31-07-2021, 09:50 PM
मेरे जीवन मे सैक्स का ये पहला अनुभव था, इसलिये मुझे एक तो इन सब कामो के बारे मे ज्यादा कुछ पता नही था, उपर से भाभी कही बुरा ना मान जाये इस बात के डर के कारण मै भाभी के साथ कोई जोर जबरदस्ती करने के स्थित मे भी नही था।
मै अब कुछ और तो कर नही सकता था इसलिये भाभी की गोरी चिकनी नँगी जाँघो से ही चिपट गया और उन पर चुम्बनो की झङी सी लगा दी.. जाँघो को चुमते हुवे मै अब भी बार बार उन्हे खोलने की कोशिश कर रहा था...
मगर मै उन्हे जितना खोलने की कोशिश कर रहा था भाभी उन्हें उतना ही और कस के भीँच रही थी...पर भाभी जितना अपनी चुत को छुपाने की कोशिश कर रही थी मेरे दिल मे उसे देखने की इच्छा उतनी ही ज्यादा प्रबल हो रही थी इसलिये मै भी उनकी जाँघो को चुमते हुवे अपनी कोशिश मे जुटा रहा...
अब ऐसे ही कुछ देर तो भाभी भी मुझे तरसाती रही फिर शायद उनको मुझ पर तरस आ गया और अबकी बार मैने जैसे ही जाँघो को खोलने की कोशिश की, उन्होंने धीरे से अपनी जाँघो को खोल दिया...
भाभी ने अपनी जाँघो को पुरा नही खोला था, उन्होंने बस हल्का सा ही खोला था, पर बाकी का काम अब मेरे हाथो ने किया। मैने पहले तो अपने दोनो हाथो को भाभी की जाँघो के बीच घुसा दिया, फिर जाँघो को पकङकर उन्हे पुरा फैला दिया..
भाभी की फूली हुई बालों रहित चुत अब मेरे सामने थी जिसके बाल लगता है शायद भाभी ने आज ही... आज ही..। आज ही क्या शायद अभी अभी ही साफ किए थे, क्योंकि चुत पर बाल तो क्या एक रोवा तक नही था। बिल्कुल सफेद कागज के जैसे एकदम ही कोरी चुत थी भाभी की।
तस्वीरो मे तो एक दो बार मै पहले भी चुत को देखा था मगर असल मे पहली बार चुत को देख रहा था। मेरे लिये ये कोई खजाना मिलने से कम नही था इसलिये नीचे झुककर मै उसे अब बङे ही ध्यान से देखने लगा..
दोनों जाँघों के बीच फुली व उभरी हुई छोटी सी चुत और चुत की गुलाबी रंगत लिए हुए दरार, ऐसी लग रही थी मानो पाँवरोटी को बीचों-बीच चाकू से काटकर उसमे सिंदूर भर रखा हो। और चुत की दोनों फाँकों के बीच हल्का सा दिखाई देता चुत का दाना तो ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे भाभी की चुत अपनी जीभ निकाल कर मुझे चिढ़ा रही हो।
भाभी की चुत को देखते देखते अनायास ही मेरी एक नजर अब भाभी के चेहरे पर भी चली गयी.. वो अभी तक हल्की सी आँखे खोलकर शायद मुझे ही देख रही थी मगर मेरे अब उनके चेहरे की तरफ देखते ही भाभी ने तुरन्त अपनी आँखे बन्द कर ली और मेरा हाथ पकड़ मुझे अब अपने ऊपर खींचने लगी..
मै भी अब भाभी का ये इशारा समझ, जल्दी से अपना अण्डरवियर व हाफ पैंट को निकाल सीधा भाभी के ऊपर चढके लेट गया.. मै भाभी पर नँगा होके लेट तो गया, पर मेरे सामने अब ये समस्या खङी हो गयी की, अब करु तो क्या करूँ क्योंकि मुझे तो सेक्स करना आता नहीं था।
मै अब कुछ और तो कर नही सकता था इसलिये भाभी की गोरी चिकनी नँगी जाँघो से ही चिपट गया और उन पर चुम्बनो की झङी सी लगा दी.. जाँघो को चुमते हुवे मै अब भी बार बार उन्हे खोलने की कोशिश कर रहा था...
मगर मै उन्हे जितना खोलने की कोशिश कर रहा था भाभी उन्हें उतना ही और कस के भीँच रही थी...पर भाभी जितना अपनी चुत को छुपाने की कोशिश कर रही थी मेरे दिल मे उसे देखने की इच्छा उतनी ही ज्यादा प्रबल हो रही थी इसलिये मै भी उनकी जाँघो को चुमते हुवे अपनी कोशिश मे जुटा रहा...
अब ऐसे ही कुछ देर तो भाभी भी मुझे तरसाती रही फिर शायद उनको मुझ पर तरस आ गया और अबकी बार मैने जैसे ही जाँघो को खोलने की कोशिश की, उन्होंने धीरे से अपनी जाँघो को खोल दिया...
भाभी ने अपनी जाँघो को पुरा नही खोला था, उन्होंने बस हल्का सा ही खोला था, पर बाकी का काम अब मेरे हाथो ने किया। मैने पहले तो अपने दोनो हाथो को भाभी की जाँघो के बीच घुसा दिया, फिर जाँघो को पकङकर उन्हे पुरा फैला दिया..
भाभी की फूली हुई बालों रहित चुत अब मेरे सामने थी जिसके बाल लगता है शायद भाभी ने आज ही... आज ही..। आज ही क्या शायद अभी अभी ही साफ किए थे, क्योंकि चुत पर बाल तो क्या एक रोवा तक नही था। बिल्कुल सफेद कागज के जैसे एकदम ही कोरी चुत थी भाभी की।
तस्वीरो मे तो एक दो बार मै पहले भी चुत को देखा था मगर असल मे पहली बार चुत को देख रहा था। मेरे लिये ये कोई खजाना मिलने से कम नही था इसलिये नीचे झुककर मै उसे अब बङे ही ध्यान से देखने लगा..
दोनों जाँघों के बीच फुली व उभरी हुई छोटी सी चुत और चुत की गुलाबी रंगत लिए हुए दरार, ऐसी लग रही थी मानो पाँवरोटी को बीचों-बीच चाकू से काटकर उसमे सिंदूर भर रखा हो। और चुत की दोनों फाँकों के बीच हल्का सा दिखाई देता चुत का दाना तो ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे भाभी की चुत अपनी जीभ निकाल कर मुझे चिढ़ा रही हो।
भाभी की चुत को देखते देखते अनायास ही मेरी एक नजर अब भाभी के चेहरे पर भी चली गयी.. वो अभी तक हल्की सी आँखे खोलकर शायद मुझे ही देख रही थी मगर मेरे अब उनके चेहरे की तरफ देखते ही भाभी ने तुरन्त अपनी आँखे बन्द कर ली और मेरा हाथ पकड़ मुझे अब अपने ऊपर खींचने लगी..
मै भी अब भाभी का ये इशारा समझ, जल्दी से अपना अण्डरवियर व हाफ पैंट को निकाल सीधा भाभी के ऊपर चढके लेट गया.. मै भाभी पर नँगा होके लेट तो गया, पर मेरे सामने अब ये समस्या खङी हो गयी की, अब करु तो क्या करूँ क्योंकि मुझे तो सेक्स करना आता नहीं था।