे मज़ा आने लगा।
फिर मैंने उसकी गांड पकड़ कर अपने लंड पे उपर नीचे करने लगा और इसतरह से शीला भी धक्के मारने लगी,....".आsssssह....आssssह...आsssssह....आssssह..."
शीला को भी मज़ा आने लगा,फिर मैंने भी गांड उचका उचका के तेजी से जोरदार स्ट्रोक लगाने शुरू कर दिए...
"आsssssह....आssssह...आsssssह....आssssह..."
"म....जा....आ..र..हा.. है... ना... रा...नी।"
"हं...हं....हाँ ..."
और मैंने अतिउत्साहित होकर
किचकिचाकर जो धक्का मारा कि शीला की चींख निकल पड़ी"आsssईईईईईईssssssss"
फिर मैंने लगातार जोर जोर से धक्के मारना जारी रखा.....मेरी जांघें शीला की गांड से जोरजोर से टकरा रही थी.....ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प.....ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प...
अब शीला ने भी साथ देना शुरू कर दिया और उसी रिदम में वो भी तेज तेज धक्के लगा रही थी.....ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प.....ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प....
शीला की दोनों बड़ी बड़ी चूचीयाँ गेंद की तरह उपर नीचे नाच रही थी मानो वो भी चुदाई का जश्न मना रही थी।
अsssssह....अssssह...अsssssह....अssssह..।"शीला मजे में बड़बड़ाये जा रही थी।
और मैंने शीला के जूड़े को खोल दिया और शीला की काली नागिन की तरह बल खाती हुई लंबी-लंबी जुल्फें खुलकर लहराने लगी और मैंने शीला की छाती को अपनी तरफ इस प्रकार खींच लिया कि उसकी जुल्फों ने मुझे अपने आगोश में ले लिया मेरे उपर छा गई।
...ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प.....ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प....
"....अsssssह....अssssह...अsssssह....अssssह..।"
शीला मजे में बड़बड़ाये जा रही थी....और ...चोद..मुझे ...फाड़...दे..भोसड़ा बना...डाल...मेरे...राजा...
"मैं.. तो ..तेरा.. गुलाम ..हूँ ..रानी.. तू.. तो ..हुकुम.. कर ...मुझे...
अब शीला भी जोर जोर से धक्के लगाने लगी...
...ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प.....ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प....
उसकी जुल्फें मेरे उपर छाई हुई थी,
मैंने कस के उसके होठों को चूम लिया, वह भी चुम्बन में साथ देने लगी...मैं उसकी जीभ को अपने मुंह में लेकर चूस रहा था....और उसकी चूचीयों को सहला रहा था ....
...ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प.....ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प.... चुदाई अब पूरे रिदम में आ गयी थी,और मैंने उसकी दूधभरी चूचीयों को चूसना शुरू कर दिया....और अब शीला ने मुझे रोका नहीं बल्कि मस्ती में झूम कर अपनी चूचीयों को पकड़ कर दूध पिलाने लगी....और मस्ती की गंगा बहे जा रही थी।
...ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प.....ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प....
"....अsssssह....अssssह...अsssssह....अssssह...मैं ..झ..ड़.. र..ही.. हूँ... राजा...
और.....शीला झड़ने लगी....
मैंने उसे गांड पकड़ कर उपर किया और खिसक के चूत के नीचे आ गया और जीभ घुसा के चूत चाटने लगा...शीला झड़ रही थी और मैं उसके अमृत का पान कर रहा था।...
अब शीला झड़ चुकी थी और मैं भी वापस अपनी जगह पर आ कर लेट गया और शीला मेरे उपर निढाल हो गई.....उसकी काली लंबी-लंबी जुल्फों ने मुझे ढ़क लिया।
शीला के पास से अभी भी परफ्यूम की भीनी भीनी खुशबू तो आ ही रही थी साथ ही उसकी जुल्फों से भी शैम्पू की मादक महक आ रही थी।
आज वो पूरी तरह से तैयार होकर आयी थी।
उसकी ये सेक्सी अदायें मुझे भड़काने का काम कर रही थी।
और मैं दिवानों की तरह आने वाले पलों के ताने बाने बुन रहा था।
कुछ देर शीला इसी तरह मेरे उपर औंधी पड़ी रही फिर सीधा होकर अपने अस्त व्यस्त से बाल सीधे करने लगी...
अब मैंने उससे दरवाजे की ओर इशारा करके पूछा उससे..
"...बाथरूम....?"
"नहीं !.बाद में ...."...वो मुस्कुराई।
अब मैं उठा और उसे पानी की एक बोतल पकड़ा दी और वह एक ही सांस में सारा पानी पी गयी।
शायद इतनी चुदाई से वो कुछ थकान महसूस कर रही थी।
फिर मैंने एक थर्मस में से गर्मागर्म काॅफी एक मग्गे में निकाली और शीला की ओर बढ़ा दी।...चूंकि काॅफी एकदम हाॅट और मस्त थी इसलिए शीला बड़े मजे में चुस्की ले के काॅफी पीने लगी...मैंने भी वोदका का एक लार्ज पैग बनाया और हल्के हल्के घूंट भरने लगा .....फिर एक बार की काॅफी खत्म होते ही तुरंत मैंने बातें करते करते शीला का प्याला काॅफी से फिर भर दिया...और वो मना करती रह गयी ,...आज मैं उसे जी भर कर काॅफी पिला रहा था..इसमें भी कुछ कारण था।.....इधर मै भी अपना तीसरा पैग खत्म कर चुका था...
अब वोदका का सुरूर पूरी तरह से चढ़ चुका था और अब मुझे शीला बिल्कुल परी नज़र आ रही थी...और फिर मैंने एक और पैग बनाया और हल्के हल्के घूंट भरने लगा....
मै बातें करते जा रहा था...
"आज की पहली चुदाई में तो मज़ा आ गया रानी।"
"ये तो ट्रेलर था,पिक्चर तो अभी बाकी हैं रानी।"
"तो पिक्चर भी पूरी करलो ना, रोका है क्या किसी ने।"वह मेरी नाक पकड़ कर उसे हिलाते हुए बड़े ही मादक अदाज़ से अदायें मारते हुए बोली।
"तो ये ले मैंने अपना वादा पूरा कर दिया"कह कर मैंने एक गोल्डन चमचमाता पैकेट निकाला और बोला "अच्छा अब अपनी आँखें बंद कर"...
....शीला ने अपनी काॅफी खत्म की और आँखें बंद कर ली।
फिर मैंने पैकेट में से वो ही चमचमाता गोल्ड मंगल सूत्र निकाला और शीला के गले में डाल दिया,और होठों पे एक चुम्बन छाप दिया।शीला ने अचकचा कर आँखें खोली,और फिर ....
मंगल सूत्र देखते ही उसकी आँखें फटी रह गयी, खुशी के मारे बांछे खिल गई....
मैंने मजाक में हँस कर कहा..." क्या देख रही है रानी..असली सोने का है,नकली नहीं हैं"
वह बहुत खुश थी कुछ पल वो मंगल सूत्र को निहारती रही फिर अचानक से मुझे बाँहों में ले लिया।
"इतना अच्छा,इतना सुन्दर मंगल सूत्र तो कभी मेरे पति ने भी नहीं दिया।"वह बोली।
"अब तो मुझे भी अपना पति ही समझ रानी, देख अब तो मैं भी तो तुझे अपनी बीवी की तरह ही मानता हूँ,लेकिन अब मैं तुझे अपनी बीवी बनाकर ही दम लूंगा,अब मैं तुझे बीवी बनाने की रस्म पूरी करूँगा चाहे देसी नहीं तो विदेशी तरीके से,".....और शीला के कप को फिर से गर्म काॅफी से भर दिया...शीला सम्मोहित सी होकर काॅफी पिये जा रही थी और
मुझे निहारती ही जा रही थी और मैं बोलता ही जा रहा था .....
".......और फिर रानी,हम दो जिस्म एक जान हो चुके हैं,अब कोई दूरी नहीं बची है।....."
"क्यों!हैं ना।"मैने शीला से पूछा।
"हाँ बाबा हाँ,"...उसने मेरी नाक पकड़ कर उसे हिलाते हुए बड़ी मादक अदायें मारते हुए कहा।
"शीला!देख आज तूने सारी हसरतें पूरी करने का वादा किया है।".
"तो मैने कब ना बोला है राजा....वो हंस पड़ी।
मैने भी उसे अपनी बांहों में भर लिया ,
"चल रानी अब मेरे लंड राजा की अपने मुंह से थोड़ी पूजा तो कर दे ...मेरे लंड राजा तेरी चूत से तो मिल लिए हैं...अब तेरी गांड से भी मिलवा दूं।"
"अरे नहीं!क्या आप भी?"
"अरे रानी इसमें इसमें क्या हुआ,यह तो बहुत मजेदार सेक्स होता है,बहुत आम है,और पुराने जमाने से चला आ रहा है जब राजा महाराजा अपनी रानीयों के साथ करते थे,मै किसी इतिहासकार की तरह व्याख्या करने लगा.....और खजुराहो,अजंता,एलोरा सुना है?वहां की मूर्तियों में तो बहुत होता है।"
"अच्छा चल अब अपनी गांड के दर्शन करवा दे।" मै उसकी गांड के छेद को उंगली से सहलाते हुए बोला..
"लेकिन मैंने कभी किया नहीं है।"....वो बोली।
"तो क्या हुआ रानी, इसमे क्या टेंशन है,हर कोई पहली बार ही करता है फिर बार-बार करता है।"
"चल रानी आजा"...और फिर उसे अपनी ओर खींच लिया....अब मेरे लंड राजा की पूजा तो कर दे ..
और अपने लंड को शीला के मुंह में दे दिया।
अब शीला राजी हो चुकी थी और वो मेरे लंड को मुंह में ले कर उपर नीचे करने लगी।चूंकि अभी तक मेरा लंड एक बार भी नहीं झड़ा था इसलिए कुछ ही पल में फिर से कुतुबमीनार की तरह तन कर खड़ा हो गया,एकदम कड़क भम्म।
फिर मैंने शीला को डाॅगी पोज़ में आने को कहा,यह शीला के लिए कुछ नया नहीं था,इसलिए वो तुरंत इस पोज़ में खड़ी हो गई।अब मैंने शीला की चूत और गांड चाटना शुरू कर दिया।शीला की चूत तो पहले से ही गीली थी,और कुछ ही पल में फिर से शीला फिर से गरम हो गई,मैंने तुरंत ही पिछे से शीला की चूत में लंड घुसा दिया और लंड फक्क की आवाज के साथ पूरा घुस गया और शीला को कोई तकलीफ नहीं हुई,फिर मैं थोड़ी देर इसी प्रकार शीला को चोदता रहा और शीला पूरी तरह से गरम हो चुकी थी....अsssssssह...अsssssssह...अsssssssह...अsssssssह
अब मैंने एक उंगली पहले मुंह में ले कर थूक से गीली करी फिर धीरे से उसकी गांड में घुसा दी..... "आssईईsssईई.......
शीला की हल्की सी चीख निकल पड़ी...अब थोड़ी देर इसी प्रकार उंगली को अंदर बाहर करने के बाद निकाल ली और सूंघने लगा...आ..हा..उसमें से शीट की हल्की-हल्की सेक्सी मादक महक आ रही थी...और मैं आँखें बंद किए सूंघे जा रहा था।
अब मैंने लंड को चूत में से खिंचा और गांड के छेद पे सटा दिया और हल्के हल्के से रगड़ने लगा...शीला की कुंआरी गांड फड़कने लगी क्योंकि आज वो पहली बार किसी लंड का मज़ा लेने जा रही थी।थोड़ी देर इसी प्रकार हल्के हल्के रगड़ता रहा फिर लंड को शीला की गांड में धीरे से धकेल दिया ...
"आssssssssssईsssssssssओsssssssमाँsssssssss"
........शीला का मुंह उपर की ओर उठ गया गर्दन खड़ी हो गयी आँखें फटी की फटी रह गयी।
"ऊsssssssssह.....ऊsssssssह....निकालो....निकालो....वापस निकालो......"
"अभी तो सुपाड़ा ही अंदर गया है रानी..."
"आsssssssह....फट गई.......बड़ा... दर्द... हो... रहा... है.....मर ...गईssssss."
"हाँ मेरी रानी मैं निकाल लूंगा थोड़ा सब्र तो कर,थोड़ी देर में सब ठीक हो जायेगा।"
फिर कुछ पल रुक कर लंड को फिर से शीला की गांड में धकेल दिया....
"आsssssssह....बड़ा... दर्द... हो... रहा...है......निकाल ले....मुझे गांड नहीं मरवानी....."वह चीखे जा रही थी और मेरी जांघों को पकड़ कर पीछे की ओर इस प्रकार धकेल रही थी कि मेरा लंड बाहर आ जाए,और मैंने उसे कस कर पकड़ा हुआ था।चार चार पैग मारने के बाद वोदका का सुरूर मेरे सिर चढ कर बोल रहा था।
"बस रानी थोड़ा सा और सब्र कर ले।थोड़ा वाइल्ड सेक्स का भी तो आनंद ले मेरी जान।"
शीला हांफ रही थी....फिर वैसी ही घोड़ी बनी खड़ी रहीं....
और फीर कुछ देर रुक कर उसी पोज़ में लंड को बिल्कुल धीरे-धीरे अंदर बाहर करने लगा ताकि शीला को तकलीफ ना हो।और धीरे-धीरे शीला नार्मल होने लगी।
ऊsssssssssह.....ऊsssssssह.
ऊsssssssssह.....ऊsssssssह...आsssssssssह.....आsssssssह.....
"अब कैसा लग रहा है रानी।"
"अ..भी.. ठी..क...है...."
फिर मैं उसी तरह से लंड को अंदर बाहर करता रहा....
शीला मस्ती में गनगना रही थी
ऊsssssssssह.....ऊsssssssह.
ऊsssssssssह.....ऊsssssssह...आsssssssssह.....आsssssssह..
"अब मज़ा आ रहा है रानी?मैंने पूछा।
".हाँ ..अ..ब...अच्छा...लग....रहा... है... म...ज़ा... आ..र..हा... है...।"
फिर धीरे-धीरे मैंने पूरा लंड अंदर घुसा दिया और हौले हौले गांड मारने लगा,और शीला को अब मज़ा आने लगा था।और कुछ देर इसी प्रकार अंदर-बाहर करने के बाद और तेज धक्के मारने लगा....शीला की गांड से मेरी जांघें टकराने की आवाज़े आने लगी....ठप्प...ठप्प....ठप्प...ठप्प....ठप्प...ठप्प....ठप्प...ठप्प
और शीला भी उत्तेजित हो कर वाइल्ड सेक्स के मजे लूट रही थी.
ठप्प...ठप्प....ठप्प...ठप्प....ठप्प...ठप्प....ठप्प...ठप्प...और फिर इस आवाज़ के साथ साथ शीला की गांड ढीली पड़ चुकी थी...अब आवाज़ बदल गई.....फचड़....फचड़.....फचड़....फचड़.....फचड़....फचड़...और शीला की गांड गीली चिपचिपी और एकदम चिकनी हो गई थी....खुले काले लहराते बाल,गदराया बदन और फिर मुझे चढ़े हुए वोदका के सुरूर में वो किसी पोर्न फिल्म की हिरोइन की तरह लग रही थी,और मैं उसको हर एंगल से तरह-तरह से चूसना चाटना चाह रहा था।
फचड़....फचड़....फचड़.....फचड़....फचड़..फड़ड़ड़.....फड़ड़ड़फड़ड़ड़ और मैं अपने को रोक नहीं पाया....
तुरंत उस सेक्सी सुंदरी की गांड में से लंड निकाला और उसके छेद पे मुंह लगा दिया फिर उस में जीभ घुसा के चाटने लगा।बड़ा ही मदमस्त सेक्स भड़काने वाला सौंधा सौंधा सा स्वाद आ रहा था।शीला भी अब कंट्रोल नहीं कर पा रही थी...बोली....
"मुझे बाथरूम जाना है।"
अब मुझसे नहीं रहा गया तुरंत उसे पकड़ कर अपने उपर इस प्रकार बैठा लिया कि उसकी चूत सीधे मेरे मुंह पर थी।
"रानी अब तो तुझे पता ही है क्या करना है अपने गुलाम के साथ"....
और शीला ने मुस्कुराते हुए अपने मूत की मोटी धार मेरे मुंह में छोड़ दी....आहा मज़ा आने लगा था,और फिर अचानक से शीला रूक गई....शायद मेरी ट्रिक काम कर गयी थी।
"क्या हुआ रानी,रूक क्यों गयी।"
वो आपने काॅफी पिला दी तब से पेट में जाने क्या हो रहा है,ऐसा लग रहा है मानो फट पड़ेगा।
"कोई बात नहीं रानी,सब ठीक हो जायेगा।"
"और अब तो रानी अपना वादा निभाने का वक्त आ गया है "और फिर मैंने उसे उसी प्रकार बैठे हुए ही अपने उपर उल्टा घूमा दिया यानि अपने उपर इस प्रकार बैठा लिया कि उसकी गांड सीधे मेरे मुंह पर थी।
"मेरे लंड का तो ध्यान रख रानी,देख उसे ढीला ना छोड़ना।"
और फिर शीला मेरे लंड को मुट्ठी में लेकर उपर नीचे करने लगी और मै नीचे से शीला की गांड चाट रहा था।
"रानी बोल तूने वादा किया था ना कि आज मैं जैसा कहूँगा वैसा ही करेगी।"
हँसते हुए शीला बोली...
"हाँ बाबा जैसा बोलोगे वैसा ही करूँगी बस,वादा किया है तो निभाउंगी।
"मै भी तो तेरा साथ निभाउंगा,मैंने भी तो तझे वचन दिया है,तूझे अपनी बीवी बनाकर ही दम लूंगा,मंगल सूत्र तो पहना दिया है बस अब बीवी बनाने की रस्म पूरी करना बाकी है....
चल रानी अब अपने गुलाम के साथ वैसी ही रस्म अदा कर जैसा वो मिस्ट्रेस मेसेलिना ने अपने होने वाले पति के साथ किया था।"
"लेकिन......।"
लेकिन वेकिन कुछ नहीं....जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा।"
और मैंने शीला की गांड में धीरे से उंगली कर दी...
उसकी गांड मरवा मरवा के पूरी ढीली हो चुकी थी और मेरी उंगली उसकी गांड मे बड़ी आसानी से अंदर-बाहर हो रही थी।मेरी पिलाई हुई गर्मा गर्म काॅफी अपना असर दिखा रही थी शीला को अब पेट में बेचैनी हो रही थी और वो कंट्रोल नहीं कर पायी और फिर अचानक उसकी गांड का छेद खुल गया और ...अब मेरी मिस्ट्रेस शीला की गांड में से थोड़ी सी ब्राउन शीट बाहर आती हुई दिखाई दी। मेरा तो दिल जोरो से धडकनें लगा,मेरी ड्रीम सीक्वेंस पूरी होती नज़र आ रही थी।
वोदका का पूरा सुरूर छाया हुआ था खुले हुए बालों में बड़ी बड़ी आंखों वाली, बड़ी बड़ी चूचीयों वाली,गदराये हुए बदन की मालकिन शीला अपनी गांड से ब्राउन प्रेम लूटा रही थी और मैंने तुरंत आँखें बंद कर के शीला के प्रति समर्पित होकर बड़े ही प्रेम और आनंद से अपना मुंह खोल कर उसका ब्राउन प्रेम का समर्पण अपनी जीभ पे ले लिया और आनंद लेने लगा,उसका कसैला सा स्वाद वोदका के सुरूर में अमृत सा एहसास दे रहा था और मेरी मालकिन,मेरी पोर्न मूवी की हिरोइन जो कि कभी नौकरानी थी वो मेरी रानी बन चुकी थी और पोर्न फिल्मों की ही तरह मैंने भी उसके साथ पिसींग और स्केट सेक्स का मजा उठा लिया था।
मित्रों, इसी के साथ मेरी इस आपबीती का पहला भाग समाप्त होता है।हालांकि उसके बाद भी शीला और मैं अभी भी मौका पा कर मिल ही लेते है,और हम बे झिझक हर प्रकार का सेक्स करते है और हमारे सेक्स के किस्से तो बहुत है पर अभी के लिए तो इतना ही ....
शेष फिर कभी ....
विदा दोस्तों.....
शीला के जाने के बाद मैनें गाड़ी ज्वेलर्स शाॅप की ओर मोड़ दी....
फिर वहां से एक बढिया सा गोल्ड पेन्डेन्ट वाला मंगल सूत्र खरीद लिया,फिर एक रेस्तराँ में डिनर करते हुए घर लौट आया व जल्दी ही सो गया।
.........आज रविवार का दिन था,और मैं बहुत ही उत्साहित था,बहुत ही प्रफुल्लित मन से सो कर उठा और फटाफट नित्यकर्मों से फारिग हो गया!फिर कोई ग्यारह बजे के आसपास मैंने लंच और ब्रेक फास्ट एकसाथ यानि ब्रंच कर लिया।और आने वाले पलों के ताने बाने बुनने लगा,फिर थोड़ा आराम से लेट कर एक हल्की सी झपकी ले ली।इससे एकदम फ्रैश महसूस करने लगा।
अब दोपहर के डेढ़ बज रहे थे और मैं किचन में गया और काफी सारी काॅफी बना कर एक बड़े से थर्मस में भर कर बैड रूम की साइड टेबल पर रख दिया साथ में एक मग्गा भी रख दिया।
शीला के साथ तो आज अपने सारे अरमान पूरे करूगा।
शीला की बड़ीबड़ी चूचीयाँ,काली काली चिकनी चूत उसकी मूत की मोटी सीटी बजाती हुई धार ये सब मेरी आँखों के सामने नाच रहे थे ।और ये सब सोचते सोचते मैंने एक लार्ज पैग बनाया और हल्के हल्के घूंट भरने लगा।
अब तीन बज चुके थे और मै दो पैग खत्म कर चुका था कि डोअर बैल बज उठी मैंने आइ पीस में से झांक कर देखा तो शीला ही थी।
मैंने तपाक से दरवाजा खोल दिया और फिर शीला के अंदर आते ही मैंने तुरंत दरवाजा बंद कर दिया और एक गहरी नज़र शीला पर डाली।
वह काली टाइट्स और पीस्ता कलर की कुर्ती में बहुत ही खूबसूरत लग रही थी।आज उसने बालों का बड़ा सा जूड़ा बनाया हुआ था,और उसके उपर शालीनता से दुपट्टा ओढ़ा हुआ था,बड़ी बड़ी आंखें,गठीला गदराया मांसल बदन,किसी के भी होश उड़ाने के लिए काफी था,उसके पास से किसी परफ्यूम की भीनी भीनी खुशबू आ रही थी,और बालों से भी शैम्पू की मादक महक आ रही थी,मैंने उसे कस कर पकड़ लिया और अपनी ओर खींचते हुए उसके होठों पर एक जोरदार चुम्बन जड़ दिया और फिर शीला भी मुझे बांहों में लेकर साथ देने लगी।
चुम्बन का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा था।फिर मैंने शीला की जीभ अपने मुंह में ले ली,और शीला भी कसमसा रही थी।
आज तो इसकी जवानी का सारा स्वाद लेकर ही मानूंगा।
ऐसा सोचते हुए पूरी ताकत से भींच कर और जोर जोर से चूमने लगा।
फिर बोला"....रानी!"
वो मुस्कुराई..."हाँ राजा!"
"मैनें तेरी जवानी का हर तरह से रसपान किया है ....खूब जी भर के....तूने भी अपने जिस्म के एक एक इंच हिस्से का स्वाद चखाया है ,इक्का दुक्का छोड़ कर....चल आज सारी हसरतें पूरी करने दे।"मैंने एक हाथ से चूची दबाते हुए व दूसरे हाथ की उंगली से उसकी गांड सहलाते हुए कहा।"
"तो कर लो ना मना किसने किया है।"उसने हँसते हुए कहा।"
"लेकिन मैं कहूँ वैसा करना होगा रानी"
"हाँ वैसा ही करूँगी राजा।"
"अरे राजा नहीं मैं तो तेरा गुलाम हूँ रानी।"और इतना कहते ही मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए और मेरा भी स्लीपिंग गाउन उतार दिया।
अब हम दोनों पूरी तरह से नंगे खड़े थे।
फिर मैंने उसे झटके से उठाया और बैडरूम में ले आया और शीला को बैड पर खिंचकर उसकी दोनों टांगें चौड़ी करके उसकी चूत की काली फांकों में अपनी जीभ घुसा दी और किसी कुत्ते की तरह चाटने लगा,
शीला कसमसाने लगी और थोड़ी देर इसी प्रकार चूत चाटने के बाद मैंने भी अपना लंड शीला के मुंह में दे दिया,और वो भी बड़े मजे में किसी लाॅलीपाॅप की तरह चूसते हुए लंड को उपर नीचे करने लगी।
अब मेरा लंड कुतुबमीनार की तरह तन कर खड़ा हो गया,शीला की चूत पहले से ही पूरी गीली हो चुकी थी,अब मैं सीधे लेट गया और शीला को अपने लंड पर उपर से बैठने को कहा,और शीला सामने से मेरे लंड के उपर बैठ गई।
"आजा मेरी रानी! मैं तूझे आज नये अंदाज़ में चुदाई सिखाता हूँ ,आज तू मुझे जी भर के चोद ले और अपना हिसाब बराबर कर ले।"
शीला मुस्कुराए जा रही थी।
फिर मैंने उसकी गांड थोड़ी सी उपर करके उसकी चूत पर अपने लंड को सटा दिया और हल्का सा धक्का मार दिया,और लंड तीर की तरह सरसराते हुए चूत के अंदर घुसता चला गया...
"आsssssssssssहहहहह...उउउउउउउssssssssss" शीला ने आँखें मूंद ली।
हालांकि उसकी चूत पूरी गीली और चिकनी थी,इसलिए लंड आसानी से घुस गया और शीला को भी शुरूआती झटके को छोड़कर कोई तकलीफ नहीं हुई।
अब लंड पूरा घुस चुका था और मैंने शीला की कमर पकड़ ली और गांड उचका उचका के हल्के हल्के धक्के लगाना शुरू कर दिया।
शीला ने आँखें मूंद रखी थी और उसके लिए ये अलग ही प्रकार का अनुभव था,.....उसे मज़ा आने लगा।
फिर मैंने उसकी गांड पकड़ कर अपने लंड पे उपर नीचे करने लगा और इसतरह से शीला भी धक्के मारने लगी,....".आsssssह....आssssह...आsssssह....आssssह..."
शीला को भी मज़ा आने लगा,फिर मैंने भी गांड उचका उचका के तेजी से जोरदार स्ट्रोक लगाने शुरू कर दिए...
"आsssssह....आssssह...आsssssह....आssssह..."
"म....जा....आ..र..हा.. है... ना... रा...नी।"
"हं...हं....हाँ ..."
और मैंने अतिउत्साहित होकर
किचकिचाकर जो धक्का मारा कि शीला की चींख निकल पड़ी"आsssईईईईईईssssssss"
फिर मैंने लगातार जोर जोर से धक्के मारना जारी रखा.....मेरी जांघें शीला की गांड से जोरजोर से टकरा रही थी.....ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प.....ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प...
अब शीला ने भी साथ देना शुरू कर दिया और उसी रिदम में वो भी तेज तेज धक्के लगा रही थी.....ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प.....ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प....
शीला की दोनों बड़ी बड़ी चूचीयाँ गेंद की तरह उपर नीचे नाच रही थी मानो वो भी चुदाई का जश्न मना रही थी।
अsssssह....अssssह...अsssssह....अssssह..।"शीला मजे में बड़बड़ाये जा रही थी।
और मैंने शीला के जूड़े को खोल दिया और शीला की काली नागिन की तरह बल खाती हुई लंबी-लंबी जुल्फें खुलकर लहराने लगी और मैंने शीला की छाती को अपनी तरफ इस प्रकार खींच लिया कि उसकी जुल्फों ने मुझे अपने आगोश में ले लिया मेरे उपर छा गई।
...ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प.....ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प....
"....अsssssह....अssssह...अsssssह....अssssह..।"
शीला मजे में बड़बड़ाये जा रही थी....और ...चोद..मुझे ...फाड़...दे..भोसड़ा बना...डाल...मेरे...राजा...
"मैं.. तो ..तेरा.. गुलाम ..हूँ ..रानी.. तू.. तो ..हुकुम.. कर ...मुझे...
अब शीला भी जोर जोर से धक्के लगाने लगी...
...ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प.....ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प....
उसकी जुल्फें मेरे उपर छाई हुई थी,
मैंने कस के उसके होठों को चूम लिया, वह भी चुम्बन में साथ देने लगी...मैं उसकी जीभ को अपने मुंह में लेकर चूस रहा था....और उसकी चूचीयों को सहला रहा था ....
...ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प.....ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प.... चुदाई अब पूरे रिदम में आ गयी थी,और मैंने उसकी दूधभरी चूचीयों को चूसना शुरू कर दिया....और अब शीला ने मुझे रोका नहीं बल्कि मस्ती में झूम कर अपनी चूचीयों को पकड़ कर दूध पिलाने लगी....और मस्ती की गंगा बहे जा रही थी।
...ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प.....ठप्प...ठप्प...ठप्प...ठप्प....
"....अsssssह....अssssह...अsssssह....अssssह...मैं ..झ..ड़.. र..ही.. हूँ... राजा...
और.....शीला झड़ने लगी....
मैंने उसे गांड पकड़ कर उपर किया और खिसक के चूत के नीचे आ गया और जीभ घुसा के चूत चाटने लगा...शीला झड़ रही थी और मैं उसके अमृत का पान कर रहा था।...
अब शीला झड़ चुकी थी और मैं भी वापस अपनी जगह पर आ कर लेट गया और शीला मेरे उपर निढाल हो गई.....उसकी काली लंबी-लंबी जुल्फों ने मुझे ढ़क लिया।
शीला के पास से अभी भी परफ्यूम की भीनी भीनी खुशबू तो आ ही रही थी साथ ही उसकी जुल्फों से भी शैम्पू की मादक महक आ रही थी।
आज वो पूरी तरह से तैयार होकर आयी थी।
उसकी ये सेक्सी अदायें मुझे भड़काने का काम कर रही थी।
और मैं दिवानों की तरह आने वाले पलों के ताने बाने बुन रहा था।
कुछ देर शीला इसी तरह मेरे उपर औंधी पड़ी रही फिर सीधा होकर अपने अस्त व्यस्त से बाल सीधे करने लगी...
अब मैंने उससे दरवाजे की ओर इशारा करके पूछा उससे..
"...बाथरूम....?"
"नहीं !.बाद में ...."...वो मुस्कुराई।
अब मैं उठा और उसे पानी की एक बोतल पकड़ा दी और वह एक ही सांस में सारा पानी पी गयी।
शायद इतनी चुदाई से वो कुछ थकान महसूस कर रही थी।
फिर मैंने एक थर्मस में से गर्मागर्म काॅफी एक मग्गे में निकाली और शीला की ओर बढ़ा दी।...चूंकि काॅफी एकदम हाॅट और मस्त थी इसलिए शीला बड़े मजे में चुस्की ले के काॅफी पीने लगी...मैंने भी वोदका का एक लार्ज पैग बनाया और हल्के हल्के घूंट भरने लगा .....फिर एक बार की काॅफी खत्म होते ही तुरंत मैंने बातें करते करते शीला का प्याला काॅफी से फिर भर दिया...और वो मना करती रह गयी ,...आज मैं उसे जी भर कर काॅफी पिला रहा था..इसमें भी कुछ कारण था।.....इधर मै भी अपना तीसरा पैग खत्म कर चुका था...
अब वोदका का सुरूर पूरी तरह से चढ़ चुका था और अब मुझे शीला बिल्कुल परी नज़र आ रही थी...और फिर मैंने एक और पैग बनाया और हल्के हल्के घूंट भरने लगा....
मै बातें करते जा रहा था...
"आज की पहली चुदाई में तो मज़ा आ गया रानी।"
"ये तो ट्रेलर था,पिक्चर तो अभी बाकी हैं रानी।"
"तो पिक्चर भी पूरी करलो ना, रोका है क्या किसी ने।"वह मेरी नाक पकड़ कर उसे हिलाते हुए बड़े ही मादक अदाज़ से अदायें मारते हुए बोली।
"तो ये ले मैंने अपना वादा पूरा कर दिया"कह कर मैंने एक गोल्डन चमचमाता पैकेट निकाला और बोला "अच्छा अब अपनी आँखें बंद कर"...
....शीला ने अपनी काॅफी खत्म की और आँखें बंद कर ली।
फिर मैंने पैकेट में से वो ही चमचमाता गोल्ड मंगल सूत्र निकाला और शीला के गले में डाल दिया,और होठों पे एक चुम्बन छाप दिया।शीला ने अचकचा कर आँखें खोली,और फिर ....
मंगल सूत्र देखते ही उसकी आँखें फटी रह गयी, खुशी के मारे बांछे खिल गई....
मैंने मजाक में हँस कर कहा..." क्या देख रही है रानी..असली सोने का है,नकली नहीं हैं"
वह बहुत खुश थी कुछ पल वो मंगल सूत्र को निहारती रही फिर अचानक से मुझे बाँहों में ले लिया।
"इतना अच्छा,इतना सुन्दर मंगल सूत्र तो कभी मेरे पति ने भी नहीं दिया।"वह बोली।
"अब तो मुझे भी अपना पति ही समझ रानी, देख अब तो मैं भी तो तुझे अपनी बीवी की तरह ही मानता हूँ,लेकिन अब मैं तुझे अपनी बीवी बनाकर ही दम लूंगा,अब मैं तुझे बीवी बनाने की रस्म पूरी करूँगा चाहे देसी नहीं तो विदेशी तरीके से,".....और शीला के कप को फिर से गर्म काॅफी से भर दिया...शीला सम्मोहित सी होकर काॅफी पिये जा रही थी और
मुझे निहारती ही जा रही थी और मैं बोलता ही जा रहा था .....
".......और फिर रानी,हम दो जिस्म एक जान हो चुके हैं,अब कोई दूरी नहीं बची है।....."
"क्यों!हैं ना।"मैने शीला से पूछा।
"हाँ बाबा हाँ,"...उसने मेरी नाक पकड़ कर उसे हिलाते हुए बड़ी मादक अदायें मारते हुए कहा।
"शीला!देख आज तूने सारी हसरतें पूरी करने का वादा किया है।".
"तो मैने कब ना बोला है राजा....वो हंस पड़ी।
मैने भी उसे अपनी बांहों में भर लिया ,
"चल रानी अब मेरे लंड राजा की अपने मुंह से थोड़ी पूजा तो कर दे ...मेरे लंड राजा तेरी चूत से तो मिल लिए हैं...अब तेरी गांड से भी मिलवा दूं।"
"अरे नहीं!क्या आप भी?"
"अरे रानी इसमें इसमें क्या हुआ,यह तो बहुत मजेदार सेक्स होता है,बहुत आम है,और पुराने जमाने से चला आ रहा है जब राजा महाराजा अपनी रानीयों के साथ करते थे,मै किसी इतिहासकार की तरह व्याख्या करने लगा.....और खजुराहो,अजंता,एलोरा सुना है?वहां की मूर्तियों में तो बहुत होता है।"
"अच्छा चल अब अपनी गांड के दर्शन करवा दे।" मै उसकी गांड के छेद को उंगली से सहलाते हुए बोला..
"लेकिन मैंने कभी किया नहीं है।"....वो बोली।
"तो क्या हुआ रानी, इसमे क्या टेंशन है,हर कोई पहली बार ही करता है फिर बार-बार करता है।"
"चल रानी आजा"...और फिर उसे अपनी ओर खींच लिया....अब मेरे लंड राजा की पूजा तो कर दे ..
और अपने लंड को शीला के मुंह में दे दिया।
अब शीला राजी हो चुकी थी और वो मेरे लंड को मुंह में ले कर उपर नीचे करने लगी।चूंकि अभी तक मेरा लंड एक बार भी नहीं झड़ा था इसलिए कुछ ही पल में फिर से कुतुबमीनार की तरह तन कर खड़ा हो गया,एकदम कड़क भम्म।
फिर मैंने शीला को डाॅगी पोज़ में आने को कहा,यह शीला के लिए कुछ नया नहीं था,इसलिए वो तुरंत इस पोज़ में खड़ी हो गई।अब मैंने शीला की चूत और गांड चाटना शुरू कर दिया।शीला की चूत तो पहले से ही गीली थी,और कुछ ही पल में फिर से शीला फिर से गरम हो गई,मैंने तुरंत ही पिछे से शीला की चूत में लंड घुसा दिया और लंड फक्क की आवाज के साथ पूरा घुस गया और शीला को कोई तकलीफ नहीं हुई,फिर मैं थोड़ी देर इसी प्रकार शीला को चोदता रहा और शीला पूरी तरह से गरम हो चुकी थी....अsssssssह...अsssssssह...अsssssssह...अsssssssह
अब मैंने एक उंगली पहले मुंह में ले कर थूक से गीली करी फिर धीरे से उसकी गांड में घुसा दी..... "आssईईsssईई.......
शीला की हल्की सी चीख निकल पड़ी...अब थोड़ी देर इसी प्रकार उंगली को अंदर बाहर करने के बाद निकाल ली और सूंघने लगा...आ..हा..उसमें से शीट की हल्की-हल्की सेक्सी मादक महक आ रही थी...और मैं आँखें बंद किए सूंघे जा रहा था।
अब मैंने लंड को चूत में से खिंचा और गांड के छेद पे सटा दिया और हल्के हल्के से रगड़ने लगा...शीला की कुंआरी गांड फड़कने लगी क्योंकि आज वो पहली बार किसी लंड का मज़ा लेने जा रही थी।थोड़ी देर इसी प्रकार हल्के हल्के रगड़ता रहा फिर लंड को शीला की गांड में धीरे से धकेल दिया ...
"आssssssssssईsssssssssओsssssssमाँsssssssss"
........शीला का मुंह उपर की ओर उठ गया गर्दन खड़ी हो गयी आँखें फटी की फटी रह गयी।
"ऊsssssssssह.....ऊsssssssह....निकालो....निकालो....वापस निकालो......"
"अभी तो सुपाड़ा ही अंदर गया है रानी..."
"आsssssssह....फट गई.......बड़ा... दर्द... हो... रहा... है.....मर ...गईssssss."
"हाँ मेरी रानी मैं निकाल लूंगा थोड़ा सब्र तो कर,थोड़ी देर में सब ठीक हो जायेगा।"
फिर कुछ पल रुक कर लंड को फिर से शीला की गांड में धकेल दिया....
"आsssssssह....बड़ा... दर्द... हो... रहा...है......निकाल ले....मुझे गांड नहीं मरवानी....."वह चीखे जा रही थी और मेरी जांघों को पकड़ कर पीछे की ओर इस प्रकार धकेल रही थी कि मेरा लंड बाहर आ जाए,और मैंने उसे कस कर पकड़ा हुआ था।चार चार पैग मारने के बाद वोदका का सुरूर मेरे सिर चढ कर बोल रहा था।
"बस रानी थोड़ा सा और सब्र कर ले।थोड़ा वाइल्ड सेक्स का भी तो आनंद ले मेरी जान।"
शीला हांफ रही थी....फिर वैसी ही घोड़ी बनी खड़ी रहीं....
और फीर कुछ देर रुक कर उसी पोज़ में लंड को बिल्कुल धीरे-धीरे अंदर बाहर करने लगा ताकि शीला को तकलीफ ना हो।और धीरे-धीरे शीला नार्मल होने लगी।
ऊsssssssssह.....ऊsssssssह.
ऊsssssssssह.....ऊsssssssह...आsssssssssह.....आsssssssह.....
"अब कैसा लग रहा है रानी।"
"अ..भी.. ठी..क...है...."
फिर मैं उसी तरह से लंड को अंदर बाहर करता रहा....
शीला मस्ती में गनगना रही थी
ऊsssssssssह.....ऊsssssssह.
ऊsssssssssह.....ऊsssssssह...आsssssssssह.....आsssssssह..
"अब मज़ा आ रहा है रानी?मैंने पूछा।
".हाँ ..अ..ब...अच्छा...लग....रहा... है... म...ज़ा... आ..र..हा... है...।"
फिर धीरे-धीरे मैंने पूरा लंड अंदर घुसा दिया और हौले हौले गांड मारने लगा,और शीला को अब मज़ा आने लगा था।और कुछ देर इसी प्रकार अंदर-बाहर करने के बाद और तेज धक्के मारने लगा....शीला की गांड से मेरी जांघें टकराने की आवाज़े आने लगी....ठप्प...ठप्प....ठप्प...ठप्प....ठप्प...ठप्प....ठप्प...ठप्प
और शीला भी उत्तेजित हो कर वाइल्ड सेक्स के मजे लूट रही थी.
ठप्प...ठप्प....ठप्प...ठप्प....ठप्प...ठप्प....ठप्प...ठप्प...और फिर इस आवाज़ के साथ साथ शीला की गांड ढीली पड़ चुकी थी...अब आवाज़ बदल गई.....फचड़....फचड़.....फचड़....फचड़.....फचड़....फचड़...और शीला की गांड गीली चिपचिपी और एकदम चिकनी हो गई थी....खुले काले लहराते बाल,गदराया बदन और फिर मुझे चढ़े हुए वोदका के सुरूर में वो किसी पोर्न फिल्म की हिरोइन की तरह लग रही थी,और मैं उसको हर एंगल से तरह-तरह से चूसना चाटना चाह रहा था।
फचड़....फचड़....फचड़.....फचड़....फचड़..फड़ड़ड़.....फड़ड़ड़फड़ड़ड़ और मैं अपने को रोक नहीं पाया....
तुरंत उस सेक्सी सुंदरी की गांड में से लंड निकाला और उसके छेद पे मुंह लगा दिया फिर उस में जीभ घुसा के चाटने लगा।बड़ा ही मदमस्त सेक्स भड़काने वाला सौंधा सौंधा सा स्वाद आ रहा था।शीला भी अब कंट्रोल नहीं कर पा रही थी...बोली....
"मुझे बाथरूम जाना है।"
अब मुझसे नहीं रहा गया तुरंत उसे पकड़ कर अपने उपर इस प्रकार बैठा लिया कि उसकी चूत सीधे मेरे मुंह पर थी।
"रानी अब तो तुझे पता ही है क्या करना है अपने गुलाम के साथ"....
और शीला ने मुस्कुराते हुए अपने मूत की मोटी धार मेरे मुंह में छोड़ दी....आहा मज़ा आने लगा था,और फिर अचानक से शीला रूक गई....शायद मेरी ट्रिक काम कर गयी थी।
"क्या हुआ रानी,रूक क्यों गयी।"
वो आपने काॅफी पिला दी तब से पेट में जाने क्या हो रहा है,ऐसा लग रहा है मानो फट पड़ेगा।
"कोई बात नहीं रानी,सब ठीक हो जायेगा।"
"और अब तो रानी अपना वादा निभाने का वक्त आ गया है "और फिर मैंने उसे उसी प्रकार बैठे हुए ही अपने उपर उल्टा घूमा दिया यानि अपने उपर इस प्रकार बैठा लिया कि उसकी गांड सीधे मेरे मुंह पर थी।
"मेरे लंड का तो ध्यान रख रानी,देख उसे ढीला ना छोड़ना।"
और फिर शीला मेरे लंड को मुट्ठी में लेकर उपर नीचे करने लगी और मै नीचे से शीला की गांड चाट रहा था।
"रानी बोल तूने वादा किया था ना कि आज मैं जैसा कहूँगा वैसा ही करेगी।"
हँसते हुए शीला बोली...
"हाँ बाबा जैसा बोलोगे वैसा ही करूँगी बस,वादा किया है तो निभाउंगी।
"मै भी तो तेरा साथ निभाउंगा,मैंने भी तो तझे वचन दिया है,तूझे अपनी बीवी बनाकर ही दम लूंगा,मंगल सूत्र तो पहना दिया है बस अब बीवी बनाने की रस्म पूरी करना बाकी है....
चल रानी अब अपने गुलाम के साथ वैसी ही रस्म अदा कर जैसा वो मिस्ट्रेस मेसेलिना ने अपने होने वाले पति के साथ किया था।"
"लेकिन......।"
लेकिन वेकिन कुछ नहीं....जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा।"
और मैंने शीला की गांड में धीरे से उंगली कर दी...
उसकी गांड मरवा मरवा के पूरी ढीली हो चुकी थी और मेरी उंगली उसकी गांड मे बड़ी आसानी से अंदर-बाहर हो रही थी।मेरी पिलाई हुई गर्मा गर्म काॅफी अपना असर दिखा रही थी शीला को अब पेट में बेचैनी हो रही थी और वो कंट्रोल नहीं कर पायी और फिर अचानक उसकी गांड का छेद खुल गया और ...अब मेरी मिस्ट्रेस शीला की गांड में से थोड़ी सी ब्राउन शीट बाहर आती हुई दिखाई दी। मेरा तो दिल जोरो से धडकनें लगा,मेरी ड्रीम सीक्वेंस पूरी होती नज़र आ रही थी।
वोदका का पूरा सुरूर छाया हुआ था खुले हुए बालों में बड़ी बड़ी आंखों वाली, बड़ी बड़ी चूचीयों वाली,गदराये हुए बदन की मालकिन शीला अपनी गांड से ब्राउन प्रेम लूटा रही थी और मैंने तुरंत आँखें बंद कर के शीला के प्रति समर्पित होकर बड़े ही प्रेम और आनंद से अपना मुंह खोल कर उसका ब्राउन प्रेम का समर्पण अपनी जीभ पे ले लिया और आनंद लेने लगा,उसका कसैला सा स्वाद वोदका के सुरूर में अमृत सा एहसास दे रहा था और मेरी मालकिन,मेरी पोर्न मूवी की हिरोइन जो कि कभी नौकरानी थी वो मेरी रानी बन चुकी थी और पोर्न फिल्मों की ही तरह मैंने भी उसके साथ पिसींग और स्केट सेक्स का मजा उठा लिया था।
मित्रों, इसी के साथ मेरी इस आपबीती का पहला भाग समाप्त होता है।हालांकि उसके बाद भी शीला और मैं अभी भी मौका पा कर मिल ही लेते है,और हम बे झिझक हर प्रकार का सेक्स करते है और हमारे सेक्स के किस्से तो बहुत है पर अभी के लिए तो इतना ही ....
शेष फिर कभी ....
विदा दोस्तों.....