31-07-2021, 10:04 PM
पहले ही भाभी की चुत काफी गीली थी मगर अब तो उसमे मानो बाढ सी आ गयी थी जिससे मेरा सारा चेहरा गीला हो गया। भाभी का वो नमकिन चुतरश मेरे मुँह के रास्ते मेरे गले तक उतर रहा था जिससे मुँह का स्वाद बिल्कूल ही नमकीन व चिकना हो गया था मगर वो खारा कैसेला रश भी मुझे अब पता नही क्यो अच्छा लगने लगा था।
उत्तेजना के वश मै उस खारे खारे रश को भी अब अपनी जीभ से चाट चाट कर पीने लगा। वैसे सच कहु तो मुझे उस समय इतना कुछ मालुम भी नही था मगर उत्तेजना के वश भाभी की चुत का वो खारा कैसेला रश भी मुझे शहद से कम नही लग रहा था।
भाभी के उस खारे कैसेले चुतरश व उसमे से निकलती उस मादक मादक गँध का मुझ पर जैसे कोई खुमार सा छा गया था, इसलिये मै अपनी पुरी जीभ निकाल कर अपनी पुरी ही तनमयता से उस रश को चाट चाटकर गटक रहा था तो, भाभी भी अपनी कमर को हिला हिला कर मुझे अपनी चुत के रश को पीला रही थी.......
ऐसे अब धीरे धीरे भाभी की सिसकियां और तेज होती गयी तो गयी तो उनकी कमर भी अब तेजी से हरकत करने लगी। भाभी खुद ही अपनी चुत को अब मेरे मुँह पर जोर जोर से घीसने लगी थी, मगर फिर अचानक से भाभी की चुत की गहराई मे जैसे कोई ज्वालामुखी सा फटा ..
उन्होने अपनी कमर को उपर हवा उठा कर अपने दोनो हाथो व जाँघो से मेरे सिर को अपनी चुत पर कस के दबा लिया और.....
"अ्अा्आ्.ह्ह्ह्ह्ह्...आआआ....
इईई.श्श्श्श्श्..अ्आ्आ्...ह्ह्हह्ह्...आ्आ्आ्..." की सिसकारीयाँ सी भरते हुवे रह रह कर अपनी चुत के रश से मेरे मुँह को भरना शुरु कर दिया..
भाभी का पुरा बदन अब कमान की तरह तन गया था जिससे एक बार तो मै भी घबरा गया की ये क्या हो गया..? मगर फिर जल्दी ही मेरी समझ मे अा गया की भाभी अपने चर्मोत्कर्ष पर पहुँच गयी है..
खैर भाभी की चुत ने रह रह कर कामरश की अब इतनी पिचकारीयाँ मेरे मुँह पर मारी की चुतरश से भीगकर मेरा पुरा चेहरा ही तरबतर हो गया, जिसमे से थोङा बहुत तो मै गटक भी गया था मगर फिर भी वो मेरे चेहरे पर से होता हुवा मेरी गर्दन तक बह आया..
ये मेरा पहला अवसर था जब मैने अपनी जीभ से भाभी को चर्मोत्कर्ष पर पहुँचाया था जो की मेरे लिये बेहद उत्तेजक व रोमांचित करने वाला था...
उत्तेजना के वश मै उस खारे खारे रश को भी अब अपनी जीभ से चाट चाट कर पीने लगा। वैसे सच कहु तो मुझे उस समय इतना कुछ मालुम भी नही था मगर उत्तेजना के वश भाभी की चुत का वो खारा कैसेला रश भी मुझे शहद से कम नही लग रहा था।
भाभी के उस खारे कैसेले चुतरश व उसमे से निकलती उस मादक मादक गँध का मुझ पर जैसे कोई खुमार सा छा गया था, इसलिये मै अपनी पुरी जीभ निकाल कर अपनी पुरी ही तनमयता से उस रश को चाट चाटकर गटक रहा था तो, भाभी भी अपनी कमर को हिला हिला कर मुझे अपनी चुत के रश को पीला रही थी.......
ऐसे अब धीरे धीरे भाभी की सिसकियां और तेज होती गयी तो गयी तो उनकी कमर भी अब तेजी से हरकत करने लगी। भाभी खुद ही अपनी चुत को अब मेरे मुँह पर जोर जोर से घीसने लगी थी, मगर फिर अचानक से भाभी की चुत की गहराई मे जैसे कोई ज्वालामुखी सा फटा ..
उन्होने अपनी कमर को उपर हवा उठा कर अपने दोनो हाथो व जाँघो से मेरे सिर को अपनी चुत पर कस के दबा लिया और.....
"अ्अा्आ्.ह्ह्ह्ह्ह्...आआआ....
इईई.श्श्श्श्श्..अ्आ्आ्...ह्ह्हह्ह्...आ्आ्आ्..." की सिसकारीयाँ सी भरते हुवे रह रह कर अपनी चुत के रश से मेरे मुँह को भरना शुरु कर दिया..
भाभी का पुरा बदन अब कमान की तरह तन गया था जिससे एक बार तो मै भी घबरा गया की ये क्या हो गया..? मगर फिर जल्दी ही मेरी समझ मे अा गया की भाभी अपने चर्मोत्कर्ष पर पहुँच गयी है..
खैर भाभी की चुत ने रह रह कर कामरश की अब इतनी पिचकारीयाँ मेरे मुँह पर मारी की चुतरश से भीगकर मेरा पुरा चेहरा ही तरबतर हो गया, जिसमे से थोङा बहुत तो मै गटक भी गया था मगर फिर भी वो मेरे चेहरे पर से होता हुवा मेरी गर्दन तक बह आया..
ये मेरा पहला अवसर था जब मैने अपनी जीभ से भाभी को चर्मोत्कर्ष पर पहुँचाया था जो की मेरे लिये बेहद उत्तेजक व रोमांचित करने वाला था...