31-07-2021, 09:43 PM
मेरी और भाभी की लम्बाई समान ही थी.. इसलिए मेरा चेहरा भाभी के चेहरे को स्पर्श कर रहा था तो भाभी की गर्म गर्म महकती सांसें भी अब मेरी साँसों को महकाने लगी थी। मेरे लिए यह पहला अवसर था कि मैं किसी औरत के इतने करीब था। क्योंकि भाभी की नर्म मुलायम चुँचियाँ मेरे सीने से दब रही थी तो मेरा उत्तेजित लण्ड भी अब बिल्कुल भाभी कि चुत को ही छू रहा था।
मैं अब यह सोचने लगा कि भाभी कहीं जाग तो नहीं रही हैं..? कही वो भैया का बहाना करके ये सब जानबूझकर कर रही हों..और ये भी हो सकता है कि भाभी सपने में ही ये सब कर रही हों.. मगर कुछ भी हो मुझे मजा बहुत आ रहा था।
मुझे अपनी बाँहो लेकर भाभी अब फिर से चुपचाप सो गयी थी मगर भाभी के मेरा इतना करीब आ जाने से मेरी हालत खराब हो गयी थी। उत्तेजना से मैं पागल हो रहा था मगर आगे कुछ करने की ना तो मुझमे हिम्मत थी और ना ही मुझे कुछ मालुम था..!
मगर तभी एक बार फ़िर से भाभी ने.. "आ्ह्ह्ह्.." भरते हुए भैया का नाम लिया और मुझे बाँहों में भीँचे भीँचे ही करवट बदलकर पीठ के बल सीधा हो गयी...
ये काम भाभी ने करवट बदलते हुवे अब इस तरह से किया की, मै भी खिँचता हुवा सीधा भाभी के ऊपर पहुँच गया। जिससे भाभी के नर्म मुलायम चुँचियाँ मेरे सीने से दब गयी तो मुझे अपने लण्ड पर भी अब सीधा भाभी चुत की गर्माहट महसूस होने लगी..
उत्तेजना व घबराहट के मारे मेरा अब बहुत ही बुरा हाल हो गया था, बदन कँपकँपाने लगा था तो साँसे ऐसे चल रही थी मानो मै मिलो दौङकर आ रहा हुँ.. इस तरह का मै अपने जीवन मे पहली बार महसूस कर रहा था..आपने भी जब कभी पहली बार किसी के साथ सम्बन्ध बनाये होगे तो ऐसा जरूर महसूस किया होगा..
इस अहसास को लिखने के लिये मेरे पास अब शब्द नही है, मगर हाँ भाभी के मखमली बदन की नर्मी व उनकी चुत की गर्मी को सीधा अपने लण्ड पर पाकर मैं अब इतना अधिक उत्तेजित हो गया कि बिना कुछ किये ही चर्म पर पहुँच गया...
ऐसा मैने जान बुझकर नही किया था मगर पता नही क्यो भाभी के उपर जाते ही मेरी साँसे जैसे अब अटक गयी तो बदन भी अपने आप ही तन कर ऐँठ सा गया। मेरा अब खुद पर ही काबु नही रह गया था इसलिये कपङो मे ही मेरे लण्ड ने रह रहकर ढेर सारा वीर्य उगलना शुरु कर दिया...
सही मे उस रात मेरे लण्ड वीर्य कुछ ज्यादा भी उगला था जिससे मेरे कपड़ों के साथ साथ अब भाभी की पैन्टी तक भीगती चली गयी... मगर मेरा अभी ठीक से रसखलन पुरा भी नही हुवा था की तभी अलार्म घड़ी बज उठी... जिससे मै और भाभी हङबङा से गये...भाभी ने जहाँ तुरन्त मुझे अपने उपर से धकेलकर नीचे गीरा दिया तो, वही मै भी अब चुपचाप सोने का नाटक करने लगा...
मैं अब यह सोचने लगा कि भाभी कहीं जाग तो नहीं रही हैं..? कही वो भैया का बहाना करके ये सब जानबूझकर कर रही हों..और ये भी हो सकता है कि भाभी सपने में ही ये सब कर रही हों.. मगर कुछ भी हो मुझे मजा बहुत आ रहा था।
मुझे अपनी बाँहो लेकर भाभी अब फिर से चुपचाप सो गयी थी मगर भाभी के मेरा इतना करीब आ जाने से मेरी हालत खराब हो गयी थी। उत्तेजना से मैं पागल हो रहा था मगर आगे कुछ करने की ना तो मुझमे हिम्मत थी और ना ही मुझे कुछ मालुम था..!
मगर तभी एक बार फ़िर से भाभी ने.. "आ्ह्ह्ह्.." भरते हुए भैया का नाम लिया और मुझे बाँहों में भीँचे भीँचे ही करवट बदलकर पीठ के बल सीधा हो गयी...
ये काम भाभी ने करवट बदलते हुवे अब इस तरह से किया की, मै भी खिँचता हुवा सीधा भाभी के ऊपर पहुँच गया। जिससे भाभी के नर्म मुलायम चुँचियाँ मेरे सीने से दब गयी तो मुझे अपने लण्ड पर भी अब सीधा भाभी चुत की गर्माहट महसूस होने लगी..
उत्तेजना व घबराहट के मारे मेरा अब बहुत ही बुरा हाल हो गया था, बदन कँपकँपाने लगा था तो साँसे ऐसे चल रही थी मानो मै मिलो दौङकर आ रहा हुँ.. इस तरह का मै अपने जीवन मे पहली बार महसूस कर रहा था..आपने भी जब कभी पहली बार किसी के साथ सम्बन्ध बनाये होगे तो ऐसा जरूर महसूस किया होगा..
इस अहसास को लिखने के लिये मेरे पास अब शब्द नही है, मगर हाँ भाभी के मखमली बदन की नर्मी व उनकी चुत की गर्मी को सीधा अपने लण्ड पर पाकर मैं अब इतना अधिक उत्तेजित हो गया कि बिना कुछ किये ही चर्म पर पहुँच गया...
ऐसा मैने जान बुझकर नही किया था मगर पता नही क्यो भाभी के उपर जाते ही मेरी साँसे जैसे अब अटक गयी तो बदन भी अपने आप ही तन कर ऐँठ सा गया। मेरा अब खुद पर ही काबु नही रह गया था इसलिये कपङो मे ही मेरे लण्ड ने रह रहकर ढेर सारा वीर्य उगलना शुरु कर दिया...
सही मे उस रात मेरे लण्ड वीर्य कुछ ज्यादा भी उगला था जिससे मेरे कपड़ों के साथ साथ अब भाभी की पैन्टी तक भीगती चली गयी... मगर मेरा अभी ठीक से रसखलन पुरा भी नही हुवा था की तभी अलार्म घड़ी बज उठी... जिससे मै और भाभी हङबङा से गये...भाभी ने जहाँ तुरन्त मुझे अपने उपर से धकेलकर नीचे गीरा दिया तो, वही मै भी अब चुपचाप सोने का नाटक करने लगा...