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Misc. Erotica मेरी रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर...
#73
ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी के आगे नंगे खड़े थे.. आज पहली बार मेरी  दीदी ने उनके तने लण्ड का दर्शन किया था... मेरी दीदी बेहद घबरा  उठी थी ठाकुर साहब का औजार देखकर... एकदम काला... मोटा लंबा तना हुआ  लण्ड मेरी दीदी की आंखों के सामने था.. कल रात इसी  लण्ड से उन्होंने मेरी बहन का उद्घाटन किया था.... पर दीदी उनका औजार देख नहीं पाई थी... आज पहली बार देख रही थी.. तकरीबन 8 इंच लंबा 3 इंच मोटाई होगी उस खतरनाक लोड़े की... मेरी दीदी सहम गई थी..
 मेरी बहन ने महसूस किया कि यह ठीक नहीं हो रहा है.. वह दरवाजे की तरफ भागने लगी..  पर भाग कर जाती कहां आखिर..
 ठाकुर साहब ने मेरे रूपाली दीदी की साड़ी का पल्लू पकड़ लिया.. साड़ी का पल्लू उन्होंने मेरी बहन के सीने से अलग कर दिया..
  मेरी रूपाली दीदी:  प्लीज ठाकुर साहब... मुझे जाने दीजिए.. मत कीजिए मेरे साथ ऐसा...
 ठाकुर साहब अब बिल्कुल भी बोलने के मूड में नहीं थे.. उन्होंने मेरी बहन को अपनी बाहों में खींचा और मेरी दीदी की छाती के ऊपरी हिस्से पर अपना दांत बढ़ा दिया.. मेरी रूपाली दीदी के मुंह से एक  चीख निकल गई.. उनकी आंखों से आंसू बहने लगे.. ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी का पेटीकोट उठाने  लगे थे... वह मेरी बहन की पेंटी को नीचे  करने की कोशिश कर रहे थे... मेरी दीदी भागने का प्रयास करने  लगी.. ठाकुर साहब के हाथ में ही उनकी पैंटी थी... मेरी बहन की  पेंटी फट गई... एक झटके में ही दो टुकड़े हो गए थे.. मेरी बहन की  पेंटी अब नीचे जमीन पर पड़ी हुई थी... मेरी रूपाली दीदी भागने लगी ...ठाकुर साहब ने एक बार फिर उनको पकड़ लिया और अपनी गोद में उठा लिया... उन्होंने मेरी रूपाली दीदी की दोनों टांगों को अपनी कमर के इर्द-गिर्द लपेट लिया और मेरी बहन की पतली कमर को थाम के खड़े थे दीवार के सहारे.. निर्दई ठाकुर साहब..
 मेरी रूपाली दीदी:  क्यों आप जबरदस्ती करना चाहते हो मेरे साथ.
 ठाकुर साहब:  क्योंकि तुम मेरे साथ सेक्स नहीं कर रही हो.
 मेरी रूपाली दीदी:  मैं आपकी नहीं हूं..
 ठाकुर साहब:   बन जाओ ना मेरी..
 मेरी रूपाली दीदी:  मैं आपसे प्यार नहीं करती हूं.
 ठाकुर साहब ने मेरी बहन की चोली को फाड़ दिया.. और मेरी बहन की दुधारी  सफेद चूचियों को ब्रा के ऊपर से चूमने लगे...
 ठाकुर साहब बहुत  धीरे-धीरे बोल रहे थे... आई लव यू रूपाली.. आई लव यू मेरी जान... तुम मेरी सब कुछ हो..
 मेरी रूपाली दीदी की फटी हुई चोली उनके दोनों कंधों के ऊपर लटक के झूल रही थी... मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब की गोद से उतरने में नाकाम साबित हो रही थी.. उन्होंने मेरी बहन को मजबूती से जकड़ रखा था...
 मेरी रूपाली दीदी ने महसूस किया कि ठाकुर साहब का मोटा लौड़ा झटके मार रहा है... ठाकुर साहब का मोटा सुपाड़ा मेरी बहन के  प्रेम छिद्र पर सटा हुआ था.. मेरी बहन अभी भी सूखी  थी...
 ठाकुर साहब:  बस एक बार ... रूपाली.. घुसा लेने दो ना... मैं पागल हुआ रहता हूं दिनभर तुम्हारे लिए..
 मेरी रूपाली दीदी:  नहीं प्लीज... ठाकुर साहब नहीं...
 ठाकुर साहब अपना दाया हाथ नहीं ले गए और अपने लोड़े को पकड़कर मेरी बहन की नाज़ुक चूत का रास्ता दिखाने लगे... मंजिल मिलते ही उन्होंने अपने मुसल को मेरी दीदी के छेद पर घिसाई करना शुरू कर दिया.. मेरी बहन बेचैन होकर तड़पने लगी...
 6 फुट लंबे चौड़े राक्षस की तरह दिखने वाले ठाकुर रणवीर सिंह ने मेरी रूपाली दीदी, नाजुक मुलायम हाउसवाइफ, को अपनी गोद में उठा रखा था.. और मेरी बहन की इज्जत लूटने की कोशिश कर रहा था वह  गुंडा.. मेरी दीदी तड़प तड़प के पागल हुई जा रही थी...
 मेरी रूपाली दीदी अपनी सारी ताकत  लगाकर ठाकुर साहब का विरोध करना चाहती थी पर कुछ कर नहीं पा रही थी.. वह सोच रही थी कैसे मैं इस  गुंडे को मनमानी करने दे रही हूं अपने बदन के साथ.. मेरी दीदी निराश होने लगी थी... अपने  गुलाबी  चुनमुनिया पर ठाकुर साहब का मोटा लण्ड और ऊपर से  घिसाई... मेरी दीदी बेहाल होकर तड़प रही थी.. मेरी दीदी ने पुरजोर विरोध किया इसके बावजूद ठाकुर साहब ने अपने हथियार का सुपाड़ा मेरी बहन के छेद में घुसा ही दिया...
 मेरी रूपाली दीदी: हाय ... मर गई मां..
 ठाकुर साहब को तना हुआ लंड मेरी रूपाली दीदी की कसी हुई गुलाबी मखमली चूत दीवारों को चीरता हुआ अंदर तक धंस  गया था.. बिना देर किए अब ठाकुर साहब मेरी बहन को झटके देने लगे. वह मेरी दीदी को अपने लोड़े पर उछाल रहे थे...

 थप थप थप थप थप... की आवाज कमरे में गूंजने लगी थी.. दोनों के बदन एक दूसरे से टकरा रहे थे...
 मेरी रूपाली दीदी की गांड दीवार से रगड़ खा रही थी... आगे से ठाकुर साहब मेरी बहन की ठुकाई कर रहे थे... बहुत ही अजीब  दृश्य था..
 मेरी बहन के मुंह से निकलने वाली कामुक सिसकारियां ठाकुर साहब को और भी पागल बना रही थी.. मेरी बहन की एक चूची को मुंह में लेकर दूध पीते हुए ठाकुर साहब अपनी दोनों टांगों  पर खड़े होकर मेरी नाजुक सगी बहन का ढोल बजा रहे थे. मेरी रूपाली दीदी की चूची का मीठा दूध पीकर ठाकुर साहब अपने आपको बेहद ताकतवर महसूस कर रहे थे.. वह अपनी पूरी शक्ति से मेरी दीदी का बैंड बजा रहे थे..
 मेरी रूपाली दीदी ने भी खुद को ठाकुर साहब से लिपटा लिया था.. वह इस युद्ध में हार चुकी थी... अब वह ठाकुर साहब के हवाले उनकी मर्जी पर थी.. मेरी बहन के मुंह से आआह्ह्ह्ह...आआह्ह्ह्ह.. की मधुर ध्वनि रुक रुक के निकल रही थी..

 मेरी रूपाली दीदी की चूत परपरा रही थी , दर्द से फटी जा रही थी ,आँख में आंसू तैर रहे थे... पर ठाकुर साहब रुकने का नाम नहीं ले रहे थे..
 दोनों के  प्यासे होठ मिलकर एक हो गए थे... ठाकुर साहब ने मेरी  बहन की गांड को पकड़ लिया और जोर जोर से दबाते हुए मेरी बहन को अपनी लोड़े पर उछलने लगे... मेरी रूपाली दीदी झड़ गई... दीदी की मस्तानी रसीली मुनिया से सफेद लावा निकलकर उनके प्रेमी के औजार को और भी गीला कर दिया.. ठाकुर साहब आपने पूरी रफ्तार और ताकत से मेरी बहन का ढोल बजाने में लगे हुए थे...
 मेरी बहन के अंदर अपना लंड पेलते ठाकुर साहब के मुंह से शेर की तरह दहाड़ निकल रही थी... मैं अभी भी  सारी आवाजें सुन रहा था... मुझे अच्छी तरह पता था कि ठाकुर साहब मेरी बहन के साथ क्या कर रहे हैं अपने बेडरूम में... मैं सोने की कोशिश कर रहा था.. लेकिन कैसे सो पाता..
 वह दोनों अपनी ही दुनिया में खोए हुए थे... कोई रोकने टोकने वाला नहीं था.. तकरीबन 15 मिनट तक इसी प्रकार से ठाकुर साहब ने मेरी बहन का ढोल पीटा.. और उनको अपनी बाहों में लिए हुए ही बिस्तर पर गिर गया.. मेरी रूपाली दीदी की गुलाबी मुनिया में उन्होंने अपना मक्खन डाल दिया था... और मेरी दीदी के ऊपर लेट कर अभी भी झटका दे रहे थे..
 ठाकुर साहब बुरी तरह  पसीने से भीगे हुए थे.. अभी-अभी उन्होंने मेरी बहन को  खड़े-खड़े  ही पेलकर अपनी प्यास बुझाई थी... और मेरी दीदी की प्यास भी... वैसे तो ठाकुर साहब ने आज मेरी बहन के साथ जबरदस्ती किया था..
एक मोटी सफेद मलाई की धारा दीदी की चूत से फूट पड़ी थी और उनकी मोटी मोटी जांघो पर से  बहती हुई नीचे बिस्तर पर जाकर के गिरने लगी थी...
 कुछ देर बाद मेरी रूपाली दीदी ने अपने आप को कंबल से ढक लिया था.. ठाकुर साहब एक बार फिर कंबल के अंदर घुस गए थे और मेरी बहन को चूमने का प्रयास करने लगे..
 मेरी रूपाली दीदी:  नहीं ठाकुर साहब प्लीज.. अब अब मत कीजिए..
 ठाकुर साहब:  क्यों क्या हुआ..
 मेरी रूपाली दीदी:  मेरी दोनों बेटियां यहीं पर सोई हुई है.. मेरा भाई हॉल में है...
 ठाकुर साहब:  तो क्या हुआ.. तुमको बाथरूम के अंदर ले जाऊं क्या..
 मेरे रूपाली दीदी :  नहीं प्लीज अब मत कीजिए.. मेरे कपड़े क्यों उतार रहे हैं.
 ठाकुर साहब कंबल के अंदर मेरी दीदी के बदन के साथ छेड़खानी कर रहे थे... अचानक  बगल में लेटी हुई सोनिया जाग गई.... और रोने लगी..
 मेरी रूपाली दीदी:  क्या हुआ बेटा रो क्यों रही हो...
 सोनिया:  मम्मी  मेरे पेट में दर्द हो रहा है..
 मेरी रूपाली दीदी घबरा गई.. और कंबल से बाहर निकल गई.. मेरी दीदी  ने महसूस किया कि उनके बदन पर तो कपड़े  ही नहीं है.. मेरी दीदी नंगी थी... उन्होंने भगवान का लाख-लाख शुक्र बनाया कि कमरे की लाइट बंद थी.. दीदी ने अपनी साड़ी उठाकर अपने बदन पर लपेट ली और कमरे की लाइट जला कर सोनिया के लिए दवाई ढूंढने  लगी थी..
 मेरी रूपाली दीदी ने सोनिया को पेट दर्द की एक गोली दी.. और सोनिया को अपनी गोद में लेकर थपकी देकर सुलाने की कोशिश करने  लगी थी.
 ठाकुर साहब को तो गुस्सा आ रहा था.. वह मेरी बहन की तरफ देख रहे थे.. उनका मूड तो कुछ और ही था..
 ठाकुर साहब:  सो गई क्या?
 मेरी रूपाली दीदी:  नहीं.
 ठाकुर साहब:  तो सुला दो ना इसको.. अपना दूध पिला दो..
 मेरी रूपाली दीदी समझ रही थी कि ठाकुर साहब और क्या चाह रहे हैं.
 मेरी रूपाली दीदी:  नहीं ठाकुर साहब अब और नहीं..
 ठाकुर साहब गुस्से में कंबल से बाहर निकल गय.. उन्होंने अपने बरमूडा पहन लिया था कंबल के अंदर ही.. वह कमरे से बाहर निकल गया..
 मैंने देखा ठाकुर साहब अपने बेडरूम से बरमूडा पहन के किचन में गय... वहां पर दो तीन पैग लगाने के बाद  सिगरेट पीने के लिए ठाकुर साहब बालकनी में चले गए..उनका अभी भी मूड बना हुआ था..
 ठाकुर साहब एक बार फिर किचन के अंदर गय और शराब पीने लगे..
 कमरे के अंदर मेरी  दीदी ने अपनी एक चूची सोनिया के मुंह में  देकर उसको अपना दूध पिलाने लगी... दूध पीने के बाद सोनिया सो गई..
 तकरीबन 5 मिनट के बाद मेरी रूपाली दीदी अपने कमरे से बाहर निकली... उन्हें लग रहा था कि मैं सोया हुआ हूं .. पर मैं जगा हुआ था और सब कुछ देख रहा था..
 मेरी रूपाली दीदी ने पीले रंग की साड़ी और चोली पहन रखी थी.. उन्होंने अपने चेहरे पर हल्का मेकअप भी कर रखा था... स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा लग रही थी मेरी बहन.. मेरी दीदी बालकनी में चली गई..
 ठाकुर साहब ने देखा मेरी बहन को बालकनी में जाते .. 2-3 घूंट पीकर ठाकुर साहब बालकनी में आ गए... मेरी रूपाली दीदी के पास.. बिल्कुल पास...  पीछे से आकर उन्होंने मेरी दीदी की कमर पर अपना हाथ रख दिया... मेरी रूपाली दीदी ने भी कोई विरोध नहीं किया..
 ठाकुर साहब:  क्या देख रही हो मेरी जान.
 मेरी  दीदी:  कुछ नहीं... प्लीज मुझे छोड़ दीजिए..
  ठाकुर साहब:  क्या हुआ मेरी छम्मक छल्लो..
 मेरे रूपाली दीदी:  मेरा छोटा भाई हॉल में सोया हुआ है... जग गया तो देख लेगा...
 ठाकुर साहब:  देखने दो उसको भी..
  मेरी रूपाली दीदी:  नहीं प्लीज ऐसा मत कीजिए..
 ठाकुर साहब:  चलो फिर अंदर बेडरूम में चलते हैं..
 मेरी रूपाली दीदी  को ठाकुर साहब के मुंह से शराब की बदबू आई.. मेरी बहन को बुरा नहीं लगा.. वह थोड़ी बहुत ठाकुर साहब की मर्दानगी का कायल होने लगी थी... शराब की बदबू में उन्हें ठाकुर साहब की मर्दानगी का एहसास हो रहा था.. ठाकुर साहब मेरी बहन को चूमने का प्रयास करने लगे.. मेरी दीदी विरोध करने लगी..
 मेरी दीदी:  प्लीज ठाकुर साहब मुझे अंदर ले चलिए...
 ठाकुर साहब:  ठीक है मेरी जान..
 ठाकुर साहब ने मेरी रूपाली दीदी को अपनी गोद में उठा लिया और मेरे सामने मेरे बिस्तर के पास से गुजरते हुए उनको अपने बेडरूम में ले  गय..
 मैं सब कुछ देख रहा था... झूठ मूठ का सोने का नाटक करते हुए..
 ठाकुर साहब मेरी बहन को अपने बेडरूम के बाथरूम के अंदर ले गय.. अंदर से उन्होंने बाथरूम का दरवाजा बंद कर लिया.. सोनिया उसी बेडरूम में सोई हुई थी...

 बाथरूम के अंदर ले जाकर ठाकुर साहब ने तो सबसे पहले सावर ऑन किया... मेरी दीदी  और ठाकुर साहब दोनों भीग गय.. उन्होंने मेरी रूपाली दीदी के बदन से हर कपड़ा उतार लिया... मेरी रूपाली दीदी को नंगा कर दिया... और खुद भी नंगे  होकर  मेरी दीदी के साथ नहाने लगे..

 मेरी रूपाली दीदी  के बड़े-बड़े हाहाकारी तने हुए स्तनों को और उसके ऊपर की नुकीली चूचियां को देख कर के ठाकुर रणवीर सिंह पागल सा हो गया था इतने सुडौल पुष्ट और मांसल और तने हुए स्तन उसने अपनी जिंदगी में कभी नहीं देखे थे ऊपर से गोरा रंग तो जैसे क़यामत था उसके अंदर का जवान खून उबाल मारने लगा उसकी सांसे तेज होने लगी .... ठाकुर साहब ने मेरी रूपाली दीदी को बाथरूम के फर्श पर पटक दिया और उनकी दोनों टांगों को चौड़ा करके दीदी की चूत को चाटने लगा..
 मेरी दीदी की चूत के हर हिस्से को ठाकुर साहब मैं अपनी जीभ से  चाट चाट कर गीला कर दिया... पहली बार आज कोई मेरी रूपाली दीदी की चूत चाट रहा था.
 मेरी रूपाली दीदी के लिए यह पहला  अनुभव था अपने गुलाबी रसभरी छेद को  किसी मर्द के जीव के हवाले कर देने का... ठाकुर साहब पागलों की तरह मेरी बहन का  चाट रहे थे... मेरे जीजा जी ने भी कभी नहीं किया था ऐसा मेरी बहन के साथ... मेरी रूपाली दीदी स्वर्ग में थी...
 अचानक बाथरूम के दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी.. दोनों घबरा कर रुक गए... बाथरूम के दरवाजे के बाहर सोनिया खड़ी थी और दरवाजा पीट रही थी..
 सोनिया:  मम्मा... आप अंदर हो क्या..
 मेरी रूपाली दीदी:  हां बेटा...  सो जाओ.... मैं 5 मिनट में आ रही ...आह्ह्ह्ह..
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RE: मेरी रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर... - by babasandy - 01-08-2021, 03:45 PM



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