31-07-2021, 10:09 PM
अभी तक जैसा की आपने पढा मुझे सैक्स के बारे मे ज्यादा कुछ पता तो नही था मगर मेरी भाभी इशारो ही इशारो मे मुझसे अपनी चुत चटवा कर चर्म पर पहुँच गयी थी। मेरा ये पहला अवसर था जब मैने अपनी जीभ से भाभी को चर्मोत्कर्ष पर पहुँचाया था जो की मेरे लिये बेहद उत्तेजक व रोमांचित करने वाला था अब उसके आगे...
अब कुछ देर तक तो भाभी ने ऐसे ही मेरे मुँह को अपनी चुत पर दबाये रखा, फिर धीरे से आजाद कर मुझे अपने उपर खीँच लिया। भाभी अभी भी लम्बी-लम्बी व गहरी साँसे ले रही थी मगर मुझे अपने उपर खीँचकर उन्होने अब बङे ही प्यार से मेरे होठो व गालो को चुमना शुरु कर दिया जैसे की मैने जो अभी अभी किया उससे खुश होकर मुझे वो उसका इनाम दे रही हो..
भाभी मेरे होठो व चेहरे पर लगे अपनी चुत के कामरश को भी भाभी चाट रही थी। मेरे लिये ये तो ये अजीब ही था मगर फिर भी भाभी का साथ देने के लिये, मैने भी उनकी गर्दन व गालो पर चुमना शुरुकर दिया, मगर भाभी ने अब कुछ देर तो मेरे होठो व गालो को चुमा, फिर करवट बदलकर मुझे अपने उपर से उतार कर एक हाथ से मेरे लण्ड को पकङ लिया..
भाभी के कोमल हाथो के स्पर्श से मुझे मझा तो आ रहा था मगर इससे तो मेरी आग और भी बढती जा रही थी। एक बार फिर मैने अब भाभी के उपर लेटने की कोशिश की मगर भाभी ने मुझे पकङकर नीचे उतार दिया और खुद उठकर मेरी बगल मे बैठ गयी..
अभी तक मेरा लण्ड भाभी के हाथ मे ही था जिसे वो धीरे धीरे सहला रही थी। उत्तेजना के वश मेरी हालत खराब होती जा रही थी मगर भाभी का व्यवहार कुछ अजीब ही लग रहा था। मै इस खेल का नया खिलाड़ी था मगर मुझे क्या पता, भाभी मुझे किसी अलग ही दुनिया की सैर कराने वाली है.....?
खैर उस समय मुझे भाभी पर खीज सी आने लगी थी इसलिये मै अब थोङा जबरदस्ती से भाभी को अपनी तरफ खीँचकर वापस सुलाने की कोशिश करने लगा .. मगर तभी भाभी मेरे लण्ड को पकङे पकङे ही मेरी जाँघो पर झुक गयी..
उन्होंने पहले तो एक दो बार मेरे लण्ड के पास मेरी जाँघो को चुमा फिर सीधा मेरे लण्ड के चारो तरफ से गोल गोल चुमने लगी। भाभी के नर्म होठो की छुवन से मेरा सारा बदन अब कँपकपाँ गया था इसलिये मैने भाभी के सिर को जोरो से अपनी जाँघो पर दबा लिया।
भाभी के नर्म मुलायम गाल अब मेरी जाँघो पर लग गये तो, उनके नर्म नाजुक होठ भी मेरे लण्ड को छु गये थे...मेरे पकङने के बावजुद भी भाभी मेरे लण्ड को चुम रही और धीरे धीरे उसे हाथ से भी सहलाती जा रही थी...
उत्तेजना से मेरी हालत खराब हो रही थी इसलिये मैने भी भाभी के सिर को पकङ कर और भी जोरो से अपने लण्ड पर दबा लिया, मगर भाभी ने अपने सिर को छुङवा लिया और फिर से मेरे लण्ड के आस पास मेरी जाँघो व गोलियो को अपने नर्म नाजुक होठो से चुमने लगी....
इस बार भाभी नीचे मेरे लण्ड की जङ से चुमते हुवे धीरे धीरे उपर सुपाङे की तरफ बढ रही थी। मेरे साथ ये पहली बार हो रहा था की किसी के नर्म मुलायम होठ मेरे लण्ड को चुम रहे थे। अभी तक मैने बस अपने कठोर हाथ से ही अपने लण्ड को सहलाया था मगर आज पहली बार भाभी के नर्म नाजुक होठो की छुवन को अपने लण्ड पर मै बर्दाश्त नही कर पा रहा था..
उत्तेजना के आवेश मे मैने भाभी के बालो को पकङने की कोशिश की मगर तब तक भाभी के होठ फिसल कर मेरे लण्ड के उपरी छोर तक पहुँच गये। उन्होने हाथ से मेरे सुपाङे की चमङी को थोङा सा पीछे कर अपने नर्म नर्म होठो से मेरे सुपाङे के अग्र भाग को अब जोरो से चुम लिया की मेरा पुरा बदन ही झनझना सा गया और अनायास ही मेरे मुँह से एक "आ्ह्ह्..." निकल गयी...
अब कुछ देर तक तो भाभी ने ऐसे ही मेरे मुँह को अपनी चुत पर दबाये रखा, फिर धीरे से आजाद कर मुझे अपने उपर खीँच लिया। भाभी अभी भी लम्बी-लम्बी व गहरी साँसे ले रही थी मगर मुझे अपने उपर खीँचकर उन्होने अब बङे ही प्यार से मेरे होठो व गालो को चुमना शुरु कर दिया जैसे की मैने जो अभी अभी किया उससे खुश होकर मुझे वो उसका इनाम दे रही हो..
भाभी मेरे होठो व चेहरे पर लगे अपनी चुत के कामरश को भी भाभी चाट रही थी। मेरे लिये ये तो ये अजीब ही था मगर फिर भी भाभी का साथ देने के लिये, मैने भी उनकी गर्दन व गालो पर चुमना शुरुकर दिया, मगर भाभी ने अब कुछ देर तो मेरे होठो व गालो को चुमा, फिर करवट बदलकर मुझे अपने उपर से उतार कर एक हाथ से मेरे लण्ड को पकङ लिया..
भाभी के कोमल हाथो के स्पर्श से मुझे मझा तो आ रहा था मगर इससे तो मेरी आग और भी बढती जा रही थी। एक बार फिर मैने अब भाभी के उपर लेटने की कोशिश की मगर भाभी ने मुझे पकङकर नीचे उतार दिया और खुद उठकर मेरी बगल मे बैठ गयी..
अभी तक मेरा लण्ड भाभी के हाथ मे ही था जिसे वो धीरे धीरे सहला रही थी। उत्तेजना के वश मेरी हालत खराब होती जा रही थी मगर भाभी का व्यवहार कुछ अजीब ही लग रहा था। मै इस खेल का नया खिलाड़ी था मगर मुझे क्या पता, भाभी मुझे किसी अलग ही दुनिया की सैर कराने वाली है.....?
खैर उस समय मुझे भाभी पर खीज सी आने लगी थी इसलिये मै अब थोङा जबरदस्ती से भाभी को अपनी तरफ खीँचकर वापस सुलाने की कोशिश करने लगा .. मगर तभी भाभी मेरे लण्ड को पकङे पकङे ही मेरी जाँघो पर झुक गयी..
उन्होंने पहले तो एक दो बार मेरे लण्ड के पास मेरी जाँघो को चुमा फिर सीधा मेरे लण्ड के चारो तरफ से गोल गोल चुमने लगी। भाभी के नर्म होठो की छुवन से मेरा सारा बदन अब कँपकपाँ गया था इसलिये मैने भाभी के सिर को जोरो से अपनी जाँघो पर दबा लिया।
भाभी के नर्म मुलायम गाल अब मेरी जाँघो पर लग गये तो, उनके नर्म नाजुक होठ भी मेरे लण्ड को छु गये थे...मेरे पकङने के बावजुद भी भाभी मेरे लण्ड को चुम रही और धीरे धीरे उसे हाथ से भी सहलाती जा रही थी...
उत्तेजना से मेरी हालत खराब हो रही थी इसलिये मैने भी भाभी के सिर को पकङ कर और भी जोरो से अपने लण्ड पर दबा लिया, मगर भाभी ने अपने सिर को छुङवा लिया और फिर से मेरे लण्ड के आस पास मेरी जाँघो व गोलियो को अपने नर्म नाजुक होठो से चुमने लगी....
इस बार भाभी नीचे मेरे लण्ड की जङ से चुमते हुवे धीरे धीरे उपर सुपाङे की तरफ बढ रही थी। मेरे साथ ये पहली बार हो रहा था की किसी के नर्म मुलायम होठ मेरे लण्ड को चुम रहे थे। अभी तक मैने बस अपने कठोर हाथ से ही अपने लण्ड को सहलाया था मगर आज पहली बार भाभी के नर्म नाजुक होठो की छुवन को अपने लण्ड पर मै बर्दाश्त नही कर पा रहा था..
उत्तेजना के आवेश मे मैने भाभी के बालो को पकङने की कोशिश की मगर तब तक भाभी के होठ फिसल कर मेरे लण्ड के उपरी छोर तक पहुँच गये। उन्होने हाथ से मेरे सुपाङे की चमङी को थोङा सा पीछे कर अपने नर्म नर्म होठो से मेरे सुपाङे के अग्र भाग को अब जोरो से चुम लिया की मेरा पुरा बदन ही झनझना सा गया और अनायास ही मेरे मुँह से एक "आ्ह्ह्..." निकल गयी...