31-07-2021, 09:47 PM
मै रात भर ठीक से नहीं सोया नही था इसलिये पता नही कब मुझे अब फिर से नींद आ गई..मगर कुछ देर बाद ही अपने उपर कुछ दबाव सा पङने के कारण मेरी नींद खुल गयी..
मैंने आँखें खोलकर देखा तो मेरी आँखें खुली की खुली रह गयी, क्योंकि भाभी मात्र ब्लाउज और पेटीकोट में मेरे बगल में सो रही थीं। उनके ब्लाउज के उपर तीन बटन खुले हुए थे, तो नीचे भी उन्होंने ब्रा नहीं पहन रखी थी।
भाभी की आधी से भी ज्यादा दूधिया सफेद चुँचियाँ नजर आ रही थी जिन्हें देखते ही मेरा लण्ड अब तुरन्त कीसी नाग की तरह फन सा फैलाकर खङा हो गया। मैं समझ गया कि शायद भाभी भी मुझसे ये सब करना चाहती.. तभी तो वो मेरे पास इन कपड़ों में आकर सोई हैं।
अब यह बात मेरे दिमाग में आते ही ना जाने मुझमें कहाँ से इतनी हिम्मत आ गयी कि मैंने एक ही झटके मे भाभी के ब्लाउज के बचे हुए सारे बटन भी खोल दिए। बटन के खुलते ही भाभी की चुँचियाँ स्वतः ही फङफङाकर ऐसे बाहर आ गयी.. मानो दो सफेद कबूतर पिंजरे से आजाद हुए हों।
मैं पहली बार नँगी चुँचियाँ देख रहा था.. इसलिए मैं उन्हें बड़े ध्यान से देखने लगा। भाभी की दूधियाँ सफेद एकदम गोल चुँचियाँ और उन पर छोटे छोटे गुलाबी निप्पल ऐसे लग रहे थे.. जैसे कि सफेद आईसक्रीम पर लाल गुलाबी स्ट्राबेरी रखी हो।
आईसक्रीम को देखते ही जैसे किसी छोटे बच्चे के मुँह में पानी आ जाता है.. वैसे ही भाभी के आईसक्रीम रूपी चुँचियो को देख कर मेरे मुँह में भी पानी भर आया था।
मुझे सेक्स के बारे में इतना कुछ पता तो नहीं था.. मगर फिर भी भाभी की चुँचियाँ मुझे इतनी अच्छी लगी की मैं एक चुँची के निप्पल को अपने मुँह में भर कर चूसने लगा तो दूसरी चुँची को अपनी हथेली मे भरकर उसे धीरे-धीरे मिचना शुरु कर दिया..
भाभी की चुँचियाँ एकदम गोल गोल और स्पंज के जैसे बिल्कुल गुदाज थी। वो बाहर से तो कोमल थी मगर अन्दर से एकदम ठोस व भरी हुई थी। भाभी ने आँखें बन्द कर रखी थीं। वो कुछ बोल रही थीं.. मगर फिर भी उनके चेहरे की भाव भंगिमाओं को देख कर पता चल रहा था कि उन्हें भी मजा आ रहा था..
क्योंकि जब मैं उनकी चुँची को जोर से मसलता तो दर्द के कारण भाभी के होंठ थोड़ा भिंच से जाते और जब हल्के से सहलाता तो उनका मुँह आनन्द से "आ्ह्ह्..’" भरने के लिए खुल जा रहा थे....
मैं भी भाभी के निप्पल को लगातर चूस रहा था. उस में से कोई रस तो नहीं निकल रहा था.. मगर मेरे मुँह में एक चिकनाहट सी घुलती जा रही थी। जिससे मुझ पर उत्तेजना का एक खुमार सा छा गया और मेरा जो हाथ भाभी की चुँची को मिच रहा था वो अपने आप ही भाभी के चिकने पेट पर से फिसलता हुआ सीधे नीचे उनके संधि स्थल पर भी जा पहुँचा..
मैंने आँखें खोलकर देखा तो मेरी आँखें खुली की खुली रह गयी, क्योंकि भाभी मात्र ब्लाउज और पेटीकोट में मेरे बगल में सो रही थीं। उनके ब्लाउज के उपर तीन बटन खुले हुए थे, तो नीचे भी उन्होंने ब्रा नहीं पहन रखी थी।
भाभी की आधी से भी ज्यादा दूधिया सफेद चुँचियाँ नजर आ रही थी जिन्हें देखते ही मेरा लण्ड अब तुरन्त कीसी नाग की तरह फन सा फैलाकर खङा हो गया। मैं समझ गया कि शायद भाभी भी मुझसे ये सब करना चाहती.. तभी तो वो मेरे पास इन कपड़ों में आकर सोई हैं।
अब यह बात मेरे दिमाग में आते ही ना जाने मुझमें कहाँ से इतनी हिम्मत आ गयी कि मैंने एक ही झटके मे भाभी के ब्लाउज के बचे हुए सारे बटन भी खोल दिए। बटन के खुलते ही भाभी की चुँचियाँ स्वतः ही फङफङाकर ऐसे बाहर आ गयी.. मानो दो सफेद कबूतर पिंजरे से आजाद हुए हों।
मैं पहली बार नँगी चुँचियाँ देख रहा था.. इसलिए मैं उन्हें बड़े ध्यान से देखने लगा। भाभी की दूधियाँ सफेद एकदम गोल चुँचियाँ और उन पर छोटे छोटे गुलाबी निप्पल ऐसे लग रहे थे.. जैसे कि सफेद आईसक्रीम पर लाल गुलाबी स्ट्राबेरी रखी हो।
आईसक्रीम को देखते ही जैसे किसी छोटे बच्चे के मुँह में पानी आ जाता है.. वैसे ही भाभी के आईसक्रीम रूपी चुँचियो को देख कर मेरे मुँह में भी पानी भर आया था।
मुझे सेक्स के बारे में इतना कुछ पता तो नहीं था.. मगर फिर भी भाभी की चुँचियाँ मुझे इतनी अच्छी लगी की मैं एक चुँची के निप्पल को अपने मुँह में भर कर चूसने लगा तो दूसरी चुँची को अपनी हथेली मे भरकर उसे धीरे-धीरे मिचना शुरु कर दिया..
भाभी की चुँचियाँ एकदम गोल गोल और स्पंज के जैसे बिल्कुल गुदाज थी। वो बाहर से तो कोमल थी मगर अन्दर से एकदम ठोस व भरी हुई थी। भाभी ने आँखें बन्द कर रखी थीं। वो कुछ बोल रही थीं.. मगर फिर भी उनके चेहरे की भाव भंगिमाओं को देख कर पता चल रहा था कि उन्हें भी मजा आ रहा था..
क्योंकि जब मैं उनकी चुँची को जोर से मसलता तो दर्द के कारण भाभी के होंठ थोड़ा भिंच से जाते और जब हल्के से सहलाता तो उनका मुँह आनन्द से "आ्ह्ह्..’" भरने के लिए खुल जा रहा थे....
मैं भी भाभी के निप्पल को लगातर चूस रहा था. उस में से कोई रस तो नहीं निकल रहा था.. मगर मेरे मुँह में एक चिकनाहट सी घुलती जा रही थी। जिससे मुझ पर उत्तेजना का एक खुमार सा छा गया और मेरा जो हाथ भाभी की चुँची को मिच रहा था वो अपने आप ही भाभी के चिकने पेट पर से फिसलता हुआ सीधे नीचे उनके संधि स्थल पर भी जा पहुँचा..