31-07-2021, 09:19 PM
उस दिन मैं और भाभी ऐसे ही बातें कर रहे थे और बीच-बीच में एक-दूसरे से मजाक भी कर रहे थे, तभी भाभी ने मेरी बगल में गुदगुदी कर दी...अब मैं भी भाभी को गुदगुदी करना चाहता था.. इसलिए भाभी को पकङकर मैंने उन्हे बिस्तर पर गिरा लिया और दोनों हाथों से उनकी कमर में जोरो जोर से गुदगुदी करने लगा...
मेरे गुदगुदी करने से भाभी हँस-हँस कर दोहरी हो गयी थी इसलिये अपने आपको बचाने के चक्कर मे उन्होने अपने दोनो पैर घुटनो को मोड़कर उपर कर लिया..भाभी ने साङी व ब्लाउज पहन रखा था अब जैसे ही उन्होंने अपने घुटनो को मोङकर उपर किया उनकी साड़ी व पेटीकोट भी उनकी कमर तक उलट गये...
भाभी की दूध सी गोरी चिकनी जाँघें व जाँघो के बीच काली पैन्टी मे फुली हुई चुत तक अब मुझे साफ दिख गयी थी, जिसे देख मेरे रोम-रोम में एक तूफ़ान सा उठा और उसका असर सीधा मेरी जाँघो के बीच हुवा, पर ये नजारा मुझे ज्यादा देर तक देखने को नही मिला...!
ये नजारा बस कुछ पल ही रहा, क्योंकि भाभी ने तुरन्त ही अपने कपङो को ठीक कर लिया और..
"हटो बहुत शरारती हो गए हो तुम..!" भाभी ने हँसते हुवे कहा और उठ कर कमरे से बाहर चली गईं।
भाभी जा चुकी थीं.. मगर मुझे तो जैसे सांप सा सूँघ गया था। मेरे सामने तो अब भी भाभी की गोरी चिकनी जांघें व काली पैन्टी मे उनकी फुली हुई चुत ही घूम रही थी। इस तरह की मैने बस तस्वीरे ही देखी थी। उस दिन से पहले मैने कभी भी किसी लङकी या औरत को ऐसे नही देखा था।
मै अभी भी वैसे ही बैठा रहा मगर कुछ देर बाद ही भाभी खाने की प्लेट लेकर कमरे में फिर से आ गईं और मुस्कुराते हुए...
"चलो खाना खा लो..!" भाभी ने खाने की प्लेट को बिस्तर पर रखते हुवे कहा और मेरी बगल मे ही बैठ गयी।
मैं चुपचाप उठ कर खाना खाने लगा.. मगर मेरा लण्ड अब भी उत्तेजित था जो कि मेरी हाफ़ पैंट में उभरा हुआ स्पष्ट दिखाई दे रहा था। मैं उसे बार-बार दबा कर भाभी से छुपाने की कोशिश कर रहा था जिससे शायद भाभी को भी मेरी हालत का अहसास हो गया...
"कुछ चाहिए.. तो आवाज दे देना.. मैं रसोई में जा रही हूँ..!" भाभी ने अब हँसते हुए कहा और उठकर बाहर चली गयी।
अब खाना खाते हुवे भी मेरे जहन मे तो बस भाभी ही भाभी घुम रही थी और मुझे रह-रह कर उस दिन वाली मेरे दोस्तों की बातें याद आ रही थी, जोकी शायद सही भी थी। क्योंकि मेरे भैया भाभी के पास रहे ही कितना थे, शादी के बाद से मुश्किल से तीन या फिर चार महिना...
इस घटना ने मेरा अब सब कुछ बदल कर रख दिया था, क्योंकि मैं अपनी भाभी को अब वासना की नजरों से देखने लगा तो अधिक से अधिक उनके पास भी रहने की कोशिश करना लगा था। इस बात का अहसास शायद अब भाभी को भी हो गया था.. मगर वो कुछ कहती नहीं थीं।
मेरे गुदगुदी करने से भाभी हँस-हँस कर दोहरी हो गयी थी इसलिये अपने आपको बचाने के चक्कर मे उन्होने अपने दोनो पैर घुटनो को मोड़कर उपर कर लिया..भाभी ने साङी व ब्लाउज पहन रखा था अब जैसे ही उन्होंने अपने घुटनो को मोङकर उपर किया उनकी साड़ी व पेटीकोट भी उनकी कमर तक उलट गये...
भाभी की दूध सी गोरी चिकनी जाँघें व जाँघो के बीच काली पैन्टी मे फुली हुई चुत तक अब मुझे साफ दिख गयी थी, जिसे देख मेरे रोम-रोम में एक तूफ़ान सा उठा और उसका असर सीधा मेरी जाँघो के बीच हुवा, पर ये नजारा मुझे ज्यादा देर तक देखने को नही मिला...!
ये नजारा बस कुछ पल ही रहा, क्योंकि भाभी ने तुरन्त ही अपने कपङो को ठीक कर लिया और..
"हटो बहुत शरारती हो गए हो तुम..!" भाभी ने हँसते हुवे कहा और उठ कर कमरे से बाहर चली गईं।
भाभी जा चुकी थीं.. मगर मुझे तो जैसे सांप सा सूँघ गया था। मेरे सामने तो अब भी भाभी की गोरी चिकनी जांघें व काली पैन्टी मे उनकी फुली हुई चुत ही घूम रही थी। इस तरह की मैने बस तस्वीरे ही देखी थी। उस दिन से पहले मैने कभी भी किसी लङकी या औरत को ऐसे नही देखा था।
मै अभी भी वैसे ही बैठा रहा मगर कुछ देर बाद ही भाभी खाने की प्लेट लेकर कमरे में फिर से आ गईं और मुस्कुराते हुए...
"चलो खाना खा लो..!" भाभी ने खाने की प्लेट को बिस्तर पर रखते हुवे कहा और मेरी बगल मे ही बैठ गयी।
मैं चुपचाप उठ कर खाना खाने लगा.. मगर मेरा लण्ड अब भी उत्तेजित था जो कि मेरी हाफ़ पैंट में उभरा हुआ स्पष्ट दिखाई दे रहा था। मैं उसे बार-बार दबा कर भाभी से छुपाने की कोशिश कर रहा था जिससे शायद भाभी को भी मेरी हालत का अहसास हो गया...
"कुछ चाहिए.. तो आवाज दे देना.. मैं रसोई में जा रही हूँ..!" भाभी ने अब हँसते हुए कहा और उठकर बाहर चली गयी।
अब खाना खाते हुवे भी मेरे जहन मे तो बस भाभी ही भाभी घुम रही थी और मुझे रह-रह कर उस दिन वाली मेरे दोस्तों की बातें याद आ रही थी, जोकी शायद सही भी थी। क्योंकि मेरे भैया भाभी के पास रहे ही कितना थे, शादी के बाद से मुश्किल से तीन या फिर चार महिना...
इस घटना ने मेरा अब सब कुछ बदल कर रख दिया था, क्योंकि मैं अपनी भाभी को अब वासना की नजरों से देखने लगा तो अधिक से अधिक उनके पास भी रहने की कोशिश करना लगा था। इस बात का अहसास शायद अब भाभी को भी हो गया था.. मगर वो कुछ कहती नहीं थीं।