31-07-2021, 09:34 PM
मैं बार-बार करवट बदल रहा था मगर नींद नहीं आ रही थी.. तभी भाभी ने करवट बदली और पीठ के बल सीधा होकर सो गयी। करवट बदलकर भाभी मेरे इतने पास आ गयी थी की उनका एक हाथ अब सीधा मेरे सीने पर आकर गीरा था।
अब तो मुझमे भी थोड़ी सी हिम्मत आ गयी। मैने भी भाभी के जैसे नीँद के बहाने बाहने ही भाभी को हाथ लगाने की सोची..! और करवट बदल कर अपना मुँह भाभी की तरफ ही कर लिया। भाभी के जैसे ही करवट बदलते समय मैने भी अपना एक हाथ भाभी के उपर रख दिया था जो की सीधा ही भाभी की नर्मनर्म चुँचियो पर रखा गया।
भाभी की चुँचियाँ नर्म मुलायम व स्पँज के जैसे इतनी गुदाज थी की मानो जैसे मेरा हाथ किसी गद्देदार बोल पर रखा गया हो। मुझे डर लग रहा था कहीं भाभी जाग ना जाएं जिससे दिल जोरों से धक-धक कर रहा था.. मगर फ़िर भी मैं धीर-धीरे भाभी की चुँचियो को सहलाने..?
नही...नही... इसे मै सहलाना तो नही कहुँगा, बस उपर उपर से ही छुकर मै उनकी बनावट महसुस कर रहा था। मै एक हाथ से भाभी की चुँचियो को महसूस कर रहा था तो दुसरे हाथ से अपने लण्ड को भी मसल रहा था..
ऐसा नही था की मैने कभी मुठ नही मारी थी, एक दो बार अपने दोस्तों के साथ मैने भी मुठ मारी थी मगर किसी की नर्म मुलायम चुँचियो को मैं अपने जीवन मे पहली बार छू रहा था, और किसी की भी क्या..? अपनी खुद की ही भाभी की चुँचियो को छु रहा था..
इसलिये भाभी के नर्म मुलायम चुँचियो के अहसास ने मुझे इतना अधिक उत्तेजित कर दिया था की बस एक दो बार, और वो भी कपङो के उपर से ही लण्ड को मसलने से मै चर्म पर पहुँच गया, जिससे मेरा अण्डर वियर मेरे वीर्य से भरता चला चला गया..
अपना सारा कामरस कपङो मे ही उगलने के बाद मैने भाभी की चुँचियो पर से अपना हाथ हटा लिया और करवट बदल कर अपना मुँह दुसरी तरफ कर लिया। उत्तेजना का जो ज्वार मेरे अन्दर उठ रहा था वो अब शाँत हो गया था इसलिये कुछ देर बाद ही मुझे भी नींद आ गयी...
अब तो मुझमे भी थोड़ी सी हिम्मत आ गयी। मैने भी भाभी के जैसे नीँद के बहाने बाहने ही भाभी को हाथ लगाने की सोची..! और करवट बदल कर अपना मुँह भाभी की तरफ ही कर लिया। भाभी के जैसे ही करवट बदलते समय मैने भी अपना एक हाथ भाभी के उपर रख दिया था जो की सीधा ही भाभी की नर्मनर्म चुँचियो पर रखा गया।
भाभी की चुँचियाँ नर्म मुलायम व स्पँज के जैसे इतनी गुदाज थी की मानो जैसे मेरा हाथ किसी गद्देदार बोल पर रखा गया हो। मुझे डर लग रहा था कहीं भाभी जाग ना जाएं जिससे दिल जोरों से धक-धक कर रहा था.. मगर फ़िर भी मैं धीर-धीरे भाभी की चुँचियो को सहलाने..?
नही...नही... इसे मै सहलाना तो नही कहुँगा, बस उपर उपर से ही छुकर मै उनकी बनावट महसुस कर रहा था। मै एक हाथ से भाभी की चुँचियो को महसूस कर रहा था तो दुसरे हाथ से अपने लण्ड को भी मसल रहा था..
ऐसा नही था की मैने कभी मुठ नही मारी थी, एक दो बार अपने दोस्तों के साथ मैने भी मुठ मारी थी मगर किसी की नर्म मुलायम चुँचियो को मैं अपने जीवन मे पहली बार छू रहा था, और किसी की भी क्या..? अपनी खुद की ही भाभी की चुँचियो को छु रहा था..
इसलिये भाभी के नर्म मुलायम चुँचियो के अहसास ने मुझे इतना अधिक उत्तेजित कर दिया था की बस एक दो बार, और वो भी कपङो के उपर से ही लण्ड को मसलने से मै चर्म पर पहुँच गया, जिससे मेरा अण्डर वियर मेरे वीर्य से भरता चला चला गया..
अपना सारा कामरस कपङो मे ही उगलने के बाद मैने भाभी की चुँचियो पर से अपना हाथ हटा लिया और करवट बदल कर अपना मुँह दुसरी तरफ कर लिया। उत्तेजना का जो ज्वार मेरे अन्दर उठ रहा था वो अब शाँत हो गया था इसलिये कुछ देर बाद ही मुझे भी नींद आ गयी...