31-07-2021, 09:48 PM
भाभी ने नीचे भी पैन्टी नहीं पहनी हुई थी इसलिए पेटीकोट के ऊपर से ही मुझे अब सीधा भाभी की कोरी कोरी व फुली हुई चुत की बनावट महसूस हुई..
कचौङी के जैसे एकदम फुली हुई व छोटी सी चुत थी भाभी की। मैने पहली बार चुत को छुवा था इसलिये भाभी की चुत को छुते ही मेरे लण्ड ने अब एक ठुनकी सी खाई और उसमे कामरश की कुछ बन्दे निकल कर मेरे अण्डरवियर को गीला कर गयी...
भाभी की चुत को सहलाते सहलाते मेरा हाथ अब थोङा सा नीचे गया तो मुझे वहाँ पर कुछ गीलापन सा भी महसूस हुवा..!, मैने वहाँ पर अच्छे से सहलाकर देखा तो पाया, भाभी की जाँघो के जोङ के पास से उनका पेटीकोट हल्का सा नम था..
वैसे तो मै इस खेल मे अनाङी था मगर फिर भी मै समझ गया की जिस तरह उत्तेजना के कारण मेरे लण्ड से पानी निकल रहा है शायद वैसे ही भाभी की चुत भी उत्तेजना के कारण पानी छोङ रही है...
भाभी की चुत को इस तरह पानी छोङते देख मेरे लिये अब अपने आप पर ही काबू पाना मुश्किल हो गया. मेरे दिल में जल्दी से भाभी की चुत को देखने की चाहत हो रही थी.. इसलिए मैंने दोनो हाथो से पेटीकोट के नीचले सीरो को पकङ लिया और एक ही झटके मे उसे भाभी के पेट तक पलट दिया...
भाभी नीचे से अब बिल्कुल नँगी हो गयी थी। मुझे उनकी दुधिया सफेद व चिकनी जांघो के बीच फूली हुई चुत की बस एक झलक मिली ही थी की भाभी ने तुरन्त अपनी जाँघो को भीँच लिया...
मेरे सामने बस उनकी चुत का फुला हुवा उभार सा ही रह गया था..पर भाभी की चुत देखने के लिये मै इतना अधिक लालायित था की मैने अब उनकी जाँघो को फिर से खोलने की भी कोशिश की, मगर भाभी ने उन्हे और जोरो से भीँच लिया...
मेरा चेहरा अब देखने लायक था। जैसे किसी बच्चे को उसकी पसन्दीदा चीज की एक झलक दिखा कर उसे छुपा ली जाये तो, जैसी रोनी सुरत उस बच्चे की हो जाती है वैसी हालत उस समय मेरी हो गयी थी।
मैने भाभी की ओर देखा तो भाभी ने अभी भी आँखें बन्द कर रखी थीं मगर उनके चेहरे पर मुस्कान सी दिख रही थी। भाभी को मुझे अपनी चुत को दिखाने मे शर्म आ रही थी या फिर पता नही मुझे तङपाने के लिये ऐसा वो जानबूझकर कर रही थी..?
कचौङी के जैसे एकदम फुली हुई व छोटी सी चुत थी भाभी की। मैने पहली बार चुत को छुवा था इसलिये भाभी की चुत को छुते ही मेरे लण्ड ने अब एक ठुनकी सी खाई और उसमे कामरश की कुछ बन्दे निकल कर मेरे अण्डरवियर को गीला कर गयी...
भाभी की चुत को सहलाते सहलाते मेरा हाथ अब थोङा सा नीचे गया तो मुझे वहाँ पर कुछ गीलापन सा भी महसूस हुवा..!, मैने वहाँ पर अच्छे से सहलाकर देखा तो पाया, भाभी की जाँघो के जोङ के पास से उनका पेटीकोट हल्का सा नम था..
वैसे तो मै इस खेल मे अनाङी था मगर फिर भी मै समझ गया की जिस तरह उत्तेजना के कारण मेरे लण्ड से पानी निकल रहा है शायद वैसे ही भाभी की चुत भी उत्तेजना के कारण पानी छोङ रही है...
भाभी की चुत को इस तरह पानी छोङते देख मेरे लिये अब अपने आप पर ही काबू पाना मुश्किल हो गया. मेरे दिल में जल्दी से भाभी की चुत को देखने की चाहत हो रही थी.. इसलिए मैंने दोनो हाथो से पेटीकोट के नीचले सीरो को पकङ लिया और एक ही झटके मे उसे भाभी के पेट तक पलट दिया...
भाभी नीचे से अब बिल्कुल नँगी हो गयी थी। मुझे उनकी दुधिया सफेद व चिकनी जांघो के बीच फूली हुई चुत की बस एक झलक मिली ही थी की भाभी ने तुरन्त अपनी जाँघो को भीँच लिया...
मेरे सामने बस उनकी चुत का फुला हुवा उभार सा ही रह गया था..पर भाभी की चुत देखने के लिये मै इतना अधिक लालायित था की मैने अब उनकी जाँघो को फिर से खोलने की भी कोशिश की, मगर भाभी ने उन्हे और जोरो से भीँच लिया...
मेरा चेहरा अब देखने लायक था। जैसे किसी बच्चे को उसकी पसन्दीदा चीज की एक झलक दिखा कर उसे छुपा ली जाये तो, जैसी रोनी सुरत उस बच्चे की हो जाती है वैसी हालत उस समय मेरी हो गयी थी।
मैने भाभी की ओर देखा तो भाभी ने अभी भी आँखें बन्द कर रखी थीं मगर उनके चेहरे पर मुस्कान सी दिख रही थी। भाभी को मुझे अपनी चुत को दिखाने मे शर्म आ रही थी या फिर पता नही मुझे तङपाने के लिये ऐसा वो जानबूझकर कर रही थी..?