31-07-2021, 09:59 PM
भाभी की कोरी कोरी चुँचियाँ अब मेरे सामने थी।एकदम गोल गोल व दुध सी सफेद चुँचियो पर मेरे रगङे और मसले जाने से निशान बन गये थे मगर उत्तेजना के कारण उनके निप्पल सुपारी के जैसे कङे होकर एकदम तने खङे थे। उनको देखकर ही मेरे मुँह मे अब पानी आ गया, इसलिये एक निप्पल को सीधा अपने को मुँह ने भरकर मै गप्प कर गया..
अब जैसे ही मैने भाभी के निप्पल को मुँह लिया
भाभी के मुँह से एक मीठी सिसकी सी निकल गयी और उन्होने दोनो हाथो से मेरे सिर को अपनी चुँची पर जोरो से दबा लिया। मै भी अब उनके निप्पल को अपनी जीभ व दाँतो से कुरेद कुरेद कर चुशने लगा जिससे भाभी के मुँह से भी हल्की-हल्की सिसकीयाँ फुटना शुरु हो गयी।
अब कुछ देर तो ऐसे भाभी मेरे सिर को सहलाते सहलाते अपनी चुँचियो के रस को पिलाती रही, फिर भाभी ने अपने पैरो को फैलाकर मुझे अपनी जाँघो के बीच दबा लिया और अपनी कमर को हिला हिलाकर अपनी चुत को मेरे पेट पर घीसने लगी...
मेरे भी दिमाग मे अब भाभी की चुत का रुख करने ख्याल आ गया....मै भाभी के उपर लेटा हुवा था और इस स्थिति मे तो भाभी की चुत को छु नही सकता था इसलिये भाभी के चुँचियो को चुसते हुवे ही मै खिसक कर भाभी पर से निचे उतर गया और एक हाथ भाभी की चुँचियो पर से हटाकर उनके नर्म पेट पर से होते हुवे उनकी चुत पर ले आया। जबकि मेरा दुसरा हाथ अभी भी भाभी की चुँचियो को ही मिचने मे व्यस्त रहा..
अब पेटीकोट के उपर से ही मैने भाभी की चुत को सहलाकर देखा तो पाया की भाभी ने पेँटी भी नही पहन रखी थी जिस कारण पेटीकोट चुत के पास से चुत रश से भीग कर गीला हो रखा था। भाभी
की चुत देखने की मुझे अब तीव्र इच्छा हो रही थी इसलिये चुत को सहलाते सहलाते ही मैने धीरे धीरे कर भाभी के पेटीकोट को खिँचकर उनके पेट तक उलट दिया...
पेटीकोट के उलट जाने से भाभी की चुत नँगी हो गयी थी इसलिये मैने भी अब उनकी चुँचियो को तो छोङ दिया और धीरे से उठ कर भाभी की दोनो जाँघो के पास बैठ गया।
अब जैसे ही मैने भाभी के निप्पल को मुँह लिया
भाभी के मुँह से एक मीठी सिसकी सी निकल गयी और उन्होने दोनो हाथो से मेरे सिर को अपनी चुँची पर जोरो से दबा लिया। मै भी अब उनके निप्पल को अपनी जीभ व दाँतो से कुरेद कुरेद कर चुशने लगा जिससे भाभी के मुँह से भी हल्की-हल्की सिसकीयाँ फुटना शुरु हो गयी।
अब कुछ देर तो ऐसे भाभी मेरे सिर को सहलाते सहलाते अपनी चुँचियो के रस को पिलाती रही, फिर भाभी ने अपने पैरो को फैलाकर मुझे अपनी जाँघो के बीच दबा लिया और अपनी कमर को हिला हिलाकर अपनी चुत को मेरे पेट पर घीसने लगी...
मेरे भी दिमाग मे अब भाभी की चुत का रुख करने ख्याल आ गया....मै भाभी के उपर लेटा हुवा था और इस स्थिति मे तो भाभी की चुत को छु नही सकता था इसलिये भाभी के चुँचियो को चुसते हुवे ही मै खिसक कर भाभी पर से निचे उतर गया और एक हाथ भाभी की चुँचियो पर से हटाकर उनके नर्म पेट पर से होते हुवे उनकी चुत पर ले आया। जबकि मेरा दुसरा हाथ अभी भी भाभी की चुँचियो को ही मिचने मे व्यस्त रहा..
अब पेटीकोट के उपर से ही मैने भाभी की चुत को सहलाकर देखा तो पाया की भाभी ने पेँटी भी नही पहन रखी थी जिस कारण पेटीकोट चुत के पास से चुत रश से भीग कर गीला हो रखा था। भाभी
की चुत देखने की मुझे अब तीव्र इच्छा हो रही थी इसलिये चुत को सहलाते सहलाते ही मैने धीरे धीरे कर भाभी के पेटीकोट को खिँचकर उनके पेट तक उलट दिया...
पेटीकोट के उलट जाने से भाभी की चुत नँगी हो गयी थी इसलिये मैने भी अब उनकी चुँचियो को तो छोङ दिया और धीरे से उठ कर भाभी की दोनो जाँघो के पास बैठ गया।