31-07-2021, 10:03 PM
दरअसल मेरे होठ भाभी की चुत के प्रवेशद्वार पर पहुँच गये थे इसलिये भाभी इतनी जोरो से सिँहर गयी थी। चुत का प्रवेशद्वार इतना अधिक गीला व चिपचिपा हो रखा था की मेरे भी होठ चुतरश से भीगकर अब बिल्कुल ही तर हो गये। मै अब फिर से उपर बढना चाहता था मगर तभी भाभी ने मेरे सिर को पकङकर वही पर दबा लिया..
भाभी का इशारा समझ अब मै भी वही पर चुमने लगा जिससे हल्का हल्का उनकी चुत का रश होठो के रास्ते मेरे मुँह मे भी आने लगा जिससे मुँह का स्वाद भी नमकिन व चिकना होता चला गया।
पहले तो मुझे भाभी की चुत को चुमना अजीब लग रहा था मगर धीरे धीरे मुझे भी अब मझा सा आने लगा, क्योंकि भाभी की चुत को चुमने से उनके मुँह से हल्की हल्की सिकीयाँ निकल रही थी जो की मुझे भी उत्तेजना का अहसास करवा रही थी।
भाभी की चुत का वो नमकीन व चिकना रश भी मुझे अब इतना बुरा नही लग रहा था इसलिये मै चुत के प्रवेशद्वार को भी अब चुमने लगा, तो साथ ही अपनी जीभ निकाल कर चुत की फाँको को भी जीभ से सहलाना शुरु कर दिया...
मै भाभी की चुत को अपनी जीभ से बस सहला ही रहा था मगर तभी भाभी ने एक बार फिर से मेरे सिर पर दबाव बनाया। उन्होने अबकी बार मेरे सिर को पकङ कर थोङा सा नीचे इस तरह से एडजैस्ट किया की मेरी जीभ अब सीधा उनकी चुत की उस मखमली गहराई मे ही उतर गयी जो की अन्दर से एकदम सुलग सी रही थी।
मै भी अब भाभी का इशारा समझ गया और अपनी जीभ को भाभी की गहराई मे उतार कर उसे अन्दर बाहर करने लगा जिससे भाभी के मुँह से अब जोरो से ...
"इईई.श्श्श्श्...अ्अा्आ्...ह्ह्ह्ह्ह्.....
इईईई...श्श्श्श्श्श्श्...अ्अा्आ्आ्....ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्....."
की सिसकियां फुटना शुरु हो गयी तो, साथ ही उन्होने अपनी कमर को हिलाकर खुद भी अपनी चुत को मेरे मुँह पर घीसना शुरु कर दिया...
भाभी का इशारा समझ अब मै भी वही पर चुमने लगा जिससे हल्का हल्का उनकी चुत का रश होठो के रास्ते मेरे मुँह मे भी आने लगा जिससे मुँह का स्वाद भी नमकिन व चिकना होता चला गया।
पहले तो मुझे भाभी की चुत को चुमना अजीब लग रहा था मगर धीरे धीरे मुझे भी अब मझा सा आने लगा, क्योंकि भाभी की चुत को चुमने से उनके मुँह से हल्की हल्की सिकीयाँ निकल रही थी जो की मुझे भी उत्तेजना का अहसास करवा रही थी।
भाभी की चुत का वो नमकीन व चिकना रश भी मुझे अब इतना बुरा नही लग रहा था इसलिये मै चुत के प्रवेशद्वार को भी अब चुमने लगा, तो साथ ही अपनी जीभ निकाल कर चुत की फाँको को भी जीभ से सहलाना शुरु कर दिया...
मै भाभी की चुत को अपनी जीभ से बस सहला ही रहा था मगर तभी भाभी ने एक बार फिर से मेरे सिर पर दबाव बनाया। उन्होने अबकी बार मेरे सिर को पकङ कर थोङा सा नीचे इस तरह से एडजैस्ट किया की मेरी जीभ अब सीधा उनकी चुत की उस मखमली गहराई मे ही उतर गयी जो की अन्दर से एकदम सुलग सी रही थी।
मै भी अब भाभी का इशारा समझ गया और अपनी जीभ को भाभी की गहराई मे उतार कर उसे अन्दर बाहर करने लगा जिससे भाभी के मुँह से अब जोरो से ...
"इईई.श्श्श्श्...अ्अा्आ्...ह्ह्ह्ह्ह्.....
इईईई...श्श्श्श्श्श्श्...अ्अा्आ्आ्....ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्....."
की सिसकियां फुटना शुरु हो गयी तो, साथ ही उन्होने अपनी कमर को हिलाकर खुद भी अपनी चुत को मेरे मुँह पर घीसना शुरु कर दिया...