31-07-2021, 09:56 PM
कुछ देर तक तो मै और भाभी अब ऐसे ही लेटे रहे क्योकि मै सोच रहा था की भाभी पहले करेगी और शायद भाभी सोच रही थी की मै पहल करूँगा, मगर शर्म व डर के कारण मुझमे तो पहल करने की हिम्मत ही कहाँ थी..?
अब कुछ देर तो हम दोनो ऐसे ही लेटे रहे, फिर मैने धीरे से करवट बदलकर अपना मुँह भाभी की तरफ कर लिया और इसी बहाने धीरे से अपना एक पैर भी भाभी के पैरो पर रख दिया, रखा तो क्या दिया, बस ऐसे ही भाभी के एक पैर से छुवा दिया था।
शर्म व घबराहट के कारण मेरा दिल अब जोरो से धङक रहा था तो पुरा बदन हल्का-हल्का काँपने सा लगा था। मेरे करवट बदलते ही भाभी ने भी अब करवट बदलकर अपना मुँह मेरी तरफ मुँह कर लिया और थोङा सा मेरे नजदीक भी हो गयी जिससे हम दोनो के ही बदन एक दुसरे से स्पर्श करने लगे।
मै अभी भी ऐसे ही लेटा हुवा था, पर मेरे बदन की काँपकँपाहट के कारण शायद भाभी को मेरी स्थिति का अहसास हो गया था इसलिये भाभी ने ही अब पहल की, उन्होने अपना एक हाथ मेरे उपर से ले जाकर मुझे पीठ पीछे से पकङ लिया और खीँचकर अपने बदन के साथ जोरो से चिपका लिया..
मै भी खिँचता हुवा अब भाभी के बदन से चिपकता चला गया जिससे भाभी मखमली बदन मुझे अपनी कोमलता से गुदगुदाने लगा तो भाभी का चेहरा भी अब मेरे बिल्कुल पास आ गया और उनकी गर्म गर्म व महकती साँसे मेरी साँसो को महकाने लगी...
मुझे आगे कुछ करने मे अभी भी सँकोच तो हो रहा था मगर फिर भी मैने धीरे से अपने होठो को भाभी के नर्म नाजुक होठो से जोङ दिया.. मैने बस अपने होठो को भाभी के होठो से लगाया ही था, मगर बाकी का काम अब मेरी भाभी ने किया.. उन्होने जो हाथ मेरी पीठ रखा हुवा था उसे उपर लाकर मेरी गर्दन को पकङ लिया और मेरे होठो को मुहँ मे भरकर जोर जोर से चुसना शुरु कर दिया..
अब तो मुझमे भी रहा नही गया, इसलिये मैने भी भाभी के एक होठ को अपने मुँह मे भरकर उसे कस कसकर चुसना शुरु कर दिया तो, साथ ही अपना एक हाथ भाभी के उपर रख कर धीरे धीरे उनके माँसल व भरे कुल्हो और जाँघो को भी सहलाने लगा...
भाभी के होठो को चुशते हुवे मुझे अब ऐसा लग रहा था जैसे की भाभी की जीभ बार बार मेरे होठो के बीच आकर मेरे दाँतो से टकरा रही हो। पहले एक दो बार तो मैने ध्यान नही दिया मगर जब बार बार ही ऐसा होने लगा तो इस बार मैने अपने दाँतो को थोङा सा खोल दिया..
अब जैसे ही मैने अपने दाँत अलग किये भाभी की गर्म गर्म व लपलपाती लचीली जीभ मेरे मुँह मे अन्दर तक का सफर करने लगी। वो कभी अपनी जीभ से मेरी जीभ को सहलाने लगी तो, कभी मेरे होठो के अन्दर के भाग को घुम घुम पुरा अन्दर तक चाटने लगी..
भाभी की जीभ कही एक जगह ठहर ही नही रही थी इसलिये मैने उसे अपने होठो के बीच दबा लिया और दिन के जैसे ही चुशना शुरू कर दिया... भाभी के मुँह का मधुर मधुर रश अब मेरे मुँह मे घुलने लगा था जिसके स्वाद मे मै अब इतना खो गया की, पता ही नही चला कब मेरी जीभ भाभी की जीभ का पीछा करते हुवे उनके मुँह मे चली गयी।
अब बारी भाभी की थी, वैसे मै तो भाभी की जीभ को बङे ही प्यार और आराम आराम से ही चुश रहा था मगर भाभी ने मेरी जीभ को अपने होठो व दाँतो तले दबा लिया और उसे बहुत जोर जोर से व कस कस कर उसे चुसने लगी..
मुझे दर्द हो रहा था इसलिये मैने भाभी से दुर होकर अपनी जीभ को अब छुङाने का भी प्रयास किया, मगर भाभी ने अपना दुसरा हाथ भी अब मेरी गर्दन के नीचे से लेकर मेरे सिर को पकङ लिया...
तब तक भाभी का पहले वाला हाथ जो की मेरे सिर पर था उसे वो अब मेरी कमर पर ले आई और मेरे सिर व कमर को पकङकर मुझे जोरो से अपनी बाँहो मे भीँच लिया...
मेरी जीभ को भाभी इतने जोरो से चुश रही थी की मुझे अपनी जीभ खीँच कर भाभी के मुँह जाती सी महसूस हो रही थी, दर्द के कारण मै छटपटाने लगा मगर भाभी छोङने का नाम ही नही ले रही थी। अब कुछ ना होते देख मैने भाभी की कमर पर जोरो से एक चिकोटी काटी तब जाके भाभी मेरी जीभ को छोङा...
अब कुछ देर तो हम दोनो ऐसे ही लेटे रहे, फिर मैने धीरे से करवट बदलकर अपना मुँह भाभी की तरफ कर लिया और इसी बहाने धीरे से अपना एक पैर भी भाभी के पैरो पर रख दिया, रखा तो क्या दिया, बस ऐसे ही भाभी के एक पैर से छुवा दिया था।
शर्म व घबराहट के कारण मेरा दिल अब जोरो से धङक रहा था तो पुरा बदन हल्का-हल्का काँपने सा लगा था। मेरे करवट बदलते ही भाभी ने भी अब करवट बदलकर अपना मुँह मेरी तरफ मुँह कर लिया और थोङा सा मेरे नजदीक भी हो गयी जिससे हम दोनो के ही बदन एक दुसरे से स्पर्श करने लगे।
मै अभी भी ऐसे ही लेटा हुवा था, पर मेरे बदन की काँपकँपाहट के कारण शायद भाभी को मेरी स्थिति का अहसास हो गया था इसलिये भाभी ने ही अब पहल की, उन्होने अपना एक हाथ मेरे उपर से ले जाकर मुझे पीठ पीछे से पकङ लिया और खीँचकर अपने बदन के साथ जोरो से चिपका लिया..
मै भी खिँचता हुवा अब भाभी के बदन से चिपकता चला गया जिससे भाभी मखमली बदन मुझे अपनी कोमलता से गुदगुदाने लगा तो भाभी का चेहरा भी अब मेरे बिल्कुल पास आ गया और उनकी गर्म गर्म व महकती साँसे मेरी साँसो को महकाने लगी...
मुझे आगे कुछ करने मे अभी भी सँकोच तो हो रहा था मगर फिर भी मैने धीरे से अपने होठो को भाभी के नर्म नाजुक होठो से जोङ दिया.. मैने बस अपने होठो को भाभी के होठो से लगाया ही था, मगर बाकी का काम अब मेरी भाभी ने किया.. उन्होने जो हाथ मेरी पीठ रखा हुवा था उसे उपर लाकर मेरी गर्दन को पकङ लिया और मेरे होठो को मुहँ मे भरकर जोर जोर से चुसना शुरु कर दिया..
अब तो मुझमे भी रहा नही गया, इसलिये मैने भी भाभी के एक होठ को अपने मुँह मे भरकर उसे कस कसकर चुसना शुरु कर दिया तो, साथ ही अपना एक हाथ भाभी के उपर रख कर धीरे धीरे उनके माँसल व भरे कुल्हो और जाँघो को भी सहलाने लगा...
भाभी के होठो को चुशते हुवे मुझे अब ऐसा लग रहा था जैसे की भाभी की जीभ बार बार मेरे होठो के बीच आकर मेरे दाँतो से टकरा रही हो। पहले एक दो बार तो मैने ध्यान नही दिया मगर जब बार बार ही ऐसा होने लगा तो इस बार मैने अपने दाँतो को थोङा सा खोल दिया..
अब जैसे ही मैने अपने दाँत अलग किये भाभी की गर्म गर्म व लपलपाती लचीली जीभ मेरे मुँह मे अन्दर तक का सफर करने लगी। वो कभी अपनी जीभ से मेरी जीभ को सहलाने लगी तो, कभी मेरे होठो के अन्दर के भाग को घुम घुम पुरा अन्दर तक चाटने लगी..
भाभी की जीभ कही एक जगह ठहर ही नही रही थी इसलिये मैने उसे अपने होठो के बीच दबा लिया और दिन के जैसे ही चुशना शुरू कर दिया... भाभी के मुँह का मधुर मधुर रश अब मेरे मुँह मे घुलने लगा था जिसके स्वाद मे मै अब इतना खो गया की, पता ही नही चला कब मेरी जीभ भाभी की जीभ का पीछा करते हुवे उनके मुँह मे चली गयी।
अब बारी भाभी की थी, वैसे मै तो भाभी की जीभ को बङे ही प्यार और आराम आराम से ही चुश रहा था मगर भाभी ने मेरी जीभ को अपने होठो व दाँतो तले दबा लिया और उसे बहुत जोर जोर से व कस कस कर उसे चुसने लगी..
मुझे दर्द हो रहा था इसलिये मैने भाभी से दुर होकर अपनी जीभ को अब छुङाने का भी प्रयास किया, मगर भाभी ने अपना दुसरा हाथ भी अब मेरी गर्दन के नीचे से लेकर मेरे सिर को पकङ लिया...
तब तक भाभी का पहले वाला हाथ जो की मेरे सिर पर था उसे वो अब मेरी कमर पर ले आई और मेरे सिर व कमर को पकङकर मुझे जोरो से अपनी बाँहो मे भीँच लिया...
मेरी जीभ को भाभी इतने जोरो से चुश रही थी की मुझे अपनी जीभ खीँच कर भाभी के मुँह जाती सी महसूस हो रही थी, दर्द के कारण मै छटपटाने लगा मगर भाभी छोङने का नाम ही नही ले रही थी। अब कुछ ना होते देख मैने भाभी की कमर पर जोरो से एक चिकोटी काटी तब जाके भाभी मेरी जीभ को छोङा...