25-07-2021, 08:44 PM
(This post was last modified: 26-07-2021, 10:29 AM by CopyPornstar. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
कॉलेज से आने के बाद रात के 10:30 बज रहे थे निर्मला डाइनिंग टेबल पर खाना लगा कर पत्नी धर्म निभाते हुए अशोक का इंतजार कर रही थी, शुभम खाना खाकर अपने रुम में जा चुका था।
यह निर्मला की रोज की आदत थी वहां अशोक के घर आने से पहले कभी भी खाना नहीं खाती थी और अशोक के बाद ही खाना खाती थी लेकिन ज्यादातर निर्मला को अकेले ही खाना खाना पड़ता था क्योंकि अशोक बाहर से ही खाकर आता था उसे इस बात की भी परवाह नहीं होती थी कि उसकी पत्नी देर रात तक उसका खाने की टेबल पर इसलिए इंतजार करती रहती थी की अभी वह खाना नहीं खाया होगा।
लेकिन अशोक निर्मला की भूख प्यास की बिल्कुल भी परवाह किए बिना ही अपना पेट भर लेता था।
निर्मला को अशोक का इंतजार करते करते 11 बज गए उसे नींद की झपकी भी आ रही थी कि तभी दरवाजे की घंटी बजी
निर्मला उठकर दरवाजा खोली तो अशोक ही था ।
अशोक के घर में प्रवेश किया और निर्मला दरवाजे को बंद करते हुए बोली
आप हाथ मुंह धो लीजिए मैं खाना लगा चुकी हूं जल्दी से खाना खा लीजीए
( लेकिन अशोक निर्मला का कहा अनसुना कर के बिना कुछ बोले जाने लगा तो एक बार फिर से निर्मला उसे रोकते हुए बोली)
खाना लग गया है मैं आपका कब से इंतजार कर रही हूं और आप हैं कीे बिना कुछ बोले चले जा रहे हैं।।
देखो मैं थक चुका हूं और वैसे भी मैं बाहर से खाना खाकर ही आया हूं मुझे भूख नहीं है तुम खा लो
इतना कहकर वह बिना निर्मला की तरफ नजर घुमाएं वह अपने कमरे की तरफ जाने लगा।
निर्मला की आंख भर आई अपने पति के द्वारा इस तरह के व्यवहार और लापरवाही की उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी लेकिन शायद उसकी किस्मत में यही लिखा था अपने पति का बर्ताव देखकर उसकी आंखों में आंसू आ गए और वह अपने पति को कमरे की तरफ जाते हुए देखती रह गई।
अशोक केे व्यवहार से उसकी भूख मर चुकी थी वह भी बिना कुछ खाए थोड़ी देर डाइनिंग टेबल की कुर्सी पर बैठी रहीं और बैठे-बैठे अपनी किस्मत को कोसते रही।
वह भगवान से मन ही मन यही प्रार्थना करती रहती थी की हे भगवान कौन से जन्म का बदला मुझसे ले रहा है। मुझसे यह बिल्कुल भी सहा नहीं जाता मैं तंग आ गई हूं अपनी जिंदगी से जल्द से जल्द इसका कोई उपाय दिखाओ भगवान् या तो मुझे अपने पास बुला लो इतना कहकर वह मन ही मन रोने लगी।
थोड़ी देर बाद अपने आप को शांत करके वह अपने कमरे की तरफ जाने लगी।
यह निर्मला की रोज की आदत थी वहां अशोक के घर आने से पहले कभी भी खाना नहीं खाती थी और अशोक के बाद ही खाना खाती थी लेकिन ज्यादातर निर्मला को अकेले ही खाना खाना पड़ता था क्योंकि अशोक बाहर से ही खाकर आता था उसे इस बात की भी परवाह नहीं होती थी कि उसकी पत्नी देर रात तक उसका खाने की टेबल पर इसलिए इंतजार करती रहती थी की अभी वह खाना नहीं खाया होगा।
लेकिन अशोक निर्मला की भूख प्यास की बिल्कुल भी परवाह किए बिना ही अपना पेट भर लेता था।
निर्मला को अशोक का इंतजार करते करते 11 बज गए उसे नींद की झपकी भी आ रही थी कि तभी दरवाजे की घंटी बजी
निर्मला उठकर दरवाजा खोली तो अशोक ही था ।
अशोक के घर में प्रवेश किया और निर्मला दरवाजे को बंद करते हुए बोली
आप हाथ मुंह धो लीजिए मैं खाना लगा चुकी हूं जल्दी से खाना खा लीजीए
( लेकिन अशोक निर्मला का कहा अनसुना कर के बिना कुछ बोले जाने लगा तो एक बार फिर से निर्मला उसे रोकते हुए बोली)
खाना लग गया है मैं आपका कब से इंतजार कर रही हूं और आप हैं कीे बिना कुछ बोले चले जा रहे हैं।।
देखो मैं थक चुका हूं और वैसे भी मैं बाहर से खाना खाकर ही आया हूं मुझे भूख नहीं है तुम खा लो
इतना कहकर वह बिना निर्मला की तरफ नजर घुमाएं वह अपने कमरे की तरफ जाने लगा।
निर्मला की आंख भर आई अपने पति के द्वारा इस तरह के व्यवहार और लापरवाही की उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी लेकिन शायद उसकी किस्मत में यही लिखा था अपने पति का बर्ताव देखकर उसकी आंखों में आंसू आ गए और वह अपने पति को कमरे की तरफ जाते हुए देखती रह गई।
अशोक केे व्यवहार से उसकी भूख मर चुकी थी वह भी बिना कुछ खाए थोड़ी देर डाइनिंग टेबल की कुर्सी पर बैठी रहीं और बैठे-बैठे अपनी किस्मत को कोसते रही।
वह भगवान से मन ही मन यही प्रार्थना करती रहती थी की हे भगवान कौन से जन्म का बदला मुझसे ले रहा है। मुझसे यह बिल्कुल भी सहा नहीं जाता मैं तंग आ गई हूं अपनी जिंदगी से जल्द से जल्द इसका कोई उपाय दिखाओ भगवान् या तो मुझे अपने पास बुला लो इतना कहकर वह मन ही मन रोने लगी।
थोड़ी देर बाद अपने आप को शांत करके वह अपने कमरे की तरफ जाने लगी।