29-07-2021, 07:59 PM
बयान - 25
दूसरे दिन स्नान-पूजा से छुट्टी पा कर कुँवर वीरेंद्रसिंह, तेजसिंह, देवीसिंह और ज्योतिषी जी फिर उस खँडहर में घुसे, सिरका साथ में लेते गए।
कल जो पत्थर निकला था उस पर जो कुछ लिखा था फिर पढ़ के याद कर लिया और उसी लिखे के बमूजिब काम करने लगे।
बाहर दरवाजे पर बल्कि खँडहर के चारों तरफ पहरा बैठा हुआ था।
बगुले के पास गए, उसके सामने की तरफ जो सफेद पत्थर जमीन में गड़ा हुआ था, जिस पर पैर रखने से बगुला मुँह खोल देता था, उखाड़ लिया। नीचे एक और पत्थर कमानी पर जड़ा हुआ पाया।
सफेद पत्थर को सिरके में खूब बारीक पीस कर बगुले के सारे बदन में लगा दिया। देखते-देखते वह पानी होकर बहने लगा, साथ ही इसके एक खूशबू-सी फैलने लगी।
दो घंटे में बगुला गल गया। जिस खंबे पर बैठा था वह भी बिल्कुल पिघल गया, नीचे की कोठरी दिखाई देने लगी जिसमें उतरने के लिए सीढ़ियाँ थीं और इधर-उधर बहुत से तार और कलपुर्जे वगैरह लगे हुए थे। सभी को तोड़ डाला और चारों आदमी नीचे उतरे, भीतर-ही-भीतर उस कुएँ में जा पहुँचे जहाँ हाथ में किताब लिए बूढ़ा आदमी बैठा था, सामने एक पत्थर की चौकी पर पत्थर ही के बने रंग-बिरंगे फूल रखे हुए देखे।
बाजू पकड़ते ही बूढ़े ने मुँह खोल दिया, तेजसिंह से काफूर ले कर कुमार ने उसके मुँह में भर दिया।
घंटे-भर तक ये लोग उसी जगह बैठे रहे। तेजसिंह ने एक मशाल खूब मोटी पहले ही से जला ली थी। जब बूढ़ा गल गया, किताब जमीन पर गिर पड़ी, कुमार ने उठा लिया। उसकी जिल्द भी जिस पर कुछ लिखा हुआ था भोजपत्र ही की थी।
कुमार ने पढ़ा, उस पर यह लिखा हुआ पाया -
‘इन फूलों को भी उठा लो, तुम्हारे ऐयारों के काम आएँगे। इनके गुण भी इसी किताब में लिखे हुए हैं, इस किताब को डेरे में ले जा कर पढ़ो, आज और कोई काम मत करो।’
तेजसिंह ने बड़ी खुशी से उन फूलों को उठा लिया जो गिनती में छः थे। उस कुएँ में से कोठरी में आ कर ये लोग ऊपर निकले और धीरे-धीरे खँडहर के बाहर हो गए।
थोड़ा दिन बाकी था जब कुँवर वीरेंद्रसिंह अपने डेरे में पहुँचे। यह राय ठहरी कि रात में इस किताब को पढ़ना चाहिए, मगर तेजसिंह को यह जल्दी थी कि किसी तरह फूलों के गुण मालूम हों।
कुमार से कहा - ‘इस वक्त इन फूलों के गुण पढ़ लीजिए बाकी रात को पढ़िएगा।’
कुमार ने हँस कर कहा - ‘जब कुल तिलिस्म टूट लेगा तब फूलों के गुण पढ़े जाएँगे।’
तेजसिंह ने बड़ी खुशामद की, आखिर लाचार हो कर कुमार ने जिल्द खोली।
उस वक्त सिवाय इन चारों आदमियों के उस खेमे में और कोई न था, सब बाहर कर दिए गए।
कुमार पढ़ने लगे -
फुलों के गुण
1. गुलाब का फूल - अगर पानी में घिस कर किसी को पिलाया जाए तो उसे सात रोज तक किसी तरह की बेहोशी असर न करेगी।
2. मोतिए का फूल - अगर पानी में थोड़ा-सा घिस कर किसी कुएँ में डाल दिया जाए तो चार पहर तक उस कुएँ का पानी बेहोशी का काम देगा, जो पिएगा बेहोश हो जाएगा, इसकी बेहोशी आधा घंटे बाद चढ़ेगी।
दो ही फूलों के गुण पढ़े थे कि तीनों ऐयार मारे खुशी के उछल पड़े, कुमार ने किताब बंद कर दी और कहा - ‘बस अब न पढ़ेंगे।’
अब तेजसिंह हाथ जोड़ रहे हैं, कसमें देते जाते हैं कि किसी तरह परमेश्वर के वास्ते पढ़िए, आखिर यह सब आप ही के काम आएगा, हम लोग आप ही के तो ताबेदार हैं।
थोड़ी देर तक दिल्लगी करके कुमार ने फिर पढ़ना शुरू किया -
3. ओरहुर का फूल - पानी में घिस कर पीने से चार रोज तक भूख न लगे।
4. कनेर का फूल - पानी में घिस कर पैर धो ले तो थकावट या राह चलने की सुस्ती निकल जाए।
5. गुलदाऊदी का फूल - पानी में घिस कर आँखों में अंजन करे तो अँधेरे में दिखाई दे।
6. केवड़े का फूल – तेल में घिस कर लगावे तो सर्दी असर न करे, कत्थे के पानी में घिस कर किसी को पिलाए तो सात रोज तक किसी किस्म का जोश उसके बदन में बाकी न रहे।
इन फूलों को बड़ी खुशी से तेजसिंह ने अपने बटुए में डाल लिया,
देवीसिंह और ज्योतिषी जी माँगते ही रहे मगर देखने को भी न दिया।
दूसरे दिन स्नान-पूजा से छुट्टी पा कर कुँवर वीरेंद्रसिंह, तेजसिंह, देवीसिंह और ज्योतिषी जी फिर उस खँडहर में घुसे, सिरका साथ में लेते गए।
कल जो पत्थर निकला था उस पर जो कुछ लिखा था फिर पढ़ के याद कर लिया और उसी लिखे के बमूजिब काम करने लगे।
बाहर दरवाजे पर बल्कि खँडहर के चारों तरफ पहरा बैठा हुआ था।
बगुले के पास गए, उसके सामने की तरफ जो सफेद पत्थर जमीन में गड़ा हुआ था, जिस पर पैर रखने से बगुला मुँह खोल देता था, उखाड़ लिया। नीचे एक और पत्थर कमानी पर जड़ा हुआ पाया।
सफेद पत्थर को सिरके में खूब बारीक पीस कर बगुले के सारे बदन में लगा दिया। देखते-देखते वह पानी होकर बहने लगा, साथ ही इसके एक खूशबू-सी फैलने लगी।
दो घंटे में बगुला गल गया। जिस खंबे पर बैठा था वह भी बिल्कुल पिघल गया, नीचे की कोठरी दिखाई देने लगी जिसमें उतरने के लिए सीढ़ियाँ थीं और इधर-उधर बहुत से तार और कलपुर्जे वगैरह लगे हुए थे। सभी को तोड़ डाला और चारों आदमी नीचे उतरे, भीतर-ही-भीतर उस कुएँ में जा पहुँचे जहाँ हाथ में किताब लिए बूढ़ा आदमी बैठा था, सामने एक पत्थर की चौकी पर पत्थर ही के बने रंग-बिरंगे फूल रखे हुए देखे।
बाजू पकड़ते ही बूढ़े ने मुँह खोल दिया, तेजसिंह से काफूर ले कर कुमार ने उसके मुँह में भर दिया।
घंटे-भर तक ये लोग उसी जगह बैठे रहे। तेजसिंह ने एक मशाल खूब मोटी पहले ही से जला ली थी। जब बूढ़ा गल गया, किताब जमीन पर गिर पड़ी, कुमार ने उठा लिया। उसकी जिल्द भी जिस पर कुछ लिखा हुआ था भोजपत्र ही की थी।
कुमार ने पढ़ा, उस पर यह लिखा हुआ पाया -
‘इन फूलों को भी उठा लो, तुम्हारे ऐयारों के काम आएँगे। इनके गुण भी इसी किताब में लिखे हुए हैं, इस किताब को डेरे में ले जा कर पढ़ो, आज और कोई काम मत करो।’
तेजसिंह ने बड़ी खुशी से उन फूलों को उठा लिया जो गिनती में छः थे। उस कुएँ में से कोठरी में आ कर ये लोग ऊपर निकले और धीरे-धीरे खँडहर के बाहर हो गए।
थोड़ा दिन बाकी था जब कुँवर वीरेंद्रसिंह अपने डेरे में पहुँचे। यह राय ठहरी कि रात में इस किताब को पढ़ना चाहिए, मगर तेजसिंह को यह जल्दी थी कि किसी तरह फूलों के गुण मालूम हों।
कुमार से कहा - ‘इस वक्त इन फूलों के गुण पढ़ लीजिए बाकी रात को पढ़िएगा।’
कुमार ने हँस कर कहा - ‘जब कुल तिलिस्म टूट लेगा तब फूलों के गुण पढ़े जाएँगे।’
तेजसिंह ने बड़ी खुशामद की, आखिर लाचार हो कर कुमार ने जिल्द खोली।
उस वक्त सिवाय इन चारों आदमियों के उस खेमे में और कोई न था, सब बाहर कर दिए गए।
कुमार पढ़ने लगे -
फुलों के गुण
1. गुलाब का फूल - अगर पानी में घिस कर किसी को पिलाया जाए तो उसे सात रोज तक किसी तरह की बेहोशी असर न करेगी।
2. मोतिए का फूल - अगर पानी में थोड़ा-सा घिस कर किसी कुएँ में डाल दिया जाए तो चार पहर तक उस कुएँ का पानी बेहोशी का काम देगा, जो पिएगा बेहोश हो जाएगा, इसकी बेहोशी आधा घंटे बाद चढ़ेगी।
दो ही फूलों के गुण पढ़े थे कि तीनों ऐयार मारे खुशी के उछल पड़े, कुमार ने किताब बंद कर दी और कहा - ‘बस अब न पढ़ेंगे।’
अब तेजसिंह हाथ जोड़ रहे हैं, कसमें देते जाते हैं कि किसी तरह परमेश्वर के वास्ते पढ़िए, आखिर यह सब आप ही के काम आएगा, हम लोग आप ही के तो ताबेदार हैं।
थोड़ी देर तक दिल्लगी करके कुमार ने फिर पढ़ना शुरू किया -
3. ओरहुर का फूल - पानी में घिस कर पीने से चार रोज तक भूख न लगे।
4. कनेर का फूल - पानी में घिस कर पैर धो ले तो थकावट या राह चलने की सुस्ती निकल जाए।
5. गुलदाऊदी का फूल - पानी में घिस कर आँखों में अंजन करे तो अँधेरे में दिखाई दे।
6. केवड़े का फूल – तेल में घिस कर लगावे तो सर्दी असर न करे, कत्थे के पानी में घिस कर किसी को पिलाए तो सात रोज तक किसी किस्म का जोश उसके बदन में बाकी न रहे।
इन फूलों को बड़ी खुशी से तेजसिंह ने अपने बटुए में डाल लिया,
देवीसिंह और ज्योतिषी जी माँगते ही रहे मगर देखने को भी न दिया।