31-07-2021, 09:33 PM
मैं अब फिर से पढ़ाई करने लगा.. मगर मेरा ध्यान पढ़ाई में कम और भाभी पर ज्यादा था। भाभी दिवार की तरफ मुँह करके सोई थी। उन्होंने अपना एक पैर तो सीधा किया हुवा था और दुसरे को घुटने से मोङ लिया था जिससे उनका पेटीकोट उपर हो गया और सीधे वाला पैर घुटने से उपर तक नँगा हो गया था।
एकदम संगमरमर से सफेद पैर थे भाभी के। मै तो उनके नँगे पेट को ही देखकर उत्तेजित हो गया था जबकि अब तो मुझे भाभी के गोरे चिकने नँगे पैर के साथ साथ पेटिकोट के उपर से ही उनके बङे बङे व माँसल कुल्हो की बनावट तक साफ दिख रही थी।
भाभी भी बेसुध सोई थी, उनको सही मे इतनी नीँद आ रही थी या नही, ये तो मुझे नही पता, मगर हाँ उन्होंने अपने पेटिकोट को ठीक करने की बिल्कुल भी कोशिश नही की, वो वैसे ही सोती रही.. जिसका फायदा मै भी अब अपनी आँखो को सेककर उठाने लगा..
मैं चोर निगाहों से बार-बार भाभी को ही देख रहा था और उपर वाले से दुवा भी कर रहा था की भाभी का ये पेटीकोट थोङा सा और उपर उठ जाये.. मगर हाय रे मेरी किस्मत देखो..! तभी साली बिजली चली गई और कमरे में एकदम घुप्प अंधेरा हो गया..
अब तो मैं भी कुछ नहीं कर सकता था.. इसलिए मै चुपचाप भाभी की बगल मे जाकर लेट गया। मै सोने की कोशिश कर रहा था मगर मुझे अब नीँद नही आ रही थी, क्योंकि मैने अभी अभी एक तो इतना शानदार नजार देखा था उपर से भाभी मेरी बगल मे ही लेट रही थी...
मेरा लण्ड अब भी उत्तेजित व तना खङा था जो कि मुझे सोने नहीं दे रहा था। जी कर रहा था एक बार भाभी के माँसल व बङे बङे कुल्हो को हाथ लगाकर देखुँ, उनके उस नँगे पैर को छुकर उसकी चिकनाई को महसुस करुँ, मगर डर लग रहा था...
एकदम संगमरमर से सफेद पैर थे भाभी के। मै तो उनके नँगे पेट को ही देखकर उत्तेजित हो गया था जबकि अब तो मुझे भाभी के गोरे चिकने नँगे पैर के साथ साथ पेटिकोट के उपर से ही उनके बङे बङे व माँसल कुल्हो की बनावट तक साफ दिख रही थी।
भाभी भी बेसुध सोई थी, उनको सही मे इतनी नीँद आ रही थी या नही, ये तो मुझे नही पता, मगर हाँ उन्होंने अपने पेटिकोट को ठीक करने की बिल्कुल भी कोशिश नही की, वो वैसे ही सोती रही.. जिसका फायदा मै भी अब अपनी आँखो को सेककर उठाने लगा..
मैं चोर निगाहों से बार-बार भाभी को ही देख रहा था और उपर वाले से दुवा भी कर रहा था की भाभी का ये पेटीकोट थोङा सा और उपर उठ जाये.. मगर हाय रे मेरी किस्मत देखो..! तभी साली बिजली चली गई और कमरे में एकदम घुप्प अंधेरा हो गया..
अब तो मैं भी कुछ नहीं कर सकता था.. इसलिए मै चुपचाप भाभी की बगल मे जाकर लेट गया। मै सोने की कोशिश कर रहा था मगर मुझे अब नीँद नही आ रही थी, क्योंकि मैने अभी अभी एक तो इतना शानदार नजार देखा था उपर से भाभी मेरी बगल मे ही लेट रही थी...
मेरा लण्ड अब भी उत्तेजित व तना खङा था जो कि मुझे सोने नहीं दे रहा था। जी कर रहा था एक बार भाभी के माँसल व बङे बङे कुल्हो को हाथ लगाकर देखुँ, उनके उस नँगे पैर को छुकर उसकी चिकनाई को महसुस करुँ, मगर डर लग रहा था...