24-07-2021, 11:35 PM
निर्मला भी नाश्ता करके तैयार हो चुकी थी वह अपने कमरे में जाकर कि अपना पर्स ले आई।
शुभम घर के बाहर आकर के गेराज के बाहर खड़ा हो कर के अपनी मां का ही इंतजार कर रहा था। निर्मला जिस कॉलेज में पढ़ाती थी उसी कॉलेज में शुभम भी पढ़ता था।
निर्मला गैराज में जाकर के कार्य का दरवाजा खोल करके ड्राइविंग सीट पर बैठ गई।
निर्मला अपनी कार को खुद ड्राइव करती थी। पहले वह बस ऐसे ही कॉलेज आया जाया करती थी लेकिन अपने बारे में गंदे कमेंट को सुन सुनकर बहुत परेशान हो चुकी थी इसलिए वह कार से ही आने जाने लगी।
चाबी लगाकर कार स्टार्ट करके उसने अपने पांव का दबाव एक्सीलेटर पर बढ़ा कर कार को आगे बढ़ाई और शुभम के करीब लाकर के ब्रेक लगाई। शुभम झट से कार का दरवाजा खोलकर आगे वाली सीट पर बैठ गया।
कुछ ही सेकंड में निर्मला कार को मुख्य सड़क पर दौड़ाने लगी।
बेटा तुम्हारी पढ़ाई तो ठीक चल रही है ना,,,( एक हाथ को दुलार से शुभम के सर पर रखते हुए)
हां मम्मी मेरी पढ़ाई ठीक चल रही है। ( शुभम शीसे में से बाहर झांकते हुए)
कभी कोई दिक्कत हो तो जरुर बोलना,,,
हां मम्मी ने जरूर बोलूंगा पर आप ऐसा क्यों बोल रही है,,,
तुम्हारे स्वभाव की वजह से तुम हमेशा शांत रहते हो और बहुत ही कम बोलते हो इसलिए कह रही हूं कि भी बेझिझक पढ़ाई में कोई भी तकलीफ हो तो मुझे जरुर बताना।
ठीक है मम्मी,,,,,, ( इतना कहकर वह फिर से शीशे से बाहर झांकने लगा।)
अपनी बेटे की बात और उसका व्यवहार देखकर वह मुस्कुरा दी और अपनी नजरें सड़क पर रखकर कार चलाने लगी। 15 मिनट की ड्राइविंग के बाद वह अपने कॉलेज पहुंच गये।
शुभम घर के बाहर आकर के गेराज के बाहर खड़ा हो कर के अपनी मां का ही इंतजार कर रहा था। निर्मला जिस कॉलेज में पढ़ाती थी उसी कॉलेज में शुभम भी पढ़ता था।
निर्मला गैराज में जाकर के कार्य का दरवाजा खोल करके ड्राइविंग सीट पर बैठ गई।
निर्मला अपनी कार को खुद ड्राइव करती थी। पहले वह बस ऐसे ही कॉलेज आया जाया करती थी लेकिन अपने बारे में गंदे कमेंट को सुन सुनकर बहुत परेशान हो चुकी थी इसलिए वह कार से ही आने जाने लगी।
चाबी लगाकर कार स्टार्ट करके उसने अपने पांव का दबाव एक्सीलेटर पर बढ़ा कर कार को आगे बढ़ाई और शुभम के करीब लाकर के ब्रेक लगाई। शुभम झट से कार का दरवाजा खोलकर आगे वाली सीट पर बैठ गया।
कुछ ही सेकंड में निर्मला कार को मुख्य सड़क पर दौड़ाने लगी।
बेटा तुम्हारी पढ़ाई तो ठीक चल रही है ना,,,( एक हाथ को दुलार से शुभम के सर पर रखते हुए)
हां मम्मी मेरी पढ़ाई ठीक चल रही है। ( शुभम शीसे में से बाहर झांकते हुए)
कभी कोई दिक्कत हो तो जरुर बोलना,,,
हां मम्मी ने जरूर बोलूंगा पर आप ऐसा क्यों बोल रही है,,,
तुम्हारे स्वभाव की वजह से तुम हमेशा शांत रहते हो और बहुत ही कम बोलते हो इसलिए कह रही हूं कि भी बेझिझक पढ़ाई में कोई भी तकलीफ हो तो मुझे जरुर बताना।
ठीक है मम्मी,,,,,, ( इतना कहकर वह फिर से शीशे से बाहर झांकने लगा।)
अपनी बेटे की बात और उसका व्यवहार देखकर वह मुस्कुरा दी और अपनी नजरें सड़क पर रखकर कार चलाने लगी। 15 मिनट की ड्राइविंग के बाद वह अपने कॉलेज पहुंच गये।


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