01-08-2021, 06:27 PM
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अध्याय - 05
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अब तक,,,,,
शाम तक शिवकांत वागले किसी न किसी काम में व्यस्त ही रहा, उसके बाद वो अपने सरकारी आवास पर चला गया। घर में कुछ देर वो टीवी देखता रहा और फिर रात का भोजन करने के बाद अपने कमरे में चला गया। उसका इरादा था कि रात में वो विक्रम सिंह की डायरी में उसकी आगे की दास्तान पड़ेगा किन्तु सावित्री अभी बर्तन धो रही थी। वो सावित्री के सो जाने के बाद ही आगे की कहानी पढ़ना चाहता था। ख़ैर, उसने सावित्री के सो जाने का इंतज़ार किया। जब सावित्री अपने सारे काम निपटाने के बाद कमरे में आ कर बेड पर सो गई तो वागले बेड से उतरा और ब्रीफ़केस से विक्रम सिंह की डायरी निकाल कर वापस बेड पर आ गया। अपनी पत्नी सावित्री की तरफ एक बार उसने ध्यान से देखा और फिर डायरी खोल कर आगे का किस्सा पढ़ना शुरू कर दिया।
अब आगे,,,,,
किसी ने मेरे चेहरे पर पानी का छिड़काव किया तो कुछ ही पलों में मैं होश में आ गया। मेरी आँखें जब अच्छी तरह से देखने लायक हुईं तो मैंने देखा कि ये कोई दूसरी जगह थी। मैं कुर्सी पर बैठा हुआ था और मेरे सामने वही सफेदपोश खड़ा हुआ था जिसने कार में मेरी आँखों पर काले रंग की पट्टी बाँधी थी। बड़े से हाल में मेरे और उसके अलावा तीसरा कोई नहीं था।
"इस जगह पर तुम्हें पांच दिन रहना है।" उस सफेदपोश आदमी ने कहा____"यहां पर तुम्हारी पहली और सबसे ख़ास ट्रेनिंग होगी। मेरा दावा है कि इन पांच दिनों में तुम पूरी तरह से ट्रेंड हो जाओगे।"
"पर यहाँ पर मेरी किस चीज़ की ट्रेनिंग होगी?" मैंने उत्सुकतावश उससे पूछा_____"और कौन ट्रेंड करेगा मुझे?"
"बहुत जल्द पता चल जाएगा।" उस सफेदपोश आदमी ने कहने के साथ ही अपने दोनों हाथों से तीन बार ताली बजाई जिसके परिणामस्वरूप कुछ ही पलों में एक तरफ से तीन ऐसी लड़कियां हाल में आती नज़र आईं जिनका पहनावा देख कर मेरी आँखें फटी की फटी ही रह गईं थी।
वो तीनों लड़कियां आ कर कतार से खड़ी हो गईं। मेरी नज़र उन तीनों से हट ही नहीं रही थी। तीनों के दूध जैसे गोरे और सफ्फाक़ बदन पर सिर्फ ब्रा और पेंटी ही थी। ब्रा पेंटी भी ऐसी कि जिसमें उनके अंग साफ़ साफ़ नज़र आ रहे थे। ब्रा ऐसी थी कि उसमें से उन तीनों लड़कियों की चूचियों का सिर्फ निप्पल वाला भाग ही छुपा हुआ था। यही हाल उनकी पेंटी का भी था। एक पतली सी डोरी जो उनकी कमर पर दिख रही थी और चूत के ऊपर सिर्फ चार अंगुल की चौड़ी पट्टी थी। बाकी पूरा जिस्म दूध की तरह गोरा चमक रहा था। तीनों कतार में आ कर ऐसी मुद्रा में खड़ी हो गईं थी जैसे फोटो खिंचवाने का कोई पोज़ दे रही हों। मैं उन तीनों को मंत्र मुग्ध सा देखता ही रहता अगर मेरे कानो में उस सफेदपोश की आवाज़ न पड़ती।
"आज से इस लड़के को ट्रेंड करना शुरू कर दो।" उस सफेदपोश आदमी ने उन तीनों लड़कियों की तरफ देखते हुए कहा_____"लेकिन इस बात का ख़याल रहे कि इसकी ट्रेनिंग पांच दिन के अंदर पूरी हो जाए।"
"फ़िक्र मत कीजिए सर।" तीन लड़कियों में से बीच वाली लड़की ने मुस्कुराते हुए कहा____"पांच दिनों में हम इसे ऐसा ट्रेंड करेंगे कि इसके अंदर किसी भी तरह की कमी या कमज़ोरी नहीं रह जाएगी।"
"बहुत बढ़िया।" सफेदपोश ने कहा_____"मुझे पता है कि तुम तीनों अपना काम बेहतर तरीके से करोगी। ख़ैर अब मैं एक जनवरी को ही आऊंगा। बेस्ट ऑफ़ लक।"
उस सफेदपोश की बात पर तीनों लड़कियों ने मुस्कुराते हुए अपना अपना सिर हिलाया जबकि वो सफेदपोश आदमी हाल के एक तरफ बढ़ता चला गया। उस शख़्स के जाने के बाद उन तीनों लड़कियों ने मेरी तरफ गौर से देखा। इधर अब तक तो मेरी हालत ही ख़राब हो गई थी। पहली बार मैं एक नहीं दो नहीं बल्कि एक साथ तीन तीन लड़कियों को उस हालत में देख रहा था। मेरी धड़कनें ट्रेन की स्पीड से चल रहीं थी और जब उन तीनों ने एक साथ मेरी तरफ देखा तो मुझे ऐसा लगा जैसे ट्रेन की स्पीड से भागती हुई मेरी धड़कनों को एकदम से ब्रेक लग गया हो। दोनों कानों में जैसे कोई भारी हथौड़ा सा बजता सुनाई देने लगा था।
"लगता है तुमने कभी लड़कियों को ऐसी हालत में नहीं देखा।" उन में से एक ने बड़ी अदा से कहा_____"वरना तुम्हारे चेहरे का रंग इस तरह उड़ा हुआ नज़र न आता। ख़ैर फ़िक्र मत करो। हम तीनों सब ठीक कर देंगी।"
उस लड़की ने जब ऐसा कहा तो मैं उन तीनों से नज़र चुराने लगा। असल में अब मुझे बेहद शर्म आने लगी थी जिससे मैं उनसे नज़रें नहीं मिला पा रहा था। इसके पहले जाने कैसे मेरी नज़रें उन तीनों के बेपर्दा जिस्म पर गड़ सी गईं थी।
मुझे नज़रें चुराते देख वो तीनों मेरी तरफ बढ़ीं तो मेरी धड़कनें फिर से तेज़ हो गईं। उधर वो तीनों मेरे क़रीब आईं और एक ने मेरी कलाई पकड़ कर मुझे कुर्सी से उठाया तो मैं अनायास ही उनके थोड़ा सा ज़ोर देने पर कुर्सी से उठ गया। वो तीनों मेरे बेहद क़रीब थीं इस लिए उन तीनों के बदन की खुशबू मेरी नाक में समाने लगी थी। यकीनन कोई बढ़िया वाला इत्र लगा रखा था उन तीनों ने। ख़ैर मैं उठा तो तीनों ने मुझे अलग अलग जगह से पकड़ा और एक तरफ को खींचती धकेलती ले जाने लगीं। मैं बहुत कोशिश कर रहा था कि मैं सामान्य हो जाऊं लेकिन मैं नाकाम ही हो रहा था।
कुछ ही देर में वो तीनों मुझे एक ऐसे कमरे में ले आईं जो बहुत ही सुन्दर था। कमरे के एक तरफ बड़ा सा बेड था और एक तरफ दो सोफे रखे हुए थे। कमरे के एक तरफ एक छोटा सा दरवाज़ा भी था जो कि शायद बाथरूम था। ख़ैर उन तीनों ने मुझे बेड पर बैठा दिया। मैं अंदर से बुरी तरह घबराया हुआ था जिसकी वजह से मेरे चेहरे पर पसीना उभर आया था। मैं उन तीनों के सामने बहुत ही ज़्यादा असहज महसूस कर रहा था।
"माया, इसे ट्रेंड करना इतना आसान नहीं होगा।" एक लड़की की आवाज़ मेरे कानों में पड़ी तो मैंने चेहरा उठा कर उसकी तरफ देखा जबकि उसने माया नाम की लड़की को देखते हुए कहा_____"क्योंकि ये तो बेहद शर्मीला है। देखो तो ये हम तीनों की तरफ देखने से कैसे डर रहा है।"
"सही कहा तबस्सुम ने।" माया ने कहा____"ये हम तीनों के साथ बेहतर महसूस नहीं कर रहा है। ख़ैर कोई बात नहीं, हमारा तो काम ही है लड़कों को इस तरह ट्रेंड करना जिससे कि वो एक भरपूर मर्द बन जाएं और किसी भी लड़की या औरत को पूरी तरह संतुष्ट कर सकें।"
मैं उन तीनों की बातें सुन रहा था और अंदर ही अंदर ये सोच कर घबरा भी रहा था कि जाने ये तीनों मेरे साथ क्या करने वाली हैं? तभी मेरे ज़हन में ख़याल उभरा कि मैं इतना घबरा क्यों रहा हूं? अगर मैं इसी तरह घबराऊंगा तो इनके अनुसार भरपूर मर्द कैसे बन पाऊंगा और जब भरपूर मर्द ही नहीं बन पाऊंगा तो कैसे मैं किसी लड़की या औरत के साथ सेक्स कर सकूंगा जो कि मेरी सबसे बड़ी चाहत है? इस ख़याल के साथ ही मैंने अपने अंदर के तूफ़ान को काबू करने के लिए अपनी आँखें बंद की और गहरी गहरी साँसें लेने लगा।
अभी मैं अपनी आँखें बंद किए गहरी गहरी साँसें ही ले रहा था कि तभी मैं चौंका और झट से आँखें खोल कर देखा। उन में से एक मेरी कोट और स्वेटर उतारने लगी थी और एक दूसरी मेरा पैंट उतारने लगी थी। ये देख कर मैं फिर से घबरा उठा और अपने आपको उनसे छुड़ाने की कोशिश की लेकिन वो न मानी। यहाँ तक कि कुछ ही देर में उन तीनों ने मेरे सारे कपड़े निकाल दिए। अब मैं उन तीनों के सामने बेड पर मादरजात नंगा बैठा हुआ था।
"वैसे मुझे समझ नहीं आ रहा कि तुम जैसे शर्मीले लड़के को यहाँ ले कर क्यों आए हैं सर?" उनमें से उस लड़की ने कहा जिसका नाम तबस्सुम था_____"हालाँकि समझ में तो मुझे ये भी नहीं आ रहा कि ख़ुदा ने तुम्हें लड़का कैसे बना दिया है? तुम्हें तो लड़की बना कर इस दुनियां में भेजना था।"
"य..ये क..क्या कह रही हो तुम?" मैंने हकलाते हुए कहा तो उसने मुस्कुराते हुए कहा____"सच ही तो कह रही हूं मैं। तुम तो इतना ज़्यादा शर्मा रहे हो कि शर्मो हया के मामले में लड़कियां भी तुमसे पीछे हो जाएं। इसी लिए कह रही हूं कि ख़ुदा को तुम्हें लड़की बना कर इस दुनियां में भेजना था।"
"माना कि ये बेहद शर्मीला है तबस्सुम।" तीसरी वाली लड़की ने कहा_____"लेकिन इसका हथियार देख कर तो यही लगता है कि ये एक भरपूर मर्द है।"
उस लड़की ने कहने के साथ ही मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में ले लिया जिससे मेरे मुख से सिसकी निकल गई। पहली बार किसी लड़की के कोमल हाथ मेरे लंड पर पड़े थे। मेरा पूरा बदन झनझना गया था और मेरे जिस्म में कम्पन होने लगा था। उधर उस लड़की की बात सुन कर बाकी दोनों ने भी मेरे लंड की तरफ देखा।
"अरे! वाह।" माया ने कहा_____"तूने सच कहा कोमल। इसका हथियार तो सच में काफी तगड़ा लगता है। जब हल्के नींद में होने पर इसका ये साइज़ है तो जब ये पूरी तरह जाग जाएगा तो कितना बड़ा हो जाएगा। बड़ी हैरत की बात है कि इतना बड़ा हथियार लिए ये लड़का अब तक किसी लड़की के संपर्क में कैसे नहीं पहुंचा?"
"ज़ाहिर है अपने शर्मीले स्वभाव की वजह से।" कोमल ने हंसते हुए कहा_____"ख़ैर अब हमें सबसे पहले इसकी शर्म को ही दूर करना पड़ेगा।"
"सही कहा तुमने।" तबस्सुम ने कहा____"चलो ले चलो इसे बाथरूम में।"
वो तीनों हंसी मज़ाक कर रहीं थी और मैं उन तीनों के बीच सहमा सा बैठा हुआ था। हालांकि मैं बहुत कोशिश कर रहा था कि मैं एकदम से सामान्य ही रहूं लेकिन मैं सामान्य नहीं हो पा रहा था। ख़ैर तीनों मुझे ले कर उसी कमरे में बने बाथरूम में गईं जहां पर बड़ा सा एक बाथटब था। मैंने देखा बाथटब में पहले से ही पानी भरा हुआ था जिसके ऊपर ढेर सारा झाग था। माया ने मुझे पकड़ रखा था और मैं अपने लंड को दोनों हाथों से छुपाए चुपचाप खड़ा था।
माया के अलावा बाकी दोनों लड़कियों ने अपने अपने जिस्म से बचे हुए वस्त्र भी निकाल दिए। मैं हैरान था कि मेरे सामने उन्हें लेश मात्र भी शर्म नहीं आ रही थी। ब्रा पैंटी के हटते ही उन दोनों की बड़ी बड़ी दुधिया छातियां उजागर हो गईं थी। पिंक कलर के निप्पल और निप्पल के चारो तरफ सुर्ख रंग का घेरा जो हल्का डार्क था। मेरी नज़र उन दोनों की चूचियों पर मानो जम सी गई। तभी दोनों ने मेरी तरफ मुस्कुरा कर देखा तो मैं एकदम से झेंप गया और अपनी नज़रें चुराने लगा। उधर इन दोनों को इस तरह नंगा देख मेरा लंड तेज़ी से सिर उठाते हुए खड़ा हो गया था, जो कि अब मेरे छुपाने से भी छुप नहीं रहा था। तीनों ने मेरे लंड की तरफ देखा तो उनके चेहरे पर हैरानी के भाव उभर आए।
मेरी हालत तो बहुत ज़्यादा ख़राब हो चली थी। उन तीनों हसीनाओं के सामने मैं इस हालत में अपने आपको बहुत ही लाचार सा महसूस कर रहा था। ख़ैर तीनों ने मुझे बाथटब के पानी में लगभग लिटा सा दिया। उधर तबस्सुम और कोमल भी बाथटब में मेरे दोनों तरफ से आ गईं। मैं अजीब सी कस्मकस में था किन्तु जो हो रहा था उसे रोक नहीं रहा था। मैं भले ही इस वक़्त बहुत ही ज़्यादा घबराया हुआ और दुविधा जैसी हालत में था लेकिन मैं इतना तो समझ ही रहा था कि जो कुछ भी ये लोग कर रही हैं वो मेरे भले के लिए ही है। इस लिए मैं उन्हें किसी बात के लिए रोक नहीं रहा था।
बाथटब में आने के बाद कोमल और तबस्सुम ने मुझे नहलाना शुरू कर दिया। वो बहुत ही आहिस्ता से और मादक अंदाज़ में मेरे बदन पर अपने हाथ फेरती जा रहीं थी। उनके हाथों के स्पर्श से मुझे बेहद मज़ा आने लगा था जिससे मेरी आँखें बंद हो गईं थी। मेरे दिल की धड़कनें बड़ी तेज़ी से चल रहीं थी जिन्हें मैं काबू में करने का प्रयास कर रहा था। काफी देर तक उन दोनों ने मेरे पूरे बदन पर उस झाग मिश्रित पानी को डाल डाल कर अपने हाथों को फेरा उसके बाद सहसा उनके हाथ मेरे बदन के निचले हिस्से की तरफ बढ़ने लगे। मेरे जिस्म में मज़े की लहर दौड़ रही थी और जैसे जैसे उनके हाथ मेरे बदन के निचले हिस्से की तरफ बढ़ रहे थे वैसे वैसे मेरी धड़कनें भी बढ़ती जा रहीं थी। कुछ ही पलों में मुझे उस वक़्त झटका लगा जब उनका एक हाथ एकदम से मेरे लंड पर पहुंच गया। मेरे लंड के चारो तरफ घने बाल थे जिन पर वो अपने हाथ की उंगलियां भी फेरने लगीं थी। मैं साँसें रोके और आँखें बंद किए इस सनसनीखेज़ मज़े में डूबा जा रहा था।
मेरी आँखें बंद थी इस लिए मुझे ये नहीं दिख रहा था कि वो ये सब करते हुए मेरी तरफ देख रहीं थी कि नहीं। मैं तो बस अपने बदन पर हो रही सुखद तरंगों के एहसास में ही डूबा हुआ था। तभी मैं चौंका जब कोई कोमल सी चीज़ मेरे होठों पर हल्के से छू गई। मैंने झट से आँखें खोली तो देखा एक चेहरा मेरे चेहरे पर झुका हुआ था। पहले तो मैं अंदर ही अंदर बुरी तरह घबरा गया किन्तु फिर एकदम से शांत पड़ गया। उन में से कोई मेरे होठों को चूमने लगी थी। उसकी गर्म गर्म साँसें मेरे चेहरे पर ऐसा ताप छोड़ रहीं थी कि मुझे लगा मेरा चेहरा उस ताप से झुलस ही जाएगा। ये सब मेरे लिए पहली बार ही था और ऐसे मज़े का अनुभव भी पहली बार ही मैं कर रहा था। उधर कुछ पलों तक मेरे होठों को चूमने के बाद उस लड़की ने सहसा मेरे होठों को अपने मुँह में भर लिया और मेरे निचले होठ को ऐसे चूसने लगी जैसे कोई छोटा सा बच्चा अपनी माँ के स्तनों को चूसने लगता है। जल्दी ही मेरी ऐसी हालत हो गई कि मुझे सांस लेना भी मुश्किल पड़ने लगा।
अभी मैं इसी में फंसा हुआ था कि तभी नीचे तरफ किसी ने मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में जकड़ लिया। मेरा लंड अब तक पूरी तरह अपनी औकात पर आ चुका था। मेरे जिस्म को अब झटके से लगने लगे थे। मेरे जिस्म में दौड़ता हुआ लहू बड़ी तेज़ी से मेरे जिस्म के उस हिस्से की तरफ भागता जा रहा था जिसे उनमे से किसी ने अपनी मुट्ठी में जकड़ लिया था। मेरे मुख से सिसकियां निकली थी जो कि उस लड़की के मुँह में ही दफ़न हो गईं जिसने मेरे होठों को अपने मुँह में भर रखा था। जब मुझे सांस लेना मुश्किल होने लगा तो मैंने झटके से अपने सिर को पीछे कर लिया। सिर पीछे होते ही मैं ऐसे हांफने लगा था जैसे मीलों दौड़ कर आया था। आँखें खुली तो सामने माया के चेहरे पर मेरी नज़र पड़ी। उसकी आँखों में लाल डोरे तैरते दिखे मुझे और साथ ही उसका चेहरा सुर्ख पड़ा हुआ नज़र आया।
उधर नीचे तरफ मेरे लंड को मुट्ठी में जकड़े उन दोनों में से कोई ऊपर नीचे करने लगी थी। उन दोनों के हाथ नहीं दिख रहे थे इस लिए मैं ये नहीं जान पाया कि उनमें से मेरे लंड को किसने अपनी मुट्ठी में जकड़ रखा है?
"दम तो है लड़के में।" कोमल ने मुस्कुराते हुए माया की तरफ देखा____"वरना इतने में ही ये झड़ गया होता।"
"सही कहा।" माया ने कहा____"मैं भी यही परख रही थी कि ये अपने जज़्बातों को कितनी देर तक काबू किए रहता है। माना कि ये स्वभाव से शर्मीला है लेकिन इसके निचले हिस्से पर ख़ास बात है। ख़ैर इसे नहला कर जल्दी से बाहर ले आओ।"
माया के कहने पर उन दोनों ने मुझे नहलाना शुरू कर दिया। कुछ देर में दोनों ने मुझे बाथटब से बाहर निकाला और फिर शावर चला कर मेरे पूरे बदन को पानी से अच्छे से धोया। वो दोनों तो अपने काम में लगी हुईं थी लेकिन मैं उन दोनों की हिलती उछलती चूचियों को अपलक देख रहा था जिससे मेरा लंड शांत होने का नाम ही नहीं ले रहा था। मेरा मन कर रहा था कि मैं उन दोनों की बड़ी बड़ी और सुन्दर सी चूचियों को दोनों हाथों से पकड़ लूं और फिर ज़ोर ज़ोर से उन्हें मसलना शुरू कर दूं किन्तु ऐसा करने की मुझमें हिम्मत नहीं हो रही थी। ख़ैर कुछ ही देर में शावर बंद हुआ और फिर वो दोनों मेरे बदन को टॉवल से पोंछने लगीं। वो दोनों भी मेरे साथ साथ ही भींग गईं थी।
कोमल और तबस्सुम के साथ जब मैं वापस कमरे में आया तो देखा कमरे के नीचे बीचो बीच क़रीब ढाई या तीन फुट ऊँची और क़रीब छः फुट लम्बी एक टेबल रखी हुई थी जिसमें मोटे लेदर का एक कपड़ा बिछा हुआ था। उसी टेबल के उस पार माया खड़ी थी। उसके जिस्म पर अभी भी सिर्फ ब्रा और पेंटी थी। मेरे ज़हन में ख़याल उभरा कि इस संस्था वाले इतनी सुन्दर लड़कियां कहां से ले कर आए होंगे? हालांकि वो तीनों अपने ही देश की लगती थीं लेकिन मैंने अब तक जितनी भी लड़कियों को देखा था वो तीनों उन सबसे कहीं ज़्यादा खूबसूरत थीं और उनका बदन तो ऐसे था जैसे किसी मूर्तिकार ने बड़ी ही फुर्सत और लगन से उन तीन खूबसूरत मूर्तियों को रचा हो।
"इस टेबल पर पेट के बल लेट जाओ डियर।" माया ने बड़े ही प्रेम और अदा से कहा____"हम तीनों तुम्हारा मसाज करेंगी और वो भी ऐसा मसाज जिसकी तुमने कभी कल्पना भी न की होगी।"
माया की इस बात को सुन कर मैं कुछ न बोला, बल्कि जब कोमल और तबस्सुम ने मुझे टेबल की तरफ हल्के से धकेला तो मैं आगे बढ़ चला। कुछ ही पलों में मैं उस टेबल पर पेट के बल लेटा हुआ था। इस वक़्त मुझे बहुत ही ज़्यादा शर्म आ रही थी। ये तीनों लड़कियां तो ऐसी थीं जैसे इन्होंने शर्म नाम की चीज़ को किसी बड़े से बाज़ार में बेंच दिया हो।
टेबल पर लेटे हुए मेरी गर्दन बाएं तरफ मुड़ी हुई थी जिससे मेरी नज़र कोमल और तबस्सुम दोनों की ही चिकनी चूत पर जा पड़ी थी। उन दोनों की चूत पर मेरी नज़र जैसे गड़ सी गई थी जिसका असर ये हुआ कि टेबल पर दबा हुआ मेरा लंड जो अब थोड़ा शांत सा होने लगा था वो फिर से अपनी औकात पर आने लगा। तभी वो दोनों मेरी तरफ बढ़ीं जिससे उनकी चूतें भी मेरी आँखों के क़रीब आने लगीं। मेरी धड़कनें ये देख कर और भी तेज़ हो गईं। तभी मेरी पीठ पर कोई तरल सी चीज़ गिरने लगी जिससे मेरा बदन कांप सा गया।
मेरी पीठ पर कोई तरल पदार्थ गिराया गया था और उसके कुछ ही पलों बाद दो कोमल हाथों ने उस तरल पदार्थ को मेरी पीठ पर हल्के हाथों से फेरना शुरू कर दिया। मुझे बेहद मज़ा आने लगा था जिसकी वजह से मेरी आँखें बंद हो गईं और कुछ देर पहले जो चिकनी चूतें मुझे क़रीब से दिख रहीं थी वो गायब हो गईं। अभी मैं मज़े में आँखें बंद किए लेटा ही था कि तभी मेरी टांगों पर भी तरल पदार्थ गिरा और फिर वैसे ही कोमल हाथ मेरी टांगों पर फिसलने लगे।
वैसे तो कमरे में किसी की भी आवाज़ नहीं आ रही थी लेकिन मेरे कानों में हथौड़ा सा बजता प्रतीत हो रहा था। कुछ ही देर में मेरी पीठ और दोनों टाँगें उस तरल पदार्थ से चिपचिपी सी हो गईं, यहाँ तक कि मेरा पिछवाड़ा भी।
"चलो अब सीधा लेट जाओ।" कुछ देर बाद उनमें से किसी ने कहा तो मैं मज़े की दुनियां से बाहर आया। मुझे अपनी हालत का एहसास हुआ तो एक बार फिर से मेरे अंदर शर्म और घबराहट उभरने लगी जिसे मैंने बड़ी मुश्किल से दबाने की कोशिश की और सीधा हो कर लेट गया।
सीधा हो कर जैसे ही मैं लेटा तो मेरी नज़र बारी बारी से उन तीनों पर पड़ी। कोमल और तबस्सुम तो पूरी नंगी ही थीं लेकिन माया के बदन पर अभी भी ब्रा और पेंटी थी। हालांकि मेरी हालत ख़राब होने के लिए यही बहुत था। कोमल और तबस्सुम की बड़ी बड़ी सुडौल चूचियों को देखते ही मेरा लंड झटके खाने लगा था और जैसे ही मेरी नज़र उन दोनों की चूचियों से फिसल कर दोनों की टांगों के बीच नज़र आ रही चिकनी चूत पर पड़ी तो मुझे ऐसा लगा जैसे कि मेरे लंड से मेरा पानी पूरी स्पीड से निकल जाएगा। उन तीनों की नज़रें मेरे लंड पर ही टिकी हुईं थी जिससे मुझे शर्म भी आने लगी थी लेकिन मैंने इस बार अपने लंड को हाथों से छुपाने की कोई कोशिश नहीं की।
"इसका लंड तो सच में काफी तगड़ा है कोमल।" तबस्सुम ने मुस्कुराते हुए कहा_____"इसे देख कर लगता है कि अभी इसे अपनी चूत में भर लूं।"
"इतनी बेसब्र क्यों हो रही हो तुम?" माया ने सपाट लहजे में कहा_____"ये मत भूलो कि इसे हमारे पास ट्रेंड करने के लिए लाया गया है। अगर तुम ख़ुद ही अपना संयम खोने लगोगी तो इसे संयम करना कैसे सिखाओगी?"
"तू तो ऐसे कह रही है जैसे इसका लंड देख कर तेरी अपनी चूत में कोई खुजली ही न हो रही हो।" तबस्सुम ने बुरा सा मुँह बनाते हुए कहा_____"शायद इसी लिए अब तक तूने अपनी ब्रा पेंटी को अपने बदन से अलग नहीं किया है।"
"हमसे ज़्यादा सेक्स की गर्मी तो इसी के अंदर है तबस्सुम।" कोमल ने हंसते हुए कहा_____"सच को छुपाने के लिए हम पर अपना रौब झाड़ती रहती है।"
"मैंने कब रौब झाड़ा तुम पर?" माया ने आँखें दिखाते हुए कहा____"अब बातों में समय न गंवाओ और आगे का काम शुरू करो।"
माया की बात सुन कर दोनों ने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा और फिर कोमल ने अपने हाथ में ली हुई एक बड़ी सी कटोरी को तबस्सुम की तरफ बढ़ाया तो तबस्सुम ने उस कटोरी में अपने दोनों हाथ डाले और ढेर सारा तरल पदार्थ कटोरी से लेकर मेरे पेट से ले कर सीने तक गिरा दिया। उसके बाद उसने फिर से कटोरी से तरल पदार्थ लिया और इस बार उसे मेरे पेट के नीचे नाभि से होते हुए लंड पर और फिर जाँघों पर गिराया।
कटोरी रखने के बाद तबस्सुम के साथ कोमल भी आगे बढ़ कर मेरे बदन पर उस तरल पदार्थ को अपने कोमल कोमल हाथों से मलने लगी। कोमल मेरे सीने पर और तबस्सुम मेरी जाँघों से ले कर मेरे पेट तक मलने लगी थी। दोनों मेरे अगल बगल से खड़ी हो कर ये सब कर रहीं थी। मेरी नज़रें उनकी हिल रही चूचियों पर टिकी हुईं थी और मेरा लंड बैठने का नाम नहीं ले रहा था। मेरा बहुत मन कर रहा था कि मैं अपना एक हाथ बढ़ा कर कोमल की बड़ी बड़ी चूचियों को पकड़ लूं लेकिन मुझमें ऐसा करने की हिम्मत नहीं हो रही थी।
अभी मैं कोमल की चूची को पकड़ने का सोच ही रहा था कि तभी मुझे झटका लगा। तबस्सुम ने मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में ले लिया था। उसकी मुट्ठी में जैसे ही मेरा लंड आया तो मेरे मुँह से सिसकी निकल गई। मेरे दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं। उधर तबस्सुम मेरे लंड को उस तरल पदार्थ से भिगो रही थी और साथ ही मेरे लंड को दोनों हाथों से पकड़ कर कभी ऊपर तो कभी उसकी खाल को नीचे करने लगी। मैं मज़े के सातवें आसमान में पहुंच गया। मेरे पूरे बदन में बड़ी तेज़ी से सुरसुराहट होने लगी थी जो मेरे लंड की ही तरफ तेज़ी से बढ़ती हुई जा रही थी।
मैं आँखें बंद किए ज़ोर ज़ोर से सिसकियां ले रहा था और उधर तबस्सुम मेरे लंड को उस तरल पदार्थ से भिगोते हुए मुट्ठ सी मार रही थी। अभी मैं इस मज़े में ही था कि तभी फिर से मुझे झटका लगा और मैंने फ़ौरन ही अपनी आँखें खोल दी। मैंने देखा कि कोमल जो इसके पहले नीचे खड़े हो कर मेरे सीने और पेट पर मसाज कर रही थी वो अब टेबल पर चढ़ कर मेरे ऊपर आ गई थी। मैं ये देख कर बुरी तरह हैरान हो गया था। तभी वो मेरे ऊपर लेट गई जिससे उसकी बड़ी बड़ी चूचियां मेरे चिपचिपे सीने में धंस गईं और साथ ही उसका निचला हिस्सा मेरे लंड के ऊपर आ गया जिससे मेरा लंड उसकी चूत के पास दस्तक देने लगा। ये सब देख कर मुझे लगा कि मुझे दिल का दौरा ही पड़ जाएगा। बड़ी मुश्किल से मैंने खुद को सम्हाला।
माया ने तबस्सुम को कोई इशारा किया जिससे तबस्सुम ने उस कटोरी को उठाया और सारा तरल पदार्थ कोमल के ऊपर उड़ेल दिया जिससे वो बड़ी तेज़ी से बहता हुआ मेरे बदन पर भी आ गया। कोमल मेरे ऊपर लेटी हुई थी और मैं साँसें रोके अचरज से उसे देखे जा रहा था। तभी कोमल ने चेहरा घुमा कर मेरी तरफ देखा। उसके खूबसूरत होठों पर बड़ी ही मनमोहक मुस्कान उभर आई। उसने दोनों हाथों से टेबल को पकड़ा और अपने जिस्म को मेरे जिस्म के ऊपर फिसलाने लगी जिससे उसकी बड़ी बड़ी चूचियां मेरे सीने से फिसलती हुई मेरे पेट की तरफ जाने लगीं। कुछ ही पलों में उसकी दोनों चूचियां मेरे पेट और नाभि से होते हुए मेरे झटका खा रहे लंड पर पहुंच गईं। मेरा लंड उसकी दोनों चूचियों के बीच जैसे फंस सा गया। एक बार फिर से मेरे मुख से मज़े में डूबी सिसकारी निकल गई और साथ ही कराह भी। क्योंकि मेरे लंड की खाल पीछे की तरफ थोड़ा खिंच सी गई थी। उधर कोमल ने मेरी तरफ देखते हुए फिर से ज़ोर लगाया और नीचे से ऊपर आने लगी। उसकी बड़ी बड़ी चूचियां मेरे पेट से होते हुए वापस मेरे सीने पर आ गईं।
मैं आँखें बंद किए हुए मज़े में डूबा सिसकारियां भर रहा था कि तभी मेरे चेहरे पर कुछ चिपचिपा सा टकराया तो मैंने आँखें खोल कर देखा। कोमल की चूचियां उस तरल पदार्थ में सनी हुई मेरे चेहरे पर छू गईं थी। मैंने नज़र उठा कर कोमल की तरफ देखा तो उसे मुस्कुराते हुए ही पाया।
"ये तो छुपा रुस्तम निकला माया।" उधर तबस्सुम की आवाज़ मेरे कानों में पड़ी_____"ये तो अभी तक टिका हुआ है। इसकी जगह कोई दूसरा होता तो अब तक दो तीन बार अपना पानी फेंक चुका होता।"
"हां मैं भी यही सोच रही थी।" माया ने सिर हिलाते हुए कहा_____"इसके आव भाव देख कर शुरुआत में यही लगा था कि ये हम तीनों को नंगा देखते ही अपना पानी छोड़ देगा लेकिन नहीं, ये तो इतना कुछ होने के बाद भी टिका हुआ है। इसका मतलब ये हुआ कि ये बहुत ही ख़ास है।"
"इसका मतलब तो ये भी हुआ कि हमें इसके संयम की परीक्षा लेने की अब कोई ज़रूरत नहीं है।" तबस्सुम ने कहा_____"बल्कि इसे अब ये सिखाना है कि किसी औरत को कैसे संतुष्ट किया जाता है?"
"सही कहा तुमने।" माया ने कहा_____"हमें अब यही सिखाना होगा इसे। चलो जाओ इसे फिर से नहला कर लाओ।"
माया के कहते ही कोमल मेरे ऊपर से उतर गई। उसके उतरते ही मुझे बहुत बुरा लगा। कितना मज़ा आ रहा था मुझे जब कोमल की बड़ी बड़ी चूचियां मेरे जिस्म पर फिसल रहीं थी। ख़ैर अब क्या हो सकता था? माया के कहे अनुसार कोमल और तबस्सुम मुझे फिर से बाथरूम ले गईं और अच्छे से नहलाया। उसके बाद मैं उन दोनों के साथ वापस कमरे में आ गया। कमरे में आया तो देखा उस टेबल को हटा दिया गया था जिसके ऊपर लेटा कर मेरा मसाज किया जा रहा था।
कमरे में एक तरफ रखे आलीशान बेड पर माया पहले से ही बैठी हुई थी। उसके जिस्म पर अभी भी ब्रा और पेंटी ही थी। मुझे देखते ही माया बेड से उठी और मेरे पास आई। मेरी धड़कनें ये सोच कर फिर से बढ़ गईं कि अब इसके आगे क्या क्या होने वाला है। हालांकि उनकी बातों से मैं जान तो गया था कि आगे क्या होगा लेकिन वो सब किस तरीके से होगा ये जानने की उत्सुकता प्रबल हो उठी थी मेरे मन में।
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