25-07-2021, 07:26 PM
(This post was last modified: 26-07-2021, 12:22 AM by CopyPornstar. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
निर्मला जिस क्लास के विद्यार्थियों को पढ़ाती थी उनकी उम्र के हिसाब से उनके मन में नई नई उमंगे भी जागती रहती है सभी विद्यार्थी उम्र के उस दौर से गुजर रहे थे जहां पर लड़कों को लड़की के प्रति और लड़कियों को लड़के के प्रति आकर्षण जन्म लेता है।
यही असर क्लास के विद्यार्थियों को भी जरूर होता था क्योंकि जब भी निर्मला ब्लैक बोर्ड पर चौक से मैथ के सवाल हल करती थी, तो अधिकतर विद्यार्थियों की नजर निर्मला के भरावदार बदन के उस खास हिस्से पर फिर नहीं लगती थी जहां से मर्दों के लिए औरतों के प्रति आकर्षण शुरू होता था।
![[Image: 0102.jpg]](https://i.ibb.co/y4Xbw2x/0102.jpg)
क्लास के अधिकतर लड़के निर्मला के भराव दार गोरे बदन को निहारने में ही लगे रहते थे खास करके तब जब वह ब्लैक बोर्ड पर कुछ लिखती रहती थी क्योंकि जैसे जैसे ब्लैक बोर्ड पर निर्मला के हाथ चलते थे वैसे वैसे उसके बदन में एक अजीब प्रकार की मदद हरकत होने लगती थी जो कि वह हरकत खास करके उसके नितंबों पर गहरा असर डालती थी।
![[Image: ezgif-2-30d49c57e98a.gif]](https://i.ibb.co/HztP2YW/ezgif-2-30d49c57e98a.gif)
बदन में हो रही हरकत के साथ साथ उसकी कमर के नीचे उसके भरावदार नितंबों में अजीब सी मादक थिरकन होने लगती थी, जिसकी वजह से क्लास में सभी लड़कों का ध्यान अपने आप ही ऊस खास स्थान पर चला जाता था।
क्लास में उपस्थित सभी लड़कों का बस इसी पल का बेसब्री से इंतजार रहता था कि कब मैडम ब्लैक बोर्ड पर लिखना शुरु करें और उन लोगों को ऊस मादक पल को अपने जेहन में उतारने का पूरा भरपूर मौका मिल सके।
ऐसा कोई भी लड़का क्लास में नहीं था जो कि यह नजारा देखने के बाद ऊसका लंड खड़ा ना हुआ हो, उन लोगों की पेंट में हमेशा तंबु बन जाता था और वह तंबू तब तक बना रहता था जब तक निर्मला क्लास में उपस्थित रहती थी उसके जाने के बाद खुद ब खुद स्थिति सामान्य हो जाती थी।
रोज का हो चुका था शुरु शुरु में तो निर्मला का ध्यान इस बात पर बिलकुल नहीं किया लेकिन धीरे-धीरे उसे इस बात का एहसास होने लगा कि जब भी वह ब्लैकबोर्ड पर कुछ लिखती है तो क्लास के लड़कों की नजरें उसके कमर के नीचे वाले भाग पर ही टिकी रहती थी।
![[Image: 152014.jpg]](https://i.ibb.co/zhbsPJB/152014.jpg)
इस बात का एहसास होते ही कि लड़कों की नजर उसकी बड़ी बड़ी गांड पर ही टिकी होती है तो वह शर्मिंदा हो गई।
उसे यकीन ही नहीं हो पा रहा था कि इस उम्र के लड़के भी इस तरह की हरकत कर सकते हैं लेकिन वह कर भी क्या सकती थी।
अब वह लड़कों से तो खुल कर बोल नहीं सकती थी कि तुम लोग मेरी गांड क्यों देखते हो।
वह इस बारे में सोच-सोच कर बहुत परेशान हो रही थी। सारा सारा दिन इसी बात को सोचकर वह अपने आप को परेशान किए हुए थी।
कुछ दिन तक तो वहां ब्लैक बोर्ड पर लिखना ही बंद कर दी थी बस कुर्सी पर बैठे-बैठे ही समझाती रहती लेकिन ऐसे काम चलने वाला नहीं था क्योंकि इस तरह से समझाने में विद्यार्थियों को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था।
दूसरी तरफ विद्यार्थियों का भी बुरा हाल था क्योंकि वह अभी निर्मला के प्रति आकर्षित हो चुके थे खास करके उसके बड़े बड़े नितंबो के प्रति जो की निर्मला के इस व्यवहार के कारण उंन्हें आंख सेंकने का मौका नहीं मिल पा रहा था।
विद्यार्थियों का उतरा हुआ मुंह देख कर तो ऐसा लगता था कि उनके मुंह से कोई निवाला छीन लिया हो, लेकिन निर्मला भी क्या कर सकती थी टीचर की जॉब जो करनी थी इसलिए उसे एक स्थिति का सामना तो करना ही था इसलिए ना चाहते हुए भी वह मन कड़ा करके फिर से पहले की ही तरह ब्लैक बोर्ड पर सवालों को समझाने लगी और निर्मला के इस व्यवहार की वजह से क्लास में ऐसा लग रहा था कि जैसे रेगिस्तान में बरसात हो गई हो सुखे खेतों में फिर से हरियाली छा गई हो।
निर्मला के ही वजह से क्लास में विद्यार्थियों की उपस्थिति शत प्रतिशत होने लगी थी जिससे कॉलेज के प्रिंसिपल भी खुश थे।
यही असर क्लास के विद्यार्थियों को भी जरूर होता था क्योंकि जब भी निर्मला ब्लैक बोर्ड पर चौक से मैथ के सवाल हल करती थी, तो अधिकतर विद्यार्थियों की नजर निर्मला के भरावदार बदन के उस खास हिस्से पर फिर नहीं लगती थी जहां से मर्दों के लिए औरतों के प्रति आकर्षण शुरू होता था।
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क्लास के अधिकतर लड़के निर्मला के भराव दार गोरे बदन को निहारने में ही लगे रहते थे खास करके तब जब वह ब्लैक बोर्ड पर कुछ लिखती रहती थी क्योंकि जैसे जैसे ब्लैक बोर्ड पर निर्मला के हाथ चलते थे वैसे वैसे उसके बदन में एक अजीब प्रकार की मदद हरकत होने लगती थी जो कि वह हरकत खास करके उसके नितंबों पर गहरा असर डालती थी।
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बदन में हो रही हरकत के साथ साथ उसकी कमर के नीचे उसके भरावदार नितंबों में अजीब सी मादक थिरकन होने लगती थी, जिसकी वजह से क्लास में सभी लड़कों का ध्यान अपने आप ही ऊस खास स्थान पर चला जाता था।
क्लास में उपस्थित सभी लड़कों का बस इसी पल का बेसब्री से इंतजार रहता था कि कब मैडम ब्लैक बोर्ड पर लिखना शुरु करें और उन लोगों को ऊस मादक पल को अपने जेहन में उतारने का पूरा भरपूर मौका मिल सके।
ऐसा कोई भी लड़का क्लास में नहीं था जो कि यह नजारा देखने के बाद ऊसका लंड खड़ा ना हुआ हो, उन लोगों की पेंट में हमेशा तंबु बन जाता था और वह तंबू तब तक बना रहता था जब तक निर्मला क्लास में उपस्थित रहती थी उसके जाने के बाद खुद ब खुद स्थिति सामान्य हो जाती थी।
रोज का हो चुका था शुरु शुरु में तो निर्मला का ध्यान इस बात पर बिलकुल नहीं किया लेकिन धीरे-धीरे उसे इस बात का एहसास होने लगा कि जब भी वह ब्लैकबोर्ड पर कुछ लिखती है तो क्लास के लड़कों की नजरें उसके कमर के नीचे वाले भाग पर ही टिकी रहती थी।
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इस बात का एहसास होते ही कि लड़कों की नजर उसकी बड़ी बड़ी गांड पर ही टिकी होती है तो वह शर्मिंदा हो गई।
उसे यकीन ही नहीं हो पा रहा था कि इस उम्र के लड़के भी इस तरह की हरकत कर सकते हैं लेकिन वह कर भी क्या सकती थी।
अब वह लड़कों से तो खुल कर बोल नहीं सकती थी कि तुम लोग मेरी गांड क्यों देखते हो।
वह इस बारे में सोच-सोच कर बहुत परेशान हो रही थी। सारा सारा दिन इसी बात को सोचकर वह अपने आप को परेशान किए हुए थी।
कुछ दिन तक तो वहां ब्लैक बोर्ड पर लिखना ही बंद कर दी थी बस कुर्सी पर बैठे-बैठे ही समझाती रहती लेकिन ऐसे काम चलने वाला नहीं था क्योंकि इस तरह से समझाने में विद्यार्थियों को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था।
दूसरी तरफ विद्यार्थियों का भी बुरा हाल था क्योंकि वह अभी निर्मला के प्रति आकर्षित हो चुके थे खास करके उसके बड़े बड़े नितंबो के प्रति जो की निर्मला के इस व्यवहार के कारण उंन्हें आंख सेंकने का मौका नहीं मिल पा रहा था।
विद्यार्थियों का उतरा हुआ मुंह देख कर तो ऐसा लगता था कि उनके मुंह से कोई निवाला छीन लिया हो, लेकिन निर्मला भी क्या कर सकती थी टीचर की जॉब जो करनी थी इसलिए उसे एक स्थिति का सामना तो करना ही था इसलिए ना चाहते हुए भी वह मन कड़ा करके फिर से पहले की ही तरह ब्लैक बोर्ड पर सवालों को समझाने लगी और निर्मला के इस व्यवहार की वजह से क्लास में ऐसा लग रहा था कि जैसे रेगिस्तान में बरसात हो गई हो सुखे खेतों में फिर से हरियाली छा गई हो।
निर्मला के ही वजह से क्लास में विद्यार्थियों की उपस्थिति शत प्रतिशत होने लगी थी जिससे कॉलेज के प्रिंसिपल भी खुश थे।