24-07-2021, 10:03 PM
(This post was last modified: 25-07-2021, 01:09 PM by CopyPornstar. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
फिर शुभम अपना नाश्ता लेने रसोईघर में चला गया तभी अशोक भी जोगिंग करके वापस आ गया । घर में घुसते ही वह निर्मला पर नजर डाले बिना ही बाथरूम की तरफ चला गया। इसी तरह से अशोक का निर्मला को नजर अंदाज करना कांटे की तरह चुभता था।
अशोक की इस तरह की हरकत को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पाती थी लेकिन कर भी कुछ नहीं सकती थी इसलिए वह मन में दर्द की वेदना लिए अंदर ही अंदर घुटती रहती थी।
थोड़ी देर बाद वह नाश्ता तैयार करके, नाश्ते को टेबल पर लगाकर अशोक का इंतजार कर रही थी, निर्मला शुरू से ही अशोक के खाने के बाद ही या उसके साथ ही नाश्ता या भोजन करती थी लेकिन इस बात की अशोक को बिल्कुल भी परवाह नहीं होती थी।
रोज की ही तरह वह तैयार होकर के आया और कुर्सी पर बैठकर निर्मला से बिना कुछ बोले ही नाश्ता करने लगा। ब्रेड पर मक्खन लगाकर वह खाते समय तिरछी नजर से निर्मला पर जरूर नजरें फेर ले रहा था लेकिन बोल कुछ भी नहीं रहा था।
निर्मला अशोक के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ में दो शब्द सुनने को तरस गई थी
अशोक से तो झूठ मूठ का भी तारीफ में दो शब्द नहीं निकलते थे। लेकिन राह चलते कभी भी लफंगो के मुंह से उसे अश्लील तारीफ सुनने को मिल ही जाती थी।
हाय क्या माल है,,,, हाय चिकनी कहां जा रही हो,,,,, कभी कभी तो ईससे भी ज्यादा गंदे कमेंटस सुनने को मिल जाते थे।
हाय मेरी रानी,,,, चुदवाओगी,,,,,,,, तुम्हारी गांड कीतनी बडी़ है,,,,,,, कभी हमे भी दुध पिला दीया करो,,,,,,,
इस तरह के कमेंट सुनकर के तो निर्मला अंदर ही अंदर डर के मारे थरथरा जाती थी।
वह अपने बारे में इस तरह के कमेंट सुनने की बिल्कुल भी आदी नहीं थी वह तो अपने पति के मुंह से अपनी खूबसूरती में चंद शब्द सुनने को तरस रही थी। लेकिन उसकी यह तरस दिन-ब-दिन तड़प मे बदलती जा रही थी।
अशोक चुपचाप नाश्ता करके निर्मला से बिना कुछ बोले ऑफिस के लिए निकल गया ।
निर्मला भी आखिरकार अपनी किस्मत से समझौता करते हुए चुपचाप नाश्ता कर ली।
अशोक की इस तरह की हरकत को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पाती थी लेकिन कर भी कुछ नहीं सकती थी इसलिए वह मन में दर्द की वेदना लिए अंदर ही अंदर घुटती रहती थी।
थोड़ी देर बाद वह नाश्ता तैयार करके, नाश्ते को टेबल पर लगाकर अशोक का इंतजार कर रही थी, निर्मला शुरू से ही अशोक के खाने के बाद ही या उसके साथ ही नाश्ता या भोजन करती थी लेकिन इस बात की अशोक को बिल्कुल भी परवाह नहीं होती थी।
रोज की ही तरह वह तैयार होकर के आया और कुर्सी पर बैठकर निर्मला से बिना कुछ बोले ही नाश्ता करने लगा। ब्रेड पर मक्खन लगाकर वह खाते समय तिरछी नजर से निर्मला पर जरूर नजरें फेर ले रहा था लेकिन बोल कुछ भी नहीं रहा था।
निर्मला अशोक के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ में दो शब्द सुनने को तरस गई थी
अशोक से तो झूठ मूठ का भी तारीफ में दो शब्द नहीं निकलते थे। लेकिन राह चलते कभी भी लफंगो के मुंह से उसे अश्लील तारीफ सुनने को मिल ही जाती थी।
हाय क्या माल है,,,, हाय चिकनी कहां जा रही हो,,,,, कभी कभी तो ईससे भी ज्यादा गंदे कमेंटस सुनने को मिल जाते थे।
हाय मेरी रानी,,,, चुदवाओगी,,,,,,,, तुम्हारी गांड कीतनी बडी़ है,,,,,,, कभी हमे भी दुध पिला दीया करो,,,,,,,
इस तरह के कमेंट सुनकर के तो निर्मला अंदर ही अंदर डर के मारे थरथरा जाती थी।
वह अपने बारे में इस तरह के कमेंट सुनने की बिल्कुल भी आदी नहीं थी वह तो अपने पति के मुंह से अपनी खूबसूरती में चंद शब्द सुनने को तरस रही थी। लेकिन उसकी यह तरस दिन-ब-दिन तड़प मे बदलती जा रही थी।
अशोक चुपचाप नाश्ता करके निर्मला से बिना कुछ बोले ऑफिस के लिए निकल गया ।
निर्मला भी आखिरकार अपनी किस्मत से समझौता करते हुए चुपचाप नाश्ता कर ली।