01-08-2021, 04:57 AM
भाभी मेरी ओर करवट किये थी मगर मै अभी भी पीठ के बल ही लेटा था जिससे मेरा एक हाथ जो की मेरे व भाभी के बीच था, भाभी ने उस हाथ को अब उपर उठाकर अपनी गर्दन के नीचे दबा लिया और अपनी एक जाँघ मेरी जाँघ पर चढाके मुझसे कस के चिपक गयी।
भाभी लगभग अब नँगी ही थी जिससे उनके कोमल कोमल बदन का अहसास मुझे अन्दर तक गुदगुदा रहा था। मै अभी भी वैसे ही लेटा था मगर भाभी ने मुझसे चिपक कर अब फिर से अपनी नँगी जाँग मेरी जाँघो पर घिसना शुरू कर दिया तो साथ ही एक हाथ से मेरे लण्ड को सहलाते सहलाते वो मेरे गालो पर भी हल्के-हल्के चुमने लगी, जिससे अब कुछ ही देर मे मेरे लण्ड मे भी फिर से कठोरता आ गयी।
मैने भी अपनी गर्दन घुमाकर अब भाभी की तरफ चेहरा कर लिया जिससे भाभी की गर्म गर्म साँसे मेरी साँसो मे समाने लगी। भाभी के मुँह से भी वैसी ही मादक मादक गँध आ रही थी जैसी की उनकी चुत से आ रही थी। मगर ये शायद मेरे लण्ड से निकले वीर्य की गँध थी जो की अभी अभी मैने भाभी के मुँह मे उगला था।
भाभी मेरे गालो की बजाय अब मेरे होठो को चुमने लगी थी इसलिये मैने भी अब करवट बदल कर अपना मुँह भाभी की तरफ कर लिया।मेरे अब करवट बदलते ही मेरे उत्तेजित लण्ड ने सीधा भाभी की नँगी जाँघो के बीच घुसकर अपनी कठोरता का अहसास करवाया तो, भाभी की नँगी चुँचियो ने भी मेरे सीने को अपना मखमली नर्मी का अहसास करवाया.. पर उत्तेजना के मारे उनकी चुँचियो के निप्पल तनकर एकदम पत्थर हो रखे थे जो कि मुझे अपने सीने चुभते से महसूस हवे..
भाभी का साथ देने के लिये, मै भी अब उनके होठो को चुमने लगा पर भाभी के हाथ से मेरा लण्ड छुट गया था इसलिये भाभी ने उस हाथ को मेरे कँधे पर से लाकर अब मेरी गर्दन को पकङ लिया और मेरे सिर के बालो को सहलाते सहलाते जोर जोर से मेरे होठो को चुशने लगी..
मेरे होठो को चुशते भाभी ने अपनी जीभ को भी मेरे मुँह मे घुसा दिया और मेरे पुरे मुँह अपनी जीभ घुमा घुमाकर मेरे मुँह के रश को चाटने लगी... पर मैने अब दोबारा से अपनी जीभ को भाभी के मुँह मे डालने की गलती नही की, मै बस उनके ही होठो व जीभ को ही चुशता रहा...
मै एक हाथ से भाभी की कमर व नितम्बो को सहलाते सहलाते उनके होठो व जीभ का स्वाद ले रहा था मगर भाभी मेरे होठो को चुशते चुशते लगभग अब मेरे उपर ही चढ गयी और दोनो हाथो से मेरे सिर को पकङकर उन्होने बङे ही जोर शोर से व कस कसकर मेरे होठो चुशना शुरु कर दिया...
भाभी मेरे होठो को चूशते चुशते मेरे होठो व गालो को जोरो से नोच काट भी रही थी। यहाँ तक की मुझे तो वो अब साँस भी लेने का भी मौका नही दे रही थी, बस जोर जोर से आँहे.. भरते भरते खुद ही मेरे होठो व गालो को ही चुशे जा रही थी, जिससे मेरा अब दम सा घुटने लगा।
मैने अपने आप को छुङाने के लिये उन्हे अपने से दुर धकेलना चाहा..!, मगर तभी भाभी करवट बदलकर पीठ के बल लेट गयी और साथ ही मुझे भी खीँचकर अपने उपर ले लिया।
मेरे अब भाभी के उपर आते ही उन्होने अपने पैरो को खोल, मुझे सीधा ही अपनी दोनो जाँघो के बीच ले लिया और अपने हाथ पैरो को समेट मुझे कस के अपनी बाँहो मे एकदम जैसे जकङ सा लिया...
भाभी का नँगा मखमली बदन अब मेरे नीचे था जिससे उनकी दोनो चुँचियाँ मेरी छाती से दबकर चटनी हो रही थी तो मेरा उत्तेजित लण्ड भी भाभी की नँगी चुत पर ठोकर मार रहा था।
वैसे तो मेरा लण्ड अब भाभी की चुत पर तो था मगर, उसके प्रवेशद्वार से वो अभी दुर था, जिसे मै अब एक हाथ से पकङकर सही जगह पर लगाने की कोशिश करने लगा..
भाभी लगभग अब नँगी ही थी जिससे उनके कोमल कोमल बदन का अहसास मुझे अन्दर तक गुदगुदा रहा था। मै अभी भी वैसे ही लेटा था मगर भाभी ने मुझसे चिपक कर अब फिर से अपनी नँगी जाँग मेरी जाँघो पर घिसना शुरू कर दिया तो साथ ही एक हाथ से मेरे लण्ड को सहलाते सहलाते वो मेरे गालो पर भी हल्के-हल्के चुमने लगी, जिससे अब कुछ ही देर मे मेरे लण्ड मे भी फिर से कठोरता आ गयी।
मैने भी अपनी गर्दन घुमाकर अब भाभी की तरफ चेहरा कर लिया जिससे भाभी की गर्म गर्म साँसे मेरी साँसो मे समाने लगी। भाभी के मुँह से भी वैसी ही मादक मादक गँध आ रही थी जैसी की उनकी चुत से आ रही थी। मगर ये शायद मेरे लण्ड से निकले वीर्य की गँध थी जो की अभी अभी मैने भाभी के मुँह मे उगला था।
भाभी मेरे गालो की बजाय अब मेरे होठो को चुमने लगी थी इसलिये मैने भी अब करवट बदल कर अपना मुँह भाभी की तरफ कर लिया।मेरे अब करवट बदलते ही मेरे उत्तेजित लण्ड ने सीधा भाभी की नँगी जाँघो के बीच घुसकर अपनी कठोरता का अहसास करवाया तो, भाभी की नँगी चुँचियो ने भी मेरे सीने को अपना मखमली नर्मी का अहसास करवाया.. पर उत्तेजना के मारे उनकी चुँचियो के निप्पल तनकर एकदम पत्थर हो रखे थे जो कि मुझे अपने सीने चुभते से महसूस हवे..
भाभी का साथ देने के लिये, मै भी अब उनके होठो को चुमने लगा पर भाभी के हाथ से मेरा लण्ड छुट गया था इसलिये भाभी ने उस हाथ को मेरे कँधे पर से लाकर अब मेरी गर्दन को पकङ लिया और मेरे सिर के बालो को सहलाते सहलाते जोर जोर से मेरे होठो को चुशने लगी..
मेरे होठो को चुशते भाभी ने अपनी जीभ को भी मेरे मुँह मे घुसा दिया और मेरे पुरे मुँह अपनी जीभ घुमा घुमाकर मेरे मुँह के रश को चाटने लगी... पर मैने अब दोबारा से अपनी जीभ को भाभी के मुँह मे डालने की गलती नही की, मै बस उनके ही होठो व जीभ को ही चुशता रहा...
मै एक हाथ से भाभी की कमर व नितम्बो को सहलाते सहलाते उनके होठो व जीभ का स्वाद ले रहा था मगर भाभी मेरे होठो को चुशते चुशते लगभग अब मेरे उपर ही चढ गयी और दोनो हाथो से मेरे सिर को पकङकर उन्होने बङे ही जोर शोर से व कस कसकर मेरे होठो चुशना शुरु कर दिया...
भाभी मेरे होठो को चूशते चुशते मेरे होठो व गालो को जोरो से नोच काट भी रही थी। यहाँ तक की मुझे तो वो अब साँस भी लेने का भी मौका नही दे रही थी, बस जोर जोर से आँहे.. भरते भरते खुद ही मेरे होठो व गालो को ही चुशे जा रही थी, जिससे मेरा अब दम सा घुटने लगा।
मैने अपने आप को छुङाने के लिये उन्हे अपने से दुर धकेलना चाहा..!, मगर तभी भाभी करवट बदलकर पीठ के बल लेट गयी और साथ ही मुझे भी खीँचकर अपने उपर ले लिया।
मेरे अब भाभी के उपर आते ही उन्होने अपने पैरो को खोल, मुझे सीधा ही अपनी दोनो जाँघो के बीच ले लिया और अपने हाथ पैरो को समेट मुझे कस के अपनी बाँहो मे एकदम जैसे जकङ सा लिया...
भाभी का नँगा मखमली बदन अब मेरे नीचे था जिससे उनकी दोनो चुँचियाँ मेरी छाती से दबकर चटनी हो रही थी तो मेरा उत्तेजित लण्ड भी भाभी की नँगी चुत पर ठोकर मार रहा था।
वैसे तो मेरा लण्ड अब भाभी की चुत पर तो था मगर, उसके प्रवेशद्वार से वो अभी दुर था, जिसे मै अब एक हाथ से पकङकर सही जगह पर लगाने की कोशिश करने लगा..