Thread Rating:
  • 3 Vote(s) - 2 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery C. M. S. [Choot Maar Service]
#12
रेशमी कपड़े वाली पैंटी में छुपी माया की चूत से बड़ी ही मादक खुशबू आ रही थी जो मुझे प्रतिपल मदहोश सा किए जा रही थी। रेशमी कपड़े वाली पैंटी का रंग सुनहरा था जो माया की चूत को ढंकने में सक्षम तो था किन्तु पूरी तरह से नहीं। उस पैंटी के किनारों से माया की चूत के अगल बगल वाला हल्का सुर्ख भाग साफ़ दिख रहा था जिससे मेरे दिल की धड़कनें एकदम से थमने लगीं थी। सुनहरे कपड़े की वजह से मुझे माया का कामरस तो नज़र न आया लेकिन चूत पर चिपके होने की वजह से मुझे समझने में ज़रा भी देरी नहीं हुई कि माया इस वक़्त बेहद गरम हो चुकी है जिसकी वजह से उसका कामरस उसकी पैंटी को इस कदर भिगो दिया है जिससे उसकी पैंटी उसकी चूत पर चिपक गई है।

कुछ पलों तक मैंने गौर से उस चिपके हुए सुनहरे कपड़े को देखा और फिर हल्के से मैंने उस कपड़े पर यानी कि माया की चूत पर अपना चेहरा रख दिया। पहले तो मेरे चेहरे पर हल्का सा ठण्डा एहसास हुआ और फिर जैसे ही मेरा चेहरा पूरी तरह माया की चूत पर धर गया तो मेरे होठों और नाक पर गर्मी का एहसास हुआ। माया की चूत मानो धधक रही थी। मेरे पूरे जिस्म में झुरझुरी सी दौड़ गई और अचानक ही जाने मुझे क्या हुआ कि मैंने अपनी जीभ निकाली और उस गीले सुनहरे कपड़े को चाटने लगा। मुझे मेरी जीभ में बड़े ही अजीब से स्वाद का एहसास हुआ जो खारा भी था और थोड़ा खट्टा भी था। उधर मेरे जीभ द्वारा इस तरह चाटने से माया के जिस्म में भी झटका लगा था और उसने फ़ौरन ही अपने दोनों हाथ बढ़ा कर मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबा लिया। एक तरफ से उसने अपनी दोनों टांगों को उठा कर मेरे सिर के दोनों तरफ से मेरे सिर को ही जकड़ लिया था।

मैं माया की चूत से निकले उस खटमिट्ठे कामरस को इस तरह चाटे जा रहा था जैसे वो मेरे लिए कोई अमृत था। उधर माया ज़ोर ज़ोर से सिसकियां लेते हुए मेरे सिर को हाथों से दबाए जा रही थी और साथ ही साथ अपनी टांगों की जकड़न को और भी बढ़ाती जा रही थी। मैं काफी देर तक माया की चूत को चाटता रहा उसके बाद मैंने अपने दाहिने हाथ की ऊँगली से माया की चूत को ढंके उस गीले रेशमी कपड़े को हटाया तो मेरी आँखों के सामने एक ऐसी चीज़ नज़र आई जो गुलाबी रंग की थी और उस पर न तो कहीं किसी बाल का एक रेशा था और ना ही कोई दाग़ था। एकदम चिकनी और गुलाबी चूत को मैं इस तरह देखने लगा था जैसे उसने मुझे अपने सम्मोहन में ले लिया हो। तभी माया ने मेरे सिर को फिर से अपनी चूत की तरफ दबाया तो मुझे होश आया।

मैंने किसी तरह चेहरा उठा कर माया की तरफ देखा। माया बेड पर आँखे बंद किए लेटी हुई थी। उसके चेहरे के भाव साफ़ साफ़ बता रहे थे कि इस वक़्त वो किस दुनियां में डूबी हुई है। चेहरे के नीचे उसकी पर्वतों की तरह शिखर वाली दूधिया चूचियां उसके ज़रा से हिलने पर थिरक जाती थी। मेरे जिस्म में ये सब देख कर एक रोमांच की लहर दौड़ गई और मैंने दोनों हाथ बढ़ा कर झट से उसकी दोनों चूचियों को पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया। माया के मुख से सिसकियां निकलने लगी। उसने एक हाथ से मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाया और दूसरे हाथ को ले कर मेरे उन हाथों पर रख लिया जिन हाथों से मैं उसकी बड़ी बड़ी चूचियां मसले जा रहा था।

माया ने अपने एक हाथ से मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाया तो मैंने उसकी चूत को फिर से चूमना चाटना शुरू कर दिया। इस बार मेरी जीभ उसकी चूत की फांकों को खोल भी रही थी और उस पर घर्षण भी करती जा रही थी। माया की चूत बेहद गरम थी जिसका ताप मुझे अपनी जीभ पर महसूस हो रहा था। जीवन में मैं पहली बार किसी लड़की की चूत पर अपनी जीभ फिरा रहा था। मैं अक्सर सोचा करता था कि किताबों में जिस तरह लिखा होता है कि मर्द औरत की चूत को बड़े ही मज़े से चाटते हैं तो क्या ये सच में ऐसा ही होता होगा? क्या मर्द को किसी औरत की चूत चाटने में घिन न लगती होगी? आख़िर कोई मर्द औरत की उस जगह को कैसे इतना मज़े से चाट सकता है जिस जगह से औरत पेशाब करती है? ये तो हद दर्ज़े की घिनौनी बात हुई लेकिन इस वक़्त मेरी ये सोच जाने कहां गुम हो गई थी? इस वक़्त तो मैं ख़ुद ही माया की चूत को ये सोच कर मज़े से चाटे जा रहा था कि वो कोई अमृत है और उस अमृत को चाटने से मैं अमर हो जाऊंगा।

मैं इतने जुनूनी अंदाज़ से माया की चूत चाटे जा रहा था कि माया का कुछ ही देर में बुरा हाल हो गया। वो अपनी कमर को हवा में उठा उठा कर बेड पर पटकने लगी थी और साथ ही मेरे सिर को पूरी ताकत से अपनी चूत पर घुसेड़े दे रही थी। मेरा पूरा चेहरा माया के कामरस से लिसलिसा हो गया था जिसकी मुझे कोई ख़बर ही नहीं थी। एकाएक ही मैंने महसूस किया कि माया का जिस्म एकदम से अकड़ गया है और इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता माया के जिस्म को झटके लगने शुरू हो ग‌ए। झटकों के साथ ही माया की चूत से ढेर सारा कामरस निकल कर मेरे मुँह में भरने लगा। अपने मुँह में आए इस गाढ़े और गरम कामरस से मैं एकदम से बौखला गया और जल्दी से अपना सिर माया की चूत से हटाना चाहा लेकिन तभी माया ने अपनी दोनों टांगों के बीच फंसे मेरे सिर को और भी बुरी तरह से जकड़ लिया। मैंने बहुत कोशिश की लेकिन मैं माया की पकड़ से अपना सिर आज़ाद न कर सका। इस वक़्त माया में जाने कहां से इतनी ताकत आ गई थी कि उसने मुझे बुरी तरह अपनी टांगों के बीच जकड़ लिया था। मरता क्या न करता वाली हालत में मैं वापस ढीला हो कर उसकी बहती चूत पर ढेर हो गया। कुछ देर बाद जब माया के जिस्म पर लगने वाले झटके बंद हुए तो माया की जकड़ अपने आप ही ढीली पड़ती चली गई। माया की जकड़ ढीली हुई तो मैंने फ़ौरन ही अपना सिर उसकी चूत से उठा कर उसकी तरफ देखा।

मैं तो बुरी तरह हांफ ही रहा था लेकिन माया मुझसे कहीं ज़्यादा बुरी तरह हांफ रही थी। आँखें बंद किए वो इस तरह पड़ी थी जैसे उसमें अब कोई शक्ति ही न बची हो। लम्बी लम्बी सांस लेने की वजह से उसकी छातियां ऊपर नीचे हो रहीं थी। मैं भौचक्का सा माया की तरफ देखे जा रहा था। तभी मुझे अपने चेहरे और होठों पर चिपचिपा सा महसूस हुआ तो मेरा हाथ मेरे चेहरे पर गया। मैंने अपने चेहरे और मुँह के आस पास हाथ फिराया तो मुझे एहसास हुआ कि मेरा चेहरा तो माया के कामरस से पूरी तरह सन गया है।

काफी देर बाद जब माया की हालत ठीक हुई तो उसने अपनी आँखें खोल कर मेरी तरफ देखा। उसकी आँखों में मेरे लिए मुझे ढेर सारा प्यार झलकता हुआ नज़र आया। मैंने जब उसकी तरफ देखा तो उसके होठों पर गहरी मुस्कान उभर आई। कुछ पलों तक मेरी तरफ देखते रहने के बाद वो उठी और झपट कर मुझे अपने गले से लगा लिया।

"ओह! तुम तो कमाल हो डियर।" फिर उसने मीठे स्वर में कहा_____"मैं सोच भी नहीं सकती थी कि तुम पहली बार में ही मुझे इस तरह से ढेर कर दोगे। मैं हैरान हूं कि ये सब तुमने पहली बार में कैसे कर लिया?"
"मुझे नहीं पता।" मैंने धीमे स्वर में कहा_____"पता नहीं क्या हो गया था मुझे? मैं खुद अपने आप पर हैरान हूं कि ये सब मैंने कैसे किया?"

"तुमने मुझे असीम सुख दिया है डियर।" माया ने मुझे खुद से अलग करने के बाद मेरे चेहरे को अपनी हथेलियों में लेते हुए कहा____"मैंने ट्रेनिंग के दौरान न जाने कितने ही मर्दों के साथ सेक्स किया है लेकिन बिना सेक्स किए इस तरह से पहली बार मुझे इतना आनंद मिला है। मेरा रोम रोम अभी भी उस मज़े को महसूस कर के आनंदित हो रहा है। तुम सच में छुपे रुस्तम हो डियर। मुझे तो लगता है कि तुम्हें कुछ सुखाने की ज़रूरत ही नहीं है बल्कि तुम्हें तो सब कुछ आता है। ख़ैर अच्छा है कि तुम्हें ये सब करना आता है। चलो अब मैं भी तुम्हें वैसा ही सुख और वैसा ही आनंद देती हूं जैसा तुमने मुझे दिया है।"

"पहले मुझे अपना चेहरा तो अच्छे से साफ़ कर लेने दो।" मैंने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा_____"तुम्हारे कामरस से मेरा पूरा चेहरा ही भींग गया है। तुमने मुझे अपनी टांगों के बीच में इस तरह जकड़ लिया था कि मैं चाह कर भी अपना चेहरा तुम्हारी टांगों से छुड़ा नहीं पाया।"

"ओह! माफ़ करना डियर।" माया ने मुस्कुराते हुए कहा_____"उस वक़्त मैं मज़े के सातवें आसमान में थी जिसकी वजह से मुझे किसी चीज़ का होश ही नहीं रह गया था। ख़ैर तुम चिंता मत करो, मेरी वजह से अगर तुम्हारा चेहरा ख़राब हुआ है तो मैं ही इसे साफ़ भी करुंगी।"

कहने के साथ ही माया ने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरी आँखों में देखते हुए वो मेरे चेहरे पर झुकती चली गई। मेरी धड़कनें ये सोच कर फिर से बढ़ चलीं कि अब माया मेरे साथ क्या क्या करेगी? उसके झुकने से मेरी आँखें अपने आप ही बंद हो गईं और तभी मेरे होठों पर उसके बेहद ही मुलायम होठों का गरम स्पर्श महसूस हुआ जिससे मेरे पुरे जिस्म में झुरझुरी सी दौड़ गई। माया ने पहले दो तीन बार मेरे होठों को चूमा और फिर अपनी जीभ निकाल कर मेरे चेहरे के हर हिस्से पर फिराने लगी। मैं समझ गया कि वो मेरे चेहरे पर लगे अपने कामरस को चाट चाट कर मेरा चेहरा साफ़ कर रही है। मैं ये सोच कर बेहद ही रोमांचित हो उठा कि एक लड़की अपना ही कामरस चाट रही है।

मेरे जिस्म में मज़े की लहरें दौड़ने लगीं थी जिसकी वजह से फ़ौरन ही मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया। माया मेरे बाएं तरफ बेड पर अधलेटी सी थी इस लिए शायद उसे मेरा खड़ा हुआ लंड नहीं दिख रहा था। माया पूरी तन्मयता से मेरे चेहरे पर लगे अपने कामरस को चाट रही थी और मैं उसके इस तरह चाटने से बेहद ही आनंद का अनुभव कर रहा था। उसकी चूचियां मेरे सीने पर कभी छू जातीं तो कभी धंस जातीं जिससे मेरा मज़ा दुगुना हो जाता था। कुछ देर बाद जब माया ने मेरे चेहरे से अपना सारा कामरस चाट लिया तो वो मेरे होठों को चूमते हुए मेरे गले की तरफ बढ़ी और गले से फिर सीने पर आ गई। माया मेरे सीने के हर हिस्से पर अपनी जुबान फेर रही थी और जब उसकी जुबान मेरे निप्पल पर चलती तो मेरे जिस्म का रोयां रोयां मज़े की तरंग में नाच उठता। मेरा लंड तो मज़े की इस तरंग में झटके पर झटके खा रहा था। मुझसे रहा न गया तो मैंने अपने दोनों हाथों से माया के सर को थाम लिया।

मेरे पूरे जिस्म को चूमते चाटते माया मेरे झटका खाते हुए लंड पर पहुंच ग‌ई। उसने अपने कोमल हाथों से जब मेरे लंड को पकड़ा तो मेरे जिस्म में एक बार फिर से झुरझुरी हुई। मैंने बड़ी मुश्किल से आँखें खोल कर माया की तरफ देखा। वो मेरे लंड को सहलाते हुए मुझे ही देख रही थी। मेरी नज़र जब उससे मिली तो उसके होठों पर मुस्कान उभर आई। उसने अपने जिस्म से पता नहीं कब अपनी ब्रा और पैंटी को उतार कर फेंक दिया था जिसकी वजह से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां मुझे साफ़ दिख रहीं थी। उसकी दोनों चूचियां मेरे मसलने से लाल सुर्ख पड़ गईं थी और एक चूची पर तो मेरे काटने का निशान भी दिख रहा था। मैं अपने काटे हुए निशान को देख कर मुस्कुरा उठा। मुझे मुस्कुराते देख उसने इशारे से ही पूछा कि क्या हुआ तो मैंने न में सिर हिला कर इशारे से ही बताया कि कुछ नहीं।

मेरे देखते ही देखते माया मेरे लंड पर झुकी और अपना मुँह खोल कर उसने मेरे लंड के मोटे से टोपे को अपने मुँह में भर लिया। उसके गरम गरम मुँह पर जैसे ही मेरा लंड घुसा तो मज़े से मेरी आँखें फिर से बंद हो गईं। उधर उसने मेरे टोपे को मुँह में भरने के बाद अंदर ही अपनी जीभ से उसके छेंद को कुरेदना शुरू कर दिया जिसकी वजह से मेरे मुँह से सिसकियां निकलने लगीं। मज़े की तरंग ने मुझे एक झटके से सातवें आसमान में पंहुचा दिया। कुछ देर अपनी जीभ से मेरे लंड के छेंद को कुरेदने के बाद माया ने मेरे लंड को मुँह से निकाल दिया। उसके ऐसा करने से मैंने एकदम से अपनी आँखें खोल कर उसकी तरफ देखा। असल में मैं चाहता था कि अभी जिस मज़े में मैं पहुंच गया था उसी मज़े में मैं डूबा रहूं। मेरी तरफ देख कर माया शायद मेरे मनोभावों को समझ गई थी इस लिए उसने फिर से मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया।

मेरा लंड इतना मोटा और बड़ा था कि उसके मुँह में उसका टोपा ही समा पा रहा था। माया ने कोशिश करते हुए टोपे के साथ साथ मेरे लंड के कुछ और हिस्से को अपने मुँह के अंदर लिया और फिर अपना सिर नीचे ऊपर करते हुए मेरे लंड को कुल्फी की तरफ चूसने लगी। उसके गरम गरम मुख में मेरा लंड था और इसके बारे में सोच कर ही मैं मज़े के सागर में मानो गोते लगाने लगा था। मैंने फ़ौरन ही अपने हाथों को बढ़ा कर माया के सिर को पकड़ा और उसे अपने लंड पर दबाने लगा।

मज़े की तरंग में प्रतिपल मैं अपने होश खोता जा रहा था और पूरा ज़ोर लगा कर माया के मुँह में अपने लंड को और भी अंदर घुसेड़ता जा रहा था। आँखें बंद किए मैं अपनी कमर को उठा उठा कर माया के मुँह में अपना लंड पेल रहा था। मेरे मुँह से मज़े में डूबी सिसकारियां पूरे कमरे में गूंजने लगीं थी और उसी के साथ मेरी भारी होती साँसें भी। मुझे अब इस बात का कोई इल्म नहीं था कि मेरे इस तरह ज़ोर देने पर माया की क्या हालत हुई जा रही होगी बल्कि मुझे तो इस वक़्त सिर्फ अपने मज़े की ही पड़ी थी। मेरे जिस्म का लहू बड़ी तेज़ी से मेरे लंड की तरफ दौड़ता हुआ जा रहा था। उधर माया के मुँह से अजीब अजीब सी आवाज़ें निकल रही थी और मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे वो मेरे लंड को अपने मुँह से निकालने की ज़द्दो जहद कर रही हो। अचानक ही उसने अपने दांत मेरे लंड पर गड़ाए तो मेरे मुख से घुटी घुटी सी चीख निकल गई और मैंने झट से उसके सिर को छोड़ दिया।

माया ने एक झटके से मेरे लंड को अपने मुँह से निकाल दिया। मैंने झटके से आँखें खोल कर उसकी तरफ देखा तो चौंक गया। उसका चेहरा बुरी तरह लाल सुर्ख पड़ा हुआ था और वो बुरी तरह हांफ रही थी। उसकी आँखों से आंसू के कतरे बहे हुए दिख रहे थे। उसकी हालत देख कर मैं ये सोच कर एकदम से घबरा गया कि इसे क्या हो गया है?

"तुम तो मेरी जान ही लेने पर उतारू हो गए डियर।" उसने अपनी उखड़ी हुई साँसों को सम्हालते हुए और ज़बरदस्ती मुस्कुराते हुए कहा_____"मज़े की तरंग में इतना भी अपना होश नहीं खो देना चाहिए कि अपने सेक्स पार्टनर का कोई ख़याल ही न रह जाए।"

"म..मुझे माफ़ कर दो।" मैंने जल्दी से उठ कर उससे शर्मिंदा हो कर कहा_____"मुझे सच में इस बात का ख़याल ही नहीं रह गया था कि अपने मज़े में मैं तुम्हें तक़लीफ दिए जा रहा हूं। प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो। अब से ऐसा नहीं होगा।"

"कोई बात नहीं डियर।" माया ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा____"मैं समझ सकती हूं कि पहली बार में ये सब तुमसे अंजाने में हो गया है। ख़ैर चलो फिर से शुरू करते हैं।"

माया की बात सुन कर मैंने राहत की सांस ली और सिर को हिलाते हुए चुप चाप बेड पर लेट गया। मेरे लेटते ही माया ने अपना हाथ बढ़ाया और मेरी तरफ देखते हुए उसने मेरे लंड को फिर से थाम लिया। मेरा लंड थोड़ा ढीला सा पड़ गया था जोकि उसके हाथ में आते ही फिर से ठुमकने लगा था।

☆☆☆
Like Reply


Messages In This Thread
C. M. S. [Choot Maar Service] - by Shubham Kumar1 - 30-07-2021, 11:28 PM
RE: C. M. S. [Choot Maar Service] - by Eswar P - 01-08-2021, 08:21 PM
RE: C. M. S. [Choot Maar Service] - by Shubham Kumar1 - 02-08-2021, 11:18 PM



Users browsing this thread: 1 Guest(s)