31-07-2021, 09:58 PM
भाभी के होठो को छोङकर मै भी अब उनके गालो व गर्दन पर से होते हुवे उनकी चुँचियो पर उपर आ गया और बारी बारी से दोनो चुँचियो को चुमने लगा। भाभी की चुँचियो व मेरे प्यासे होठ के बीच उनका ब्लाउज आ रहा था जिस मै उसे उतारने की सोच ही रहा था की..तभी भाभी ने मुझे थोङा सा पीछे धकेल एक ही झटके मे अपने ब्लाउज के सारे बटन खोलकर दोनो चुँचियो को अाजाद कर दिया...
चुँचियो के आजाद होते ही मै भी उन पर अब ऐसे टुट पङा जैसे की जन्मो के प्यासे को आज पहली बार कुवाँ मिल गया हो। भाभी की दोनो चुँचियो को मै बारी बारी से चुमने चाटने लगा, साथ ही हाथो से उन्हे जोरो जोर मसल भी रहा था जिससे कुछ ही देर मे उनके दोनो निप्पल तनकर पत्थर हो गये..
भाभी की चुँचियो के साथ मैने खेल ही रहा था की तभी बीजली भी आ गयी। अभी तक मेरे और भाभी के बीच ये सब अन्धेरे मे ही चल रहा था मगर अब बीजली के आते ही पुरे कमरे मे ट्यूब लाईट का दुधिया प्रकाश फैल गया।
तेज रोशनी से अब एक बार तो हमारी आँखे मुँद गयी, मगर मुँदने के बाद जब वो दोबार खुली तो सीधा ही मेरी और भाभी की नजरे आपस मे जा मिली.. मेरी आँखों मे जँहा अब उत्तेजना के डोरे तैर रहे थे तो वही भाभी की नजरो मे मुझे शरारत दिख रही थी।
वो मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी मगर उत्तेजना के मारे मेरा बुरा होल हो रहा था। इसलिये एक बार भाभी की ओर देखकर मै उनकी बङी बङी चुँचियो की ओर देखने लगा.. भाभी ने अपने दोनो हाथ चुँचियो पर रखकर उन्हे अब छिपा लिया था। जिनको मैने अब डरते डरते हटाने की कोशिश की मगर तभी..
"पहले ये लाईट तो बन्द कर दो..!" भाभी ने मेरी ओर अब उसी शरारत से देखते हुवे कहा।
पहली पहली बार, पहली बार क्या..? वो तो हर बार ही औरत के नँगे बदन को देखने की चाह हर किसी को होती है, फिर मै तो इस खेल मे बिल्कुल ही नया था। मेरा भी दिल कर रहा था की मै भाभी के सभी अँगो अच्छे से देखुँ इसलिये..
"व्.व्. वो्. र्.र्.रहने दो ना.." मैने धीरे से भाभी के हाथो को चुँचियो पर से हटाने की कोशिश करते हुवे कहा पर शरम के मारे मैने भाभी से नजरे चुरा ली।
भाभी भी समझ रही थी की मेरे दिल मे क्या चल रहा है और मै लाईट क्यो जलाये रखना चाह रहा हुँ इसलिये..
"बदमाश.." भाभी ने शरारत से हँशकर मेरी ओर देखते हुवे कहा और धीरे से अपने हाथो को चुँचियो पर से दुर हटा लिया...
चुँचियो के आजाद होते ही मै भी उन पर अब ऐसे टुट पङा जैसे की जन्मो के प्यासे को आज पहली बार कुवाँ मिल गया हो। भाभी की दोनो चुँचियो को मै बारी बारी से चुमने चाटने लगा, साथ ही हाथो से उन्हे जोरो जोर मसल भी रहा था जिससे कुछ ही देर मे उनके दोनो निप्पल तनकर पत्थर हो गये..
भाभी की चुँचियो के साथ मैने खेल ही रहा था की तभी बीजली भी आ गयी। अभी तक मेरे और भाभी के बीच ये सब अन्धेरे मे ही चल रहा था मगर अब बीजली के आते ही पुरे कमरे मे ट्यूब लाईट का दुधिया प्रकाश फैल गया।
तेज रोशनी से अब एक बार तो हमारी आँखे मुँद गयी, मगर मुँदने के बाद जब वो दोबार खुली तो सीधा ही मेरी और भाभी की नजरे आपस मे जा मिली.. मेरी आँखों मे जँहा अब उत्तेजना के डोरे तैर रहे थे तो वही भाभी की नजरो मे मुझे शरारत दिख रही थी।
वो मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी मगर उत्तेजना के मारे मेरा बुरा होल हो रहा था। इसलिये एक बार भाभी की ओर देखकर मै उनकी बङी बङी चुँचियो की ओर देखने लगा.. भाभी ने अपने दोनो हाथ चुँचियो पर रखकर उन्हे अब छिपा लिया था। जिनको मैने अब डरते डरते हटाने की कोशिश की मगर तभी..
"पहले ये लाईट तो बन्द कर दो..!" भाभी ने मेरी ओर अब उसी शरारत से देखते हुवे कहा।
पहली पहली बार, पहली बार क्या..? वो तो हर बार ही औरत के नँगे बदन को देखने की चाह हर किसी को होती है, फिर मै तो इस खेल मे बिल्कुल ही नया था। मेरा भी दिल कर रहा था की मै भाभी के सभी अँगो अच्छे से देखुँ इसलिये..
"व्.व्. वो्. र्.र्.रहने दो ना.." मैने धीरे से भाभी के हाथो को चुँचियो पर से हटाने की कोशिश करते हुवे कहा पर शरम के मारे मैने भाभी से नजरे चुरा ली।
भाभी भी समझ रही थी की मेरे दिल मे क्या चल रहा है और मै लाईट क्यो जलाये रखना चाह रहा हुँ इसलिये..
"बदमाश.." भाभी ने शरारत से हँशकर मेरी ओर देखते हुवे कहा और धीरे से अपने हाथो को चुँचियो पर से दुर हटा लिया...