31-07-2021, 09:37 PM
दरअसल मेरी मम्मी का इलाज हमारे पास के ही बङे शहर से चल रहा था। आपने मेरी पहले की कहानियो पढा होगा की मेरी मम्मी की तबियत अधिकतर खराब ही रहती थी। इसलिये चैक-अप और दवाई लेने के लिये महिने मे एक या दो बार तो उन्हे शहर ले जाना ही होता था...
और जब भी मेरे मम्मी पापा बाहर जाते उस दिन मुझे घर पर ही रहना पङता था क्योंकि उस समय हमारे शहर का माहौल इतना अच्छा नही था। मेरी भाभी घर मे अकेली ना हो इसलिये उस दिन मुझे स्कुल की छुट्टी करनी पङती थी।
अगले दिन मेरे पापा मम्मी को चैक-अप और दवाई दिलाने के लिये शहर ले जाने वाले थे और मुझे घर पर ही रहना था इसलिये मैंने भी हामी भर दी।
चलो अब सो जाओ बहुत हो गयी पढाई,..!" भाभी ने घङी मे अलार्म भरकर उसे वापस टेबल पर रखते हुवे कहा।
"नही आप सो जाओ, मुझे अभी पढना है..!" मैने भाभी को मना करते हुवे कहा। वैसे पढना तो कहाँ था दरअसल मै सोच रहा था की, हो सकता है आज भी पिछली रात के जैसे ही कुछ देखने को मिल जाये इसलिये मैने बहाना बनाया था।
"ठीक है तो.. तुम एक बार बाहर जाओ मुझे कपड़े बदलने हैं..! भाभी ने अब फिर से मेरी तरफ देखते हुवे कहा।
"क्यो बदल रहे हो, ऐसे ही सो जाओ ना बहुत सुन्दर लग रहे है.." सही मे उन कपङो मे भाभी बला की खुबसूरत लग रही थी इसलिये मैने एक बार फिर से भाभी को उपर से नीचे तक देखते हुवे कहा जिससे भाभी के चेहरे पर मुस्कान तैर गयी।
"पहन कर सोउँगी तो खराब नही हो जायेँगे..?" भाभी ने हँशते हुवे कहा।
"ठीक है तो बदल लो.." मैने कहा।
"पहले तुम बाहर तो निकलो.." भाभी ने थोङा खिजते हुवे कहा।
"ऐसे ही बदल लो, मै आपको कहाँ कुछ कह रहा हँ.." मैंने अब ऐसे ही मजाक मजाक में कह दिया जिससे भाभी जोरो से हँसने लगीं और...
"अच्छा जी.. आजकल मै देख रही हुँ तुम कुछ ज्यादा ही बदमाश होते जा रहे हो..अब तुम बाहर चलो बहुत रात हो गयी, मुझे सुबह जल्दी उठकर मम्मी-पापा के लिए खाना बनाना है..!" भाभी ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे कमरे बाहर निकालते हुवे कहा और अन्दर से कमरे का दरवाजा बन्द कर लिया...
और जब भी मेरे मम्मी पापा बाहर जाते उस दिन मुझे घर पर ही रहना पङता था क्योंकि उस समय हमारे शहर का माहौल इतना अच्छा नही था। मेरी भाभी घर मे अकेली ना हो इसलिये उस दिन मुझे स्कुल की छुट्टी करनी पङती थी।
अगले दिन मेरे पापा मम्मी को चैक-अप और दवाई दिलाने के लिये शहर ले जाने वाले थे और मुझे घर पर ही रहना था इसलिये मैंने भी हामी भर दी।
चलो अब सो जाओ बहुत हो गयी पढाई,..!" भाभी ने घङी मे अलार्म भरकर उसे वापस टेबल पर रखते हुवे कहा।
"नही आप सो जाओ, मुझे अभी पढना है..!" मैने भाभी को मना करते हुवे कहा। वैसे पढना तो कहाँ था दरअसल मै सोच रहा था की, हो सकता है आज भी पिछली रात के जैसे ही कुछ देखने को मिल जाये इसलिये मैने बहाना बनाया था।
"ठीक है तो.. तुम एक बार बाहर जाओ मुझे कपड़े बदलने हैं..! भाभी ने अब फिर से मेरी तरफ देखते हुवे कहा।
"क्यो बदल रहे हो, ऐसे ही सो जाओ ना बहुत सुन्दर लग रहे है.." सही मे उन कपङो मे भाभी बला की खुबसूरत लग रही थी इसलिये मैने एक बार फिर से भाभी को उपर से नीचे तक देखते हुवे कहा जिससे भाभी के चेहरे पर मुस्कान तैर गयी।
"पहन कर सोउँगी तो खराब नही हो जायेँगे..?" भाभी ने हँशते हुवे कहा।
"ठीक है तो बदल लो.." मैने कहा।
"पहले तुम बाहर तो निकलो.." भाभी ने थोङा खिजते हुवे कहा।
"ऐसे ही बदल लो, मै आपको कहाँ कुछ कह रहा हँ.." मैंने अब ऐसे ही मजाक मजाक में कह दिया जिससे भाभी जोरो से हँसने लगीं और...
"अच्छा जी.. आजकल मै देख रही हुँ तुम कुछ ज्यादा ही बदमाश होते जा रहे हो..अब तुम बाहर चलो बहुत रात हो गयी, मुझे सुबह जल्दी उठकर मम्मी-पापा के लिए खाना बनाना है..!" भाभी ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे कमरे बाहर निकालते हुवे कहा और अन्दर से कमरे का दरवाजा बन्द कर लिया...