27-07-2021, 06:40 PM
(This post was last modified: 27-07-2021, 08:41 PM by CopyPornstar. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
अगली सुबह रविवार का दिन था। कॉलेज में छुट्टी होने की वजह से आज निर्मला की नींद थोड़ा लेट में ही खुली थी।
नींद खुली तो देखी थी बिस्तर पर अशोक नहीं था ।वह उठकर जा चुका था, वैसे भी अगर बिस्तर पर होता तो क्या हो जाता। उसके रहने ना रहने का कोई मतलब नहीं निकलता था। रात वाली बात से निर्मला का मन उदास ही था।
निर्मला को रात की बात याद आ गई और खुद की गई हरकत के बारे में सोच कर ही निर्मला शर्मा गई सबसे पहले तो उसे इस बात पर यकीन ही नहीं हो रहा था कि वह ऐसी हरकत कर गई थी। जिस तरह से वह अपने कामुक बदन को उत्तेजनात्मक तरीके से अशोक के सामने पेश करते हुए रचनात्मक तरीके से अपने वस्त्रों को एक-एक करके अपने संगमरमरी बदन से उतारने का कार्यक्रम पेस की थी।
यह उत्तेजक और उमदा कार्य निर्मला के बस के बिल्कुल भी नहीं था लेकिन जिस तरह से वह हिम्मत दिखाते हुए बड़े ही कलात्मक तरीके से वस्त्र त्याग का अभूतपूर्व कार्यक्रम पेश की थी वह बहुत ही काबिल ए तारीफ थी। अगर अशोक की जगह दुनिया का दूसरा कोई भी मर्द होता तो इतने में ही वह ना जाने कितनी बार पानी छोड़ देता।
यहां पर घर की मुर्गी दाल बराबर की कहावत को बिल्कुल सार्थक करते हुए अशोक ने अपनी पत्नी के इस कामुक प्रदर्शन को लगभग नजरअंदाज कर दिया था।
दो पल के लिए जरूर अशोक मचलता गया था तड़पता गया था निर्मला के बदन को पाने के लिए लेकिन संपूर्ण नग्नावस्था का नजारा दिखाने के बाद जैसे ही निर्मला ने अपनी नग्न बदन पर गाउन डालकर, अपनी संग-ए-मरमरी बदन को ढंकी वैसे ही तुरंत निर्मला के बदन का नशा अशोक के ऊपर से उतर गया और नतीजा यह निकला की निर्मला एक बार फिर प्यासी रह गई लेकिन निर्मला की भराव दार नितंबों ने अपना असर अशोक पर जरूर कर दिया।
जिससे सोने से पहले अशोक निर्मला पर चढ़कर अपना अहम पूरा किया लेकिन अशोक जिस तरह से निर्मला के संभोग करता था ऐसे संभव से ना तो संपूर्ण संतुष्टि अशोक को ही मिल पाती थी और ना ही निर्मला की प्यास बुझ पाती थी। लेकिन इस बात को अशोक नजर अंदाज कर देता था उसे तो निर्मला कि अब बिल्कुल भी फिक्र नहीं होती थी।
रात वाली बात को याद करके निर्मला की सूखी पड़ी बुर एक बार फिर से गीली होने लगी। निर्मला की प्यास एक बार फिर भड़के इससे पहले ही निर्मला जल्दी से बिस्तर पर से उठ कर सीधे बाथरूम में चली गई वहां जाकर के ठंडे पानी से स्नान करके अपने मन को कुछ हद तक हल्का कर ली।
नींद खुली तो देखी थी बिस्तर पर अशोक नहीं था ।वह उठकर जा चुका था, वैसे भी अगर बिस्तर पर होता तो क्या हो जाता। उसके रहने ना रहने का कोई मतलब नहीं निकलता था। रात वाली बात से निर्मला का मन उदास ही था।
निर्मला को रात की बात याद आ गई और खुद की गई हरकत के बारे में सोच कर ही निर्मला शर्मा गई सबसे पहले तो उसे इस बात पर यकीन ही नहीं हो रहा था कि वह ऐसी हरकत कर गई थी। जिस तरह से वह अपने कामुक बदन को उत्तेजनात्मक तरीके से अशोक के सामने पेश करते हुए रचनात्मक तरीके से अपने वस्त्रों को एक-एक करके अपने संगमरमरी बदन से उतारने का कार्यक्रम पेस की थी।
यह उत्तेजक और उमदा कार्य निर्मला के बस के बिल्कुल भी नहीं था लेकिन जिस तरह से वह हिम्मत दिखाते हुए बड़े ही कलात्मक तरीके से वस्त्र त्याग का अभूतपूर्व कार्यक्रम पेश की थी वह बहुत ही काबिल ए तारीफ थी। अगर अशोक की जगह दुनिया का दूसरा कोई भी मर्द होता तो इतने में ही वह ना जाने कितनी बार पानी छोड़ देता।
यहां पर घर की मुर्गी दाल बराबर की कहावत को बिल्कुल सार्थक करते हुए अशोक ने अपनी पत्नी के इस कामुक प्रदर्शन को लगभग नजरअंदाज कर दिया था।
दो पल के लिए जरूर अशोक मचलता गया था तड़पता गया था निर्मला के बदन को पाने के लिए लेकिन संपूर्ण नग्नावस्था का नजारा दिखाने के बाद जैसे ही निर्मला ने अपनी नग्न बदन पर गाउन डालकर, अपनी संग-ए-मरमरी बदन को ढंकी वैसे ही तुरंत निर्मला के बदन का नशा अशोक के ऊपर से उतर गया और नतीजा यह निकला की निर्मला एक बार फिर प्यासी रह गई लेकिन निर्मला की भराव दार नितंबों ने अपना असर अशोक पर जरूर कर दिया।
जिससे सोने से पहले अशोक निर्मला पर चढ़कर अपना अहम पूरा किया लेकिन अशोक जिस तरह से निर्मला के संभोग करता था ऐसे संभव से ना तो संपूर्ण संतुष्टि अशोक को ही मिल पाती थी और ना ही निर्मला की प्यास बुझ पाती थी। लेकिन इस बात को अशोक नजर अंदाज कर देता था उसे तो निर्मला कि अब बिल्कुल भी फिक्र नहीं होती थी।
रात वाली बात को याद करके निर्मला की सूखी पड़ी बुर एक बार फिर से गीली होने लगी। निर्मला की प्यास एक बार फिर भड़के इससे पहले ही निर्मला जल्दी से बिस्तर पर से उठ कर सीधे बाथरूम में चली गई वहां जाकर के ठंडे पानी से स्नान करके अपने मन को कुछ हद तक हल्का कर ली।