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Misc. Erotica मेरी रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर...
#58
दोपहर के बाद डॉक्टर साहब आए... उन्होंने मेरे जीजाजी का फुल चेकअप किया... और कुछ दवाइयां और हिदायत भी दी साथ में... उन्होंने मेरी दीदी को सलाह दी कि हो सकता है तो  एक व्हीलचेयर का इंतजाम इनके लिए कर दीजिए आप... दीदी उनकी बात सुनकर खुश हुई.. मेरे जीजू भी अच्छा महसूस कर रहे थे.. मेरी रूपाली दीदी ने  पैसे लाकर  डॉक्टर साहब के हाथ में पकड़ा दिया, जो पैसे ठाकुर साहब उनको घर से निकलने से पहले  देकर गए थे... एक व्हीलचेयर शाम को हमारे घर पहुंच गया था... मैंने और रोहन ने मिलकर बड़ी मुश्किल से मेरे  जीजाजी को व्हीलचेयर के ऊपर बैठाया...
 व्हीलचेयर के ऊपर बैठकर मेरे जीजाजी बेहद खुश लग रहे थे... वह बार-बार मुझे और रोहन को बता रहे थे कि ठाकुर साहब  कितने अच्छे और दयालु इंसान हैं... मेरे भोले जीजा जी को इस बात की जरा भी भनक नहीं थी इसके बदले वह उनकी बीवी यानी मेरी रूपाली दीदी को अपने बिस्तर की रानी बनाना चाहते थे.. मुझे मन ही मन इस बात का अंदाजा हो चुका था  पर उस समय मैं कुछ भी करने की हालत में नहीं था..
 हमारे घर की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से खराब हो चुकी थी.. मेरे जीजाजी भी अपाहिज हो चुके थे.. हमारा परिवार शरणार्थी की तरह ठाकुर साहब के फ्लैट में रह रहा था.. मेरे कॉलेज की फीस भी ठाकुर साहब के पैसों से भरी जा रही थी... ऐसी हालत में मैं अपने जीजा जी को कैसे बताता ठाकुर साहब की नियत मेरी रूपाली दीदी के लिए ठीक नहीं है.. ऐसी बात जानकर मेरे जीजाजी की हालत और भी खराब हो सकती थी.. मेरी उम्र भी उस वक्त कम थी और मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था कि मुझे क्या करना चाहिए.. मैंने चुप रहना ही ठीक समझा.
 रात को ठाकुर साहब घर वापस आए... उन्होंने मेरे जीजाजी की हालत का जायजा लिया... मेरे जीजू को व्हील चेयर पर देखकर उनको भी अच्छा लगा... जीजू ने ठाकुर साहब को धन्यवाद दिया...
 जीजू:  आपका एहसान मैं जिंदगी भर नहीं चुका सकता.. ठाकुर साहब हमारी  इस परिस्थिति में  आपने जो मदद की है उसके लिए हमारा परिवार पूरी जिंदगी आपका कर्जदार रहेगा..
 ठाकुर साहब ने मेरे  जीजाजी की बात पर कुछ खास ध्यान नहीं दिया.. ठाकुर साहब की निगाहें तो मेरी रुपाली दीदी पर टिकी हुई थी, अपने सपनों की रानी पर..
 मेरी रूपाली दीदी भी ठाकुर साहब के साथ अच्छा व्यवहार कर रही थी.. 
 मेरी दीदी आज बहुत खुश लग रही थी..
  लाल रंग की साड़ी और काले रंग की चोली में जब मेरी दीदी किचन में काम कर रही थी उसी वक्त ठाकुर साहब ठीक उनके पीछे जाकर खड़े हो गए.. साड़ी में लिपटी हुई मेरी बहन की  उभरी हुई हसीन गांड देखकर ठाकुर साहब का लंड तुरंत खड़ा हो गया.. मेरी दीदी खाना बना रही थी और बगल से उनका पेट ठाकुर साहब को साफ साफ दिखाई दे रहा था.. चिकना सपाट पेट गहरी नाभि देखकर ठाकुर साहब से रहा नहीं गया.. उन्होंने अपना एक हाथ में मेरी रूपाली दीदी की चिकनी कमर पर रख दिया... ठाकुर साहब अच्छी तरह जानते थे कि यह ठीक समय नहीं है.. इसीलिए वह मेरी बहन की कमर को थामे हुए कुछ दूरी बनाए हुए खड़े थे ताकि उनका हथियार मेरी बहन की गांड को टच ना कर सके..
 मेरी रूपाली दीदी ने महसूस किया कि ठाकुर साहब का मजबूत कठोर हाथ उनकी कमर पर फिसल रहा है... मेरी बहन इस वक्त कोई भी सीन खड़ा नहीं करना चाहते थे... वाह ठाकुर साहब की पहुंच से दूर होकर खड़ी हो गई.. फिर उनकी तरफ तरफ मुड़ कर  ठाकुर साहब को देखने  लगी...
 मेरी रूपाली दीदी:  ठाकुर साहब आप मेरे लिए एक जॉब ढूंढ दीजिए..
 ठाकुर साहब:  तुम्हें जॉब करने की क्या जरूरत है रुपाली..
 मेरी  रूपाली दीदी:  आपने जो हमारी इतनी मदद की है मैं उसे चुकाना चाहती हूं..
 ठाकुर साहब:  1- 2 जॉब तो है.. पर बहुत  दूर जाना होगा और काम भी करना पड़ेगा... तुम्हारी दो छोटी बेटियां  हैं... कैसे कर पाओगी यह सब... तुम्हारे अपाहिज पति की देखभाल कौन करेगा...
 मेरी रूपाली दीदी:  मैं कोशिश करूंगी.. नहीं तो आपके पैसे कैसे चुका पाऊंगा...
 ठाकुर साहब:  वह तो तुम चुका सकती हो...
 मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब की बात समझ गई और शर्मा गई.. मेरी बहन चुप हो गई... इस वक्त ठाकुर साहब ने भी ज्यादा  दबाव डालना ठीक नहीं समझा..
 ठाकुर साहब:  देखो रुपाली मैं कोशिश करूंगा जॉब का इंतजाम करने की... लेकिन तुम समझ लो कि मिलना बहुत मुश्किल है. अच्छा बताओ आज खाने में क्या बना हुआ है...
 मेरी रूपाली दीदी:  दाल रोटी और सब्जी...
 ठाकुर साहब:  मटन नहीं बनाई हो क्या... चलो कोई बात नहीं जल्दी से खाना लगा दो मुझे बहुत भूख लगी है...
 उसके बाद हम सब ने मिलकर एक साथ खाना खाया.. खाना खाने के बाद ठाकुर साहब तो सिगरेट पीने के लिए बाहर  चले गए... मेरी रूपाली दीदी ने  मेरे जीजाजी को बेड पर सुलाया और फिर सोनिया को गोद में लेकर ठाकुर साहब के बेडरूम में चली गई... मैं और रोहन कल की तरह ही हॉल में सो रहे थे... कंचन किचन में सो रही थी... मेरी बहन ने नूपुर को अपना दूध पिलाया और उसको सुला दी पालने में... फिर दीदी ने सोनिया को भी सुला दिया अपने बिस्तर पर..
 सोनिया को बिस्तर पर सुलाने के बाद मेरी रूपाली  दीदी अपनी साड़ी चेंज करने  लगी थी... ठीक उसी वक्त ठाकुर साहब अपने बेडरूम में गय.. उनकी आंखों के सामने मेरी रूपाली दीदी लाल रंग के पेटीकोट और काले रंग की चोली में खड़ी थी.. मैं  और रोहन अभी भी जगे हुए थे.. हमें ठाकुर साहब को बेडरूम में जाते हुए देखा था.. पर जानबूझकर डर के मारे अपनी आंखें बंद कर रखी थी.. जब ठाकुर साहब बेडरूम के अंदर घुस गय तब मैंने रोहन की तरफ देखा... उसकी आंखों में कुटिल मुस्कान थी.. मुझे  अच्छी तरह समझ में आ रहा था कि आंखों आंखों में ही वह मुझे क्या कह रहा है..
 ठाकुर साहब आज तेरी बहन को भी पेलने जा रहे हैं....
 मैंने अपनी नजर एक नीचे झुका ली थी.. अंदर ठाकुर साहब के बेडरूम में मेरी दीदी उनके सामने खड़ी थी...
  सपाट चिकने पेट पर गहरी नाभि.. बड़े बड़े मस्त दुधारू चूची चोली के अंदर  देखकर ठाकुर साहब देखते ही रह गया.. मेरी रूपाली दीदी को एहसास हुआ कि ठाकुर साहब उनके बदन को निहार  रहे हैं..
 मेरी रुपाली दीदी शर्मिंदा महसूस करने लगी और जल्दी जल्दी अपनी साड़ी  लपेटने  लगी थी.. ठाकुर साहब मेरी दीदी के पास आए और उन्होंने मेरी बहन का हाथ पकड़ लिया.. मेरी दीदी घबराने और शर्मआने लगी थी.
 ठाकुर साहब के मुंह से शराब और सिगरेट की बदबू आ रही थी... अब मेरी रूपाली दीदी और ठाकुर साहब एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे..
 इतना ही काफी था ठाकुर साहब का लंड खड़ा करने के लिए..
 उनका खड़ा लंड  मेरी बहन की नाभि के आसपास की जगह पर दस्तक देने लगा था... जब ठाकुर साहब मेरी रूपाली दीदी के होठों को चूमने के लिए नीचे की तरफ झुके..
 मेरी बहन ने अपनी आंखें बंद कर ली और अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा दिया..
 ठाकुर साहब ने मेरी बहन को अपनी गोद में उठा लिया और अपने बिस्तर पर लेटा दिया.. फिर उन्होंने सोनिया को उठाकर अलग  कर दिया और खुद मेरी बहन के पास आ गए... आज मेरी बहन कल रात की तरह कुछ खास ज्यादा विरोध नहीं कर रही थी... मेरी दीदी दीवार की तरफ देखने लगी ठाकुर साहब से दूर होते हुए.. ठाकुर साहब मेरी बहन के पास  आए और करवट लेती हुई मेरी बहन के ऊपर अपनी टांग उठा कर  लेट गया.. उनका मोटा लंबा खूंखार हथियार मेरी दीदी के पेटीकोट के ऊपर से उनकी गांड पर दस्तक दे रहा था... मेरी दीदी परेशान हो गई थी.
 मेरी बहन के मुंह से  सिसकी भी निकल गई थी जब उन्होंने महसूस किया था अपनी गांड पर ठाकुर साहब का मजबूत हथियार.. ठाकुर साहब ने मेरी बहन को अपनी बाहों में भर लिया था... और उनकी गांड पर अपना हथियार घिसाई कर रहे थे... मेरी दीदी को समझ नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करें...
 ठाकुर साहब ने अपनी टी-शर्ट निकालकर नीचे फेंक दि.. और मेरी बहन की पीठ को चूमने लगे चोली के ऊपर से... उनका हाथ मेरी बहन के पेट पर था.. नाभि में उनकी उंगलियां थी..
 मेरी रूपाली दीदी को अपने बदन में एक अजीब से करंट का एहसास हुआ.. ठाकुर साहब अपना हाथ मेरी बहन की चूची के ऊपर ले जाना चाहते थे...  पर मेरी रूपाली दीदी ने उनका हाथ पकड़ के नीचे हटा दिया.
 ठाकुर साहब आज बिल्कुल भी जोर जबरदस्ती नहीं कर रहे थे मेरी बहन के साथ... जितना मौका उनको मिल रहा था आज  इतने से ही खुश  हो रहे थे ठाकुर रणवीर सिंह...
 ठाकुर साहब मेरी बहन की टांग पर अपने टांग रगड़ रहे थे.. मेरी रूपाली दीदी की गांड के नीचे दोनों जांघों के बीच अपने मुसल लंड को सटाए ठाकुर साहब मेरी बहन के साथ प्यार करने की कोशिश कर रहे थे... मेरी बहन ठाकुर साहब के हथियार की लंबाई और मोटाई का ठीक से अंदाजा लगा रख पा रही थी... मेरी रुपाली  दीदी  डरी हुई थी...
 ठाकुर साहब पीछे से तो ऐसे धक्का दे रहे थे जैसे मानो मेरी रूपाली दीदी की गांड मार रहे हो.. मेरी दीदी घबराकर  बोल पड़ी..
 मेरी रूपाली दीदी:  प्लीज ठाकुर साहब... कंबल तो डाल लीजिए.. अगर सोनिया जाग गई तो सब कुछ देख लेगी..
 ठाकुर साहब ने कंबल ले लिया..मेरी बहन और ठाकुर साहब  दोनों कंबल के नीचे आ गए थे.. वह मेरी दीदी की गाल और गर्दन को चूमने लगे थे.
 ठाकुर साहब को एहसास हुआ कि मेरी रूपाली दीदी भी शारीरिक संबंध के लिए तैयार हो चुकी है.. उन्होंने मेरी बहन का चेहरा अपनी तरफ घुमाया और फिर अपने दोनों मजबूत हाथों में मेरी बहन की दोनों चूचियां थाम के दबाने लगे... मसल के बुरी तरह से निचोड़  डाला उन्होंने चोली के ऊपर से मेरी बहन के दोनों पहाड़ को... मेरी दीदी कराह उठी.
 ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी  की दोनों दुधारू चुचियों को दबाते हुए मेरी बहन की आंखों में देख रहे थे... ठाकुर साहब ऐसा पहले भी मेरी बहन के साथ कर चुके थे... पर आज उन्हें कुछ अलग लग रहा था..
 उन्हें तो ऐसा लग रहा था जैसा वह यह पहली बार कर रहे हैं..
 मेरी रूपाली दीदी उनकी आंखों में ज्यादा देर तक देख नहीं पाई और शर्म और हया के मारे  बेहाल हो गई... उनका पति बगल के कमरे में सो रहा था... उनका भाई बाहर हॉल में सो रहा था... और मेरी  दीदी ठाकुर साहब के बिस्तर पर उनके नीचे लेटी हुई अपनी चूचियां  उनके हवाले किए हुए लेटी हुई थी... अगल बगल में ही उनकी दोनों बेटियां सोई हुई थी.
 ठाकुर साहब अपने होठ मेरी रुपाली दीदी के लाल होठों पर टिका  चूसने लगे... बिना लिपस्टिक के भी मेरी दीदी के होठ चूसते हुए ठाकुर साहब को बड़ा मजा आ रहा था और टेस्ट भी... यह उन दोनों का पहला चुंबन था..
 मेरी रूपाली दीदी धीरे-धीरे ठाकुर साहब का सहयोग करने लगी थी.. चुंबन में... दीदी की सांसे भारी होने लगी थी.. ठाकुर साहब मेरी बहन के ऊपर दबाव बनाने लगे थे.. सब कुछ बड़े प्यार से हो रहा था..
 ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी के ऊपर सवार हो चुके थे... उनका तगड़ा हथियार मेरी बहन की जांघों के बीच के त्रिकोण पर रगड़ खा रहा था... और मेरी बहन  गीली हुई जा रही थी...  चूचियां छोड़कर ठाकुर साहब ने अपना हाथ नीचे किया और मेरी बहन की गांड को अपने हाथों में दबोच लिया... अब उनका चेहरा मेरी बहन की छाती पर था.. मेरी दीदी तड़प रही थी.. मचल रही थी ..सिसक रही थी...
 पेटीकोट के ऊपर से ठाकुर साहब मेरी बहन की गांड को दबाने लगे... मेरी दीदी जोर-जोर से  आहें भरने लगी.. वह मेरी बहन की गर्दन को चाट रहे थे... मेरी दीदी के गालों को चूम रहे थे...
 मेरी बहन अब पूरी तरह से गीली होने लगी थी... ठाकुर साहब को मेरी रुपाली दीदी की स्थिति का एहसास हो चुका था...

 ठाकुर साहब आज कोई जल्दी बाजी नहीं करना चाहते थे.. उन्होंने धीरे धीरे मेरे रूपाली दीदी की काले रंग की चोली को खोलना शुरू कर दिया.
 इसी बीच में रूपाली दीदी सोनिया की तरफ देख रही थी... सोनिया गहरी नींद में सोई हुई थी.. दीदी को मन में  राहत का अहसास हुआ..
 ठाकुर साहब इतनी देर में ही मेरी बहन की चोली खोल चुके थे.. एक झटके में ही उन्होंने मेरी बहन की ब्रा का हुक भी खोल दिया... मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब को रोकना चाहती थी पर रोक नहीं पाई... ठाकुर साहब बेहद अनुभवी थे इस काम को करने में..
 ठाकुर साहब ने मेरी रुपाली दीदी के कांधे से खींच कर उनकी ब्रा को अलग किया... दोनों मदमस्त  उभरे हुए पहाड़ ठाकुर साहब की आंखों के सामने थे... मेरी बहन की  दोनों चूची नंगी हो चुकी थी... ठाकुर साहब मेरी बहन की छाती को दबाते हुए दूध निकालने लगे और मेरी बहन को चूमने लगे ... दोनों एक दूसरे को चूमने लगे... फ्रेंच किस....
 ठाकुर साहब बेहद भारी और मजबूत इंसान थे.. वह खुद को संयम नहीं कर पाए.. उन्होंने मेरी रूपाली दीदी की एक  चूची को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगे... दूध पीने लगे मेरी बहन का...
 मेरी बहन के मुंह से एक तेज कराह निकली..
 मेरी रूपाली दीदी का एक हाथ ठाकुर साहब के सर पर था और उनकी बालों में घूम रहा था... वह मेरी बहन का दूध पी रहे थे.. बड़े प्यार से मेरी बहना का चूस रहे थे... मेरी दीदी के एक निप्पल पर  जीभ फिर आते हुए वह दूसरे निप्पल को अपनी चुटकी में लेकर मसल रहे थे... दीदी बेहाल थी परेशान थी... तड़प तड़प के पागल हो रही थी..
 तकरीबन 10 मिनट तक उन्होंने मेरी रुपाली दीदी की एक चूची से दूध पिया... फिर उन्होंने मेरी रूपाली दीदी की दोनों चूचियों को अपने दोनों हाथों में दबोच लिया... और बारी बारी से उनका दूध पीने लगे..
आअममममममम... की आवाज कमरे में गूंजने लगी थी..
 दोनों प्रेमी युगल कामवासना की दुनिया में खोए हुए थे.. ठाकुर साहब ने एक हाथ  मेरी रूपाली दीदी का पेटीकोट उनके कमर के ऊपर तक उठा दिया.. और उसी हाथ से मेरी दीदी की गांड पकड़कर दबाने लगे.. सब कुछ काबू से बाहर होता जा रहा था... मेरी बहन को एहसास हो चुका था कि अब रोकना पड़ेगा... पर कैसे रोके समझ नहीं आ रहा था उनको...
 मेरी रूपाली दीदी: आआई मम्माममआ ईईईईऊ आया ऊ ईईई... प्लीज ठाकुर साहब... अब रुक जाइए अब और नहीं..
 ठाकुर साहब:  मेरी जान.. बस एक बार गुस्सा लेने दो अपने अंदर... प्लीज आज मुझे मत रोको...  रूपाली..
  मेरी रूपाली  दीदी:   ऊ ईईई ... नहीं मेरी इज्जत मत...ठाकुर साहब..
 ठाकुर साहब रुकने के मूड में नहीं थे... वह मेरी रुपाली दीदी की सूखी 
चुदाई  करने लगे थे जो कपड़े के ऊपर से होती है...
 ठाकुर साहब नीचे झुककर मेरी बहन की नाभि को चूम रहे थे.. उनके पेट को चाट रहे थे.. मेरी रूपाली दीदी भी उत्तेजित होकर अपनी गांड उठा  रही थी .. ठाकुर साहब लंड को बार-बार मेरे रूपाली  दीदी की चुनमुनिया के ऊपर घीसे जा रहे थे... मेरी बहन को तड़पा  रहे थे..
 सब कुछ कपड़े के ऊपर से ही हो रहा था....
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RE: मेरी रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर... - by babasandy - 24-07-2021, 11:49 PM



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