31-07-2021, 09:40 PM
मै आज पहले ही जानबुझकर भाभी के बिलकुल नजदीक होकर सोया, उपर से मैने धीरे से भाभी की तरफ करवट बदल कर अपना एक पैर भी अब सीधा उनके नँगे पैरो पर रख दिया...
एकदम गर्म गर्म व बिल्कुल ही सोफ्ट सोफ्ट पैर थे भाभी के। अपना एक पैर भाभी के पैरो पर रखकर मै अब कुछ देर तो ऐसे ही बिना कोई हरकत के लेटा रहा, फिर धीरे धीरे और बिल्कुल ही आहिस्ता आहिस्ता अपने पैर से ही भाभी के पैरों को सहलाते हुवे उसे उपर की ओर बढाना शुर कर दिया..
मैने अपना पैर भाभी की पिण्डलियो पर रखा था मगर अब जैसे जैसे मै अपना पैर उपर की ओर बढा रहा था, वैसे वैसे ही मेरे पैर का घुटना मुङता जा रहा था और मेरी जाँघे भाभी की नँगी जाँघो पर चढती जा रही थी। एकदम ही सोफ्ट सोफ्ट व बिल्कुल चिकना अहसास था भाभी की जाँघो का...
भाभी के पैर तो नँगे थे ही, सोते समय मैंने भी जानबुझकर अपनी हाफ पैँट को ऊपर तक खींच लिया था इसलिये मेरी जाँघे भी लगभग नंगी ही थीं।
अपनी नँगी जाँघ से भाभी की नँगी जाँघो को सहलाने मे इतना अधिक मजा आ रहा था की बस पुछो मत.. ?
मै बिल्कुल ही धीरे धीरे और आहिस्ता आहिस्ता से भाभी की जाँघो को सहला रहा था ताकी अगर भाभी जाग भी जाएं तो उन्हे लगे जैसे कि मैं नींद में हूँ। वैसे तो मै अनाङी था मगर इस काम को मै बङी ही सावधानी से कर रहा था, क्योंकि इसमे फायदा भी तो मेरा ही हो रहा था। मुझे भाभी की नँगी जाँघो की चिकनाई का इतना अधिक मजा जो मिल रहा था।
एकदम ही पतली व इतनी अधिक नर्म मुलायम स्कीन थी भाभी की जाँघो की ऐसा लग रहा था जैसे मेरा पैर किसी वैलवैट पर ही फिसल रहा था। भाभी की रेशम सी मुलायम नँगी जाँघो को बिल्कुल ही धीरे धीरे और आहिस्ता आहिस्ता अपनी नँगी जाँघो से घीसकर मै पग पग उनकी चिकनाई को महसूस कर रहा था...
एकदम गर्म गर्म व बिल्कुल ही सोफ्ट सोफ्ट पैर थे भाभी के। अपना एक पैर भाभी के पैरो पर रखकर मै अब कुछ देर तो ऐसे ही बिना कोई हरकत के लेटा रहा, फिर धीरे धीरे और बिल्कुल ही आहिस्ता आहिस्ता अपने पैर से ही भाभी के पैरों को सहलाते हुवे उसे उपर की ओर बढाना शुर कर दिया..
मैने अपना पैर भाभी की पिण्डलियो पर रखा था मगर अब जैसे जैसे मै अपना पैर उपर की ओर बढा रहा था, वैसे वैसे ही मेरे पैर का घुटना मुङता जा रहा था और मेरी जाँघे भाभी की नँगी जाँघो पर चढती जा रही थी। एकदम ही सोफ्ट सोफ्ट व बिल्कुल चिकना अहसास था भाभी की जाँघो का...
भाभी के पैर तो नँगे थे ही, सोते समय मैंने भी जानबुझकर अपनी हाफ पैँट को ऊपर तक खींच लिया था इसलिये मेरी जाँघे भी लगभग नंगी ही थीं।
अपनी नँगी जाँघ से भाभी की नँगी जाँघो को सहलाने मे इतना अधिक मजा आ रहा था की बस पुछो मत.. ?
मै बिल्कुल ही धीरे धीरे और आहिस्ता आहिस्ता से भाभी की जाँघो को सहला रहा था ताकी अगर भाभी जाग भी जाएं तो उन्हे लगे जैसे कि मैं नींद में हूँ। वैसे तो मै अनाङी था मगर इस काम को मै बङी ही सावधानी से कर रहा था, क्योंकि इसमे फायदा भी तो मेरा ही हो रहा था। मुझे भाभी की नँगी जाँघो की चिकनाई का इतना अधिक मजा जो मिल रहा था।
एकदम ही पतली व इतनी अधिक नर्म मुलायम स्कीन थी भाभी की जाँघो की ऐसा लग रहा था जैसे मेरा पैर किसी वैलवैट पर ही फिसल रहा था। भाभी की रेशम सी मुलायम नँगी जाँघो को बिल्कुल ही धीरे धीरे और आहिस्ता आहिस्ता अपनी नँगी जाँघो से घीसकर मै पग पग उनकी चिकनाई को महसूस कर रहा था...