01-08-2021, 12:22 AM
ठाकुर साहब को स्थिति का अंदाजा हो चुका था.. वह मेरी बहन के ऊपर से उतर गय.. मेरी रूपाली दीदी उठ कर खड़ी हो गई और अपने कपड़े जो इधर-उधर बिखरे पड़े थे उनको ढूंढने लगी.. ठाकुर साहब के गांड के नीचे मेरी बहन की पेंटी दबी हुई थी, जब उन्होंने निकाल कर मेरी बहन के हाथ में थमाई तो मेरी दीदी बिल्कुल शर्म से लाल हो गई थी.. मेरी दीदी बाथरूम के अंदर घुस गई थी.. ठाकुर साहब सिगरेट पीने के लिए बाहर निकल गय था..
बाथरूम के अंदर मेरी रूपाली दीदी अपने बदन को अच्छी तरह साफ करने लगी थी... जब मेरी दीदी बाथरूम से बाहर निकली तब उन्होंने नई साड़ी पहन रखी थी.. ठाकुर साहब भी एक बार फिर वापस बेडरूम में आ चुके थे.. मेरी दीदी बिना उनकी तरफ देखे ही बिस्तर के ऊपर चढ़ गई और अपने हिस्से पर जाकर सो गई... बीच में सोनिया और दूसरी तरफ ठाकुर साहब... दोनों के बीच कोई बातचीत नहीं हो रही थी... आज की रात बेहद तूफानी गुजरी थी दोनों के लिए..
ठाकुर साहब देख पा रहे थे कि मेरी रूपाली दीदी की आंखें सूज कर लाल हो गई है.. शायद मेरी दीदी बाथरूम के अंदर रो रही थी.. पर ठाकुर साहब ने इस वक्त मेरी रूपाली दीदी के साथ कुछ बात करना जरूरी नहीं समझा.. वह जो कुछ भी हासिल करना चाहते थे हासिल कर चुके थे.. पर उनका मन नहीं भरा था.. वह मेरी बहन के साथ और करना चाहते थे... पता नहीं क्यों... नींद तो मेरे ऊपर ही दीदी की आंखों से कोसों दूर हो चुकी थी... उनकी दोनों जांघों के जोड़ के बीच में दर्द भी हो रहा था.. शायद मेरी रूपाली दीदी की गुलाबी फुलझड़ी भी सूज गई थी... आज बहुत दिनों के बाद मेरी बहन चुदी थी.. वह भी किसी गैर मर्द से..
मेरी दीदी दीवार की तरफ देख रही थी... दोनों को ही पता नहीं चला कब उनकी आंख लगी..
सुबह जब ठाकुर साहब की आंख खुली तो उन्होंने खुद को बिस्तर पर अकेला पाया...
ठाकुर साहब अपने बेडरूम से बाहर निकले... उन्होंने मुझे और रोहन को अपनी गाड़ी साफ करने के लिए बाहर भेज दिया.. ठाकुर साहब ने देखा कि मेरी रुपाली दीदी किचन में काम कर रही है कंचन के साथ..
ठाकुर साहब ने कंचन को अपना बेडरूम साफ करने का आदेश दिया... कंचन चुपचाप ठाकुर साहब के बेडरूम में चली गई सफाई करने के लिए.. ठाकुर साहब मेरी रूपाली दीदी के पास आकर बोले..
ठाकुर साहब: सोनिया कॉलेज चली गई क्या.
मेरी रूपाली दीदी ने हां में सर हिलाया.
ठाकुर साहब: देखो रूपाली कल रात जो कुछ भी..
मेरे रूपाली दीदी( उनकी बात को काटते हुए): कल रात जो कुछ भी हुआ वह मेरी जिंदगी का सबसे घिनौना काम था.
ठाकुर साहब: कल रात बिस्तर में मेरे साथ उछलते हुए तो ऐसा नहीं लग रहा था रूपाली..
मेरी रूपाली दीदी की आंखों में अंगारे बरसने लगे थे... गुस्से के मारे उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था कि वह ठाकुर साहब को क्या जवाब दें..
मेरी रूपाली दीदी के गुस्से पर भी ठाकुर साहब को प्यार आ रहा था.. वह मेरी दीदी के बदन को निहार रहे थे.. मेरी बहन के उतार चढ़ाव उनके कटीले बदन का अपनी हवस भरी आंखों से जायजा ले रहे थे.. 2 बच्चे पैदा करने के बाद भी इस छम्मक छल्लो का बदन इतना कसा हुआ इतना मदमस्त कैसे हो सकता है.. भगवान की बड़ी कृपा है इसके रूप रंग, इसके हुस्न और जवानी पर... क्या खूब चीज बनाई है कुदरत ने.. ठाकुर साहब मेरी दीदी के बदन को निहारते हुए अपने ख्यालों में गुम थे.. ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी के पेट और कमर के हिस्से को अपनी आंखों से घूर घूर के देख रहे थे... जब मेरी दीदी को एहसास हुआ तो उन्होंने अपनी साड़ी से अपने खुले हिस्से को ढक लिया... तब जाकर ठाकुर साहब को होश आया.. मेरी दीदी एक बार फिर किचन में काम करने लगी थी..
ठाकुर साहब ने जब मेरी दीदी की उभरी हुई गांड साड़ी में लिपटी हुई देखी ...उनको दबाने के लिए आगे की तरफ बढ़ने लगे ..
अचानक किचन के दरवाजे पर मेरे जीजा जी प्रकट हो गय...
मेरे जीजू: देखो रूपाली.. यह व्हीलचेयर कितना अच्छा है... मैं अपने आप ही अपने रूम से यहां तक आ गया...
मेरी रूपाली दीदी ने महसूस किया कि ठाकुर साहब बिल्कुल उनके पास खड़े हैं..मेरी बहन ठाकुर साहब से दूर हट कर खड़ी हो गई.
मेरी रूपाली दीदी: इसके लिए आपको इनको धन्यवाद देना चाहिए.. इनके कारण यह सब हो पाया..
मेरे जीजू: ( हाथ जोड़कर) बहुत-बहुत धन्यवाद ठाकुर साहब.. आप के कारण ही हमारे परिवार की स्थिति अब सुधरने लगी है..
ठाकुर रणवीर सिंह ने मेरे जीजा जी की बात पर कुछ खास ध्यान नहीं दिया और फोन पर किसी से बात करने लगे.. जीजू को शर्मिंदगी महसूस हुई... ठाकुर साहब फोन पर बात करते हुए किचन से बाहर निकल गय और अपने बेडरूम में चले गए थे..
थोड़ी देर बाद ठाकुर साहब ने अपने बेडरूम से मेरे रूपाली दीदी को पुकारा..
ठाकुर साहब: रूपाली.. टॉवल कहां है..
मेरी बहन हैरान रह गई सुनकर, जिस अधिकार से ठाकुर साहब ने मेरी रूपाली दीदी को पुकारा था.. मेरी जीजू को भी अजीब लगा था.. मेरी रूपाली दीदी घबराते हुए मेरे जीजू की तरफ देख कर मुस्कुरा ठाकुर साहब के बेडरूम की तरफ चल पड़ी.. मेरी जीजू हैरान परेशान होकर देख रहे थे... उन्हें बुरा तो लगा पर फिर उन्हें लगा कि यह एक आम बात है.. फिर उन्होंने इस बात पर कुछ खास ज्यादा ध्यान नहीं दिया..
ठाकुर साहब के बेडरूम में पहुंचकर...
मेरी रुपाली दीदी: आप मुझे मेरे पति के सामने इस तरह से कैसे बुला सकते हैं..
ठाकुर साहब: देखो रूपाली.. मैंने तुमको बहुत इज्जत से रखा हुआ है.. तुम मेरे साथ तमीज में रहकर बात करो..
मेरी रूपाली दीदी के हाथ पैर ढीले हो गय.
मेरी रूपाली दीदी: आप प्लीज मेरे उनके सामने मुझसे इस तरह बात मत किया कीजिए.. वह क्या सोचेंगे..
ठाकुर साहब: मुझे उससे क्या? घर मेरा है ना.. तुम मेरे बेडरूम में हो.. मेरा टॉवल कहां है पूछ लिया तो क्या बुरा किया.. क्या हम दोनों पति पत्नी बन गय?
मेरी रूपाली दीदी: प्लीज ठाकुर साहब आप ऐसी बात मत कीजिए..
ठाकुर साहब: देखो रूपाली.. यह मेरा घर है.. और इस घर में क्या करना है क्या नहीं करना है वह मैं डिसाइड करता हूं... कोई जोर जबरदस्ती नहीं है तुम्हारे साथ... कल रात भी पहले तुमने ही अपनी टांगे फैलाई थी..
मेरी दीदी ठाकुर साहब की बात सुनकर झटका खा गई..
मेरी रूपाली दीदी: आप यह क्या बोल रहे हैं.. मेरे पति सुन लेंगे तो क्या सोचेंगे... मेरी दीदी गुहार लगाने लगी.
ठाकुर साहब मुस्कुराने लगे..
ठाकुर साहब: किचन में तुम्हारा पेट ही तो देख रहा था... तुमने अपनी साड़ी से क्यों ढक लिया..
मेरी रूपाली दीदी: जी वो मैं....
ठाकुर साहब: कसम से रूपाली.. अगर तेरा पति इस वक्त घर पर नहीं होता तो मैं तुझे अभी यहीं इसी वक्त पटक के...( अपने एक हाथ की दो उंगलियों से गोल छेद बनाकर दूसरे हाथ की बीच वाली उंगली को अंदर बाहर करते हुए मेरी बहन को चूत चुदाई का इशारा करने लगे)...
मेरी रूपाली दीदी शर्म से पानी पानी हो गई..
मेरी रूपाली दीदी: क्या मतलब है आपका? आपके घर में रह रही हूं तो कुछ भी बोलेंगे क्या आप मुझको...
ठाकुर साहब( हंसते हुए): चलो कोई बात नहीं... अभी मुझे बाहर जाना है..
मेरी दीदी निस्सहाय होकर कमरे से बाहर निकल गई .. पूरा दिन निकल गया.. मेरे जीजा जी व्हीलचेयर के साथ बेहद रोमांचित थे.. वे अपने दोनों बच्चों के साथ दिनभर खेल रहे थे....
रात में मेरी रूपाली दीदी ने डिनर तैयार किया... क्योंकि आज कंचन अपने घर चली गई थी.. उसके पिताजी की तबीयत ठीक नहीं थी.. रोहन भी साथ में गया था.. मैंने तो पहले ही डिनर कर लिया.. मेरी रूपाली दीदी और जीजाजी ठाकुर साहब का इंतजार कर रहे थे.. ठाकुर साहब काफी देर रात लौटे थे... उन तीनों ने एक साथ मिलकर डिनर किया.. मेरे जीजा जी ठाकुर साहब से बातचीत करने की कोशिश कर रहे थे, परंतु ठाकुर साहब ने उन पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया.. उनकी निगाहें तो मेरी रुपाली दीदी के ऊपर टिकी हुई थी..
मेरे जीजू को बुरा लग रहा था.. नहीं लग रहा था कि ठाकुर साहब किसी बात से उनसे नाराज है.. डिनर के बाद..
मेरे रूपाली दीदी: विनोद.. आज मैं आपके साथ सोऊंगी..
मेरी जीजू: क्यों आज क्या हुआ..?
मेरी रूपाली दीदी: बस ऐसे ही..
ठाकुर साहब: लेकिन वह बेड तो बहुत छोटा है..
मेरी रूपाली दीदी: कोई बात नहीं मैं एडजस्ट कर लूंगी..
मेरे जीजा जी: ठीक है..
ठाकुर साहब ने मन ही मन मेरी जीजू को बहुत सारी गालियां दी.. और अपने बेडरूम में चले गय..
मेरे जीजा जी के छोटे से बिस्तर पर मेरे रूपाली दीदी लेटने का प्रयास करने लगी थी.. पर मेरी दीदी उसके ऊपर एडजेस्ट नहीं हो पा रही थी.. वह बिस्तर वाकई में सिर्फ एक के लिए बना था.
मेरी रूपाली दीदी: मैं नीचे सो जाती हूं..
मेरी जीजा जी: अरे रूपाली इतनी ठंड है कैसे नीचे सो पाओगी.. तुम ठाकुर साहब के पास चली जाओ ना..
मेरी दीदी: आप क्या बोल रहे हो कुछ सोच भी रहे हो क्या..
मेरे जीजू: क्या हुआ उनकी उम्र तो कितनी ज्यादा है.. वैसे भी सोनिया बीच में सोती है ना..
मेरी रूपाली दीदी: आप भी ना.. बिल्कुल नहीं समझते कुछ भी..
मेरे जीजू: प्लीज चले जाओ ना... नूपुर यहां ठंड में नीचे तुम्हारे साथ कैसे सोएगी..
मेरी रूपाली दीदी ने अपने दोनों सोए हुए बच्चे को अपनी गोद में उठाया.. और ठाकुर साहब के बेडरूम के अंदर चली गई.. उन्होंने नूपुर को पालने में सुला दिया और सोनिया को बेड पर.. ठाकुर साहब जगे हुए थे और देख रहे थे..
मेरी बहन को एक बार फिर अपने बेडरूम में पाकर ठाकुर साहब खुश हो गए थे.. मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब को नजरअंदाज करने का प्रयास कर रही थी.. वह उनके बिस्तर पर नहीं जाना चाह रही थी..
मेरी रूपाली दीदी खिड़की के पास जाकर खड़ी हो गई और बाहर की तरफ देखने लगी.. ठाकुर साहब बड़ी तेजी के साथ उठ कर आय और मेरी बहन के पास आकर खड़े हो गए...
ठाकुर साहब: क्या हुआ रूपाली.. आज सोना नहीं है क्या.
मेरी दीदी: आप सो जाइए..
ठाकुर साहब: तुम्हें क्या हुआ है आज..
मेरी रूपाली दीदी: मुझे अभी नींद नहीं आ रही है...
ठाकुर साहब: मुझे भी नींद नहीं आ रही है.. तुम्हारे बिना..
मेरी रुपाली दीदी : नहीं मुझे नहीं जाना आपके साथ..
ठाकुर साहब ने मारी रूपाली दीदी की कमर को थाम लिया और अपनी तरफ घुमा के बोलने लगे..
ठाकुर साहब: रूपाली... यह क्या हो जाता है मुझको.. रात में.. तुमको अपने पास पाकर..
मेरी रूपाली दीदी: प्लीज हट जाइए ठाकुर साहब... मेरे पति और मेरे भाई को भी दिख रहा होगा... दरवाजा खुला हुआ है..
ठाकुर साहब: ठीक है दरवाजा बंद कर देता हूं.. तुम्हें मैं अपने घर की रानी बनाना चाहता हूं.. उन्होंने बंद कर दिया दरवाजा...
मेरी रूपाली दीदी: नहीं... नहीं ठाकुर साहब.. यह सब ठीक नहीं है... मैं अपने पति को धोखा नहीं दे सकती..
ठाकुर साहब मेरे रूपाली दीदी के पास आए और उन्होंने मेरी बहन की एक चूची को अपने हाथ में पकड़ कर जोर से मसल दिया..
मेरी रूपाली दीदी के मुंह से एक जोरदार चीख निकल गई...ऊई माँ ! अह्ह्ह !
ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी की गर्दन में अपना चेहरा घुसा के चूमने लगे चाटने लगे... मेरी बहन की मादक खुशबू को अपनी नाक में उतारने लगे थे...
ठाकुर साहब का मुसल लंड मेरी रूपाली दीदी की नाभि को टच कर रहा था...
मेरी रूपाली दीदी: नहीं ठाकुर साहब... आज नहीं.. प्लीज..
ठाकुर साहब: क्यों... आज क्यों नहीं रूपाली...
उन्होंने मेरी रुपाली दीदी को अपनी गोद में उठाया... और बेडरूम के दरवाजे के पास लेकर नीचे उतार दिया... बड़ी तेजी से ठाकुर साहब ने अपना टीशर्ट और अपना बरमूडा उतार दिया .
बाथरूम के अंदर मेरी रूपाली दीदी अपने बदन को अच्छी तरह साफ करने लगी थी... जब मेरी दीदी बाथरूम से बाहर निकली तब उन्होंने नई साड़ी पहन रखी थी.. ठाकुर साहब भी एक बार फिर वापस बेडरूम में आ चुके थे.. मेरी दीदी बिना उनकी तरफ देखे ही बिस्तर के ऊपर चढ़ गई और अपने हिस्से पर जाकर सो गई... बीच में सोनिया और दूसरी तरफ ठाकुर साहब... दोनों के बीच कोई बातचीत नहीं हो रही थी... आज की रात बेहद तूफानी गुजरी थी दोनों के लिए..
ठाकुर साहब देख पा रहे थे कि मेरी रूपाली दीदी की आंखें सूज कर लाल हो गई है.. शायद मेरी दीदी बाथरूम के अंदर रो रही थी.. पर ठाकुर साहब ने इस वक्त मेरी रूपाली दीदी के साथ कुछ बात करना जरूरी नहीं समझा.. वह जो कुछ भी हासिल करना चाहते थे हासिल कर चुके थे.. पर उनका मन नहीं भरा था.. वह मेरी बहन के साथ और करना चाहते थे... पता नहीं क्यों... नींद तो मेरे ऊपर ही दीदी की आंखों से कोसों दूर हो चुकी थी... उनकी दोनों जांघों के जोड़ के बीच में दर्द भी हो रहा था.. शायद मेरी रूपाली दीदी की गुलाबी फुलझड़ी भी सूज गई थी... आज बहुत दिनों के बाद मेरी बहन चुदी थी.. वह भी किसी गैर मर्द से..
मेरी दीदी दीवार की तरफ देख रही थी... दोनों को ही पता नहीं चला कब उनकी आंख लगी..
सुबह जब ठाकुर साहब की आंख खुली तो उन्होंने खुद को बिस्तर पर अकेला पाया...
ठाकुर साहब अपने बेडरूम से बाहर निकले... उन्होंने मुझे और रोहन को अपनी गाड़ी साफ करने के लिए बाहर भेज दिया.. ठाकुर साहब ने देखा कि मेरी रुपाली दीदी किचन में काम कर रही है कंचन के साथ..
ठाकुर साहब ने कंचन को अपना बेडरूम साफ करने का आदेश दिया... कंचन चुपचाप ठाकुर साहब के बेडरूम में चली गई सफाई करने के लिए.. ठाकुर साहब मेरी रूपाली दीदी के पास आकर बोले..
ठाकुर साहब: सोनिया कॉलेज चली गई क्या.
मेरी रूपाली दीदी ने हां में सर हिलाया.
ठाकुर साहब: देखो रूपाली कल रात जो कुछ भी..
मेरे रूपाली दीदी( उनकी बात को काटते हुए): कल रात जो कुछ भी हुआ वह मेरी जिंदगी का सबसे घिनौना काम था.
ठाकुर साहब: कल रात बिस्तर में मेरे साथ उछलते हुए तो ऐसा नहीं लग रहा था रूपाली..
मेरी रूपाली दीदी की आंखों में अंगारे बरसने लगे थे... गुस्से के मारे उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था कि वह ठाकुर साहब को क्या जवाब दें..
मेरी रूपाली दीदी के गुस्से पर भी ठाकुर साहब को प्यार आ रहा था.. वह मेरी दीदी के बदन को निहार रहे थे.. मेरी बहन के उतार चढ़ाव उनके कटीले बदन का अपनी हवस भरी आंखों से जायजा ले रहे थे.. 2 बच्चे पैदा करने के बाद भी इस छम्मक छल्लो का बदन इतना कसा हुआ इतना मदमस्त कैसे हो सकता है.. भगवान की बड़ी कृपा है इसके रूप रंग, इसके हुस्न और जवानी पर... क्या खूब चीज बनाई है कुदरत ने.. ठाकुर साहब मेरी दीदी के बदन को निहारते हुए अपने ख्यालों में गुम थे.. ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी के पेट और कमर के हिस्से को अपनी आंखों से घूर घूर के देख रहे थे... जब मेरी दीदी को एहसास हुआ तो उन्होंने अपनी साड़ी से अपने खुले हिस्से को ढक लिया... तब जाकर ठाकुर साहब को होश आया.. मेरी दीदी एक बार फिर किचन में काम करने लगी थी..
ठाकुर साहब ने जब मेरी दीदी की उभरी हुई गांड साड़ी में लिपटी हुई देखी ...उनको दबाने के लिए आगे की तरफ बढ़ने लगे ..
अचानक किचन के दरवाजे पर मेरे जीजा जी प्रकट हो गय...
मेरे जीजू: देखो रूपाली.. यह व्हीलचेयर कितना अच्छा है... मैं अपने आप ही अपने रूम से यहां तक आ गया...
मेरी रूपाली दीदी ने महसूस किया कि ठाकुर साहब बिल्कुल उनके पास खड़े हैं..मेरी बहन ठाकुर साहब से दूर हट कर खड़ी हो गई.
मेरी रूपाली दीदी: इसके लिए आपको इनको धन्यवाद देना चाहिए.. इनके कारण यह सब हो पाया..
मेरे जीजू: ( हाथ जोड़कर) बहुत-बहुत धन्यवाद ठाकुर साहब.. आप के कारण ही हमारे परिवार की स्थिति अब सुधरने लगी है..
ठाकुर रणवीर सिंह ने मेरे जीजा जी की बात पर कुछ खास ध्यान नहीं दिया और फोन पर किसी से बात करने लगे.. जीजू को शर्मिंदगी महसूस हुई... ठाकुर साहब फोन पर बात करते हुए किचन से बाहर निकल गय और अपने बेडरूम में चले गए थे..
थोड़ी देर बाद ठाकुर साहब ने अपने बेडरूम से मेरे रूपाली दीदी को पुकारा..
ठाकुर साहब: रूपाली.. टॉवल कहां है..
मेरी बहन हैरान रह गई सुनकर, जिस अधिकार से ठाकुर साहब ने मेरी रूपाली दीदी को पुकारा था.. मेरी जीजू को भी अजीब लगा था.. मेरी रूपाली दीदी घबराते हुए मेरे जीजू की तरफ देख कर मुस्कुरा ठाकुर साहब के बेडरूम की तरफ चल पड़ी.. मेरी जीजू हैरान परेशान होकर देख रहे थे... उन्हें बुरा तो लगा पर फिर उन्हें लगा कि यह एक आम बात है.. फिर उन्होंने इस बात पर कुछ खास ज्यादा ध्यान नहीं दिया..
ठाकुर साहब के बेडरूम में पहुंचकर...
मेरी रुपाली दीदी: आप मुझे मेरे पति के सामने इस तरह से कैसे बुला सकते हैं..
ठाकुर साहब: देखो रूपाली.. मैंने तुमको बहुत इज्जत से रखा हुआ है.. तुम मेरे साथ तमीज में रहकर बात करो..
मेरी रूपाली दीदी के हाथ पैर ढीले हो गय.
मेरी रूपाली दीदी: आप प्लीज मेरे उनके सामने मुझसे इस तरह बात मत किया कीजिए.. वह क्या सोचेंगे..
ठाकुर साहब: मुझे उससे क्या? घर मेरा है ना.. तुम मेरे बेडरूम में हो.. मेरा टॉवल कहां है पूछ लिया तो क्या बुरा किया.. क्या हम दोनों पति पत्नी बन गय?
मेरी रूपाली दीदी: प्लीज ठाकुर साहब आप ऐसी बात मत कीजिए..
ठाकुर साहब: देखो रूपाली.. यह मेरा घर है.. और इस घर में क्या करना है क्या नहीं करना है वह मैं डिसाइड करता हूं... कोई जोर जबरदस्ती नहीं है तुम्हारे साथ... कल रात भी पहले तुमने ही अपनी टांगे फैलाई थी..
मेरी दीदी ठाकुर साहब की बात सुनकर झटका खा गई..
मेरी रूपाली दीदी: आप यह क्या बोल रहे हैं.. मेरे पति सुन लेंगे तो क्या सोचेंगे... मेरी दीदी गुहार लगाने लगी.
ठाकुर साहब मुस्कुराने लगे..
ठाकुर साहब: किचन में तुम्हारा पेट ही तो देख रहा था... तुमने अपनी साड़ी से क्यों ढक लिया..
मेरी रूपाली दीदी: जी वो मैं....
ठाकुर साहब: कसम से रूपाली.. अगर तेरा पति इस वक्त घर पर नहीं होता तो मैं तुझे अभी यहीं इसी वक्त पटक के...( अपने एक हाथ की दो उंगलियों से गोल छेद बनाकर दूसरे हाथ की बीच वाली उंगली को अंदर बाहर करते हुए मेरी बहन को चूत चुदाई का इशारा करने लगे)...
मेरी रूपाली दीदी शर्म से पानी पानी हो गई..
मेरी रूपाली दीदी: क्या मतलब है आपका? आपके घर में रह रही हूं तो कुछ भी बोलेंगे क्या आप मुझको...
ठाकुर साहब( हंसते हुए): चलो कोई बात नहीं... अभी मुझे बाहर जाना है..
मेरी दीदी निस्सहाय होकर कमरे से बाहर निकल गई .. पूरा दिन निकल गया.. मेरे जीजा जी व्हीलचेयर के साथ बेहद रोमांचित थे.. वे अपने दोनों बच्चों के साथ दिनभर खेल रहे थे....
रात में मेरी रूपाली दीदी ने डिनर तैयार किया... क्योंकि आज कंचन अपने घर चली गई थी.. उसके पिताजी की तबीयत ठीक नहीं थी.. रोहन भी साथ में गया था.. मैंने तो पहले ही डिनर कर लिया.. मेरी रूपाली दीदी और जीजाजी ठाकुर साहब का इंतजार कर रहे थे.. ठाकुर साहब काफी देर रात लौटे थे... उन तीनों ने एक साथ मिलकर डिनर किया.. मेरे जीजा जी ठाकुर साहब से बातचीत करने की कोशिश कर रहे थे, परंतु ठाकुर साहब ने उन पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया.. उनकी निगाहें तो मेरी रुपाली दीदी के ऊपर टिकी हुई थी..
मेरे जीजू को बुरा लग रहा था.. नहीं लग रहा था कि ठाकुर साहब किसी बात से उनसे नाराज है.. डिनर के बाद..
मेरे रूपाली दीदी: विनोद.. आज मैं आपके साथ सोऊंगी..
मेरी जीजू: क्यों आज क्या हुआ..?
मेरी रूपाली दीदी: बस ऐसे ही..
ठाकुर साहब: लेकिन वह बेड तो बहुत छोटा है..
मेरी रूपाली दीदी: कोई बात नहीं मैं एडजस्ट कर लूंगी..
मेरे जीजा जी: ठीक है..
ठाकुर साहब ने मन ही मन मेरी जीजू को बहुत सारी गालियां दी.. और अपने बेडरूम में चले गय..
मेरे जीजा जी के छोटे से बिस्तर पर मेरे रूपाली दीदी लेटने का प्रयास करने लगी थी.. पर मेरी दीदी उसके ऊपर एडजेस्ट नहीं हो पा रही थी.. वह बिस्तर वाकई में सिर्फ एक के लिए बना था.
मेरी रूपाली दीदी: मैं नीचे सो जाती हूं..
मेरी जीजा जी: अरे रूपाली इतनी ठंड है कैसे नीचे सो पाओगी.. तुम ठाकुर साहब के पास चली जाओ ना..
मेरी दीदी: आप क्या बोल रहे हो कुछ सोच भी रहे हो क्या..
मेरे जीजू: क्या हुआ उनकी उम्र तो कितनी ज्यादा है.. वैसे भी सोनिया बीच में सोती है ना..
मेरी रूपाली दीदी: आप भी ना.. बिल्कुल नहीं समझते कुछ भी..
मेरे जीजू: प्लीज चले जाओ ना... नूपुर यहां ठंड में नीचे तुम्हारे साथ कैसे सोएगी..
मेरी रूपाली दीदी ने अपने दोनों सोए हुए बच्चे को अपनी गोद में उठाया.. और ठाकुर साहब के बेडरूम के अंदर चली गई.. उन्होंने नूपुर को पालने में सुला दिया और सोनिया को बेड पर.. ठाकुर साहब जगे हुए थे और देख रहे थे..
मेरी बहन को एक बार फिर अपने बेडरूम में पाकर ठाकुर साहब खुश हो गए थे.. मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब को नजरअंदाज करने का प्रयास कर रही थी.. वह उनके बिस्तर पर नहीं जाना चाह रही थी..
मेरी रूपाली दीदी खिड़की के पास जाकर खड़ी हो गई और बाहर की तरफ देखने लगी.. ठाकुर साहब बड़ी तेजी के साथ उठ कर आय और मेरी बहन के पास आकर खड़े हो गए...
ठाकुर साहब: क्या हुआ रूपाली.. आज सोना नहीं है क्या.
मेरी दीदी: आप सो जाइए..
ठाकुर साहब: तुम्हें क्या हुआ है आज..
मेरी रूपाली दीदी: मुझे अभी नींद नहीं आ रही है...
ठाकुर साहब: मुझे भी नींद नहीं आ रही है.. तुम्हारे बिना..
मेरी रुपाली दीदी : नहीं मुझे नहीं जाना आपके साथ..
ठाकुर साहब ने मारी रूपाली दीदी की कमर को थाम लिया और अपनी तरफ घुमा के बोलने लगे..
ठाकुर साहब: रूपाली... यह क्या हो जाता है मुझको.. रात में.. तुमको अपने पास पाकर..
मेरी रूपाली दीदी: प्लीज हट जाइए ठाकुर साहब... मेरे पति और मेरे भाई को भी दिख रहा होगा... दरवाजा खुला हुआ है..
ठाकुर साहब: ठीक है दरवाजा बंद कर देता हूं.. तुम्हें मैं अपने घर की रानी बनाना चाहता हूं.. उन्होंने बंद कर दिया दरवाजा...
मेरी रूपाली दीदी: नहीं... नहीं ठाकुर साहब.. यह सब ठीक नहीं है... मैं अपने पति को धोखा नहीं दे सकती..
ठाकुर साहब मेरे रूपाली दीदी के पास आए और उन्होंने मेरी बहन की एक चूची को अपने हाथ में पकड़ कर जोर से मसल दिया..
मेरी रूपाली दीदी के मुंह से एक जोरदार चीख निकल गई...ऊई माँ ! अह्ह्ह !
ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी की गर्दन में अपना चेहरा घुसा के चूमने लगे चाटने लगे... मेरी बहन की मादक खुशबू को अपनी नाक में उतारने लगे थे...
ठाकुर साहब का मुसल लंड मेरी रूपाली दीदी की नाभि को टच कर रहा था...
मेरी रूपाली दीदी: नहीं ठाकुर साहब... आज नहीं.. प्लीज..
ठाकुर साहब: क्यों... आज क्यों नहीं रूपाली...
उन्होंने मेरी रुपाली दीदी को अपनी गोद में उठाया... और बेडरूम के दरवाजे के पास लेकर नीचे उतार दिया... बड़ी तेजी से ठाकुर साहब ने अपना टीशर्ट और अपना बरमूडा उतार दिया .