31-07-2021, 09:55 PM
जैसा की अभी तक आपने पढा मम्मी पापा के आ जाने के बाद भाभी घर के कामो मे व्यस्त हो गयी और मै ऐसे ही घर मे घुमता रहा, घुम तो क्या रहा था बस जल्दी से रात होने का इन्तजार कर रहा था। और ये तो मेरा दिल ही जानता है कि मै कैसे समय निकाल रहा था।
भाभी के साथ दोपहर मे जो कुछ भी हुवा था मै बस उसे ही सोच-सोचकर अपने आप उत्तेजित हो रहा था। इस दौरान मेरी और भाभी की कोई बात नहीं हुई मगर जब भी मेरा भाभी से सामना होता.. तो भाभी मुझे देख कर मुस्कुराने लगतीं..., मैं भी भाभी की मुस्कुराहट का जवाब मुस्कुराकर देता।
खैर कैसे भी करके रात हो गयी, मैने जल्दी से खाना खाया और रोजाना की तरह ही भाभी के कमरे मे जाकर पढाई करने लगा, पढाई तो कहा हो रही थी बस मै तो भाभी के कमरे मे आने का इन्तजार कर रहा था। पर भाभी दस बजे घर के काम निपटाकर कमरे मे आई.....
भाभी के आते ही मेरे शरीर का तपनान अब अचानक से बढ गया तो, दिल भी जोरो से धङकने लगा। भाभी मुझे देखकर थोङा सा मुस्कुराई और फिर कमरे का दरवाजा बन्द करके अपनी साङी निकालने लगी। शरम के कारण भाभी से बात करने की मेरी हिम्मत नही हो रही थी, मै बस चोर निगाहों से ही भाभी को देख रहा था।
भाभी ने अभी भी दिन वाले ही कपङे पहने हुवे थे इसलिये उन्होने साङी को तो निकाल कर अलबारी मे रख दिया और मात्र पेटीकोट व ब्लाउज मे बैड पर जाकर बैठ गयी। बैड पर बैठकर भाभी अब एक बार फिर मुझे देखकर मुस्कुराई और हँसते हुवे..
"सोते समय लाईट बन्द कर देना.." भाभी ने मेरी तरफ देखते हुवे कहा। पर भाभी का इतना बोलना हुवा की लाईट का जाना हुवा...
लाईट के जाते ही कमरे घुप्प अन्धेरा हो गया था। अब अन्धेरे मे तो पढाई हो नही सकती थी। वैसे भी मै पढाई तो कर ही कहाँ रहा था, मै तो बस भाभी के ही आने की राह देख रहा था इसलिये मै भी अब चुपचाप भाभी की बगल मे जाकर लेट गया...
भाभी के साथ दोपहर मे जो कुछ भी हुवा था मै बस उसे ही सोच-सोचकर अपने आप उत्तेजित हो रहा था। इस दौरान मेरी और भाभी की कोई बात नहीं हुई मगर जब भी मेरा भाभी से सामना होता.. तो भाभी मुझे देख कर मुस्कुराने लगतीं..., मैं भी भाभी की मुस्कुराहट का जवाब मुस्कुराकर देता।
खैर कैसे भी करके रात हो गयी, मैने जल्दी से खाना खाया और रोजाना की तरह ही भाभी के कमरे मे जाकर पढाई करने लगा, पढाई तो कहा हो रही थी बस मै तो भाभी के कमरे मे आने का इन्तजार कर रहा था। पर भाभी दस बजे घर के काम निपटाकर कमरे मे आई.....
भाभी के आते ही मेरे शरीर का तपनान अब अचानक से बढ गया तो, दिल भी जोरो से धङकने लगा। भाभी मुझे देखकर थोङा सा मुस्कुराई और फिर कमरे का दरवाजा बन्द करके अपनी साङी निकालने लगी। शरम के कारण भाभी से बात करने की मेरी हिम्मत नही हो रही थी, मै बस चोर निगाहों से ही भाभी को देख रहा था।
भाभी ने अभी भी दिन वाले ही कपङे पहने हुवे थे इसलिये उन्होने साङी को तो निकाल कर अलबारी मे रख दिया और मात्र पेटीकोट व ब्लाउज मे बैड पर जाकर बैठ गयी। बैड पर बैठकर भाभी अब एक बार फिर मुझे देखकर मुस्कुराई और हँसते हुवे..
"सोते समय लाईट बन्द कर देना.." भाभी ने मेरी तरफ देखते हुवे कहा। पर भाभी का इतना बोलना हुवा की लाईट का जाना हुवा...
लाईट के जाते ही कमरे घुप्प अन्धेरा हो गया था। अब अन्धेरे मे तो पढाई हो नही सकती थी। वैसे भी मै पढाई तो कर ही कहाँ रहा था, मै तो बस भाभी के ही आने की राह देख रहा था इसलिये मै भी अब चुपचाप भाभी की बगल मे जाकर लेट गया...