25-07-2021, 02:58 PM
(This post was last modified: 31-07-2021, 08:31 PM by babasandy. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
दोनों ने अब एक दूसरे को अपनी बाहों में जकड़ रखा था.. ठाकुर साहब अपने लंड को मेरी दीदी की पैंटी के ऊपर से रगड़ रहे थे.. कंबल के अंदर उन दोनों की गांड हिल रही थी... ठाकुर साहब ने अपना एक हाथ नीचे किया और मेरी रूपाली दीदी की पेंटी के अंदर में डाल दिया... बहुत ही गर्म गीली रसीली छेद का एहसास उनको हुआ.. उन्होंने अपनी एक उंगली मेरी बहन के छेद में डाल दिया... मेरी दीदी तड़प तड़पकर कसमसआने लगी... ठाकुर साहब की मोटी लंबी उंगली का एहसास अपने छेद में पाकर मेरी दीदी चीखने लगी.. बड़ी तेज रफ्तार से ठाकुर साहब उस उंगली से ही मेरी रूपाली दीदी की मदमस्त गुलाबी रसीली चूत चोदने लगे थे... मेरी दीदी दर्द के मारे उछलने लगी.. ठाकुर साहब की उंगली बहुत मोटी थी.. ठाकुर साहब ने अपनी उंगली की रफ्तार तेज कर दी थी ...फल स्वरुप मेरी बहन ने भी उनके कंधे पर अपने दांतों से काट लिया.. ठाकुर साहब ने मेरी रूपाली दीदी के होठों को चुम्मा लिया और फिर अपनी जीभ उसके मुंह में डाल चूसने लगे थे..
नीचे अपनी उंगली से ही वह मेरी बहन की चूत चोदने मे लगे हुए थे..
बेहद नरम चूत थी मेरी बहन की... उनसे अब ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुआ... उन्होंने मेरी बहन की पेंटी को नीचे खींच दिया... उसके बाद उन्होंने मेरी रूपाली दीदी की दोनों टांगों को चौड़ा किया... मेरी रूपाली दीदी पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और अच्छी तरह जानती थी कि आगे क्या होने वाला है... मेरी बहन खुद ही उनको ऐसा करने दे रही थी..
मेरी रूपाली दीदी: आआआह्ह्ह्ह... ठाकुर साहब... यह ठीक नहीं है..
ठाकुर साहब के पास समय नहीं था मेरी बहन को उत्तर देने के लिए...
उन्होंने मेरी बहन की गुलाबी गीले त्रिकोण के ऊपर अपना हथियार रख घिसना शुरू कर दिया... ठाकुर साहब ने अपने औजार को मेरी बहन के छेद के मुहाने पर टिका दिया... मेरी दीदी हो वासना की आग में पागल हुई जा रही थी... ऐसा पहली बार हो रहा था उनके साथ... मेरे जीजा जी ने तो कभी भी उनको ऐसा सुख नहीं दिया था...
आज मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब को बिल्कुल भी रोकने का प्रयास नहीं कर रही थी ... ठाकुर साहब ने ऊपर से दबाव बनाया और फिर एक झटका दिया मेरी बहन की प्यासी गीली चूत के अंदर... ठाकुर साहब के लोड़े का सुपड़ा मेरी बहन की टाइट चूत को चीरता अंदर समा गया..
मेरी दीदी की आंखें बड़ी हो गई... उन्होंने अपना हाथ ठाकुर साहब के पेट पर रख के उन को पीछे धकेलने की कोशिश की.. मेरी दीदी उनको रोकने का प्रयास कर रही थी.. ठाकुर साहब का बहुत बड़ा औजार था... मेरी दीदी दर्द में थी.. ठाकुर साहब ने कोई परवाह नहीं की और उन्होंने एक और झटका मारा... अब उनका आधा हथियार मेरी रूपाली दीदी के छेद में जाकर फस गया था... दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी ठाकुर साहब ने मेरी रुपाली दीदी के पसीने निकाल दिए थे.. अपने लोड़े के दम पर...
मेरी रूपाली दीदी: आआअह्हह्हह्ह... ठाकुर साहब..आआअह्हह्हह्ह ...नहीं.. बाहर निकाल लीजिए..आआअह्हह्हह्ह.. प्लीज बहुत दर्द हो रहा है..
ठाकुर साहब ने मेरी दीदी की एक नहीं सुनी... और उन्होंने एक जोरदार झटका दिया फाइनल.. पूरा का पूरा उन्होंने मेरी बहन की छेद में उतार दिया... मेरी रुपाली दीदी की कोख में ठाकुर साहब का हथियार लगा हुआ था... उन्होंने धीरे-धीरे अपना लंड बाहर निकाला और फिर से मेरी दीदी के अंदर पेल दिया..
मेरी बहन दर्द के मारे रोने लगी... अब ठाकुर साहब धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगे.. उन्होंने मेरी बहन के दोनों हाथ को पकड़ के दोनों तरफ अलग कर दिया और बड़ी तेज रफ्तार से मेरी बहन को पेलने लगे... कमरे के अंदर ठाकुर साहब का पलंग चर चर चर की आवाज कर रहा था.. आज ठाकुर साहब का सपना पूरा हो रहा था..
अपने बिस्तर पर लाकर मेरी रूपाली दीदी का ढोल बजाना... आज ठाकुर साहब का सपना सच में साकार हो गया था.. मेरी दीदी का ढोल बज रहा था.. मैं और रोहन बाहर हॉल में जगे हुए.. और एक दूसरे की तरफ देख रहे थे.. हम दोनों को अच्छी तरह पता था कि ठाकुर साहब मेरी दीदी के साथ अपने बेडरूम में क्या कर रहे हैं... रोहन का लंड खड़ा था.. वह मेरी तरफ देखते हुए अपने लंड को पजामे के ऊपर से ही मसल रहा था.. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं उसको क्या बोलूं..
अंदर ठाकुर साहब के बेडरूम में.... ठाकुर साहब अपनी पूरी रफ्तार से मेरी रूपाली दीदी की चूत का बाजा बजा रहे थे... मेरी बहन की चूत गीली हो चुकी थी... इसीलिए ठाकुर साहब को आसानी हो रही थी.
दोनों के मुंह से कामुक आवाज साफ-साफ सुनाई दे रही थी... इतनी तेज कि अगर मेरा जीजा जगा हुआ हो तो उनको भी सुनाई दे दे...
ठाकुर साहब मेरी बहन की एक चूची को मुंह में लेकर दूध पीने लगे.. मेरी रूपाली दीदी ने अपनी दोनों टांगे ठाकुर साहब की कमर में लपेट दी थी..
मेरी रुपाली दीदी की चूड़ी और पायल की खन खन की आवाज पूरे माहौल को और भी कामुक बना रही थी.. यह मेरी बहन की सर्वश्रेष्ठ ठुकाई थी... आज तक मेरे जीजाजी ने मेरी बहन को ऐसे नहीं ठोका था.
ठाकुर साहब पूरे जंगली अंदाज में मेरी बहन का ढोल बजा रहे थे... हर धक्के के साथ उनकी रफ्तार बढ़ती जा रही थी... अगले 15 मिनट तक मेरी बहन इसी प्रकार से लेटी हुई ठाकुर साहब के धक्के बर्दाश्त करती रही..
मेरी रूपाली दीदी अच्छी तरह जानती थी कि आज यह गुंडा उनकी चूत को चीर के रख देगा, फाड़ कर रख देगा .. मखमली गुलाबी सुरंग में अन्दर तक जाकर धंस जायेगा ..लगातार ठोकरे ..दे दनादन ठोकरे मरेगा.. सटासट उसका मुसल लंड उसकी मखमली चूत की संकरी सुरंग को चीरता हुआ उसके अनगिनत फेरे लगाएगा और तब तक उसे चीर चीर कर फैलाता रहेगा जब तक पूरा का पूरा उसके अन्दर तक धंस न जाये.. फिर शुरू होगा सरपट अन्धी सुरंग में रेस लगाने का सिलसिला और ये चुदाई और ठुकाई तब तक नहीं रुकेगी जब तक उस मुसल लंड से उसके सफ़ेद लावे की लपटे न निकलने लगे..
अचानक ठाकुर साहब का चेहरा लाल हो गया.. वह मेरी रूपाली दीदी की मखमली गुलाबी सुरंग में अपना वीर्य गिराने लगे.. मेरी बहन की मखमली छेद को उन्होंने अपने मलाई से भर दिया... मेरी दीदी भी पागलों की तरह अपने टांगो से ठाकुर साहब की गांड के ऊपर मारने लगी थी.. मेरी दीदी भी झड़ रही थी.. दोनों झड़ गए थे... ठाकुर साहब ने मेरी रूपाली दीदी को जन्नत का सुख दिया था अपनी लोड़े से.. जो मेरा जीजा कभी भी नहीं दे पाया था...
मेरी रूपाली दीदी की गांड के नीचे का बेडशीट का हिस्सा पूरी तरह गीला हो चुका था... मेरी बहन के छेद से टपकता हुआ ठाकुर साहब का वीर्य बेडशीट को गीला कर रहा था.. मेरी रूपाली दीदी की आंखें बंद थी और गहरी गहरी सांसे ले रही थी.. बहुत ही कामुक और उत्तेजक दृश्य था.. वासना की आग से मेरी दीदी बाहर निकलने लगी थी.. ठाकुर साहब ने मेरी बहन को चूमने का प्रयास किया पर उन्होंने अपना चेहरा दूसरी तरफ फेर लिया और रोने लगी..
नीचे अपनी उंगली से ही वह मेरी बहन की चूत चोदने मे लगे हुए थे..
बेहद नरम चूत थी मेरी बहन की... उनसे अब ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुआ... उन्होंने मेरी बहन की पेंटी को नीचे खींच दिया... उसके बाद उन्होंने मेरी रूपाली दीदी की दोनों टांगों को चौड़ा किया... मेरी रूपाली दीदी पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और अच्छी तरह जानती थी कि आगे क्या होने वाला है... मेरी बहन खुद ही उनको ऐसा करने दे रही थी..
मेरी रूपाली दीदी: आआआह्ह्ह्ह... ठाकुर साहब... यह ठीक नहीं है..
ठाकुर साहब के पास समय नहीं था मेरी बहन को उत्तर देने के लिए...
उन्होंने मेरी बहन की गुलाबी गीले त्रिकोण के ऊपर अपना हथियार रख घिसना शुरू कर दिया... ठाकुर साहब ने अपने औजार को मेरी बहन के छेद के मुहाने पर टिका दिया... मेरी दीदी हो वासना की आग में पागल हुई जा रही थी... ऐसा पहली बार हो रहा था उनके साथ... मेरे जीजा जी ने तो कभी भी उनको ऐसा सुख नहीं दिया था...
आज मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब को बिल्कुल भी रोकने का प्रयास नहीं कर रही थी ... ठाकुर साहब ने ऊपर से दबाव बनाया और फिर एक झटका दिया मेरी बहन की प्यासी गीली चूत के अंदर... ठाकुर साहब के लोड़े का सुपड़ा मेरी बहन की टाइट चूत को चीरता अंदर समा गया..
मेरी दीदी की आंखें बड़ी हो गई... उन्होंने अपना हाथ ठाकुर साहब के पेट पर रख के उन को पीछे धकेलने की कोशिश की.. मेरी दीदी उनको रोकने का प्रयास कर रही थी.. ठाकुर साहब का बहुत बड़ा औजार था... मेरी दीदी दर्द में थी.. ठाकुर साहब ने कोई परवाह नहीं की और उन्होंने एक और झटका मारा... अब उनका आधा हथियार मेरी रूपाली दीदी के छेद में जाकर फस गया था... दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी ठाकुर साहब ने मेरी रुपाली दीदी के पसीने निकाल दिए थे.. अपने लोड़े के दम पर...
मेरी रूपाली दीदी: आआअह्हह्हह्ह... ठाकुर साहब..आआअह्हह्हह्ह ...नहीं.. बाहर निकाल लीजिए..आआअह्हह्हह्ह.. प्लीज बहुत दर्द हो रहा है..
ठाकुर साहब ने मेरी दीदी की एक नहीं सुनी... और उन्होंने एक जोरदार झटका दिया फाइनल.. पूरा का पूरा उन्होंने मेरी बहन की छेद में उतार दिया... मेरी रुपाली दीदी की कोख में ठाकुर साहब का हथियार लगा हुआ था... उन्होंने धीरे-धीरे अपना लंड बाहर निकाला और फिर से मेरी दीदी के अंदर पेल दिया..
मेरी बहन दर्द के मारे रोने लगी... अब ठाकुर साहब धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगे.. उन्होंने मेरी बहन के दोनों हाथ को पकड़ के दोनों तरफ अलग कर दिया और बड़ी तेज रफ्तार से मेरी बहन को पेलने लगे... कमरे के अंदर ठाकुर साहब का पलंग चर चर चर की आवाज कर रहा था.. आज ठाकुर साहब का सपना पूरा हो रहा था..
अपने बिस्तर पर लाकर मेरी रूपाली दीदी का ढोल बजाना... आज ठाकुर साहब का सपना सच में साकार हो गया था.. मेरी दीदी का ढोल बज रहा था.. मैं और रोहन बाहर हॉल में जगे हुए.. और एक दूसरे की तरफ देख रहे थे.. हम दोनों को अच्छी तरह पता था कि ठाकुर साहब मेरी दीदी के साथ अपने बेडरूम में क्या कर रहे हैं... रोहन का लंड खड़ा था.. वह मेरी तरफ देखते हुए अपने लंड को पजामे के ऊपर से ही मसल रहा था.. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं उसको क्या बोलूं..
अंदर ठाकुर साहब के बेडरूम में.... ठाकुर साहब अपनी पूरी रफ्तार से मेरी रूपाली दीदी की चूत का बाजा बजा रहे थे... मेरी बहन की चूत गीली हो चुकी थी... इसीलिए ठाकुर साहब को आसानी हो रही थी.
दोनों के मुंह से कामुक आवाज साफ-साफ सुनाई दे रही थी... इतनी तेज कि अगर मेरा जीजा जगा हुआ हो तो उनको भी सुनाई दे दे...
ठाकुर साहब मेरी बहन की एक चूची को मुंह में लेकर दूध पीने लगे.. मेरी रूपाली दीदी ने अपनी दोनों टांगे ठाकुर साहब की कमर में लपेट दी थी..
मेरी रुपाली दीदी की चूड़ी और पायल की खन खन की आवाज पूरे माहौल को और भी कामुक बना रही थी.. यह मेरी बहन की सर्वश्रेष्ठ ठुकाई थी... आज तक मेरे जीजाजी ने मेरी बहन को ऐसे नहीं ठोका था.
ठाकुर साहब पूरे जंगली अंदाज में मेरी बहन का ढोल बजा रहे थे... हर धक्के के साथ उनकी रफ्तार बढ़ती जा रही थी... अगले 15 मिनट तक मेरी बहन इसी प्रकार से लेटी हुई ठाकुर साहब के धक्के बर्दाश्त करती रही..
मेरी रूपाली दीदी अच्छी तरह जानती थी कि आज यह गुंडा उनकी चूत को चीर के रख देगा, फाड़ कर रख देगा .. मखमली गुलाबी सुरंग में अन्दर तक जाकर धंस जायेगा ..लगातार ठोकरे ..दे दनादन ठोकरे मरेगा.. सटासट उसका मुसल लंड उसकी मखमली चूत की संकरी सुरंग को चीरता हुआ उसके अनगिनत फेरे लगाएगा और तब तक उसे चीर चीर कर फैलाता रहेगा जब तक पूरा का पूरा उसके अन्दर तक धंस न जाये.. फिर शुरू होगा सरपट अन्धी सुरंग में रेस लगाने का सिलसिला और ये चुदाई और ठुकाई तब तक नहीं रुकेगी जब तक उस मुसल लंड से उसके सफ़ेद लावे की लपटे न निकलने लगे..
अचानक ठाकुर साहब का चेहरा लाल हो गया.. वह मेरी रूपाली दीदी की मखमली गुलाबी सुरंग में अपना वीर्य गिराने लगे.. मेरी बहन की मखमली छेद को उन्होंने अपने मलाई से भर दिया... मेरी दीदी भी पागलों की तरह अपने टांगो से ठाकुर साहब की गांड के ऊपर मारने लगी थी.. मेरी दीदी भी झड़ रही थी.. दोनों झड़ गए थे... ठाकुर साहब ने मेरी रूपाली दीदी को जन्नत का सुख दिया था अपनी लोड़े से.. जो मेरा जीजा कभी भी नहीं दे पाया था...
मेरी रूपाली दीदी की गांड के नीचे का बेडशीट का हिस्सा पूरी तरह गीला हो चुका था... मेरी बहन के छेद से टपकता हुआ ठाकुर साहब का वीर्य बेडशीट को गीला कर रहा था.. मेरी रूपाली दीदी की आंखें बंद थी और गहरी गहरी सांसे ले रही थी.. बहुत ही कामुक और उत्तेजक दृश्य था.. वासना की आग से मेरी दीदी बाहर निकलने लगी थी.. ठाकुर साहब ने मेरी बहन को चूमने का प्रयास किया पर उन्होंने अपना चेहरा दूसरी तरफ फेर लिया और रोने लगी..