25-07-2021, 05:29 PM
इतना कहकर शीतल अपनी क्लास की तरफ जाने लगी और निर्मला अपने क्लाश की तरफ,,, चलते-चलते निर्मला को शीतल के द्वारा कही गई सारी बातें याद आने लगी और मन ही मन वह खुश होकर मुस्कुराने लगी भले ही निर्मला उपर से एसी बातो को नापसंद करने का ढोंग करती हो लेकिन अंदर ही अंदर शीतल की कही गई एक एक बात से वह बेहद प्रसन्न होती थी।
यही सब बातें वह अपने पति के मुंह से सुनने के लिए तरस जाती थी। जो बातें अशोक को कहनी चाहिए थी वह सारी बातें शीतल कहती थी।
लेकिन निर्मला को भी यह बात बड़ी अजीब लगती थी कि यही सारे कमेंट अगर कोई मर्द करता था तो उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था और वह अंदर ही अंदर घबराहट महसूस करती थी, लेकिन यही सब बातें शीतल के मुंह से बड़ी अच्छी लगती थी। उसके बदन के एक-एक अंग का तारीफ जिस तरह से शीतल करती थी उसे सुनकर निर्मला के बदन में झनझनाहट सी होने लगती थी।
निर्मला के लिए भी एक तरह से यह बड़ी फक्र वाली बात थी, क्योंकि अगर किसी औरत की तारीफ एक मर्द करता है तो वह अलग बात होती है,,,
क्योंकि मर्द अपने फायदे के लिए ही औरत की तारीफ करता है और उसी औरत से जब अपने मतलब की कोई चीज चाहिए रहती है तभी वह औरत की तारीफ करता है।
लेकिन एक औरत जब किसी औरत की तारीफ करें तो जरुर उस औरत ने कोई न कोई बात जरुर होती है जो दूसरी औरतों को भी आकर्षित करती है। इसलिए वह शीतल की बातें सुनकर हमेशा प्रसन्नता से गदगद हो जाया करती थी। लेकिन इस बात को कभी भी वह शीतल पर जाहिर होने नहीं दी।
शीतल के सामने वह हमेशा ऐसा ही बर्ताव करती थी की उसे उसकी बातें बिल्कुल भी पसंद नहीं होती हैं। तभी चलते चलते उसे गांड मटकाने वाली बात याद आ गई और वह ना चाहते हुए भी अपनी नजरें पीछे घुमाके अपनी गांड की तरफ देखने लगे कि क्या वाकई में चलते समय उसकी गांड ज्यादा मटकती है।
नजरें घुमा कर भी वहां अपनी मटकती हुई गांड के उतार-चढ़ाव को देखकर फैसला नहीं कर पाई। तब तक ऊसकी क्लासरुम आ गई।
यही सब बातें वह अपने पति के मुंह से सुनने के लिए तरस जाती थी। जो बातें अशोक को कहनी चाहिए थी वह सारी बातें शीतल कहती थी।
लेकिन निर्मला को भी यह बात बड़ी अजीब लगती थी कि यही सारे कमेंट अगर कोई मर्द करता था तो उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था और वह अंदर ही अंदर घबराहट महसूस करती थी, लेकिन यही सब बातें शीतल के मुंह से बड़ी अच्छी लगती थी। उसके बदन के एक-एक अंग का तारीफ जिस तरह से शीतल करती थी उसे सुनकर निर्मला के बदन में झनझनाहट सी होने लगती थी।
निर्मला के लिए भी एक तरह से यह बड़ी फक्र वाली बात थी, क्योंकि अगर किसी औरत की तारीफ एक मर्द करता है तो वह अलग बात होती है,,,
क्योंकि मर्द अपने फायदे के लिए ही औरत की तारीफ करता है और उसी औरत से जब अपने मतलब की कोई चीज चाहिए रहती है तभी वह औरत की तारीफ करता है।
लेकिन एक औरत जब किसी औरत की तारीफ करें तो जरुर उस औरत ने कोई न कोई बात जरुर होती है जो दूसरी औरतों को भी आकर्षित करती है। इसलिए वह शीतल की बातें सुनकर हमेशा प्रसन्नता से गदगद हो जाया करती थी। लेकिन इस बात को कभी भी वह शीतल पर जाहिर होने नहीं दी।
शीतल के सामने वह हमेशा ऐसा ही बर्ताव करती थी की उसे उसकी बातें बिल्कुल भी पसंद नहीं होती हैं। तभी चलते चलते उसे गांड मटकाने वाली बात याद आ गई और वह ना चाहते हुए भी अपनी नजरें पीछे घुमाके अपनी गांड की तरफ देखने लगे कि क्या वाकई में चलते समय उसकी गांड ज्यादा मटकती है।
नजरें घुमा कर भी वहां अपनी मटकती हुई गांड के उतार-चढ़ाव को देखकर फैसला नहीं कर पाई। तब तक ऊसकी क्लासरुम आ गई।