01-08-2021, 04:59 AM
मुझसे अब रुका नही जा रहा था इसलिये दोनो हाथो से भाभी के कँधो को पकङ मैने धीरे धीरे अपने शरीर को अागे पीछे कर धक्के लगाने शुरू कर दिये.. मेरे अब आगे पीछे होने से मेरा लण्ड तो भाभी की चुत की मखमली दिवारो को घीसते हुवे अन्दर बाहर हो ही रहा था, साथ ही मेरी छाती से दबी उनकी दोनो चुँचियाँ भी चटनी की तरह पीसने लगी..
मेरे हर एक धक्के के साथ भाभी के मुँह से अब ...
"अ्आ्आ्.ह्ह्ह्..
इई..श्श्श्श्श्...अ्आ्आ्ह...
इई...श्श्श्श्श्....अ्आ्आ्.ह्ह्ह्....." की कराह सी निकालने लगी, मगर उनकी ये कराहे दर्द की नही थी, बल्की आनन्द की थी, जो की उत्तेजना व आनन्द के वश उनके मुँह से निकल रही थी...
भाभी ने अपने दोनो हाथो का घेरा बनाकर मुझे कस के अपने से चिपका रखा था मगर मेरे अब धक्का लगाना शुरु करते ही उनके दोनो हाथ मेरी पीठ पर आ गये और धीरे धीरे व हौले हौले से मेरी पीठ को सहलाने लगे..
दोनो हाथो से मेरी पीठ को सहलाते साहलाते
भाभी मुँह से तो "अ्आ्आ्.ह्ह्ह्..
इई..श्श्श्श्श्...अ्आ्आ्ह...
इई...श्श्श्श्श्....अ्आ्आ्.ह्ह्ह्....." कर रही थी, मगर साथ ही मेरी गर्दन वा गालो को चुमे भी जा रही थी। भाभी का साथ देने के लिये मैने भी अब अपने होठो को भाभी के होठो से जोङ दिया जिन्हे भाभी अब बङे ही जोर शोर उसे चुशने चाटने लगी..
भाभी के रसिले होठो का रश के पीते पीते अब अपने आप ही धीरे धीरे मेरे धक्को की गत्ती बढने लगी.. जिससे भाभी के मुँह से निकलने वाली आवाजे भी तेज हो गयी और नीचे उनकी कमर अब अपने आप ही हरकत मे आ गयी...
भाभी का मुँह मेरे होठो से बन्द था मगर फिर भी वो मेरे होठो को चुशते चुशते जोरो से..
उ्.ऊ्.हु्ह्ह्......
उ्.ऊ्.हू्हूह्ह्ह्.......
उ्.ऊ्ऊ.हु्हु्ह्ह्ह्ह्......" की अवाजे निकाल रही थी तो वो अब नीचे से अपने कुल्हो को भी हिला हिलाकर धक्के लगाने लगी थी...
भाभी का ये जोश देखकर मैने भी अब अपने शरीर को और तेजी आगे पीछे हिलाकर धक्के लगाने शुरु कर दिये, जिससे भाभी भी अब नीचे से जल्दी जल्दी अपनी कमर को उचका उचकाकर धक्के लगाने लगी और उनके मुँह से निकलने वाली आवाजे और भी तेज हो गयी।
अब जितनी तेजी से धक्के लगा कर मै अपने लण्ड को भाभी की मखमली गुफा मर घीस रहा था, भाभी भी उतनी ही जल्दी जल्दी अपने कुल्हो को उचका उचकाकर अपनी चुत की दिवारो को मेरे लण्ड से घीस रही थी। हम दोनो ही एक तय व लयबद्ध चाल के साथ धक्कमपेल करते हुवे अपनी अपनी मँजिल की तरफ बढ रहे थे...
मगर भाभी अब कुछ ज्यादा ही जोश मे आती जा रही थी। वो दोनो हाथो से मेरी पीठ को पकङ कर मुझे अब जल्दी जल्दी आगे पीछे करने लगी तो, उनके दोनो पैर भी मेरे कुल्हो पर आ गये, और वो खुद ही अपनी एडीयो से मेरे कुल्हो को दबा दबाकर मुझसे तेजी से धक्के लगवाने लगी..
जोर जोर से... "उ्.ऊ्.हु्ह्ह्......
इई..श्श्श्श्श्...अ्आ्आ्ह...
उ्.ऊ्.हू्हूह्ह्ह्.......
इई...श्श्श्श्श्....अ्आ्आ्.ह्ह्ह्.....
उ्.ऊ्ऊ.हु्हु्ह्ह्ह्ह्......" की आवाजे नकालते हुवे भाभी मेरे होठो को भी पागलो की चुमने चाटने लगी थी। शायद उन पर कुछ ज्यादा ही उत्तेजना चढ गयी थी, इसलिये मेरे होठो के साथ साथ वो मेरे गालो को भी इतनी जोरो से नोचने काटने लगी जैसे की उन्हे काटकर खा ही जायेगी....
मेरे हर एक धक्के के साथ भाभी के मुँह से अब ...
"अ्आ्आ्.ह्ह्ह्..
इई..श्श्श्श्श्...अ्आ्आ्ह...
इई...श्श्श्श्श्....अ्आ्आ्.ह्ह्ह्....." की कराह सी निकालने लगी, मगर उनकी ये कराहे दर्द की नही थी, बल्की आनन्द की थी, जो की उत्तेजना व आनन्द के वश उनके मुँह से निकल रही थी...
भाभी ने अपने दोनो हाथो का घेरा बनाकर मुझे कस के अपने से चिपका रखा था मगर मेरे अब धक्का लगाना शुरु करते ही उनके दोनो हाथ मेरी पीठ पर आ गये और धीरे धीरे व हौले हौले से मेरी पीठ को सहलाने लगे..
दोनो हाथो से मेरी पीठ को सहलाते साहलाते
भाभी मुँह से तो "अ्आ्आ्.ह्ह्ह्..
इई..श्श्श्श्श्...अ्आ्आ्ह...
इई...श्श्श्श्श्....अ्आ्आ्.ह्ह्ह्....." कर रही थी, मगर साथ ही मेरी गर्दन वा गालो को चुमे भी जा रही थी। भाभी का साथ देने के लिये मैने भी अब अपने होठो को भाभी के होठो से जोङ दिया जिन्हे भाभी अब बङे ही जोर शोर उसे चुशने चाटने लगी..
भाभी के रसिले होठो का रश के पीते पीते अब अपने आप ही धीरे धीरे मेरे धक्को की गत्ती बढने लगी.. जिससे भाभी के मुँह से निकलने वाली आवाजे भी तेज हो गयी और नीचे उनकी कमर अब अपने आप ही हरकत मे आ गयी...
भाभी का मुँह मेरे होठो से बन्द था मगर फिर भी वो मेरे होठो को चुशते चुशते जोरो से..
उ्.ऊ्.हु्ह्ह्......
उ्.ऊ्.हू्हूह्ह्ह्.......
उ्.ऊ्ऊ.हु्हु्ह्ह्ह्ह्......" की अवाजे निकाल रही थी तो वो अब नीचे से अपने कुल्हो को भी हिला हिलाकर धक्के लगाने लगी थी...
भाभी का ये जोश देखकर मैने भी अब अपने शरीर को और तेजी आगे पीछे हिलाकर धक्के लगाने शुरु कर दिये, जिससे भाभी भी अब नीचे से जल्दी जल्दी अपनी कमर को उचका उचकाकर धक्के लगाने लगी और उनके मुँह से निकलने वाली आवाजे और भी तेज हो गयी।
अब जितनी तेजी से धक्के लगा कर मै अपने लण्ड को भाभी की मखमली गुफा मर घीस रहा था, भाभी भी उतनी ही जल्दी जल्दी अपने कुल्हो को उचका उचकाकर अपनी चुत की दिवारो को मेरे लण्ड से घीस रही थी। हम दोनो ही एक तय व लयबद्ध चाल के साथ धक्कमपेल करते हुवे अपनी अपनी मँजिल की तरफ बढ रहे थे...
मगर भाभी अब कुछ ज्यादा ही जोश मे आती जा रही थी। वो दोनो हाथो से मेरी पीठ को पकङ कर मुझे अब जल्दी जल्दी आगे पीछे करने लगी तो, उनके दोनो पैर भी मेरे कुल्हो पर आ गये, और वो खुद ही अपनी एडीयो से मेरे कुल्हो को दबा दबाकर मुझसे तेजी से धक्के लगवाने लगी..
जोर जोर से... "उ्.ऊ्.हु्ह्ह्......
इई..श्श्श्श्श्...अ्आ्आ्ह...
उ्.ऊ्.हू्हूह्ह्ह्.......
इई...श्श्श्श्श्....अ्आ्आ्.ह्ह्ह्.....
उ्.ऊ्ऊ.हु्हु्ह्ह्ह्ह्......" की आवाजे नकालते हुवे भाभी मेरे होठो को भी पागलो की चुमने चाटने लगी थी। शायद उन पर कुछ ज्यादा ही उत्तेजना चढ गयी थी, इसलिये मेरे होठो के साथ साथ वो मेरे गालो को भी इतनी जोरो से नोचने काटने लगी जैसे की उन्हे काटकर खा ही जायेगी....