31-07-2021, 10:02 PM
मैने भी अब भाभी की चुत के पास बस एक दो बार ही चुमा, और चुमते हुवे सीधा नीचे उनकी जाँघो की तरफ बढ गया.....क्योंकि चुतरश से भीगकर उनकी चुत एक तो काफी गीली व चिपचिपी सी हो रखी थी और दुसरा उसमे से आती गँध मुझे कुछ अजीब ही लग रही थी।
उस समय मुझे नही पता था की ये क्या है और किसकी गँध है इसलिये मै सीधा भाभी की मासँल भरी हुई जाँघो पर से होते हुवे उनके कोमल पैरो पर पहुँच गया। अब भाभी के पैरो को भी मैने बस एक दो बार ही चुमा और फिर वापस उपर की तरफ बढ आया...
भाभी की नर्म मुलायम पिण्डलियों व मखमली जाँघो को चुमते सहलाते हुवे मै फिर से उनकी चुत की तरफ बढ रहा था मगर अब जैसे जैसे मै उपर की तरफ बढ रहा था वैसे वैसे भाभी की जाँघे धीरे धीरे और अधिक फैलती जा रही थी।
भाभी की जाँघो को चुमते हुवे मै अब सीधा उनके पेट की तरफ बढना चाहता था मगर इस बार जैसे ही मै चुत को छोङकर उपर की तरफ बढने लगा, भाभी ने दोनो हाथो से मेरे सिर को पकङ लिया और खिँचकर अपनी जाँघो के बीच, अपनी चुत पर दबा लिया।
भाभी की चुत के पास का हिस्सा गीला और चिपचिपा सा हो रखा था। मेरा दिल तो नही कर रहा था मगर फिर भी भाभी का दिल रखने के लिये मै चुत के पास से चुमने लगा जिससे मेरे होठ भी चिपचिपे से हो गये।
चुत को चुमने का मेरा यह पहला अवसर था जो की मेरे लिये बिल्कूल ही नया व अनोखा था। मुझे ज्यादा कुछ नही पता था इसलिये मैने बेमन से बस उपर-उपर से ही भाभी की चुत को दो चार बार चुमा और फिर सीधा उपर की तरफ बढने लगा, मगर भाभी ने फिर से मेरे सिर को पकङ लिया..!
इस बार भाभी ने अपने दोनो घुटनो को मोङकर जाँघो को पुरा फैला लिया और मेरे सिर को पकङकर मेरे होठो को ठीक चुत की दोनो फाँको के उपर ही रखवा लिया जो की बहुत अधिक गीली व चिपचिपी हो रखी थी।
भाभी की चुत से एक अजीब ही गँध भी आ रही थी, मेरे लिये ये अजीब असमन्जस कि स्थिति थी क्योकि मेरे लिये सब कुछ नया था मै सोच रहा था की जहाँ से भाभी पिशाब करती है, और जहाँ मुझे अपना लण्ड डालना चाहिये वहाँ पर वो मुझे चुमने के लिये बता रही है..?
उस समय मुझे नही पता था की ये क्या है और किसकी गँध है इसलिये मै सीधा भाभी की मासँल भरी हुई जाँघो पर से होते हुवे उनके कोमल पैरो पर पहुँच गया। अब भाभी के पैरो को भी मैने बस एक दो बार ही चुमा और फिर वापस उपर की तरफ बढ आया...
भाभी की नर्म मुलायम पिण्डलियों व मखमली जाँघो को चुमते सहलाते हुवे मै फिर से उनकी चुत की तरफ बढ रहा था मगर अब जैसे जैसे मै उपर की तरफ बढ रहा था वैसे वैसे भाभी की जाँघे धीरे धीरे और अधिक फैलती जा रही थी।
भाभी की जाँघो को चुमते हुवे मै अब सीधा उनके पेट की तरफ बढना चाहता था मगर इस बार जैसे ही मै चुत को छोङकर उपर की तरफ बढने लगा, भाभी ने दोनो हाथो से मेरे सिर को पकङ लिया और खिँचकर अपनी जाँघो के बीच, अपनी चुत पर दबा लिया।
भाभी की चुत के पास का हिस्सा गीला और चिपचिपा सा हो रखा था। मेरा दिल तो नही कर रहा था मगर फिर भी भाभी का दिल रखने के लिये मै चुत के पास से चुमने लगा जिससे मेरे होठ भी चिपचिपे से हो गये।
चुत को चुमने का मेरा यह पहला अवसर था जो की मेरे लिये बिल्कूल ही नया व अनोखा था। मुझे ज्यादा कुछ नही पता था इसलिये मैने बेमन से बस उपर-उपर से ही भाभी की चुत को दो चार बार चुमा और फिर सीधा उपर की तरफ बढने लगा, मगर भाभी ने फिर से मेरे सिर को पकङ लिया..!
इस बार भाभी ने अपने दोनो घुटनो को मोङकर जाँघो को पुरा फैला लिया और मेरे सिर को पकङकर मेरे होठो को ठीक चुत की दोनो फाँको के उपर ही रखवा लिया जो की बहुत अधिक गीली व चिपचिपी हो रखी थी।
भाभी की चुत से एक अजीब ही गँध भी आ रही थी, मेरे लिये ये अजीब असमन्जस कि स्थिति थी क्योकि मेरे लिये सब कुछ नया था मै सोच रहा था की जहाँ से भाभी पिशाब करती है, और जहाँ मुझे अपना लण्ड डालना चाहिये वहाँ पर वो मुझे चुमने के लिये बता रही है..?