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Thriller कामुक अर्धांगनी
शर्मा जी मेरी अर्धाग्नि के पसीने से तरबतर जिस्म को यू चाट रहे थे मानो वो जन्मों के प्यासे हो ओर मेरी बीवी उनके गोदी मे बैठी दिल खोल अपने चुदे हुए जिस्म को चटवाये जा रही थी । शर्मा जी का एक हाथ मेरे बीवी के स्तनों पर थिरक रहा था वही दूसरा हाथ उसके पीठ को सहलाता जा रहा था,  शर्मा जी की जीभ मधु के गर्दन से ले कर उर्वजो पर फिरते जा रही थी और मधु उनके बदन पर ऐसे बैठी थी मानो एक रंडी अपने दलाल के गोदी पर अपने ग्राहक के लिए बैठी हो और शर्मा जी अच्छे दलाल की तरह अपने रांड को नए ग्राहक के लिए तैयार कर रहे हो ।
 
 
खैर शर्मा जी का मनोरंजन काफी देर चल न पाया क्योंकि दोनों ने मधु को एक साथ चोदने के लिए जो रकम मेरे पास जमा की थी उसकी क़िस्त भरने का समय आ गया जब शालिनी भाभी ने बिस्तर छोड़ा दोनों मर्दो ने एक स्वर मे बोला मधु आ जा अब तुझे एक साथ करने का मन कर रहा है और मेरी प्यारी चुदासी बीवी उठ कर शर्मा जी के होठों पर एक चुम्बन दे बोली आती हुँ भाईसाहब इस दफे दोनों का वीर्य अपने बदन पर ले कर आपके लिए ।
 
 
भाभी मटक कर आते मधु से बोली देवरानी दोनों की अकड़ निकाल दे जल्दी ग्राहक ओर भी है , मधु हँसते हुए भाभी के जिस्म को सहलाते बोली बस भाभी कुछ देर ही दोनों चल पाएंगे आप बस देखती जाओ कह मधु बिस्तर पर जा लेट गई ओर दोनों मर्दो ने एक साथ मेरे बीवी के निप्पलों को चूसना शुरू किया और दोनों का हाथ मेरे बीवी के टाँगों के बीच उसके चूत को सहलाने लगा और वो टांग खोल कर बोली सारी रात खेलोगें तो बहुत पैसे लगेंगे ,मैं नए नए मर्दो के लिए धंदा करने आई हूँ इतना समय ले कर करना है तो घर आ जाया करो वहाँ जितना मर्ज़ी खेलों पर यहाँ अगर करना है तो बस आधे घंटे देती हूँ ये सुन एक बोला तू घर पर भी करवाती है क्या , मधु हँसते बोली घर पर मेरे पति तगड़े मर्द ले कर आते है हर रात नए लौड़े की प्यासी बन गई हूं ये सुन एक बोला तो पता दे दे हम हफ्ते में एक दफे आ जाएंगे जो रेट बोलेगी दे देंगे पर हम दोनों साथ रहेंगे और खेलेंगे सारी रात ।
 
 
मधु बोली जैसे चाहो खेलो मे तो चाहती ही हूँ कोई मेरे बदन से दिन रात चिपक के खेले बाकी तुम दोनों जो खेल खेलने आओगे वैसे मे खेलने दूँगी बोल मधु ने दोनों के बालों को सहलाते एक मर्द को अपने चूत की तरफ जाने के इशारा किया वो नीचे मधु के बदन को चूमता योनि पर मुँह लगा चाटने लगा और दूसरा मर्द मधु के होठो को चूमते दूध सहलाता मस्त होने लगा ।
 
शालिनी भाभी ने मेरे सामने खड़े हो कर बोली क्यू देवर जी मेरे पिछवाड़े चिपकी मलाई चाट नही देखना क्या , बस इतनी सी बात बोल भाभी झुक कर टेबल पर खड़ी हो कर अपनी गांड का छेद मेरे चेहरे पर ले आई और मैं उठ मर्दो का वीर्य नीचे गांड की दरार से ऊपर पीठ तक चाट गटकते बोला भाभी क्या मस्त लग रही थी काँपते जब उसने तुझे खड़ा कर के चाटा,  भाभी हँसते मेरे तरफ घूमती मेरे गोद मे टांग खोल बैठ कर बोली देवर जी जो मज़ा मर्द देते है खास कर जो पैसे दे कर आते है वो मज़ा कही ओर नही मिलता , वो जान रहा था मैं नखरे नही कर सकती क्योंकि मैं उसकी रंडी हूँ इसलिए वो मुझे मन मुताबिक नोच रहा था जो वो अपने बीवी के साथ नही कर पाता वो मेरे साथ करने आया है बोल भाभी मेरे होठों को चूमते बोली तेरी बीवी ने तो ग्राहक बना लिए अब हफ़्ते मे एक रात ये दोनों फिक्स हो गए सोच रात भर मे वो घर को ही रंडीखाना बना लेगी ओर जल्दी ही मोहल्ले की सारी प्यासी रंडी तेरे घर मर्दो की तलाश मे आएगी ।
 
 
 
मधु ने मर्द के बाल को पकड़ कर अपने जिस्म पर खिंचा वो कुत्ते की तरह मधु पर सवार हो गया और मधु उसके होठों को चूमते दूसरे मर्द को आपने टाँगों के बीच जाने को धक्का दे दी वो फाटक से मधु के टाँगों को ऊपर कर चूत चाटने लगा और दूसरा मर्द मधु पर लेटा रहा जिसका लड़ कड़क हो चुका था जो उसके नाभि पर वॉर कर रहा था जो महसूस कर मधु उसके लड़ को पकड़ कर ऊपर खिंच रही थी और मर्द ऊपर जाता उसके दोनों चुचियों पर सवार हो गया और मधु जिस्म को झुका कर उसके लड़ को अपने मुँह के मुहाने ला जीभ निकाल चाटने लगी और वो पलंग को पकड़ थोड़ा और ऊपर चढ़ मधु के मुँह मे लड़ डालने लगा और मधु अपने हाथों को नीचे करते योनि चाटने वाले मर्द के बालों को कस कर खिंचती अपने चूत पर दबाती उसके लड़ को चूसने लगी ।
 
 
नीचे टाँगों के बीच पड़ा मर्द मुँह डाल ज़ोर से चाटे जा रहा था और मधु अपने हाथों से उसके बालों को कस कर खिंचती , उसने टांग अपने कंधे पर रखा, मधु गांड उठा कर अपनी योनि चटवाये जा रही थी और ऊपर मर्द का लड़ वो मुँह उठा उठा कर चूसे जा रही थी । ऊपर की और वाला मर्द अत्यधिक जोश मे आ गया और बोला मधु मुझे तू मुँह चोदने दे अब तेरी चूत मुझे नहीं चाहिए कह कर वो मुँह मे लड़ दबाता हलक तक जा कर बाहर निकाल फिर डालने लगा और पलग के किनारे को पकड़ वो मुख चोदने लगा और इधर दूसरे मर्द ने भी मधु के टांग को अपने कंधों से हटा कर ऊपर की और दबाते अपना लड़ झटके से डाल उसके पैरों के अघुटे को चूसता ताबड़तोड़ ठोकने लगा ।
 
 
 
मधु एक हाथ से अपने चूत के दाने को सहलाती दूसरे से से उसके आडो को सहलाती दोनों को एक साथ चर्म सुख देती पक्की रंडी नाच का मज़ा लेने लगी थी । दोनों मर्दो का वीर्य थोड़े देर पहले ही निकला था जिस वजह से ये तो तय था दोनों का वीर्य जल्दी वापस नहीं बहने वाला ये मधु भी जानती थी और वो इस वजह से खुल कर ताबड़तोड़ ठुकाई का मज़ा ले रही थी ।
 
 
थूक से उसका मुँह भर गया था जो होंठो के किनारे से बहते उसके कानों के पास से बालों पर जा बिस्तर पर फैल रहा था और मधु की आँखे बिल्कुल बंद थी और उसकी दोनों चुचियों का टकराव एक दूसरे से हो रह था और मधु का हाथ अपने ही दाने को बड़े बेरहमी से रगड़ने लगी थी मानो मधु खुद झड़ने को मचल रही हो ।
 
 
खैर कितनी भी बड़ी रात क्यों न हों चाहे कितनी प्यासी बात क्यों न हो औरत जल्दी हतियार नही डालती ,मुख चोदने वाले मर्द का लौड़ा ऐसे थूक से भरे गुदगुदे मुँह को चोद बेसब्र हो गया और वो निढाल होने से पहले मधु के हलक तक लड़ डाल पिचकारी मारते हाँफते मधु के चेहरे को अपने मोठे तोंद के नीचे दबाते झटकों के साथ झाड़ता आखिर हार मान बगल मे लेट गया और दूसरा मर्द उसके हटने के बाद मधु के दोनों चुचियों को निप्पलों समेत हाथों मे जकड़ ऊपर से झटकों पर झटका मारते बोला मधु तेरी ये चूत क्या मस्त है मेरे लौड़े को लग रहा स्वर्ग पहुँच गया है कहता वो मधु को देखने लगा और मधु उस मर्द के वीर्य को अपने थूक से गार्गल करती रंडी की तरह बुलबुले बनाती जा रही थी जो देख सबका मन ऐसे हो उठा कि सबने निगाहें उसके चेहरे पर टिका रखी थी और मधु वीर्य थूक से खेलते गांड उठाने लगी और झटकों के साथ ताल मिलाने लगी और सारा वीर्य अपने ही चेहरे पर थूक कर गांड उठा झड़ने लगी और मर्द का जोश दुगुना होते देर न लगी और कमरे मे फच फचा फच की गूंज भर गई और मर्द ने भी चर्म सुख भोगते मधु के चूत की गहराईयों मे अपना वीर्य त्याग करते हाँफते आखिरी झटके मारता उठ कर खड़ा हो गया और मधु बोली शर्मा जी कहाँ है इधर आ कर मेरे चेहरे को चाट लिजेए न ।
 
 
शर्मा जी मधु के सिरहाने बैठ उसके चेहरे को चाट चाट खाने लगे और मधु के पूरे चेहरे से थूक युक्त वीर्य चटक कर खुद ही उसके चूत को ऊपर उठा चूसने लगे जिस चूत से मर्द का वीर्य बह रहा था और मधु उठ कर उनके मुँह पर चूत लगाती बोली वाह भाभी तू सच कहती है जो मज़ा रांड बन के जीने मे है वो मज़ा गृहणी बन के कहाँ ।
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RE: कामुक अर्धांगनी - by Bhavana_sonii - 24-11-2020, 11:46 PM
RE: कामुक अर्धांगनी - by kaushik02493 - 26-07-2021, 11:12 PM



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