01-08-2021, 04:58 AM
भाभी मेरे होठो को अभी भी चुशे जा रही थी मगर जैसे ही मै अपने लण्ड को उनकी चुत की चुत मे घुसाने लगा, भाभी मेरे होठो को छोङ अपने बदन को कङा करके एकदम स्थिर सी हो गयी...
भाभी की चुत कामरश से भीगकर एक तो चिकनी हो रखी थी उपर से मै भी इस खेल मे अनाड़ी था इसलिये बार बार मेरा लण्ड चुत की लाईन मे ही फिसल जा रहा था। भाभी अब कुछ देर तो अपने बदन को कङा किये लेटी रही, मगर फिर..
"उ्ह्ह्. हुँ.. हटो मै करती हुँ... भाभी ने थोङा झुँझलाते हुवे कहा और अपना एक हाथ नीचे ले जाकर खुद ही मेरे लण्ड को पकङकर सही से अपनी चुत के मुँह पर लगा लिया..
भाभी शायद कुछ ज्यादा ही उत्तेजित थी, और इस बात का पता उनकी चुत से ही चल रही थी, क्योंकि मै बाहर से ही अपने लण्ड पर भाभी की चुत की गर्मी महसूस कर रहा था। मेरा लण्ड चुत के मुँह पर तो लगा ही था इसलिये मैने भी अब देरी नही की और एक जोर को धक्का लगा दिया.....
भाभी की चुत का प्रवेशद्वार कामरश से भीग कर एक तो चिकना हो हो रखा था, उपर से भाभी भी इसके लिये तैयार थी जिससे एक ही झटके मे मेरा अब आधे से ज्यादा लण्ड भाभी की चुत मे समा गया और भाभी.. "इई.श्श्श्श्श्..अ्आ्आ्...ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह्...... की अावाज करके कराह सी गयी।
भाभी ने अपने पैरो व हाथो को समेटकर मेरे शरीर को अब कस के भीँच लिया और इनाम के तौर पर जोरो से मेरे गालो को चुम भी लिया, जैसे की मैने कोई बहुत बङा और गर्व का काम किया हो। मैने भी अब एक बार फिर से अपने लण्ड को थोङा सा बाहर खीँचा और एक जोर का धक्का भाभी की चुत पर फिर से लगा दिया..
इस बार लगभग मेरा पुरा ही लण्ड भाभी की चुत की गहराई नाप गया जिससे भाभी भी एक बार फिर से...
"इई..श्श्श्श्श्..अ्आ्आ्आ्...ह्ह्हहहहहह......" की आवाज के साथ कराह गयी, मगर साथ ही मुझे अपनी बाँहो मे और भी कसकर भीँच लिया तो, अपने पैरो को उपर उठाकर अब मेरे पैरो मे इस तरह से फँसा लिया की मै चाह कर भी भाभी के उपर से उठ नही सकता था।
लगभग मेरा पुरा ही लण्ड अब भाभी की चुत मे था जो की अन्दर किसी भट्ठी की तरह सुलग रही थी। मेरा ये दुसरा अवसर था जब मेरा लण्ड भाभी की चुत मे घुसा था, और इस अहसास को मै बयाँ नही कर सकता की मुझे उस समय कितना मझा आ रहा था...
भाभी की चुत कामरश से भीगकर एक तो चिकनी हो रखी थी उपर से मै भी इस खेल मे अनाड़ी था इसलिये बार बार मेरा लण्ड चुत की लाईन मे ही फिसल जा रहा था। भाभी अब कुछ देर तो अपने बदन को कङा किये लेटी रही, मगर फिर..
"उ्ह्ह्. हुँ.. हटो मै करती हुँ... भाभी ने थोङा झुँझलाते हुवे कहा और अपना एक हाथ नीचे ले जाकर खुद ही मेरे लण्ड को पकङकर सही से अपनी चुत के मुँह पर लगा लिया..
भाभी शायद कुछ ज्यादा ही उत्तेजित थी, और इस बात का पता उनकी चुत से ही चल रही थी, क्योंकि मै बाहर से ही अपने लण्ड पर भाभी की चुत की गर्मी महसूस कर रहा था। मेरा लण्ड चुत के मुँह पर तो लगा ही था इसलिये मैने भी अब देरी नही की और एक जोर को धक्का लगा दिया.....
भाभी की चुत का प्रवेशद्वार कामरश से भीग कर एक तो चिकना हो हो रखा था, उपर से भाभी भी इसके लिये तैयार थी जिससे एक ही झटके मे मेरा अब आधे से ज्यादा लण्ड भाभी की चुत मे समा गया और भाभी.. "इई.श्श्श्श्श्..अ्आ्आ्...ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह्...... की अावाज करके कराह सी गयी।
भाभी ने अपने पैरो व हाथो को समेटकर मेरे शरीर को अब कस के भीँच लिया और इनाम के तौर पर जोरो से मेरे गालो को चुम भी लिया, जैसे की मैने कोई बहुत बङा और गर्व का काम किया हो। मैने भी अब एक बार फिर से अपने लण्ड को थोङा सा बाहर खीँचा और एक जोर का धक्का भाभी की चुत पर फिर से लगा दिया..
इस बार लगभग मेरा पुरा ही लण्ड भाभी की चुत की गहराई नाप गया जिससे भाभी भी एक बार फिर से...
"इई..श्श्श्श्श्..अ्आ्आ्आ्...ह्ह्हहहहहह......" की आवाज के साथ कराह गयी, मगर साथ ही मुझे अपनी बाँहो मे और भी कसकर भीँच लिया तो, अपने पैरो को उपर उठाकर अब मेरे पैरो मे इस तरह से फँसा लिया की मै चाह कर भी भाभी के उपर से उठ नही सकता था।
लगभग मेरा पुरा ही लण्ड अब भाभी की चुत मे था जो की अन्दर किसी भट्ठी की तरह सुलग रही थी। मेरा ये दुसरा अवसर था जब मेरा लण्ड भाभी की चुत मे घुसा था, और इस अहसास को मै बयाँ नही कर सकता की मुझे उस समय कितना मझा आ रहा था...