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मेरी सलोनी बीवी....1
#2
सलोनी- हाँ…हाँ, मुझे पता चल रहा है कि तुम्हारा क्या मन कर रहा है वो तो तुम्हारा यह मोटा मूसल लौड़ा ही बता रहा है जो पजामी के साथ ही मेरे चूतड़ों के बीच में मेरी गाण्ड घुसा जा रहा है।
मैं उनकी बातें सुन कर धक्क से रह गया था कि सलोनी कभी मेरे सामने इतना खुलकर ऐसे नहीं बोलती थी, कभी कभी मेरे बहुत ज़ोर देने पर बोल देती थी मगर आज तो पराये मर्द के सामने रंडी की तरह बोल रही थी।

तभी उसने पीछे हाथ कर पारस का लण्ड अपने हाथ में पकड़ लिया। पारस ने न जाने कब उसे अपने पजामे से बाहर निकाल लिया था वो अब सलोनी के हाथ में था। तभी सलोनी घूमी तो मैंने देखा कि उसकी पजामी चूत से नीचे खिसकी हुई है अब उसकी नंगे सुतवाँ पेट के साथ उसकी छोटी सी चूत भी दिख रही है, पारस के लण्ड को सलोनी ने अपने हाथ से सहला कर उसके पजामे में कर दिया और बोली- इसको अभी आराम करने दो, इस सबके लिए अभी बहुत समय मिलेगा।

मैं उनकी ये सब हरकतें देख चुपचाप बाहर आ गया और सोचने लगा कि क्या करूँ।

मैं कुछ देर के लिए बाहर आकर अपना सर पकड़कर बैठ गया। एक पल तो मुझे लगा कि मेरी दुनिया पूरी लुट गई है, मैं लगभग चेतनाहीन हो गया था पर जब अंदर से कुछ आवाजें आईं तब मैं उठा और पौधों को पानी देने लगा।

पानी देते हुए अचानक अपने भाई पारस की बात दिमाग में गूंजने लगी और न जाने कैसे मैं सोचने लगा कि पौधे की जगह मेरी बीवी नंगी अपनी टाँगें फैलाये लेटी है और पारस अपने लण्ड को हिला हिला कर अपना पानी उसकी चूत में डाल रहा है।

और ये सब सोचते ही मेरा अपना लण्ड सर उठाने लगा जाने कैसी बात है यह कि अभी दिमाग काम नहीं कर रहा था और अब लण्ड भी पूरे जोश में था।

अब मेरे सामने दो ही रास्ते थे कि या तो लड़ झगड़ कर सब कुछ ख़त्म कर लिया जाये या फिर खुद भी मज़े करो और उसको भी करने दो।

मैंने दूसरा रास्ता चुना क्योंकि मैं भी पाक साफ नहीं था और सेक्स को मजे की तरह ही देखता था।
सबसे बड़ी बात तो यही थी कि सलोनी एक पत्नी के रूप में तो मेरा पूरा ख्याल रखती ही थी बाकी शायद उसकी अपनी इच्छाएँ थी।

मेरे मन में बस यही ख्याल आ रहा था कि ज़िंदगी बहुत छोटी है, इसमें जो मिले उसे भोग लेना चाहिए।

कम से कम सलोनी मेरा ख्याल तो रख ही रही थी, मेरी बेइज्जती तो नहीं कर रही थी। अब मेरे पीछे वो कुछ अपनी इच्छाओं को पूरा कर रही थी तो मुझे इसमें कुछ गलत नहीं लगा।
ये सब सोच मेरा मन बहुत हल्का हो गया और अपना काम ख़त्म कर मैं अंदर आ गया।

अंदर सब कुछ सामान्य था, सलोनी रसोई में वैसे ही काम कर रही थी और पारस बाथरूम में था।
करीब दस मिनट के बाद पारस नहाकर बाहर निकला, उसके कसरती बदन पर केवल कमर में एक पतला तौलिया बंधा था जिसमें उसके लण्ड के आकार का आभास हो रहा था।
मैं अपने कपड़े ले बाथरूम में चला गया, सलोनी वैसे ही रसोई में काम करती रही।

पारस- भैया, क्या हुआ? आज कुछ जल्दी है?
मैं- हाँ आज जरा जल्दी ऑफिस जाना है। सलोनी जल्दी नाश्ता तैयार कर दो, मैं बस फ़टाफ़ट नहाकर आता हूँ।
मैंने बाथरूम से सलोनी को बोल दिया।

सलोनी- ठीक है, आप नहा कर आइये, नाश्ता तैयार ही है। पारस तुम भी जल्दी से आ जाओ सब साथ ही कर लेंगे।
पारस- ठीक है, भाभी मैं तो तैयार ही हूँ, ऐसे ही कर लूँगा।

मैंने बाथरूम में शॉवर चलाया और उन दोनों को देखने का सोचा।

बाथरूम की एक तरफ़ की दीवार में ऊपर की ओर छोटा रोशनदान है जो हवा के लिए खुला रहता है, वहाँ से रसोई का कुछ भाग दिखता है और मैं उनकी बातें भी सुन सकता था।
मैंने पानी का ड्रम खिसकाकर रोशनदान के नीचे किया और उस पर चढ़कर रसोई में देखने का प्रयास किया।

वहाँ से कुछ भाग ही दिख रहा था, पर उनकी बातों की आवाज जरूर सुनाई दे रही थी।
पारस- भाभी, क्या बनाया नाश्ते में आज?
सलोनी- सब कुछ तुम्हारी पसन्द का ही है, ब्रेड सैंडविच और चाय या कॉफी जो तुम कहो।
पारस- आपको तो पता है, मैं ये सब नहीं पीता, मुझे तो दूध ही पसन्द है।
सलोनी- हाँ हाँ… मुझे पता है और वो भी तुम सीधे ही पीते हो।
और दोनों के जोर से हंसने की आवाज आई।

सलोनी- अरे क्या करते हो, अभी मैंने मना किया था न ! उफ़्फ़… क्या कर रहे हो !
मैंने बहुत कोशिश की दोनों को देखने की मगर कभी कभी जरा सा भाग ही दिख रहा था।
मगर यह निश्चित था कि पारस मेरी बीवी के दूध पी रहा था।

अब वो टॉप के ऊपर से पी रहा था या टॉप उठाकर यह मेरे लिए भी सस्पेन्स था।
मैं तो केवल उनकी आवाजें सुनकर ही उत्तेजित हो रहा था।

सलोनी- ओह पारस, क्या कर रहे हो? प्लीज अभी मत करो ! देखो, वो आते होंगे… ओह… नहीं… आह… क्या करते हो। ओह पारस… तुमने अंडरवियर भी नहीं पहना।
पारस- पुच… पुच… सुपरररर… सपरर… अहाआआ… भाभी, कितने मस्त हैं आपके मम्मे… ओह्ह्ह भाभी, ऐसे ही सहलाओ… आहा… कितना मस्त सहलाती हो आप लण्ड को… आहाअ… ओह्हओ… पुच… पुच…
मैं रोशनदान से टंगा उनकी आवाजें सुन
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RE: मेरी सलोनी बीवी....2 - by Wilson - 02-08-2021, 08:49 PM



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