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Adultery मैंने नौकरानी की टट्टी खाई
#27
UPDATE......
PART-6

चूंकि 69 पोज में ओरल सेक्स करते करते शीला तो झड़ चुकी थी और वह उसी पोज़ में मेरे उपर कुछ देर निढाल सी पड़ी रही,फिर उठ कर जाने लगी,
अब की बार मैं तैयार था,मैंने तुरंत उसका हाथ पकड़ कर पूछा "क्या हुआ रानी?"
"मुझे बाथरूम जाना है।"वह बोली।
मै मुस्कुराया " रानी अब बाथरूम में जाने की कोई जरूरत नहीं है,देख बाथरूम यहीं चलकर आ गया है,इतना कह कर मैंने उंगली से बैड की ओर इशारा किया जहाँ मैंने पहले से ही एक बड़ा सा मोमजामा बिछा के रखा था और शीला के मादक चूत रस का पान करने के लिए।
शीला तुरंत समझ गयी लेकिन बनावटी अंदाज़ में मुंह पर हाथ रख कर बोली "हाय हाय....यहीं...?
"हाँ मेरी रानी क्या फर्क पड़ता है,जिस प्रकार तूने पिछली बार बाथरूम में खड़े होकर ही मुझे तर कर दिया था ठीक उसी तरह आज बैठ कर ही सही।"
फिर मैं उस मोमजामें पर लेट गया और उसे हाथ से मेरे ऊपर खिंच लिया
"चल अब मुझे जल्दी से अपनी चूत का सोमपान करा दे" फिर मैंने उसे अपने मुंह पर बैठने का इशारा करते हुए कहा।
शीला की आंखों में वोदका का सुरूर छाया हुआ था और वो मेरी हर बात मान कर साथ दे रही थी।
हालांकि शीला इसके लिए तैयार नहीं थी लेकिन वह मेरे साथ पिछली बार पिसींग सेक्स का पहली बार लुत्फ़ उठा चुकी थी, और वह एक बार ही काफी था उसकी झिझक मिटाने के लिए।
और फिर ......वह हंसते हुए मेरी छाती पर आ बैठी,फिर मैंने उसकी पोजीशन इस प्रकार सैट करी कि उसकी चूत सीधे मेरे मुंह के उपर टिक गयी।लेकिन वो कंट्रोल नहीं कर पायी,उसे पहले से ही मैंने इतना सारा पानी और कोल्ड ड्रिंक पिला दिया था कि मेरे उपर आते आते एकदम से उसके मूत की धार छूट पड़ने को बेताब थी।
"हाय मैं छूट पड़ूंगी।"
"तो छूट पड़ ना रानी मैं तो कब से तेरा इन्तजार कर रहा हूँ।"
मेरे अपना वाक्य खत्म करने से पहले ही वो कंट्रोल नहीं कर पायी और उसके मूत की मोटी धार निकल पड़ी....और मैनें बिना वक्त गंवाये एक झटके से अपना मुंह खोल दिया।अब शीला की काली काली चिकनी चूत की फांकों में से मूत की धार सीधे मेरे मुंह में अटैक कर रही थी.....श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्ईsssssssकी मधुर सीटी की आवाज के साथ निकल कर सीधे मेरे मुंह में....

[Image: 20210730-105418.jpg]

आह क्या मादक सौंधी सौंधी महक,क्या सेक्सी सा खारा स्वाद !! मैंने सम्पूर्ण समर्पण के साथ अपनी आंखें बंद कर ली, अब गड़ गड़ गड़ आवाज़ आने लगी और वो ओवर फ्लो ना हो जाये इसलिए गटकने लगा ।कसम से जन्नत का मज़ा आ गया।फिर थोड़ा और गटकने के बाद मैंने उसे हाथ से इशारा कर रूकने को कहा,लेकिन यह क्या वह रूक ही नहीं पा रही थी और लगातार मुझे पूरा सराबोर किये जा रही थी,और अपना चूत का प्रेमरस पिलायें जा रही थी,....और मुझे लगातार मजा आ रहा था....मेरी ड्रिम सिक्वेंस पूरी हो रही थी, फिर कुछ क्षण पश्चात वो रूकी....और मेरी हालत देखकर उसकी हंसी छूट गई उसने अपने मुंह पर हाथ रख लिया व मुस्कुराने लगी।
तब मैंने किसी तीर मारने वाले अंदाज़ में कहा-
"देख रानी मुझे तुझसे कितना प्यार है कि मुझे तेरी हर चीज़ अच्छी लगती है, आखिर गुलाम हूँ मैं तेरा"
"ना....वह मुंह पर हाथ रखे हुए ही बोली....क्या आप भी, आप तो राजा हो....और वो हंसने लगी।
"चल मैं जरा मुंह धोकर आता हूँ, बाकि चुदाई बाद में, फिर मैं उठ कर खड़ा हो गया,चूंकि मैं अभी तक झड़ा नहीं था इसलिए मेरा लंड अभी भी किसी स्प्रिंग की तरह झूम रहा था।फिर मैं बाथरूम से मुंह धोकर जल्दी से बैड पर आ गया और शीला को बांहों में खींच कर बोला,"चल रानी अब बहुत हुआ अब मेरे लंड राजा को तेरी प्यारी कोमल चूत रानी से तो मिलवा दे, तूने मुझे अपने मूत से तो नहला दिया अब मेरे लंड राजा को भी अपने थूक से नहला कर कड़क कर दे।"
समझ गयी शीला!अब वो अपने मुंह में मेरा लंड लेकर उपर नीचे करने लगी।
मेरा लंड तो पहले से ही झूम रहा था और कुछ ही क्षणों में कड़क भम हो गया।
"चल रानी अब डाॅगी पोज़ में चुदाई करते हैं ,कुत्ते कुतिया की तरह।"मैने कहा फिर उसे उठा कर डाॅगी पोज़ में खड़ा कर दिया या यूं कहें कि उसे घोड़ी बना दिया।
फिर उसके पीछे जाकर उसकी चूत की काली फांकों को खोलकर चूत चाटने लगा,चूत तो 69 सेक्स में झड़ने के बाद वैसे भी गीली थी, हाँ यह जरूर है कि वह एक हफ्ते से चुदी नहीं थी इसलिए मैं उसे चोदने के लिए उतावला था।
अब मैंने कहा..."आ रहा हूँ मैं रानी,तेरी चूत रानी को अपने लंड राजा से मिलवाने".......मेरा लंड फुल टाइट था और फनफना रहा था।
अब मैंने शीला की चूत की फांकों को चौड़ा करके अपने आठ इंच लौड़े के सुपाड़े पे थूक लगाके चूत के छेद पे सटा दिया और किसी तोपची की तरह इशारा मिलते ही तोप दागने का इंतजार करने लगा।शीला भी दुबारा उत्तेजित हो चुकी थी,और मैंने उसकी चूचीयों को सहलाना शुरू कर दिया
और फिर शीला गनगनाने लगी।
आssssssह...आssssssह...आssssssह
"मैंने पूछा बोल रानी डाल दूं"....
शीला पर अभी भी वोदका का सुरूर बाकी था।वो मस्त हो चुकी थी।उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी।
....हाँ अब डाल भी दो.....बहुत दिन हो गए...बहुत इंतजार करा दिया....अब फाड़ डालो चूत को...
और फिर उसके इतना कहते ही मैंने उसकी गांड को कस कर पकड़ा और मस्ती में किचकिचाकर भपाक से जोरदार स्ट्रोक लगा दिया.....
"आssssssssssssssईsssssssssssssमाँsssssssssssssssम.....र......ग........ईsssssssssss."
मेरा लंड पूरा घुस चुका था.....और शीला का सिर उपर की ओर उठ गया...गर्दन तन गई....और मुंह फटा का फटा रह गया....वो दर्द से कराह उठी....."हाssssssssय....माँ sssssssssफाssssड़.....डा....लीsssssssssss.
और मैं कुछ पल उसी पोज़ में रूका रहा....!
फिर मैंने धीरे से आधा लंड बाहर निकाला और फिर एक जोर का स्ट्रोक मार दिया.....
अईईईईईईईयाssssssssदर्द...हो...र...हा...है...
"बस कुछ सेकण्ड और फिर सब ठीक हो जायेगा रानी।"
"थोड़ा वाइल्ड सेक्स का भी तो आनंद ले मेरी जान,और फिर तू ही कह रही थी ना कि फाड़ डालो ...फाड़ डालो...."
"ऊई....माँ ....मर गई...मैं ...तो"
वह गनगना उठी..."अब...ब..र्दा..श्त....नहीं ...हो रहा..."
फिर मैंने धीरे से आधा लंड बाहर निकाला और फिर धीरे-धीरे लंड अंदर-बाहर करने लगा....फिर कुछ देर उसी प्रकार चोदने के बाद अब थोड़ी सी गति बढा दी...और हल्के हल्के थाप लगाने लगा....

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मेरी जांघें शीला की गांड से टकरा रही थी और आवाज़ पैदा हो रही थी.....थप्प...थप्प....थप्प...थप्प....
थप्प...थप्प....थप्प...थप्प
अब शीला को भी मजा आने लगा था और वह भी अपनी गांड से पीछे की ओर रिवर्स स्ट्रोक लगा रही थी....थप्प...थप्प....थप्प...थप्प..थप्प...थप्प....थप्प...थप्प
"अ..ह...अ..ह...अ..ह...अ..ह...अ..ह...अ..ह...आ...ह...आ...ह...चो..दो....
..मु..झे...
अब मैंने और गति बढा दी और तेज आवाज़े पूरे कमरे में गूँज रही थी फट्ट फट्ट फट्ट फट्ट फट्ट फट्ट फट्ट फट्ट फट्ट फट्ट ......मैने और तेज तेज धक्के मार कर चोदना शुरू किया जैसे कि कोई गिनीज़ बुक वाला रिकार्ड बनाने की प्रतियोगिता हो रही हो..फट्ट फट्ट फट्ट फट्ट फट्ट फट्ट फट्ट फट्ट.....और शीला की चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी......अब तक शीला की चूत ने मेरे लंड को कस के शिकंजे में जकड़ रखा था.और फिर इतने तेज तेज धक्के खा खा कर चूत ने सरेन्डर कर दिया और लंड की पकड़ ढीली कर दी......और चूत में से आवाज़े आने लगी .......फचड़ फचड़ फचड़ फचड़
फचड़ फचड़ फचड़ फचड़ और मेरे तेज तेज धक्के खा कर चूत का पूरा भोसड़ा बन चुका था।
फचड़ फचड़ फचड़ फचड़ ....
फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च....आ....ह...आ....ह..आsss....ह...आssss....ह.. और... तेज.... और.....तेज... भो..स...ड़ा.. ब..ना डा...ल....अह...अह...अह...अह..अह...अह...अह...अह...शीला बड़बड़ाये जा रही थी।
मैंने उत्साहित होकर शीला के लंबे घने बाल पकड़ लिये और पूरी ताकत और तेजी से धक्के लगाने लगा....
फचड़ फचड़ फचड़ फचड़ ....
फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च...
"आ...ह... आ...ह...झ..ड़..र..ही.. हूँ.. मैं..." शीला झड़ने ही वाली थी।
मैं तेज तेज धक्के लगाये जा रहा था ...और फिर शीला झड़ गई।
फचड़ फचड़ फचड़ फचड़ ....
फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च फच्च...मैंने धक्के लगाना बंद नहीं किया ....."आssssआsssss.......आssssआsssss.......आssssआsssss..."और फिर मैं भी शीला की चूत में ही झड़ गया।
हफ्फ....हफ्फ....हफ्फ....हफ्फ......और मैं जोर जोर से हांफते हुए शीला के उपर ही ढेर हो गया।
और फिर शीला भी बैड पर गिर गयी और मैं उसके उपर छा गया।कुछ देर हम दोनों उसी पोज़ में पड़े रहे।
अब हम दोनों पूरी तरह से हल्का महसूस कर रहे थे, मैनें उठकर शीला को हाथ पकड़ कर उठाया...."आज तो मज़ा आ गया रानी...तेरी जवानी के समन्दर में खो गया हूँ मैं तो...."
"चल अब थोड़ा फ्रैश वैश हो लेते हैं",और ऐसा बोल कर उसका हाथ पकड़ कर बाथरूम में ले गया,फिर हम दोनों मुंह हाथ धोकर फ्रैश हो गये और वापस बैडरूम में आगये।बेडरूम में आते ही मैंने शीला को बैड पर अपनी बांहों में खींच लिया,वह बोल उठी
"अब मुझे जाना चाहिए, बहुत देर हो जायेगी।"
"अरे रानी मैं कहाँ रोक रहा हूँ,"
फिर मैंने साइड टेबल से एक प्लैट उठा कर शीला को दे दी उसमें कुछ वेफर्स,बिस्किट व ड्राईफ्रूट रखे थे।
"कुछ नाश्ता करती जा....भूख लगी होगी..."
और फिर मैंने उसे बांहों में लेकर कमर के सहारे अधलेटी अवस्था में चिपक गया,और फिर हम बातें करते हुए नाश्ता करने लगे,तभी मेरी नजर शीला के गले पर जाकर अटक गई।
"यह क्या शीला बिल्कुल सादा मंगल सूत्र हैं और इसमें पैंडल वगैरह कुछ नहीं है।
"नहीं है,वो मेरे पति ने बेच दिया और उन पैसों को दारु में उड़ा दिया,वो तो मुझे जमाने के भूखे भेड़ियों की नज़रों से बचने के लिए और ये बताने के लिए पहनना पड़ता है कि मैं शादी शुदा हूँ।"...शीला उदासी भरे स्वर में कहती ही चली गयी।
"अब तुझे यह नहीं पहनना पड़ेगा,मै तूझे कल ही नया मंगल सूत्र ला कर दूंगा,....अर्रर्र...दूंगा क्या बल्कि पहनाउंगा...अपने हाथों से.....हमारे प्रेम की निशानी....हाँ...."
शीला अवाक होकर मंत्रमुग्ध सी सुनती जा रही थी।...
"नहीं साहब यह सही नहीं है"वो बोली
"अरे तो इसमें बुराई क्या है वो तो हमारे प्यार की निशानी दूंगा,"और सुन मैंने तो अपना मन बना लिया है,तुझे बिल्कुल अपनी बीवी की तरह रखूंगा...अलग से घर लेकर...,तूझे और तेरे बच्चे को अलग रखूंगा।"
"नहीं यह सही नहीं हैं,"वह फिर बोली।
"तो इसमें गलत क्या है,जैसे हम अभी छुप छुप कर मिल रहे हैं,वैसे ही अलग से उस मकान में मिलते रहेंगे,क्योंकि वहाँ मैं भी तुम्हारे पास समय समय पर रहने के लिए आता रहूँगा।"मैने समझाते हुए कहा।
"नहीं साहब लेकिन चाहे कुछ भी हो मैं अपने माँ बापू को बेसहारा नहीं छोड़ सकती,आखिर उनकी जिम्मेदारी भी तो मेरी ही है।"वह बोली।
"तो ठीक है पगली,उनकी जिम्मेदारी उठाने के लिए भी तो मैं तैयार हू।"
"लेकिन नहीं साहब पति से अलग थलग रह कर मैं मां बापू से भी अलग नहीं रह सकती,मुझे उनका भी ख्याल रखना है और जात बिरादरी की ओर भी देखना होगा।"वह लाचारी से बोली।
"ठीक है लेकिन मै तो तुझे मंगल सूत्र दे कर ही मानूंगा,अब उसमें तो कुछ गलत नहीं है,हमारे प्रेम के शुरुआत की निशानी"...बस अब तो ठीक है न...उसमें क्या वो तो गिफ्ट हैं,और फिर मैं तो तूझे बीवी की तरह ही मानने लगा हूँ।"
"और शीला ने प्यार से मेरे दोनों गाल चुटकियों से खिंच दिये.....मुस्कुरा दी....."आप भी ना...बहुत बड़े वाले हो...."
"अरे शुक्र कर रानी मैं तो तेरी मांग में सिंदूर भरने और सात फेरे लेने का प्लान कर रहा था पर अभी छोड़ दे रहा हूँ .....पर तुझे छोड़ूंगा नही....फिर भी जैसे तैसे दूसरे तरीके से तुझे बीवी बनाने की रस्म तो पूरी कर ही लूंगा।"
"कैसे"उसने आश्चर्य से पूछा...।"
जैसे विदेशों में कई देशों में होता है,अफ्रीका के कबीलों में भी होता है।
वहां सुहाग रात को बीवी बनाने की रस्म अदा की जाती हैं।...वहाँ पति अपनी प्रेमिका या होने वाली पत्नी को प्रपोज़ करता है और फिर वो जो भी कहती है लड़के को मालकिन की तरह मानना पड़ता हैं।"मैंने अपनी लच्छेदार बातों में उसे फंसाते हुए कहा..."पता है बीवी बनाने की रस्म में क्या-क्या करना होता है"...
"नहीं" वो बोली।
"सुहाग रात को लड़की लड़के के उपर बैठ जाती है "....मैंने किसी प्रोफेसर वाले अंदाज़ में एक्सप्लेन करना शुरू कर दिया और वो बड़े
चाव से सुने जा रही थी।
"फिर लड़के के उपर बैठ कर उससे अपने गुलाम की तरह व्यवहार करती है नौकरों की तरह व्यवहार करती है मारती पिटती भी है,
और बताऊं क्या क्या करती है....
"हाँ बताओ।"....वह उत्सुकता से बोली।...
फिर मैंने टीवी आॅन कर दिया और मिस्ट्रेस मेसेलिना की स्केट मूवी चालू कर दी जो कि पहले से ही पेन ड्राइव में सेट करके रखी थी,जिसमें मेसेलिना दुल्हन के सफेद लिबास में थी व उसके हाथ में एक चाबुक था।वो एक कुर्सी पर इस प्रकार बैठी थी कि उसकी एक टांग पर दूसरी टांग थोड़ी ऊँची करके रखी हुई थी व उसका होने वाला पति उसकी टांगों के ठीक नीचे उकडू हो कर गुलामों की तरह बैठा था,और वो हंटर से उसे डराये-चमकाये जा रही थी।
फिर मैं बोला "लडके को तो लड़की की हर बात मानना पड़ती है उसे खुश करना होता है....फिर वो उसके मुंह में मूत देती है और अपनी शीट का भी स्वाद भी चखाती हैं तब जाकर यह रस्म पूरी होती हैं।
"हाय हाय ये कैसे कर लेते हैं।"वो मुंह पर हाथ रख कर बोली।
"हाँ रानी ये सब किये बिना उनकी रस्म पूरी नहीं होती हैं।"मैंने उसके गाल खींचते हुए कहा।
अब मैंने उसे फिल्म की ओर ध्यान देने का इशारा किया...

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अब मेसेलिना चाबुक लहरा रही थी और लड़के को चमका रही थी।
फिर मेसेलिना ने अपनी दोनों टांगें चौड़ी की और लड़के के मुंह में मूतने लगी फिर बैठे हुए ही अपनी उपर वाली टांग उठा कर शीट करना शुरू किया और लड़के ने उसे बड़े मजे से अपने मुंह में ले लिया....
"हाय हाय ये क्या...."
"हाँ रानी ये तो रस्म है इसे तो लड़के को करना ही होगा नहीं तो वो लड़की उसकी बीवी कैसे बनेंगी।"
"और फिर ये कोई जहर है क्या"......मैंने जिस अंदाज़ से कहा कि शीला की तो जोर की हंसी छूट पड़ी...!
"बीवी बनाने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़ते है रानी..."यह कह कर मैने उसका मुंह चूम लिया।
और अब मूवी भी खत्म हो चुकी थी,मैनें टीवी बंद कर दिया।
"अब मुझे जाना चाहिए।,बहुत देर हो चुकी है।"
"ठीक है लेकिन इतने दिन बाद मिले है,अभी मन नहीं भरा है।तुम वादा करो कल जल्दी आ जाओगी।कल तो संडे है,छुट्टी है,और वैसे भी तुम्हारे लिए नया मंगल सूत्र लाऊंगा व तुम्हें पहनाउंगा।आखिर मैंने तो तुम्हें बीवी की तरह मान ही लिया है सिर्फ रस्म ही तो बाकी है,मैने मुस्कुराते हुए आँख मारते हुए कहा।
वो भी अपने मुंह पर हाथ रख कर हंसने लगी।
फिर उसने कपड़े पहने और कल तीन बजे आने का वादा करके जाने लगी,फिर हमेशा की तरह मैंने उसे कुछ रूपये पकड़ाये व होठों पे एक चुम्बन दिया और फिर अपनी गाड़ी में ऑटो स्टाप से कुछ दूरी पर छोड़ दिया।
शेष अगली किस्त में.....क्रमशः
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RE: मैंने नौकरानी की टट्टी खाई - by rohitpal - 30-07-2021, 05:04 PM



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