01-08-2021, 04:56 AM
मेरे वीर्य से भाभी का पुरा मुँह भर गया था जो की उनके मुँह से निकल कर अब मेरे लण्ड के चारो तरफ भी बह निकला। गाढा गाढा मलाई के जैसे एकदम सफेद सफेद रश जोकी शायद आज कुछ निकला भी ज्यादा ही था।
खैर कुछ देर बाद जब मेरा सारा ज्वार शाँत हो गया तो भाभी के सिर पर मेरी पकङ कुछ कमजोर हो गयी। भाभी ने भी अब तुरन्त मेरे लण्ड को अपने मुँह से बाहर निकाल दिया और जोरो से खाँशते हुवे जल्दी से बैड के किनारे जाकर थुकने लगी।
भाभी ने थुक कर मेरा सार वीर्य मुँह से बाहर निकाल दिया और अपने पेटीकोट से ही मुँह पोँछते हुवे...
"क्या करता है, जान लेगा क्या मेरी..?" भाभी ने मेरी जाँघो पर जोरो से एक चपत लगाते हुवे कहा।
मै भाभी को अब कुछ नही बोल सका बस चुपचाप अपनी फुली हुई साँसों को काबु करने की कोशिश करता रहा। अपना मुँह साफ करके भाभी अब मेरी बगल मे ही लेट गयी।
मै तो बिल्कुल नँगा ही था भाभी ने भी अपने कपङे सही नही किये और ऐसे ही मेरी बगल मे लेट गयी। कुछ देर तक तो हम दोनो ऐसे ही लेटे रहे फिर भाभी ने करवट बदलकर अपना मुँह मेरी तरफ कर लिया और अपना एक पैर भी मेरे घुटनो पर रखकर मुझसे चिपक सी गयी।
भाभी के उभार जो की अभी भी नँगे ही थे, वो मेरी बाजू को स्पर्श कर रहे थे तो उनकी नँगी जाँघ भी मेरे घुटनो को अपनी नर्मी का अहसास करवा रही थी। भाभी का बदन काफी गर्म लग रहा था शायद मेरा रशखलित कराते कराते वो खुद अब दोबारा से उत्तेजित हो गयी थी।
भाभी मुझसे चिपकती जा रही थी और साथ ही धीरे धीरे अपनी नँगी जाँघ को भी मेरी जाँघो पर घीसते हुवे उपर मेरे लण्ड की तरफ भी बढा रही थी, मगर फिर तभी.. "छीहः..गन्दे...!
इसे साफ तो कर ले....!" ये कहते हुवे भाभी ने तुरंत वहाँ से अपनी जाँघ हटा ली.....
अभी-अभी भाभी ने मुझे जो सुख दिया था उसके कामरश व भाभी की लार से तो मेरी जाँघे सनी ही थी, साथ ही मेरा लण्ड जो की वैसे तो मूर्छित था मगर अभी भी उसमे से वीर्य की कुछ बुन्दे रीश रीशकर बाहर आ रही थी जिससे मेरा लण्ड व जाँघो के पास काफी गीलापन हो रखा था।
उत्तेजना व चर्म से मै अभी भी हाँफ सा रहा था इसलिये भाभी की बात को अनसुना कर मै ऐसे ही लेटा रहा। जब मैने कुछ नही किया तो अब भाभी ने ही लेटे लेटे अपने पेटीकोट को निकालकर अपने हाथ मे ले लिया और मेरी जाँघो व लण्ड को पौँछने लगी...
भाभी नीचे से पुरी नँगी हो गयी थी जिससे उनकी एक तो नँगी व गर्म गर्म चुत मेरे कुल्हो की बगल को छुने लगी, उपर से मेरे लण्ड व जाँघो को साफ करने के बाद भी भाभी ने उसे छोङा नही, बल्की उसे अब अपनी मुट्ठी मे भर लिया और हल्के हल्के सहलाने लगी....
अभी तक मेरा लण्ड बेहोश था मगर भाभी के कोमल हाथो का स्पर्श होते ही उसने भी अब एक ठुनकी सी मारी, जिसे देख भाभी ने मेरे गाल को बङे ही जोर से चुम लिया...यह शायद मेरे लण्ड को मिलने वाला इनाम था जो की भाभी ने मेरे गाल पर दिया था।
खैर कुछ देर बाद जब मेरा सारा ज्वार शाँत हो गया तो भाभी के सिर पर मेरी पकङ कुछ कमजोर हो गयी। भाभी ने भी अब तुरन्त मेरे लण्ड को अपने मुँह से बाहर निकाल दिया और जोरो से खाँशते हुवे जल्दी से बैड के किनारे जाकर थुकने लगी।
भाभी ने थुक कर मेरा सार वीर्य मुँह से बाहर निकाल दिया और अपने पेटीकोट से ही मुँह पोँछते हुवे...
"क्या करता है, जान लेगा क्या मेरी..?" भाभी ने मेरी जाँघो पर जोरो से एक चपत लगाते हुवे कहा।
मै भाभी को अब कुछ नही बोल सका बस चुपचाप अपनी फुली हुई साँसों को काबु करने की कोशिश करता रहा। अपना मुँह साफ करके भाभी अब मेरी बगल मे ही लेट गयी।
मै तो बिल्कुल नँगा ही था भाभी ने भी अपने कपङे सही नही किये और ऐसे ही मेरी बगल मे लेट गयी। कुछ देर तक तो हम दोनो ऐसे ही लेटे रहे फिर भाभी ने करवट बदलकर अपना मुँह मेरी तरफ कर लिया और अपना एक पैर भी मेरे घुटनो पर रखकर मुझसे चिपक सी गयी।
भाभी के उभार जो की अभी भी नँगे ही थे, वो मेरी बाजू को स्पर्श कर रहे थे तो उनकी नँगी जाँघ भी मेरे घुटनो को अपनी नर्मी का अहसास करवा रही थी। भाभी का बदन काफी गर्म लग रहा था शायद मेरा रशखलित कराते कराते वो खुद अब दोबारा से उत्तेजित हो गयी थी।
भाभी मुझसे चिपकती जा रही थी और साथ ही धीरे धीरे अपनी नँगी जाँघ को भी मेरी जाँघो पर घीसते हुवे उपर मेरे लण्ड की तरफ भी बढा रही थी, मगर फिर तभी.. "छीहः..गन्दे...!
इसे साफ तो कर ले....!" ये कहते हुवे भाभी ने तुरंत वहाँ से अपनी जाँघ हटा ली.....
अभी-अभी भाभी ने मुझे जो सुख दिया था उसके कामरश व भाभी की लार से तो मेरी जाँघे सनी ही थी, साथ ही मेरा लण्ड जो की वैसे तो मूर्छित था मगर अभी भी उसमे से वीर्य की कुछ बुन्दे रीश रीशकर बाहर आ रही थी जिससे मेरा लण्ड व जाँघो के पास काफी गीलापन हो रखा था।
उत्तेजना व चर्म से मै अभी भी हाँफ सा रहा था इसलिये भाभी की बात को अनसुना कर मै ऐसे ही लेटा रहा। जब मैने कुछ नही किया तो अब भाभी ने ही लेटे लेटे अपने पेटीकोट को निकालकर अपने हाथ मे ले लिया और मेरी जाँघो व लण्ड को पौँछने लगी...
भाभी नीचे से पुरी नँगी हो गयी थी जिससे उनकी एक तो नँगी व गर्म गर्म चुत मेरे कुल्हो की बगल को छुने लगी, उपर से मेरे लण्ड व जाँघो को साफ करने के बाद भी भाभी ने उसे छोङा नही, बल्की उसे अब अपनी मुट्ठी मे भर लिया और हल्के हल्के सहलाने लगी....
अभी तक मेरा लण्ड बेहोश था मगर भाभी के कोमल हाथो का स्पर्श होते ही उसने भी अब एक ठुनकी सी मारी, जिसे देख भाभी ने मेरे गाल को बङे ही जोर से चुम लिया...यह शायद मेरे लण्ड को मिलने वाला इनाम था जो की भाभी ने मेरे गाल पर दिया था।