30-07-2021, 12:18 PM
इन सब बातों और खबरों को सुन तीनों ऐयार वहाँ से रवाना हो गए और एकांत में जा कर आपस में सलाह करने लगे।
तेजसिंह – ‘अब क्या करना चाहिए?’
देवीसिंह – ‘चाहे जो भी हो पहले तो कुमार को ही खोजना चाहिए।’
तेजसिंह – ‘मैं कहता हूँ कि तुम लश्कर की तरफ जाओ और हम दोनों कुमार की खोज करते हैं।’
ज्योतिषी – ‘मेरी बात मानो तो पहले एक दफा उस तहखाने (खोह) में चलो जिसमें महाराज शिवदत्त को कैद किया था।’
तेजसिंह – ‘उसका तो दरवाजा ही नहीं खुलता।’
ज्योतिषी – ‘भला चलो तो सही, शायद किसी तरकीब से खुल जाए।’
तेजसिंह – ‘इसकी कोशिश तो आप बेफायदे करते हैं, अगर दरवाजा खुला भी तो क्या काम निकलेगा?’
ज्योतिषी – ‘अच्छा चलो तो।’
तेजसिंह – ‘खैर, चलो।’
तीनों ऐयार तहखाने की तरफ रवाना हुए।
तेजसिंह – ‘अब क्या करना चाहिए?’
देवीसिंह – ‘चाहे जो भी हो पहले तो कुमार को ही खोजना चाहिए।’
तेजसिंह – ‘मैं कहता हूँ कि तुम लश्कर की तरफ जाओ और हम दोनों कुमार की खोज करते हैं।’
ज्योतिषी – ‘मेरी बात मानो तो पहले एक दफा उस तहखाने (खोह) में चलो जिसमें महाराज शिवदत्त को कैद किया था।’
तेजसिंह – ‘उसका तो दरवाजा ही नहीं खुलता।’
ज्योतिषी – ‘भला चलो तो सही, शायद किसी तरकीब से खुल जाए।’
तेजसिंह – ‘इसकी कोशिश तो आप बेफायदे करते हैं, अगर दरवाजा खुला भी तो क्या काम निकलेगा?’
ज्योतिषी – ‘अच्छा चलो तो।’
तेजसिंह – ‘खैर, चलो।’
तीनों ऐयार तहखाने की तरफ रवाना हुए।