31-07-2021, 09:39 PM
बाथरुम मे आकर मैने एक अच्छे से मुठ मारी तब जाकर मुझे कुछ राहत मिली। मगर बाथरुम से मुठ मारकर जब नै वापस भाभी के कमरे मे आया तो मेरी साँसे ही अटक कर रह गयी.., क्योंकि भाभी अब बिल्कुल सीधी करवट करके सो रही थीं और उनकी नाईटी पेट तक उल्टी हुई थी।
भाभी की दूधिया सफेद गोरी चिकनी नँगी जांघें व उनकी लाल रंग की पैन्टी अब पुरा दिखाई दे रही थी।
भाभी को इस हालत मे देख मेरी अब सांसें फूल गईं.. तो दिल की धङकन जैसे रुक सी गयी। मै अभी अभी बाथरुम से मुठ मारकर आया था मगर भाभी को देख मेरे लण्ड अब तुरन्त ही फिर से उत्तेजित हो गया..
मै कुछ देर तो ऐसे ही वही दरवाजे पर खङे खङे भाभी को देखता रहा, फिर धीरे धीरे दबे पांव आहिस्ता आहिस्ता चलते हुवे बिस्तर के पास पहुँच गया। मुझे डर तो लग रहा था मगर इतना बहतरीन नजारा शायद मुझे फिर कभी नसीब नही होने वाला था...
मेरा दिल डर के कारण जोरों से धक धक कर रहा था कि कहीं भाभी जाग ना जाएं मगर फिर भी आहिस्ता आहिस्ता मैं बिस्तर पर चढकर भाभी के बिल्कुल ही पास चला गया और उनके दुधियाँ अधनँगे नँगे बदन को बङे ही ध्यान से देखने लगा..
अब तो मुझे भाभी की पैन्टी में उनकी फूली हुई चुत और चुत को बराबर दो भागो मे विभाजित करती चुत की रेखा का उभार तक स्पष्ट दिखाई दे रहा था। चुत की रेखा के ठीक नीचे बिल्कुल जाँघो के जोङ के पास से भाभी की पैँटी हल्की सी नम भी थी।
वो शायद भाभी की चुत का रस रहा था, मगर उस समय मुझे कहा इतना पता था। मै तो उसे भाभी पिसाब ही समझ रहा था, मगर भाभी की चुत को इतना करीब से देखकर मुझे अब बेचैनी सी होने लगी थी..
मेरा दिल कर रहा था कि मैं अभी भाभी की ये पैन्टी उतार कर फेंक दूँ और भाभी की गोरी चिकनी जाँघो व उनकी चुत से कस के लिपट जाऊँ.. मगर डर लग रहा था।
मै कुछ देर तो ऐसे ही बिस्तर पर बैठे बैठे भाभी की चुत को देखता रहा, मगर फिर मुझे पिछली रात वाला ही तरीका सही लगा। मैंने जल्दी से कमरे की लाईट बन्द कर दी और भाभी के बगल में जा कर लेट गया...
भाभी की दूधिया सफेद गोरी चिकनी नँगी जांघें व उनकी लाल रंग की पैन्टी अब पुरा दिखाई दे रही थी।
भाभी को इस हालत मे देख मेरी अब सांसें फूल गईं.. तो दिल की धङकन जैसे रुक सी गयी। मै अभी अभी बाथरुम से मुठ मारकर आया था मगर भाभी को देख मेरे लण्ड अब तुरन्त ही फिर से उत्तेजित हो गया..
मै कुछ देर तो ऐसे ही वही दरवाजे पर खङे खङे भाभी को देखता रहा, फिर धीरे धीरे दबे पांव आहिस्ता आहिस्ता चलते हुवे बिस्तर के पास पहुँच गया। मुझे डर तो लग रहा था मगर इतना बहतरीन नजारा शायद मुझे फिर कभी नसीब नही होने वाला था...
मेरा दिल डर के कारण जोरों से धक धक कर रहा था कि कहीं भाभी जाग ना जाएं मगर फिर भी आहिस्ता आहिस्ता मैं बिस्तर पर चढकर भाभी के बिल्कुल ही पास चला गया और उनके दुधियाँ अधनँगे नँगे बदन को बङे ही ध्यान से देखने लगा..
अब तो मुझे भाभी की पैन्टी में उनकी फूली हुई चुत और चुत को बराबर दो भागो मे विभाजित करती चुत की रेखा का उभार तक स्पष्ट दिखाई दे रहा था। चुत की रेखा के ठीक नीचे बिल्कुल जाँघो के जोङ के पास से भाभी की पैँटी हल्की सी नम भी थी।
वो शायद भाभी की चुत का रस रहा था, मगर उस समय मुझे कहा इतना पता था। मै तो उसे भाभी पिसाब ही समझ रहा था, मगर भाभी की चुत को इतना करीब से देखकर मुझे अब बेचैनी सी होने लगी थी..
मेरा दिल कर रहा था कि मैं अभी भाभी की ये पैन्टी उतार कर फेंक दूँ और भाभी की गोरी चिकनी जाँघो व उनकी चुत से कस के लिपट जाऊँ.. मगर डर लग रहा था।
मै कुछ देर तो ऐसे ही बिस्तर पर बैठे बैठे भाभी की चुत को देखता रहा, मगर फिर मुझे पिछली रात वाला ही तरीका सही लगा। मैंने जल्दी से कमरे की लाईट बन्द कर दी और भाभी के बगल में जा कर लेट गया...